Saturday 21 March 2015

शुक्र ग्रह से सम्बंधित जानकारी (भाग 5)

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
शुक्र देव के बारे में चर्चा को आगे बढ़ाते हुए.………।
आठवें शुक्र को जली मिटटी की चांडाल औरत कहा गया है। आठवें शुक्र वाले की पत्नी सख्त स्वभाव की होती हैं। औरत की जुबान से निकला हर शब्द पत्थर की लकीर होगा। वी अगर किसी के लिए बुरा कहेगी तो तुरंत सच हो जाता हैं। लेकिन अछा कहने पे जरूरी नहीं। अगर ऐसा इंसान अपनी पत्नी को तंग करेगा तो शुक्र का फल दोनों के लिओए मंदा होगा। ऐसे इंसान की शादी यदि 25 वर्ष तक हो जाये तो तो बहुत अशुभ होगा। शुक्र 8 के समय यदि खाना नंबर २ खाली हो तो देखा जाता हैं की बुजर्गों का सर पे साया नहीं होता। चन्द्र - मंगल या बुध अच्छी हालत होने पे ही शुक्र का असर कम हो सकता हैं।
मित्रो अब आगे मैं आपको शुक्र देव के सुखों में परेशानी होने के एक विशेष कारण सूर्य देव के सम्बन्ध में बता रहा हूँ। सूर्य देव शुक्र को कैसे ख़राब करते हैं। मतलब शुक्र देव के सुखों को हानि कैसे पहुचाते हैं। 
  1. जैसा कि मैंने अपने पहले लेखों में लिखा है कि जब सूर्य के साथ या सूर्य की दृष्टि में शनि देव आ जाएँ तब शुक्र देव से मिलने वाले सुखों में कमी होती है। 
  2. जब सूर्य के साथ शुक्र देव एक ही घर में या किसी वर्ष फल में सूर्य की दृष्टि शुक्र देव के ऊपर पड़ रही हो तब भी शुक्र देव के सुखो में कमी हो जाती है।
  3. जब सूर्य देव शुक्र देव के पक्के घर 7 में बैठ जाएँ तब भी शुक्र देव के फलों में परेशानी होती है।
  4. जब सूर्य देव घर 12 जोकि बिस्तर के सुखों का घर है बंहा पर सूर्य देव बैठ कर शुक्र के सुखो का नाश करते हैं। क्योंकि बिस्तर के सुख का कारण शुक्र देव हैं। साथ ही शुक्र को फूल भी बोला जाता है और सूर्य तो आग का विशाल गोला है तो आग के पास फूल जल जाता है और हाँ एक बात और कि सूर्य 12 बाले जातक का जीवन साथी बिस्तर पर प्यार कम और झगड़ा ज्यादा करता है। इस प्रकार से सूर्य देव शुक्र को हानि पहुंचाते हैं।
मित्रों आप की जानकारी के लिए बताना चाहता हूँ कि शुक्र देव के सुख क्या हैं।  पति पत्नी के जितने भी सुख जैसे सम्भोग के सुख, आपसी मिजाज का अच्छा होना। घर सुंदर और घर में साज सज्जा के भरपूर सामान। साथ ही घर में लुक्सुरियस सामान की कोई कमी ना होना। अच्छे शुक्र बाले जातक का साथी वफादार होता है। वो खुद भी अपने साथी के लिए वफादार होता है। शरीर एक दम फिट होता है। शरीर में भरपूर जोश। ऐसे व्यक्ति को घूमने फिरने के शौकीन होते हैं। अपने साथी का भरपूर ध्यान रखते हैं। रुपया पैसा की कोई कमी नहीं होती और ऐसे व्यक्ति की बुद्धि भी तेज होती है।
मित्रों अब मैं आप से शुक्र देव को खुश रखने के बारे में कुछ सावधानियां बताने जा रहा हूँ। मित्रों यह केवल सावधानियां हैं पूर्ण  उपाए नहीं। जिनसे आपको फायदा जरूर होगा। तो जब आप लाल किताब के उपाय करोगे तो कितना फायदा होगा इस की कल्पना कर पाना भी मुश्किल है। 
अगर आप की जन्म कुंडली में शुक्र देव सूर्य देव के कारण खराब या बुरे फल दे रहे हैं तो निम्न लिखित सावधानियां बरतें।
  • दिन में सम्भोग कभी ना करें।
  • गुड़ का सेवन ना करें।
  • गुड़ गेंहू और ताम्बे का घर पर स्टॉक ना करें।
  • सोने बाले कमरे में साज सज्जा का सामान जरूर रखें।
  • बिस्तर कटा फटा या गन्दा ना हो।
  • बिस्तर पर खाना ना खाएं।
  • सुबह जल्दी बिस्तर छोड़ने की आदत बनाएं।
  • सुबह जल्दी नहा धो लें।
  • रोज प्रेस किये कपड़े पहने।
  • सूर्य को जल ना दें।
  • लाल रंग के कपड़े ना पहनें।
  • परफ्यूम सेंट का इस्तेमाल रोज करें।
  • घर में खुशबू का बतावरण बनाने के लिए अगरबत्ती धुप रोज जलाएं।
  • काले रंग की गाय की खूब सेवा करें।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो एक अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। उपाय बहुत सारे है । जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप मुझसे फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारा संस्थान आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली मुझे दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहता हो वह ईमेल द्वारा मात्र 1100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो और लाल किताब ज्योतिष सीखने के इच्छुक हों संपर्क करें। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पर आचार्य हेमंत अग्रवाल या हेमंत अग्रवाल 
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

शुक्र ग्रह से सम्बंधित जानकारी (भाग 4)

