Tuesday 16 June 2015

केतु - दरवेश आकबत अन्देश

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आज मैं केतु देव के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ। इस पोस्ट में मैं केतु देव के कुंडली में अलग अलग घरों में अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताऊँगा। अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों या केतु देव से सम्बंधित निचे लिखे हुए हालत हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें।
लाल किताब के मुताबिक राहु केतु दोनों पापी ग्रह हैं। राहु खुफिया पाप तो केतु ज़ाहिरा पाप है। सूरज डूबने के बाद शाम मगर शनि की रात शुरू होने से पहले का वक्त राहु और रात खत्म होने के बाद सुबह मगर सूरज निकलने से पहले का वक्त केतु है। राहु सिर का साया तो केतु सिर के बिना धड़ (जिस्म) का साया है। लेकिन इन्सानी जिस्म में नाभि के ऊपर सिर की तरफ का हिस्सा राहु का राज्य और नाभि के नीचे पांव की तरफ के हिस्से पर केतु का राज होगा। राहु कुंडली के खाना नं 12 में आसमानी हद बृहस्पाति के साथ मुकर्र हुआ तो केतु खाना नं 6 पाताल के बुध का साथी हुआ। दोनों की मुश्तरका बैठक कुंडली का खाना नं 2 है। दोनों के बाहम मिलने की जगह शारा आम यानि जिस जगह दो तरफ से आकर रास्ता बन्द हो जाता हो, वहां दोनों ग्रहों का ज़रूर मंदा असर या दोनों मन्दे या पाप की वारदातें या नाहक तोहमत और बदनामी के वाक्यात या ग्रहस्थी के बेगुनाह धक्के लग रहे होंगे। लाल किताब के मुताबिक:-
'' केतु कुत्ता हो पापी घड़ी का, चाबी राहु जा बनता हो।
चन्द्र सूरज से भेद हो खुलता, ज़ेर शनि दो होता हो ॥''
राहु केतु हमेशा बुध (घड़ी) के दायरे में घूमते हैं। अगर यह देखना हो कि राहु कैसा है तो चन्द्र का उपाय करें यानि खालिस चांदी का टुकड़ा अपने पास रखें और केतु की नीयत का पता लगाने के लिये सूरज का उपायें करें यानि सुर्ख तांबा अपने पास रखें। इस तरह दोनों ग्रहों का दिली पाप खुद व खुद पकड़ा जायेगा। यानि उस ग्रह के ताल्लुक के वाक्यात होने लगेगें। राहु और केतु में से अगर कोई भी खाना नं 8 में हो तो शनि भी उस वक्त खाना नं 8 में गिना जायेगा। यानि जैसा शनि वैसा ही फैसला समझा जायेगा। अगर राहु केतु दोनों खराब असर करना शुरू कर दें तो राहु 42 साल और केतु 48 साल तक और दोनो मुश्तरका 45 साल का मन्दा असर कर सकतें हैं। कुंडली में सूरज राहु मुश्तरका से सूरज ग्रहण और चन्द्र केतु मुश्तरका से चन्द्र ग्रहण होगा। लिहाज़ा ग्रहण से राहु केतु के मन्दे असर का ज़माना लम्बा हो सकता है। जिसके लिये ग्रहण के वक्त और वैसे भी पापी ग्रहों की चीज़ें (नारियल वगैरह) चलते पानी (दरिया या नदी) में बहाते रहना मददगार होगा।
