Thursday 30 April 2015

खाना न 11 - जाती हाल - ऐ - इन्साफ .....

जय माता दी । 
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से……… 
गुरू अस्थान
’’पाप अकेला असर अकेला, तीन पांच नौ ग्यारह;
शनि बली का साथ मिले तो, असर बढ़े गुणा ग्यारह।’’
कुण्डली के खाना नम्बर 11 को लाल किताब में गुरू अस्थान (जाये इन्साफ) इंसाफ की जगह या इन्सानी किस्मत की बुनियाद कहा गया है। इन्सान का जाती हाल (आमदन-कमाई-जन्म वक्त) या टेवे वाले का कुल दुनिया से ताल्लुक और सब की इकट्ठी (मुश्तर्का) किस्मत का मैदान हर शख्स अपने साथ लिए हुये है।
  • इस घर में केतु होने पर चन्द्र बरबाद और चन्द्र होने पर केतु बरबाद। 
  • इसी तरह इस घर में बृहस्पत होने पर राहु बरबाद और राहु होने पर बृहस्पत बर्बाद होगा।
  • खाना नम्बर 11 के ग्रह सिवाये पापी ग्रहों के बे-एतबारी हालत के होंगे। 
  • खाना नम्बर 11 का असर उस वक्त ही मुकम्मल जागता हुआ माना जायेगा जबकि खाना नम्बर 3-1 दोनों ही घरों में कोई न कोई ग्रह ज़रूर हो। 
  • अगर खाना नम्बर 3 खाली हो तो अमूमन नेक फल तख्त के आने के दिन से शुरू करेंगे (कहने का भाव यह है कि खाना नं 11 में स्थित ग्रह जब वर्षफल में लगन में  आये तब) और खाना नम्बर 8 में आने के वक्त मन्दा असर देंगे (कहने का भाव यह है कि खाना नं 11 में स्थित ग्रह जब वर्षफल में खाना नं 8 में आये तब)। 
  • जब खाना नम्बर 8 और 11 आपस (बाहम) दुश्मन हो तो नम्बर 11 के ग्रह की सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ टेवे वाले के किसी काम न आयेगी बल्कि ऐसे सदमे या मन्दी सेहत की निशानी होगी कि जिससे पीठ टूटी हुई या घर के मकान की छत गिरी हुई की तरह मातम का ज़माना होगा। उपाए : ऐसी हालत में खाना नम्बर 11 के ग्रह की सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ भी साथ ही उसके दोस्त ग्रह या ऐसे ग्रह की सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ भी साथ ही ले आवे जो ग्रह के मन्दे असर को नेक कर लेवे। मसलन् सनीचर नम्बर 11 हो तो सनीचर की चीज़ों (अश्या) के साथ ही केतु की चीज़ों (अश्या) ले आना फायदेमंद (मुबारक) होगा। यानि अगर मकान बनाओ तो कुत्ता भी साथ रख लो। मशीनें खरीदो तो बच्चे के खिलौने वगैरह भी साथ ही खरीद लाओ। इस तरह सनीचर बुरे असर के बजाये और भला असर देगा। मन्दी हालत में ग्रह सम्बंधित (मुताल्लिका) की कुल मुकर्ररा उम्र की मियाद के बाद नम्बर 11 में बैठे हुये या उसके दोस्त ग्रह की सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ का उपायो मददगार होगा। बशर्ते पापी ग्रहों से कोई उस वक्त वर्षफल के हिसाब से खाना नम्बर 1 में न हो। 
  • अगर कोई पापी नम्बर 1 में ही हो तो खाना नम्बर 9 में आये हुये ग्रह की सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ के उपायों से नेक असर होगा। अगर खाना नम्बर 9 खाली ही होवे तो बृहस्पत का उपायो मददगार होगा। 
खाना नम्बर 11 के ग्रहों की बे-एतबारी की हालत या असर इस तरह होगा।
  • बृहस्पत नेक हालत में, जब तक टेवे वाला खानदान में इकट्ठे (मुश्तर्का) रहे और पिता जि़न्दा हो तो सांप भी सजदा करे। मन्दी हालत में जब पिता से जुदा और चाल चलन का ढीला या मन्दे ग्रहों का कारोबार हो तो मच्छर का मुकाबला न कर सके और कफ़न तक पराया हो ।