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
शुक्र देव के बारे में चर्चा को आगे बढ़ाते हुए.………। 
शुक्र स्त्री कारक ग्रह है। इसलिए इस घर (खाना नं 6) में शुक्र होने पर जो वैर - विरोध पैदा होता है वो अधिकतर स्त्रिओं की ओर से और स्त्रिओं के कारण होता है। उसके शत्रु भी स्त्री स्वभाव के होंगे। ये शत्रु उस व्यक्ति के साथ बहुत ईर्ष्या रखते है और उसके बारे में दूसरे लोगों के पास झूठी - सच्ची बातों से उसे बदनाम करने की कोशिश करते है और किसी हद तक अपनी कोशिशों में सफल भी होते है। 
चमत्कार चिंतामणि में कहा गया हैं कि इस घर का शुक्र मीठा मीठा बोलने वाले दुश्मन पैदा करता है। जो की ठीक ही प्रतीत होता है। इसका कारण यह है की छठा घर बुध का पक्का घर है और बुध एक स्त्री गृह होने के साथ चुस्ती और होशियारी का गृह भी हैं जिसकी जुबान में मिठास है। अतः शुक्र जैसे गृह का छठे घर में होना स्वाभाविक ही है कि वो ऐसे शत्रु पैदा करेगा, जिनकी बोली में शहद और बगल में छुपा हुआ खंजर हो। 
लाल किताब में कहा गया है की जैसे ही किसी का छठे घर का शुक्र अपना बुरा फल देना शुरू करता हैं वैसे ही उसके दायें या बाएं हाथ का अंगूठा बिना किसी चोट के ही दर्द करने लगता है। ऐसी हालत में साधारण सा ये उपाय हैं कि फटे पुराने गंदे कपडे न पहने, साफ़ सुथरे कपडे पहने अगर हो सके तो दिन में दो बार कपडे बदले और इत्र परफ्यूम आदि का प्रयोग करे। 
यदि यहाँ का शुक्र पत्नी की सेहत के बारे में , औलाद के बारे में या व्यक्ति के अपने सम्मान के बारे में अशुभ फल दे रहा हो तो यह सबसे बड़ा उपाय होगा की उस व्यक्ति की पत्नी कभी भी नंगे पाँव जमीन पर न चले। कारण यह है की इस घर का शुक्र पाताल का शुक्र है। छठे घर को पाताल कहा गया है, इसलिए जमीन की तह के नीचे पड़ा हुआ है। लेकिन जब उसकी कारक स्त्री के नंगे पाँव जमीन को छु लेंगे तो पाताल में पड़ा हुआ प्रभाव ऊपर जमीन पर आ जाएगा। हो सके तो कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी को नंगे पाँव कभी न चलने दे।
शुक्र को एक ऐसी देवी के रूप में माना गया हैं जिसके हाथों में पुस्तक, ढाल , फूल और माला हैं। यहाँ पुस्तक ज्ञान का प्रतीक हैं, जो उसको भृगु ऋषि की संतान होने के कारण मिला ज्ञान हैं। ढाल रक्षा का प्रतीक है, जो शुक्र को राक्षसों का गुरु होने के कारण मिली ताकत का चिन्ह हैं। फूल शुक्र की नाजुक मिजाजी का कारण हैं और माला उसके आध्यात्मिक पहलू का प्रतीक हैं। 
इसके विपरीत अग्नि पुराण में शुक्र का एक ऐसी स्त्री के रूप में वर्णन हैं, जिसके हाथों में तीखे सींग, तीर - कमान, और सोने की कुल्हारी हैं। शुक्र का यह रूप, अष्टम शुक्र के लिए हैं। कालपुरुष की दूसरी राशि के स्वामी के मौत के घर में चला जाना हैं। अतः ऐसे इंसान के यहां क़र्ज़ की संभावना बनी रहती है। ऐसा इंसान का अपने पार्टनर से कभी भी अच्छा सम्बन्ध नहीं होता। इसको ऐसे कहा जा सकता हैं कि असतं शुक्र वाले का जायज सम्बन्ध तो सूली पे चढ़ जाता हैं उसे संतुष्टि नहीं मिलती लेकिन नाजायज सम्बन्ध ही उसको संतुष्टि देते हैं। ऐसे लोगों को काले रंग की गाय को 8 रविवार आटे का पेड़ा देना चाहिए। अगर हो सके तो आगे भी करते रहे। क्योंकि शुक्र गाय हैं , पर आठवें घर में अर्थात अँधेरे के घर में , यह गाय काले रंग की हो जाती हैं। आटे का पेड़ा सूर्य की वस्तु हैं और रविवार सूर्य का वार है। सो इस शुक्र के अँधेरे को, उसके दुश्मन ग्रह सूर्य से रोशन करना हैं।

मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें।  
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य को  दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है।  
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

चौथे घर के मंगल देव की व्याख्या (भाग 2) .........



जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रों आज मैं मंगल चौथे घर की आगे की व्याख्या करना चाहता हूँ। 
यदि चौथे घर में मंगल देव के साथ बुध भी हों तो देखने में आता है कि वयक्ति हमेशा दूसरों के घरों में रहता है। उसका अपना मकान बनाना लगभग असंभव हो जाता है। चौथे घर में मंगल नीच का होता है, जिससे कि चौथे घर की लगभग सभी कारक वस्तुओं पर इसका बुरा प्रभाव ही पड़ता है जैसे कि मन की शान्ति भी उसमे से है। अतः यह कहा जा सकता है कि चौथे घर में पड़े मंगल वाले व्यक्ति को जीवन भर कोई न कोई मानसिक पीड़ा रहती है। जो सम्पूर्ण शांतिमय जीवन में बाधा बनती है। कई बार परिस्थितिआ ठीक होते हुए भी मन की पीड़ा से छुटकारा पाना मुस्किल होता है।
चौथे घर में मंगल होने से नाना के परिवार के लोगों को जहर या शस्त्रों से कष्ट होता है। वास्तव में ऐसा मंगल नाना के घर के लोगों को बुरा प्रभाव दे सकता है जैसे अकाल मृत्यु गरीबी या ऐसी घटनाएँ जिससे परिवार की शान्ति में बाधा पड़े कई बार देखने में आता है कि उस परिवार की स्थिति पहले के मुकाबले में गिरावट की और चली जाती है। नाना के अलावा अपने पैतृक परिवार के लिए भी ऐसा अशुभ अच्छा नहीं होता। जन्म के बाद पैतृक जायदाद नष्ट होने लगती है या जातक के लिए वयर्थ सिद्ध होती है।
लाल किताब के अनुसार चौथे घर में मंगल होने से वह वयक्ति ऐसे घर में जन्म लेता है जहाँ एक दो पुस्त पहले कोई बुजुर्ग बाप दादा या कोई और एक इंसान पूरा बृहस्पति के प्रभाव में अर्थात धार्मिक विचारों का खालिस सोना या शाही शान में रहने वाला हो सकता है। उस परिवार में हर तरफ ख़ुशी की लहर लहराती होगी। परमात्मा की नजरें पूरी तरह मेहरबान रही होगी और उसके द्वारा किये गए बुरे कर्मों का भी कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि इन कर्मों के कारण आगे चलकर उसके खानदान में कोई बच्चा जन्म लेता हैं जिसके चौथे घर में नीच का मंगल होता है और यहां से घर के सुख साधनो में कमी आने लगती है या बर्बाद होने लगते है। देखने में आता हैं की चतुर्थ मंगल का नीच वाले शायद ही कभी गरीब के घर में जन्म लेते हो। क्योंकि उसका जन्म तो शायद अपने परिवार को गरीबी की और ले जाने के लिए होता है।
यहाँ मंगल के साथ गुरु हो तो अचानक मृत्यु नहीं होती किसी की बल्कि गुजारे के लिए जरूरी धन दौलत में कमी आती है। यहाँ मंगल के साथ शुक्र हो तो माता के खानदान के लोग डूबते ही नजर आते है और साली की सेहत के लिए व उसकी गृहस्थ जीवन के लिए ख़राब फल करेगा।
यदि यहाँ मंगल के साथ शनि हो तो सिर्फ देखने में आता है की मंगल का बुरा प्रभाव काफी कम हो जाता है और यदि ऐसा इंसान खेती की जमीन खरीद कर कुछ खेती बाड़ी करने लगे तो मंगल का प्रभाव शुभता की और बढ़ने लगता है। यहाँ केतु होने से ख़राब प्रभाव ही मिलेगा और बेटे की और से लगभग निराशा ही मिलती है। चौथे मंगल के साथ दसवें चन्द्र हो तो माता की आयु या स्वास्थ के लिए ख़राब फल देता है।
चौथे मंगल के साथ बुध हो तो देखने में आता है की जातक को माता पिता का साथ लम्बे समय तक प्राप्त होता है। ऐसा जातक यदि बड़े भाई के साथ रहे या उनसे बहुत अच्छे सम्बन्ध रखे तो बहुत ज्यादा उसके जीवन में बुरा प्रभाव नहीं पड़ता मानो कि जैसे यहाँ मंगल अपना बुरा प्रभाव करना भूल ही गया हो। सूर्य होने से गृहस्थ जीवन में कुछ न कुछ कमी बनी रहेगी। राहु होने से देखने में आता है की किसी न किसी मामा की आयु स्वास्थय या आर्थिक स्थिति पूरी तरह बर्बाद हो जाती है और माता के मन की शान्ति के लिए भी खराब है। 
चौथे अशुभ मंगल होने पर ख़राब फलों में कमी लाने के लिए जातक को मिटटी के बर्तन में शहद भर के बाहर कहीं वीरान जमीन में दबा देना चाहिए।
सूर्य यानि तांबा - गुड़ - गेहूं, चन्द्र यानि चांदी - दूध, बृहस्पति यानि साधु - बुजुर्ग - सोना आदि, इनका साथ रखना या इनका घर में रहना यानि इनकी कारक वस्तुओं को घर मैं स्थापित करना या पंछिओं को मीठा डालना या हाथी दांत अपने पास रखना, ये सभी उपाय चौथे घर के अशुभ मंगल देव के बुरे असर को दूर कर सकतें है। मंगल चौथे घर में हो, शुक्र चौथे या आठवें तो ऐसे वयक्ति के बर्बादी के जिम्मेदार उसका कोई ताया या चाचा होगा। ताया चाचा या ताई चाची के जोर से पड़ रहे बुरे असर को दूर करने के लिए किसी विधवा ताई - चाची या माता से आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
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चौथे घर के मंगल देव की व्याख्या (भाग 1)

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रों आज मैं मंगल चौथे घर की व्याख्या करना चाहता हूँ। 
लाल किताब के 1942 के संस्करण में चौथे घर के मंगल को तलवार या ढाक का पेड़ कहा गया है। चौथे भाव का मंगल बहुत शुभ फल नहीं देता। मेष लग्न वालों के लिए चौथे घर में कर्क राशि पड़ती हैं जो की जल तत्त्व की राशि है इस राशि में आग के गोले जैसा मंगल आकर मंदा हो जाता है। जिन लोगों के चौथे घर में मंगल होता है एक अज्ञात भय उनके मन में समाया रहता है और ये डर किस बात का होता है ये वो दूसरों को समझा नहीं पाते। कई बार ऐसा होता है कि उनके द्वारा व्यक्त भावना से दूसरों को ग़लतफ़हमी हो जाने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसा इस कारण से होता हैं कि वह जो कुछ भी कहना चाहता है ठीक से कह नहीं पाता। इसका सबसे बड़ा कारण देखने में यह आता है कि बचपन की पारिवारिक परिस्थितियां बहुत अनुकूल नहीं होती। ऐसे घर के सदस्यों का आपस में उस तरह का प्यार नहीं होता जिससे की बच्चे की भावुकता परिपक्व हो सके और वो निडर हो के अपना विकास कर सके। कभी कभी पिता से विचार न मिलने से या पिता के सख्त स्वाभाव होने से बच्चे के मन में दर बैठ जाता है।
लाल किताब के 1952 के संस्करण में चौथे घर के मंगल को जलती आग या बदी का सरदार भी कहा गया है यानि कि जलाने पे आ जाए तो मर्द और माया समुद्र को भी जलाकर खुश्क कर देता है। भाई की पत्नी और उसकी दौलत पर 28 साल उम्र तक ख़राब प्रभाव पड़ता है। घर के आसपास कीकर या बेरी का वृक्ष हो, भुनने वाली या हलवाई की भट्टी हो या कुछ भी जिसमे आग जलाई जाती हो तो, मंगल और बुरा प्रभाव देता है। मकान का दरवाजा ढक्षिण में हो तो भी बुरा हैं। घर से निकलते ही घर की रसोईं या आग का सम्बन्ध दाईं तरफ हो तो मंगल अशुभ प्रभाव देगा।
यदि ऐसा जातक किसी ऐसे वयक्ति से जमीन ले के या माकन ले के रहे जिसके औलाद न हो तो भी ज्यादा बुरा प्रभाव मिलता है। पानी वाली जगह को भर के मकान या फैक्ट्री बनाए तो तबाह हो जाता है।
यदि साथ में तीसरे या अस्टम भाव में बुध और केतु हो तो मंगल बद हो जाता है जिसके कारण विधवा औरतें और उस वयक्ति के खानदान के अपने लोग ही उसे बर्बाद कर देते है। देखने में आता है की उसकी ताई चाची आदि ही उस पर जहर जैसा प्रभाव डालकर उसे बर्बाद कर देती हैं। मंगल चार के साथ यदि शुक्र भी चार या आठ में हो तो उसकी बर्बादी का कारण कोई ताया या चाचा होगा। उपाय के तौर पर इस बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए किसी विधवा ताई चाची या माता से आशीर्वाद लेते रहना चाहिए। 
कुछ शास्त्रों मैं लिखा है कि चौथे घर में मंगल के समय यदि कोई दो पापी गृह शनि राहु या शनि केतु या कोई दो दुश्मन ग्रह बुध केतु किसी भी भाव में एक साथ हो तो मंगल का ख़राब प्रभाव काफी हद तक काम हो जाता है। चौथे भाव में मंगल नीच का होने पे मंगल के बुरे फल, विशेष रूप से देखने में आते हैं, परिवार के बाकी लोगों को भी कम ज्यादा मिलते है। ऐसा मंगल होने से उस वयक्ति के लिए जमीन, मकान आदि से सम्बंधित चीजों के फल अच्छे नहीं मिलते। इन कामों से सम्बंधित काम करने पे भी लाभ की संभावना कम ही होती है। कर्क राशि जो की पूरी तरह से जल का प्रतीक हैं उसमे बैठा मंगल चली हुई कारतूस या बुझी हुई आग जैसा है इसी कारण इस घर में मंगल होने से व्यक्ति अपने ही मानसिक संताप में जलता रहता है।
मंगल चार के साथ शनि एक में हो तो वयक्ति में चोरी की भावना या दगाबाजी की आदत होगी। महिलाओं को ऐसे व्यक्तियों से जिनके चतुर्थ में मंगल और लग्न में शनि हो बहुत सावधान रहना चाहिए। काने आदमी से और निःसंतान से जितना दूर हो सके उतना दूर रहना चाहिए।यहाँ पर मंगल के लिए मृगशाला अपने पास रखना सबसे अच्छा उपाय बताया गया है। 
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे

Wednesday 18 March 2015

प्रेम विवाह से सम्बंधित जानकारी ………

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रों में आज आप लोगों को प्रेम विवाह और विवाह से सम्बंधित कुछ जानकारी देना चाहता हूँ।
प्रेम विवाह -पुराने समय से ही होते आये हैं और हो रहे हैं और आगे भी होते रहेंगे। चाहे हमारा समाज इस कृत्य को अच्छी या बुरी किसी भी दृषिट से देखे। 
हमारे नवयुवक प्रेम विवाह करते रहेंगे। सच्चाई ये है की कुछ जन्म कुंडलियों में एसे योग होते हैं। कि नव युवक समाज परिवार की परवाह किये बिना ऐसा करने को मजबूर हो जाते हैं। ये योग मैं बताता हूँ। जब किसी की कुंडली में घर 1 का सम्बन्ध घर 5, 7 से बन जाता है। 1, 5, 7 के मालिक ग्रह एक दूसरे के घरों में बैठ जाएँ या दृस्टी सम्बन्ध बनायें तो प्रेम विवाह होता है। साथ ही जब घर 12 का सम्बन्ध घर 5, 7 से बने तब भी प्रेम विवाह होता है। शुक्र देव घर 12 में बैठ कर भी प्रेम विवाह का योग बनाते हैं लेकिन जब शुक्र देव के साथ उनका आशिक शनि भी घर 12 में बैठा हो या शुक्र देव पर अपनी प्रेम भरी दृष्टि डाले तो प्रेम विवाह का योग और भी मजबूत हो जाता है। घर 12, 5, 7 के ग्रह एक दुसरे के घरों में बैठ जाएँ या दृस्टि सम्बन्ध बना लें।
लेकिन किसी का घर 5 का मालिक ग्रह घर 12 में बैठ जाये, ध्यान दें, घर 12 में बैठ जाये तो उसका प्रेमी उसे छोड़ के चला जाता है। धोखा देता है।
साथ ही जब किसी का शुक्र ग्रह जब घर 8 में बैठ जाये या राहु घर 5 में हो तो प्रेम विवाह सम्भव नहीं होता और किसी की कुंडली में शुक्र देव घर 5 में बैठ जाएँ तो उसे प्रेम विवाह करना तो क्या ऐसा सोचना भी नहीं चाहिए। क्यूंकि अगर ऐसा व्यकित प्रेम विवाह परिवार की इच्छा के खिलाफ जाके करता है तो बाद में उसे बहुत बड़ी परेशानियां उठानी पड़ेंगी। बर्बाद हो जायेगा। इज्जत मान सम्मान रुपया पैसा की भारी कमी रहेगी।
विवाह (ऑरेन्ज मैरिज) हमारे प्राचीन ज्योतिष के अनुसार विवाह के समय गुण मिलान किया जाता है। उसमे 36 गुण में से 18 या 18 से ज्यादा मिलने पर ज्योतिष बोल देते हैं विवाह कर दो गुण मिल रहे हैं । पर उसमे भी भकूट और नाडी दोष को देखना चाहिए। नाडी और भकूट देखे बिना विवाह के बाद परेसानी आतीं हैं।
यहां मैं सभी को एक बात और बताना चाहता हूँ की कुछ विद्वान् बोलते नाम से भी गुण मिलान करते हैं जब किसी की कुंडली ना हो। जोकि सरासर गलत है । गुण मिलान हमेशा कुंडली देख के ही किया जाता है। किउंकि ग्रहों की पोजीसन तो कुंडली से ही पता चल सकती हैं नाकि नाम से।
इतना सब होने के बाद भी वैदिक ज्योतिष में कुंडली मिलान का बहुत ही छोटा स्वरूप् है जो ज्यादा कामयाब नहीं है।
लाल किताब में कुंडली मिलान का बहुत ही सुंदर और कामयाब स्वरूप् है। जिसका पालन करने से वैवाहिक सम्बंधों का पूरा आनन्द लिया जा सकता है। क्यूंकि लाल किताब में घर 2 ससुराल का सुख, घर 4 घर का माहौल, घर 7 पति से या पत्नी से सम्बन्ध, घर 12 बिस्तर के सुख। लाल किताब में इन सभी बातों को देखा जाता है चाहे गुण 18 मिलें या 18 से भी कम उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
लाल किताब में उपरोक्त बातों का ध्यान करके गुण मिलान किया जाता है जो ज्यादा सटीक है।
एक बात और 2, 4, 7, 12 घरों में पापी या मंदे नीच ग्रह बैठे हों तो वैवाहिक सम्बन्धों को ख़राब करते हैं। तलाक करबाते हैं। आपस में मार पीट क्लेश होता है।
एक बात और मैं यहाँ साफ कर देना चाहता हूँ की वैवाहिक सम्बन्धो का सबसे बड़ा कारक ग्रह शुक्र है
अगर किसी की कुंडली में शुक्र के साथ सूर्य या राहु या केतु बैठ जाएँ तो भी सम्बन्ध ख़राब हो जाते हैं। किसी की कुंडली में शुक्र के पक्के घर 7 में सूर्य या राहु बैठ जाएँ तो भी उसकी वैवाहिक जिंदगी नष्ट हो जाती है। सूर्य घर 12 में भी वैवाहिक जिंदगी को खराब करता है और शुक्र घर 11 में भी शादी शुदा जिंदगी में टेंसन का माहौल बनाता है।
लेकिन मैं ये बात दावे से कहता हूँ क़ि घबराने की जरूरत नहीं लाल किताब में ऐसे सभी दोषों का इलाज है। आप लाल किताब के उपाय करके अच्छी जिंदगी जी सकते हैं। इसके आलावा भी कई अन्य प्रकार के बुरे योग हैं जो वैवाहिक सम्बन्धों पर बुरा असर डालते हैं उनके उपाय भी हैं।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