लाल किताब में केतु को 'दरवेश' माना गया है। इसका सम्बन्ध इस लोक से कम, परलोक से ज्यादा है। केतु इस भव सागर से मुक्ति/मोक्ष/निर्वाण का प्रतीक है। केतु दया का सन्देश वाहक है, यात्राओं का कारक है और जीवन यात्रा के गंतव्य तक जातक का सहायक है। बृहस्पत, मंगल बद और बुध तीनों ही केतु के सम है। लाल किताब के अनुसार ये केतु के भाग है। केतु में तीन कुत्ते समाहित है। लाल किताब के अनुसार ये तीन केतु के भाग है। केतु के तीन कुत्ते है: बहिन के घर भाई कुत्ता, ससुराल में जमाई और मामा के घर भांजा कुत्ता। केतु का पालतू कुत्ता काले और सफ़ेद रंग का है। सफ़ेद रंग दिन का प्रतीक है और काला रात्रि का। इसका तात्पर्य यह हुआ कि केतु दिवा - रात्रि - बलि है, जबकि अन्य ग्रह या तो दिवा बलि होते है या केवल रात्रि बलि होते है। उसमे यदि कहीं लाल रंग है तो वह बुध का प्रतीक है। ऐसे कुत्ते के फल बुध वाले होते है और फलों की अवधि केतु निर्दिष्ट समय तक होती है ।
जब केतु बुरे फल देना शुरू करे तो जातक को शोर नही मचाना चाहिए। मन की व्यथा मन में ही रखें। जैसा कवि रहीम ने कहा है।
रहिमन निज की व्यथा मन ही राखौ गोय।
सुनि अठिलैहे लोक सब ,बांटी न लेहे कोय।
रहीम मिया तो कहते है की व्यथा कथा सुनकर लोग हसेंगे। लाल किताब कहती है कि आप केतु की दी हुई पीड़ा दूसरों के सामने प्रकट करेंगे तो केतु और मरेगा और जोर से मारेगा। दशमस्थ ग्रहों को ध्यान से देखने पर केतु के कहर की पूर्व सुचना निश्चित रूप से मिल जाती है ।
केतु की दी हुई पीड़ा से जातक का स्वास्थ्य प्रभावित हो चन्द्रमा के उपाए सहायक होते है। कभी कभी केतु नर संतान को कष्ट देता है। ऐसा होने पर मंदिर में कम्बल दान करें। केतु के प्रभाव से पाव के पंजे में या पेशाब नलिका में रोग/पीड़ा हो तो दोनों पावों के अंगूठे पर रेशमी धागे बांधने चाहिए।
लाल किताब की नयी मान्यता (उद्भावना) के अनुसार केतु खटिया भी है। विवाह के समय जो पलंग मिलता है उसपे केतु का स्वामित्व माना गया है। प्रसूति के समय स्त्री को इसी पलंग का इस्तमाल करना चाहिए। ऐसा करने पर केतु बच्चे पर दुष्प्रभाव नही डालता।
जब केतु क्षुभित/पीड़ित होता है तो दूसरे ग्रहों पर भी बुरा असर डालता है। केतु का राहु या शनि से युति दृष्टि सम्बन्ध होने पर वह पापी बन जाता है। राहु केतु युक्ति निश्चय ही असंभव है, किन्तु नकली राहु (जिन ग्रहों के मेल से नकली राहु बनता है वे ग्रह) तो केतु के साथ उसी भाव में बैठा हो सकता है। केतु दुष्ट/पीड़ित होने पर भी मारक नही होता। वह किसी सम्बन्धी की मृत्यु का कारण नही होता। वह अन्य प्रकार के कष्ट देता है। पापी होने पर केतु प्राय घर को, घर की स्त्रियों को और बच्चों को पीड़ित करता है।
जब रवि या गुरु अपने शत्रु ग्रहों द्वारा पीड़ित होते है तो वे केतु के अशुभ फल उत्पन्न करते है। जब केतु अशुभ होता है तो वह प्राय बच्चों को कष्ट देता है। फलतः बच्चों को सूखा रोग हो जाये तो नदी आदि जलाशयों से कीचड लीजिये और बच्चे के सारे शरीर पर लपेट दीजिये। वह जब सुख जाये तो बच्चे को नहलाये। लगातार 43 दिन तक यह उपाए करें। बच्चा ठीक हो जायेगा। 

