Wednesday 29 April 2015

खाना नं 10 - मैदाने किस्मत ...... व्यवसय से सम्बंधित जानकारी (भाग 4) .....

जय माता दी । 
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से………
जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ।
दशम भाव :
लाल किताबकार ने दशम भाव को 'किस्मत की बुनियाद का मैदान' कहा है। किस्मत की बुनियाद कर्म है। कर्म की नीव पर ही भाग का भवन खड़ा होता है। अतः किस्मत की बुनियाद का मैदान हुआ कर्म का छेत्र। ज्योतिष शास्त्र में भी दशम को कर्म का भाव माना गया है। लाल किताब के अनुसार इस भाव का कारक शनि है। स्वामी भी वही है। लाल किताब में 
दशम भाव और मकर राशि को एक रूप किया गया है। इस भाव में स्थित मंगल उच्च का होता है, गुरु नीच का। दशम भाव पर चतुर्थस्थ ग्रहों की दृष्टि होती है। दशमस्थ ग्रह किसी भाव को नही देखता। कोई भी ग्रह वर्षफल के मुताबिक नवम भाव से दशम में प्रवेश करता है उस समय सदा अनिष्ट ही करता है। दशम में प्रवेश करने के बाद शक का ग्रह बन जाता है। साथ ही उसकी शक्ति दुगुनी हो जाती है।
"ग्रहमंडल 9 से ही टेवे ,घर दसवें जब बैठा हो,
6 पाँचवे चाहे दोस्त उसके ,दुगुनी जहर का होता है"
उस समय निश्चित रूप से नही कहा जा सकता है कि ग्रह अच्छे फल देगा या अनिष्ट करेगा। इतना निश्चित है की वह जो भी फल देगा, दुगने वेग का देगा। शकी ग्रह कैसा फल देगा? इस बात का अनुमान ही लगाया जा सकता है। चन्द्रमा शुभ स्तिथि में हो तो अच्छा फल दुगना हो सकता है।दूसरा भाव भी चंगा हुआ तो शक का ग्रह दुगना शुभ फल दे सकता है। आठवां भाव पीड़ित हुआ तो शक का ग्रह दोगुना बुरा फल दे सकता है। 
दशम में दो शत्रु ग्रह हुआ तो दोनों लड़ते रहेंगे। उस स्तिथि में भी फल का अनुमान चन्द्रमा की स्तिथि से लगाया जा सकता है।
चतुर्थस्थ ग्रह दसवें भाव को देखता है। दसवाँ भाव खाली हुआ तो वे अशुभ फल देते है। दूसरा घर खाली हुआ तो दसवाँ ग्रह सो जाता है ।
"घर दूजे के खाली होते, दसवाँ फ़ौरन सोता है"
राहु, केतु, बुध इस भाव में हमेशा शक के ग्रह होते है। उनका फल शनि की स्तिथि पर निर्भर करता है। शनि चंगा हुआ तो इनका फल दुगुना चंगा और शनि मंदा हुआ तो इनका फल दुगुना मंदा होताहै ।
अंधे और शक के ग्रहों के अनिष्ट फल के निवारण के लिए माता -पिता से मिलकर चलना चाहिए। दस अंधे व्यक्तियों को मुफ्त में भोजन -सामग्री बाँटनी चाहिए।

कुछ लाल किताबकार के अनुसार :
मैदाने किस्मत
’’ग्रह 10वे का घर 10 शक्की, दुगनी ताकत का हेाता हो;
आंख बना है घर दो जिसकी, ख्वाब 12 से लेता हो’’
कुण्डली के खाना नम्बर 10 को लाल किताब में किस्मत की बुनियाद का मैदान कहा गया है। अगर खाना नम्बर 10 रद्दी ग्रहोें से रद्दी हो रहा हो तो टेवा अन्धे ग्रहों का होगा। चाहे (ख्वाह) तमाम ग्रह उच्च घरों के हों पर अन्धे की तरह अपना फल देंगे। यह सहन (मकान के बीच या सामने का मैदान या आँगन) है नम्बर 4 का और इसका मुन्सिफ (न्यायकर्ता/इंसाफ करने वाला/दिवानी न्यायलय का एक उच्च पदाधिकारी) होगा चन्द्र।
इस घर बमुजिब वर्षफल आया हुआ ग्रह धोखे का ग्रह होगा जो अच्छा बुरा दोनों ही तरफ हो सकता है। 
  1.  नम्बर 8 मन्दा हो तो दुगना मन्दा और नम्बर 2 नेक हो तो दुगना उम्दा होगा। 
  2.  अगर दोनों तरफ बराबर तो अच्छा असर पहले और बुरा असर बाद में होगा। 
  3.  अगर नम्बर 8 व 2 दोनों ही खाली हों तो नम्बर 3, 5, 11 के ग्रह मददगार होंगे। 
  4.  अगर वह भी खाली हों तो फैसला सनीचर की हालत पर होगा। 
  5.  जब नम्बर 10 में आपस में (बाहम) लड़ने वाले कोई भी ग्रह बैठे हों तो वह टेवा अन्धे ग्रहों का होगा। यानि वह ग्रह हूबहू ऐसे ही ढंग पर असर देंगे, जिस तरह दुनिया में अन्धा प्राणी चलता फिरता है। ऐसी हालत में फैसला चन्द्र की हालत पर होगा। यानि अगर चन्द्र उम्दा तो असर उम्दा वर्ना मन्दा फल लेंगे। अपने माता पिता से मिलते रहना मदद देगा। 10 अन्धे मर्दों को इकट्ठा ही मुफ्त खुराक तकसीम करना खाना नम्बर 10 के ग्रहों की ज़हर धो सकेगा। 
  6.  अगर खाना नम्बर 10 खाली ही हो तो खाना नम्बर 4 के ग्रहों का कोई नेक फल न हो सकेगा। चाहे (ख्वाह) उस घर में रिज़क के चश्मे को उभारने केे लिए ग्रह लाख दर्जा ही उम्दा क्यों न हो ।
  7.  राहु केतु बुध तीनों ही इस घर में हमेशा शक्की होंगे। जो सनीचर की हालत पर चला करते हैं। यानि अगर सनीचर उम्दा तो दो गुणा उम्दा और अगर सनीचर मन्दा तो दो गुणा मन्दा असर देंगे।
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 

ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 

फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 

फेस बुक पर आचार्य हेमंत अग्रवाल या हेमंत अग्रवाल 
ईमेल : pb02a024@gmail.com 

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माता रानी सब को खुशीआं दे।

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