Saturday 14 March 2015

व्यवसय से सम्बंधित जानकारी (भाग 3)


जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रो आप सबने एक प्रसंग अवस्य ही सुना होगा की "हेल्थी माइंड इन हेल्ही बॉडी" अतः एक सफल व्यापारी बनने के लिए जातक का स्वस्थ होना अति आवश्यक है। जैसा कि मैंने अपने पहले लेखो में लिखा था यदि जातक अपने भाग्य के ग्रह से समबन्धित कार्य करता है वह जीवन में कामयाब रहता है लेकिन जातक अगर स्वस्थ नही होगा तो वह किसी भी छेत्र में सफल नही हो सकता। कुंडली का छटा घर बीमारियों से भी संबंध रखता है। इस लिए इसका अच्छा होना जरुरी है। मित्रो अब मैं आपको सफल व्यक्ति के संबंध में चर्चा करने जा रहा हूँ । मित्रो आप सबने एक बात तो सुनी होगी। वह यह कि "बिहाइंड एव्री सक्सेसफुल मैन दिएर इस अ वुमन"। इससे एक बात स्पष्ट यह होती है कि यदि जातक का वैवाहिक और पारिवारिक जीवन अच्छा नही होगा, तब तक जातक एक सफल व्यक्ति नही बन सकता है। ज्योतिष विद्या के नजरिये से देखा जाये तो जब कभी जातक की कुंडली में शनि देवता छटे घर में विराजमान हो और जातक 28 वर्ष की उम्र से पहले शादी करता है तो शनि देवता बहुत ही बुरा प्रभाव डालते है। ऎसे में जातक की माँ की सेहत या उम्र और उसके अपने घर होने वाली औलाद पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। लाल किताब में एक बड़ी दिलचस्प बात आती है की यदि शुक्र कुंडली के बारहवें घर में हो तो ऐसा देखा गया है कि जातक जबतक शादी नही करता तब तक उसका भाग्य नही जगता। जैसे ही जातक शादी कर लेता है, उसे जीवन में कामयाबियां मिलनी शुरू हो जाती है। यह पर बहुत ही दिलचस्प उदाहरण बताना चाहता हू। इसे थोड़ा ध्यान से समझने की आवशयकता है। यदि जातक के घर बच्चा हो और उस बच्चे की जन्म कुंडली में आठवें घर में चन्द्र देव शुभ स्थिति में बैठे हो तो जातक के हाथ में भाग्य रेखा उभर आती है कहने का तात्पर्य है की जातक का भाग्य उदय हो जाता है और जातक धन दौलत पता है। लाल किताब में एक और बहुत ही दिलचस्प बात है जिसे यहाँ बताना चाहूंगा । वह यह है जातक की जन्म कुंडली में छटे घर में शनि देवता हों और वह अपने दुश्मन गृह सूर्य देवता से किसी भी तरह प्रभावित हो रहे हो तो उस जातक के 34 से 41 तक की उम्र के हिस्से में लड़का पैदा हो जाये, जो मुर्ख किस्म का हो, गूंगा और किसी अंग से नाकारा हो, तो उस लड़के में सूर्य और शनि दोनों का प्रभाव मिला होगा। ऐसा लड़का जन्म से ही या उम्र के 9 वें या 18 वें वर्ष से, उस घर की कायाकल्प का कारण बन जाता है। दौलत की मानो वर्षा होने लग गयी हो। कुछ शास्त्रो में ऐसा माना जाता है की वास्तव मे ऐसा बच्चा पिछले जन्म में उसी इंसान के बड़े अमीर घर में पैदा हुआ पुत्र होता है, जिसके हाथों पिछले जन्म में, पिता की दौलत नस्ट हुई होती है वह बच्चा अपने किये का कर्जा उतारने के लिए इस जन्म में फिर से उसका पुत्र बनता है और सारे दुःख अपने ऊपर लेकर पिछले जन्म का खामियाजा पुरा करता है। यदि जातक के ऎसे हालात नही होते और उसे परेशानियों का सामना करता पड़ता है तो इसके लिए निम्नलिखित उपायो द्वारा उन परेशानियों को कम किया जा सकता है ।
  • घर में काला कुत्ता पालें ।
  • मिट्टी के बर्तन में सरसों का तेल डालकर ऊपर से ढक्कन को सीमेंट से बंद करके किसी तालाब या नहर की भीतरी मिटटी में दबा देना बहुत मददगार होता है ।
  • 6 पूजा वाले नारियल 6 दिन लगातार बहते पानी में बहाये ।
  • किसी को भी जूता तोहफे में दें ।
  • अगर कोई जातक किसी मिल का मालिक हो, उसके टेवे में शनि छटे घर में हो तो अगर वह पुरानी मशीन खरीदेगा तो उसे कारोबार में फायदा होगा।
एक बहुत गहरी बात!
वक़्त से सीखो बदलते रहने का सबक;
क्योंकि;
वक़्त कभी खुद को बदलते नहीं थकता।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
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व्यवसय से सम्बंधित जानकारी (भाग 2)