  • सूरज नेक हालत में, जिस कदर धर्मात्मा और सफा खुराक हो तो उसी कदर उत्तम जि़न्दगी और साहिबे परिवार हो। मन्दी हालत में जब सनीचर की खुराक(जैसे कि नॉन वेज)  खाता हो तो विधाता खुद अपनी कलम से लावल्दी का हुकम लिख देगा।
  • चन्द्र नेक हालत में, अगर टेवे में बृहस्पत और केतु उम्दा तो माया और औलाद की माता के बैठे तक भी कोई कमी न होगी। मन्दी हालत में माता के जि़न्दा होते हुये नर औलाद शायद ही माता को देखनी नसीब होगी।
  • शुक्र नेक हालत में दौलत का भण्डारी जब तक औरत का भाई मौजूद हो या मंगल उम्दा हो। मन्दी हालत में बुद्धू, बुज़दिल और हिजड़ा और धन दौलत से दुखिया ही होगा।
  • मंगल नेक हालत में बृहस्पत के पीछे पीछे कदम पर कदम रखने वाला बहादुर चीते की तरह ज़माने की अन्धेरी रातों को भी किसी रास्ते से जा  करके (उबूर) अपना शिकार या दिली ख्वाहिश पा लेगा। मंगल मन्दी हालत में दुम को आग लगी हुई हालत में लंका से भागते हुये हनुमान जी की तरह समन्दर के पानी की तलाश में होगा।
  • बुध नेक हालत में, चन्द्र बृहस्पत और सनीचर से मारे हुये यानि माता पिता के यहाँ जन्म लेने के दिन और दुनिया के गैबी अन्धेरे से निकल कर आंखों के देखने के वक्त से ही दुखिया होने वाले को अपने वक्त में हर तरह और हर हालत में डूबे होने पर पर भी जि़न्दा करके तार देगा। मन्दी हालत में ऐसी खोटी अक्ल का मालिक जो पौधे को जड़ से उखाड़ देवे और खुद भी गिरने वाले दरख़त के नीचे आकर दब मरे।
  • सनीचर नेक हालत में विधाता की तरफ से  निःसंतान (लावल्दी) लिखे हुक्म को भी दूर करके बच्चे की पैदायश का हुक्म देगा और तमाम दुनिया के ज़हरों और हर तरह के विरोद्धी (मुखालेफीन) के विरूद्ध (बरखिलाफ) अकेला ही हर तरह से पूरी रक्षा (हिफ़ाजत) करेगा और धर्म ईमान में सच्चे होने का पूरा सबूत देगा। मन्दी हालत में भरी बेड़ी को मंझदार पहुंचकर बेड़ी का चप्पू सिरहाने रखकर अचानक सो जायेगा और अपनी आल औलाद को ऐसी अधूरी हालत में छोड़कर मरेगा कि उनकी आहों को सुनने वाला शायद ही कोई गृहस्थी मददगार होगा या हो सकेगा।
  • राहु नेक हालत में इतने मुतकब्बिर और अपनी कमाई पर काबिज़ कि अपने मां बाप से भी कौड़ी पाई तक न लेंगे ताकि उसपर कोई एहसान न हो जावे । खुद कमायेंगे और सोना बनायेंगे मगर अपने जन्म से पहले के मिले हुये सोने को खाक कर दिखायेंगे। न बृहस्पत का लिहाज़ न राहु के जेलखाने का फि़कर मगर खुद ख्वाबी दुनिया में कोहेतूर (वह पहाड़ जिसपर हजरत मूसा को अल्लाह के दर्शन हुए थे)  पर बैठे खुदा की जियारत (दर्शन) कर रहे होंगे। मन्दी हालत में जन्म लेते ही अपनी मियाद से पहले अगर सबसे सांस और जिस्म के खून (खासकर बाप या बाबे के) को संखिया और अफियून से ज़हरीला बरबाद और बन्द न कर दिया तो ऐसे टेवे वाले के जन्म लेने का किसी को पता ही क्या लगेगा। यानि अगर अफीम से मरे या संखिया से चल बसे या हीरा चाट गये कोयला से राख हुये जो कुछ कहो सच मगर वह तमाशा देखने के लिए हर वक्त हाजि़र नाजि़र (मौज़ूद)  होगा।
  • केतु नेक का फल संतान, कारोबार, या केतु के सम्बन्धियों का फल 11 गुना शुभ होगा यदि खाना नं 5 में बृहस्पत या चन्द्र न हो अन्यथा स्वयं अपना केतु अर्थात अपनी संतान का, शनि तथा चन्द्रमा का फल हद से अधिक मंदा होगा।  