केतु:- दरवेश आकबत अन्देश
दुनिया की आवाज़ दरगाह में पहुंचाने वाला दरवेश कुत्ता,
मौत के यम की आमद पहले बताये। 
दुनियावी कारोबार के हल करने के लिये इधर उधर सलाह मशवरे के लिये दौड़ धूप का 48 साला उम्र का ज़माना केतु का दौर दौरा है। ज़र्द बृहस्पति, सुर्ख मंगल, अण्डे का रंग बुध तीनों ग्रहों का मजमुआ केतु तीनो ही ज़मानों का मालिक होगा। जान से मारने की बजाये आखिर कब्र तक (चारपाई, तख्ता) मदद होगा। केतु नेकी का फरिशता, सफर का मलिक और आखीर तक मदद देने वाला ग्रह है। केतु से मुराद सफेद व काला दो रंगा कुत्ता है। कुत्तिया का नर बच्चा जो एक ही पैदा हुआ हो, खानदानी नस्ल कायम कर जायेगा।
1. मन्दे केतु के वक्त अपनी कमज़ोरी दूसरों को बताना, दूसरों के आगे रोना और भी मन्दी मुसीबत देगा। बृहस्पति का उपाय मददगार होगा।
2. मन्दी सेहत के वक्त चन्द्र का उपाय मददगार मगर लड़का मन्दा हो तो धर्म स्थान में काला व सफेद कम्बल देना मुबारक होगा।
3. पांव या पेशाब की तकलीफ के वक्त पांवों के दोनों अगूंठों में खालिस रेशम का सफेद धागा बांधना या चांदी छल्ला डालना मददगार साबित होगा।
4. केतु की चारपाई भी मानी गई है। मगर ग्रहचाल में चूंकि केतु को शुक्र का फल माना है इसलिये चारपाई दरअसल वह जो शादी के वक्त दहेज में मामा या माता पिता की तरफ से लड़की को बतौर दान दी गई हो। ऐसी चारपाई को औलाद की पैदायश के लिये इस्तेमाल करना उत्ताम फल देगा चाहे केतु कुंडली में कितना भी नीच मन्दा या बर्बाद ही क्यों न हो। जब तक वह चारपाई घर में मौजूद और इस्तेमाल में रहे, केतु का फल कभी मन्दा ना होगा। 
5. मन्दी हालत में केतु दुनिया का धोखेबाज छलावा होगा। जब तक बुध अच्छा, केतु बर्बाद ही होगा। केतु का मकान, बच्चे व औरत जात की हालत मन्दी ही रखेगा। बृहस्पति या सूरज जब दुश्मन ग्रहों से खुद ही मर रहे हों तो केतु बर्बाद होगा। केतु मन्दे के वक्त खासकर जब कुंडली में चन्द्र और शुक्र इकट्ठे हो रहे हों तो बच्चे का जिस्म सूखने लग जाता है। ऐसे वक्त में बच्चे के जिस्म पर दरिया, नदी, नाले की मिट्टी, मुलतानी मिट्टी या गाचनी मलकर खुश्क होने दें। जब कुछ अर्सा हो जाये तो बच्चे को मौसम के मुताबिक सर्द या गर्म पानी से नहलाकर साफ कर देवें। ऐसा 40-43 दिन लगातार करने से जिस्म का सूखना ठीक हो जायेगा।
अलग अलग भावों में केतु के दुष्प्रभाव को कम करने के कुछ उपाए :
लग्न - 
  • काला या सफ़ेद कुत्ता पाले या ऎसे कुत्ते की देखभाल करें।
  • गली के आखिरी मकान में न रहें।
  • चन्द्रमा के निर्दिष्ट उपचार करें।
  • लाल रंग का रुमाल /कपडा जेब में रखें।
द्वितीय भाव - 
  • सदाचार का निरंतर पालन करते रहें।
  • नौ वर्ष की आयु से कम की कन्याओं की सेवा करें।
तृतीय भाव - 
  • यात्रा में दुर्घटना और नुकसान से बचे रहने के लिए सूर्य और चन्द्रमा से सम्बंधित चीज़ें बहते पानी में डालें।
  • सोना पहनें।
  • गुरु की वस्तुएँ बहते पानी में डालें।
चतुर्थ भाव - 
  • पुजालयो में गुरु की वस्तुओं का दान करें।
  • कुल -पुरोहित की सेवा करें।
पंचम भाव - 
  • पूजा पाठादि द्वारा गुरु की शांति करें।
  • शनि की वस्तुए बंद करके न रखें। लोहे के संदूक खुले रखें । दरवाजों में लोहे के ताले न लगाये।
षष्ठ भाव - 
  • दहेज़ में मिली हुई अंगूठी बायें हाथ में पहनें।
  • पंचम भाव में दिए गए उपचार इस भाव में भी करें।
सप्तम भाव - 
  • इंधन के चार चार टुकड़े चार दिन तक बहते पानी में डालें।
  • चार दिन तक प्रतिदिन चार चार निम्बू बहते पानी में डालने
अष्टम भाव - 
  • पुजलायो में काले सफ़ेद रंग के कपडे पहनें।
  • एक ही भाव में स्थित ग्रहों के साथ साथ काले धोले रंग के कम्बलों के टुकड़े शमशान भूमि में दबाएं।
नवम भाव - 
  • टॉप्स या बालियों के रूप में कानों में सोना पहने। 
  • 48 वर्ष की आयु के बाद घर में कुत्ता पाले।
  • चांदी के बर्तन में शहद रखें।
  • अच्छा व्यव्हार और अच्छा चाल - चलन रखें।
एकादश भाव - 
  • काला कुत्ता पालकर रखें।
द्वादश भाव - 
  • अंगूठे को दूध में डुबोकर चूसें/(यदि कोई पुत्र न हो तो ये न करें )
  • काला धोला कुत्ता पालें।
सामान्य उपचार सब भावों के लिए -
  • गणेश चतुर्थी और गणेश पूजा के दिन उपवास रखें ।
  • तिल ,नीम्बू और केले दान करें ।
  • घर में काला धोला पालें या ऐसे कुत्ते की सेवा करें ।
  • अच्छा व्यव्हार और चाल चलन बनाये रखें ।
  • नौ वर्ष से कम की आयु की कन्याओं को खट्टी चीज़ें दें ।
  • काले धोले तिल बहते पानी में डालें ।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

5 comments:

  1. Ketu or chndr sath bbaithe ho to 11 house mein to kya upay
    Krna chahiye

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  4. मात्र 300 rs में आपसे बेहतर calculation वाले लाल किताब विशेषज्ञ बैठे हैं। 11000 rs फीस खुली लूट है

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