जय माता दी ! 
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रो आज मैं व्यवसाय के ऐसे पेहळू के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ जिस वजह से जातक व्यवसाय या नौकरी में या कहें कि किसी भी कॉम्पिटिशन में, चाहे वह शिक्षा के छेत्र में हो, खेल के मैदान में आदि, उसे सफल नही होने देते। इस पेहलू पर चर्चा करने के लिए मैने उदाहरण के तौर पर शनि देव की कुंडली में छटे घर की व्याख्या करने की कोशिश की है। लेकिन इससे पहले खाना न ० 6 के महत्व की व्याख्या करना चाहूंगा। जब कभी भी हमे किसी से कर्जा लेना हो, दूसरा व्यक्ति खुद आकर हमारी मदद करता हो, बीमारी, गहराई तक विश्लेषण करके मुसीबत की जड़ निकाल कर ले आना, यह सब कुंडली के खाना न० 6 से देखे जाते है। जिन लोगो का यह खाना नं 6 मजबूत होता है उन्होंने जिंदगी में बहुत बड़े बड़े कारनामे किये होते है जो की एक आम आदमी के बस के बाहर होता है। जिसका बुध शुभ राशि के अंदर छटे घर में हो तो वह दिमाग का काम करता है। दिमाग से सम्बंधित काम करेगा तो दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्क़ी करेगा और हाथ से काम करेगा तो डूब जायगा। इसी प्रकार कुंडली के अलग अलग घरों की भिन्न भिन्न व्याख्या है । मित्रो यह एक पोस्ट है। यहाँ विस्तार से उल्लेख करना मुमकिन नहीं है। बड़े बड़े रजवाड़े आजतक कायम है जो की राजाओं के नाम से जाने जाते है। यह सब शनि का फल है।जो इंसान को राजा बनाकर जीवन देता है । यह तबतक संभव रहता है, जबतक जातक दिन में उसे शराब पीकर ख़राब न कर दे ।कई बार खाना न० 6 का शनि कारोबार या नौकरी में अचानक रुकावटे पैदा करता है। ये रुकावटे इंसान के किरदार मे संजीदगी पैदा करने के लिए होती है। ऐसा व्यक्ति जल्दी से कुछ पैसा कमाने की कोशिश करे या नाजायज कामो से पैसा कमाने की इच्छा भी करे तो शनि उसे अशुभ फल देने लग पड़ता है। सख्त मेहनत करने से ही शनि का शुभ फल शुरू होता है। इस शुभ फल का असर उम्र के पहले आधे हिस्से के मुकाबले पर, दूसरे हिस्से में प्रत्यक्ष होता है। क्योकि छटा घर बुध का पक्का घर है इस लिए यहाँ बैठा शनि अपने फल के लिए बुध के हालत पर निर्भर करता है कहने का तातपर्य यह है की कुंडली में बुध बहुत शुभ हो तो यह शनि देवता व्यक्ति को आर्थिक पक्ष से शुभ फल देता है। अगर कुंडली में बुध देवता कमजोर हो तो यहाँ बैठे शनि देवता जातक को मरणोपरांत सत्कार देता है। अब यहाँ पर शनि देवता के लिए एक बहुत ही प्रमुख बात आती है कि जातक जितना समाज की खिदमत करेगा उतना ही लोगों से प्यार लेगा और मान सत्कार प्राप्त करता है। अगर किसी जातक की कुंडली में शनि यदि छटे घर में हो तो वह जातक पुराना सामान खरीदने और बेचने के काम से बहुत लाभ कमाता है। साथ ही शनि देवता जातक की कुंडली में छटे घर में आकर बैठ जाये और जातक अपने कामकाज की प्लानिंग अँधेरी रातों में करता हो तो वह जातक अपनी प्लानिंग में अवश्य ही सफल होता है, लेकिन यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात यह है यहा पर बैठे शनि देवता अपने किसी दुश्मन ग्रहो से प्रभावित न हों। शनि देवता के संदर्भ में एक बात बहुत प्रचलित है कि शनि देवता अँधेरे के मालिक हैं और कुंडली मे छटा घर पाताल माना जाता है तो ऐसा जातक जिंदगी की कठिन से कठिन परिस्थतियो का बहुत बारीकी से आंकलन करता है और जीवन को सफल बनाने में कामयाब होता है। कुंडली के छटे घर में बैठे शनि देवता की एक खास बात होती है कि ऎसे जातक के कॉम्पिटिटर्स नही होते। यहाँ कॉम्पिटिटर्स से भाव है कि ऐसा शत्रु जो कई चालें चलके, कमीनगियो पे उतरकर जातक का नुकसान करने की कोशिश करे और अगर कहीं कभी जातक के जीवन में शत्रु पैदा हो भी जाये तो ऐसा जातक आखिर दुश्मनों का नाश करता है और दुश्मनो से जीत हासिल करता है। साथ ही सबसे दिलचस्प बात यह है कि ऐसा जातक अपने दुश्मनो से सम्मान भी पाता है। कुंडली के छटे घर में बैठे शनि देवता के लिए यह कहा जाता है कि शनि देवता यहाँ पर उसूलों और फर्जो को पहचानने वाले होते है और जातक को दुश्मन से बर्ताव के वक्त भी निम्न स्तर पर उतरने नही देते। अंततः दुश्मन भी जातक की इज्जत करने लग जाता है। 
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कुंडली मैं सूर्य ग्रहण के प्रभाव



जय माता दी ! 
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
इस पोस्ट से में आज आप लोगों से कुछ कुंडलियों में पाये जाने बाले बुरे योगों में से एक सूर्य ग्रहण नामक बुरे योग के बारे में बताऊंगा । 

जब किसी की जन्म कुंडली में सूर्य देव के साथ राहु एक ही घर में बैठ जाएँ या राहू की दृष्टि सूर्य देव के ऊपर पड़ रही हो तो सूर्य ग्रहण नाम का बुरा योग बन जाता है। 