खाना नम्बर 11 को समझने के लिए तमाम इल्म की वाकफ़ी ज़रूरी होगी। सब ग्रहों ने कोशिश की मगर इसे नीच कोई न कर सका। आखीर पर सनीचर खुद बदनामी उतारने के लिए सबके लिए कुंभ, पानी का भरा हुआ घड़ा शगुन के तौर पर ले आया कि अगर चन्द्र (पानी) से ही मौत का घर ऊँचा हो सकता है तो मेरे भी काम आयेगा। मगर खाना नम्बर 11 सबकी अपनी अपनी आमदन है। इसे कौन नीचा करे? सबकी किस्मत का मुकाम है। इसलिए कहा जाता है ’’मेरी किस्मत को कौन धो देगा ?’’ सबको अपना अपना हिस्सा मिल ही जाता है और फिर जब यह खाना एक से ग्यारह हो गया है। किस्सा मुखतसर (संक्षेप में) इसी पानी के घड़े के कतरा कतरा पर सबने लड़ना और मरना है। जिसे किस्मत देगी वह ले लेगा। सनीचर चाहे (ख्वाह) अपने घर में इस घड़े को रखे और सबसे होशियार आंख से ही निगरानी क्यों न करे मगर बरताने वाला तो बृहस्पत ही सबका गुरू है। राहु केतु के पैदा किये हुये कारनामों को साथ लेता हुआ खाना नम्बर 11 में जाकर सनीचर दोनो जहान के गुरू के दरबार में खुदा को हाजि़र नाजि़र कहकर फैसला करेगा जिसमें बृहस्पत की रज़ामन्दी ज़रूरी होगी।

कुछ लाल किताबकार के अनुसार लाल किताब में ग्यारहवें भाव को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। इसे इंसानी किस्मत की बुनियाद कहा गया है। किस्मत बनती है दौलत से और दौलत आती है आय से। अतः प्रकारान्तर से यह आय का भाव हुआ। ज्योतिष शास्त्र में भी एकादश को आय भाव की संज्ञा दी गयी है। लाल किताब के अनुसार एकादश भाव का स्वामी शनि है। इस भाव का कारक गुरु है। इसीलिए इसे गुरु का स्थान भी कहा गया है। एकादश भाव जातक के वैभव, ऐश्वर्य, आमदनी और बचत - बरकत का निर्णय करता है। इसी कारण इसे न्याय का स्थान कहा गया है। 
  • एकादश पर पंचवे और तीसरे भाव की दृष्टि होती है। तीसरे भाव के खाली रहते हुए एकादश में राहु केतु बैठे हों तो वे शुभ फल देते है। 
  • ग्यारहवें भाव में बैठे हुए ग्रह यदि अष्टमस्थ ग्रहों को देखते हों तो फल अशुभ होता है। 
  • तीसरे भाव में बृहस्पति के मित्र (सूर्य, चन्द्र, मंगल) ग्रह बैठे हों तो ग्यारहवें का फल हमेशा उत्तम होता है। 
  • ग्यारह का फल पूरी तरह से जगता हुआ तभी होता है जबकि तीसरे और पहले दोनों में कोई न कोई ग्रह बैठा हों। 
  • तीसरा भाव में केतु और शुक्र हों तो तब भी ग्यारहवें का उत्तम फल होता है। 
  • केतु ग्यारहवें में हो तो चन्द्रमा के फल को नष्ट कर देता है। चन्द्रमा ग्यारहवें में हो तो केतु के फल को नष्ट कर देता है। 
  • राहु हो तो बृहस्पत के फल को नष्ट कर देता है और बृहस्पत हो तो राहु के फल को नष्ट कर देता है।केतु शुभ फल देने की स्थति में हो और पाँचवे घर में चन्द्र और बृस्पति न हों तो फल की शुभता ग्यारह गुनी बढ़ जाती है। 
  • अष्टम और एकादश में बैठे हुए ग्रह परस्पर शत्रु हों तो केवल एकादश की चीज़े घर लाना मौत को निमंत्रण देना है। ऐसी हालत में एकादशस्थ ग्रह के मित्र की वस्तुए भी साथ में ले आनी चाहिए अथवा ऎसे ग्रह की वस्तुए साथ में लानी चाहिए जो एकादशस्थ ग्रह की अशुभता को शुभता में बदल दें। उदाहरणार्थ माकन बनाये तो कुत्ता भी पाले। मशीन खरीदकर लाये तो बच्चे के खिलोने भी लाये। ऐसा करने से एकादशस्थ ग्रह अशुभता छोड़कर शुभ फल देगा।
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
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ईमेल : pb02a024@gmail.com 
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माता रानी सब को खुशीआं दे।

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