इस बुरे योग के कारण व्यकित को बहुत सी परेसानियों से दो चार होना पड़ता है। 
जैसे जातक का मन किसी भी काम में लंबे समय तक नहीं लगता। इर्रिटेटिंग फीलिंग चिढ़ चिड़ा स्वाभाव हो जाना। कोई भी काम टिक के ना कर पाना। 
काम काज या नौकरी का बार बार बदलना। 

उसके पिता को भी अपनी मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता। पिता के जीवन काल में अनेक परेशनियां। उनको तरक्की ना मिलना। ऐसे व्यकित के अपने पिता से सम्बंध भी ज्यादा मधुर नहीं हो पाते। उस जातक की उम्र जब 22 और 23 साल की होती है तब पिता के जीवन में अनेक प्रकार के म्रत्यु तुल्य कष्ट होते हैं। साथ ही वैचारिक मतभेद बने रहते हैं। 

ऐसे व्यकित को सरकार से भी कोई लाभ नहीं मिलता बल्कि सरकार से सम्मन या नोटिस मिलते रहते हैं। जिस कारण जातक सरकार से भी परेसान रहता है। 

मित्रो इस योग या ऐसे ही अन्य बुरे योगों से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि लाल किताब ज्योतिष में इन के उपाए संभव है। जिसके उपाय कारगर भी हैं। जिनको करने से बुरे ग्रहों के बुरे प्रभाव से आसानी से बचा जा सकता है और अच्छी जिंदगी गुजारी जा सकती है। लाल किताब के उपाय बहुत ही आसान और कम खर्चीले होते हैं। जिनको कोई भी व्यक्ति बिना किसी की सहायता के आसानी से कर सकता है। 

मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें।  
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य को  दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है।  
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
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Friday 13 March 2015

मंगल देव के शुभ एवं अशुभ होने के प्रभाव (भाग 4) ..........

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
आज मैं आप लोगों को मंगल देव के विषय में कुछ जानकारी देना चाहता हूँ।
फौजी जिंदगी में यह मंगल बहुत बड़ा किरदार अदा करता है। फौज की नौकरी में जाना ही शुभ मंगल की निशानी है। पुलिस और फौज की नौकरी के साथ मंगल का बड़ा गहरा सम्बन्ध है। फौज की जिंदगी में किसी ने अपने मुकाबले के हथयारबन्द तगड़े दुश्मन से लड़ना होता है। इसलिए वहां शुभ मंगल बहुत कारगर होता है। पर पुलिस की जिंदगी में व्यक्ति ने मुकाबले दे शत्रु के साथ नहीं लड़ना होता, आमतौर पर निहत्थे लोगों के साथ लड़ना होता है, इसलिए उनके कुंडली में मंगल बहुत तगड़ा नहीं होता। मंगल सिर्फ थल सेना से सम्बन्ध रखता है। वह सेना जो अपने हथियारों के साथ जमीन पर लड़ती है। सबसे पहले ध्यान देने की बात है की मंगल कब अच्छे और कब ख़राब हो जाते हैं। 
जब मंगल का सम्बन्ध केतु या बुध के साथ हो जाये चाहे बो एक साथ हों या दृस्टि से मिल रहे हों तो भी मंगल का फल ख़राब हो जाता है। जब सूर्य और शनि मिल जाते हैं तब भी मंगल बुरे हो जाते हैं।इसके अतिरिक्त और भी कई प्रकार से मंगल के गुण अवगुण में बदल जाते हैं। मंगल के साथ शुक्र का होना, इस बात की अलामत है की विवाहित जिंदगी में सुख नहीं होता। साथ ही अगर कुंडली में सूर्य और शनि भी इकट्डे हो जाएं तो तलाक की संभावना पैदा हो जाती है और ऐसी हालत में आग से भी खतरा हो जाता है, और किसी लड़ाई-जगड़े में चोट लगने का खतरा भी और कई बार अचानक ऐसे ख़र्च भी सामने आ जाते हैं, जो इंसान के बजट से बहार होते हैं। कुंडली के कुछ घरों में मंगल मांगलिक दोष भी बनता है। मित्रो मांगलिक दोष के बारे में अगले पोस्ट में जिकर करूँ गा। यहाँ पर पूरी बात बताना सम्बभ नहीं है।
लेकिन जब मंगल देव अच्छे होते हैं तो क्या सुख मिलते हैं। पूर्ण पराक्रमी, अच्छी हिम्मत बाला, बिलकुल हनुमान जी की तरह जिसके साथ लग जाये उसके लिए अपना बलिदान तक दे दे। एक दम सीधा साधा इंसान ज्यादा चंट चालक नहीं होता।
मंगल अच्छे तो भाई यार दोस्तों के लिए पूरा सहायक और वो भी ऐसे व्यकित के लिए पूर्ण समर्पित होते हैं और सबकी पूरी स्पोर्ट भी मिलती है। जीवन में कभी खून से सम्बंधित बीमारी नहीं होती। 15 साल की उम्र से हालात अच्छे होने शुरू हो जाते हैं। 28 से 33 साल की उम्र में पूरी तरह से ऊंचाइयों को पा लेता है। 
घर में मंगल कारज जल्दी जल्दी होते हैं। घर के बच्चों के शादी व्याह सही समय पर होते हैं। 
लेकिन अगर मंगल देव आपकी कुंडली में नीच के बद होके अर्थात ख़राब हो के बैठे हो तो घर का माहौल अच्छा नहीं होता भाई भाई में दुश्मनी हो जाती है। माँ बाप की बच्चों से बिगड़ जाती हैं। आपस में घर के सदस्य एक दुसरे से जलते हैं। 15 साल की उम्र से बच्चा बिगड़ना शुरू हो जाता है।पढ़ाई लिखाई चौपट हो जाती है । जातक कँही भी टिकता नहीं। धैर्य कम हो जाता है। भटकाव बढ़ने लगता है। किसी पर विषबास् नहीं करता। बुरी सोहबत में पड़ जाता है। बुरे यार दोस्तों के साथ घूमता फिरता है और फालतू के झगड़े करता है। भाई भाई में भी लड़ाई झगड़े होते हैं जो दुनिया देखती है। 
जीवन में अस्थिरता बनी रहती है। आस पड़ोस के लोगों से भी अनबन का माहौल रहता है। घर में खुशियों का माहौल नहीं बन पाता । शादी व्याह बड़ी उम्र में होते हैं। एक बात और ऐसे हालात में 28 से 33 साल की उम्र के बीच परिवार टूटते हैं। एक बात - मंगल देव का रेस्टुरेंट, होटल और ढाबा के साथ भी बहुत है। बल्कि किसी भी तरह की खाने वाली वस्तुयें मंगल देव के प्रभाव अधीन आती है। इसीलिए मिठाई को मंगल की कारक वस्तुएं माना जाता है। हमारे हलवाई भी इसी के प्रभाव में आते हैं। मंगल देव कुंडली में अगर छठे घर में बैठे हो तो यह सातवीं एवं आठवीं दृष्टि से बाहरवें एवं लगन को प्रभावित करता है। लगन के घर में खास तौर पर चोट करता है। यह चोट सिर पर भी लग सकती है या चेहरे पर भी। ऐसी हालत में कई बार चेहरे पर हमेशा के लिए कुछ निशान बन जाते हैं। अगर जातक की कुंडली में मंगल देव ख़राब हों तो जातक के जन्मदिन पर सिर्फ नमकीन चीजें ही खानी और खिलानी चाहिए और आये दिन कंजकें भिठाई जाएँ। 
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें।  
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
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Wednesday 11 March 2015

शुक्र देव से सम्बंधित जानकारी एवं उपाय (भाग 3)

जय माता दी ! 
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मित्रो आज मै आपको शुक्र देव से सम्बंधित जानकारी देना चाहता हूँ। शुक्रदेव का हमारी कुंडली में बड़ा ही अलग सा किरदार होता है। 
शुक्र गुरु है उन दैत्यों का जो निद्रा और वासना के पुतले है। उन्हें धर्म या दर्शन से कोई दरोकर नहीलाल किताब में शुक्र को उन्ही (वासना और विश्राम) का कारक मन गया है। अकेला शुक्र किसी भी भाव में बुरा नही।
यदि बुध शुक्र से 1, 2, 3 भावों में स्थित हो तो दोनों के फल संयुक्त रूप से शुभ होते है अलग अलग भी अच्छे ही होते है। इन स्थानों में केतु भी शुभ फल देता है। यदि भाव स्तिथि इससे भिन्न हो तो राहु फल को विषाक्त कर देता है। यदि शुक्र और बुध 2-8, 3-9, 6-12, 8-2 हों तो खराब फल देता है, किन्तु ऐसा बहुत कम होता है। शुक्र और बुध एक दूसरे से 150 की दुरी पर प्राय नही जाते। यदि बुध षष्ठ भाव में और शुक्र द्वादश भाव में हो तो दोनों उच्च के होते है। अतः शुभ फल देते है। यदि राहु की दृष्टि शुक्र पर हो तो या शुक्र की दृष्टि राहु पर हो तो शुक्र के फल शून्य जाते है। यदि जन्म कुंडली में शुक्र पर किसी प्रकार का विपरीत प्रभाव होतो गोचर से जब भी वह अशुभ घर में आयेगातो उसके फल शून्य हो जायेंगे।
शुक्र की अधिस्ठात्री देवी लक्ष्मी है। उसकी धातु चांदी और रत्न हीरा माने गए है। वह पत्नी और प्रेमिका की कारक है। कपूर, घी, दही, रुई और सुगंध देने वाले पौधे शुक्र के छेत्र अधिकार में आते है। देहंगो में वह चेहरे का कारक है। भाव को सक्रिय करता है और चतुर्थ में राशिफल का ग्रह बन जाता है। ग्रहों को 35 साला दौरे में उसे 3 साल मिले है। 
कुछ लाल किताबकार के अनुसार शुक्र सफेद रंग (दही) दुनिया की मिट्टी, ज़माने की लक्ष्मी, गऊ माता, मर्द की औरत ने किसी को नीच न किया। इसलिये हर एक ने पसन्द किया और खुद नीच किया। 
''बदी खुफिया तू जिससे दिन रात करता, वक्त मन्दा तेरे वही सर पर चढ़ता।'' 
शुक्र के ग्रह को दुनियावी किस्मत से कोई ताल्लुक नहीं। सिर्फ इश्क व मुहब्बत की फालतू दो से एक ही आंख हो जाने की ताकत शुक्र कहलाती है। स्त्री ताल्लुक, गृहस्थ आश्रम, बाल बच्चों की बरकत और बड़े परिवार का 25 साला ज़माना शुक्र का अहद है। इस ग्रह में पाप करने कराने की नस्ल का खून और गृहस्थी हालत में मिट्टी और माया का वजूद है। मर्द के टेवे में शुक्र से मुराद स्त्री और औरत के टेवे में उसका खाविन्द मुराद होगी। अकेला बैठा हुआ शुक्र टेवे वाले पर कभी भी बुरा असर न देगा और न ही ऐसे टेवे वाला गृहस्थी ताल्लुक में किसी का बुरा कर सकेगा। 
बुध का ताल्लुक : 
जब दृष्टि के हिसाब से आमने सामने के घरों में बैठे हों तो चमकती हुई चांदनी रात में चकवे चकवी की तरह अकेले अकेले होने का असर मन्दरज़ा जैल होगा। 
अगर बुध कुण्डली में शुक्र से पहले घरों में बैठा हो तो इस तरह दोनों के मिले हुए असर में केतु की नेक नीयत का उम्दा असर शामिल होगा। लेकिन अगर शुक्र कुण्डली में बुध से पहले घरों में हो तो इस तरह मिले हुए दोनों के असर में राहु की बुरी नीयत का असर शामिल होगा। दृष्टि वाले घरों में बैठे होने के वक्त शुक्र का असर प्रबल होगा। लेकिन जब बुध पहले घरों में हो और मन्दा होवे तो शुक्र में बुध का मन्दा असर शामिल हो जायेगा। जिसे शुक्र नही रोक सकता व गृहस्थ मन्दे नतीजे हाेंगे। 
जब अकेले अकेले बन्द मुट्ठी के खानों से बाहर एक दूसरे से 7वें बैठे हो तो दोनो ही ग्रहों और घरों का फल निकम्मा होगा। मगर शुक्र 12 और बुध 6 में दोनों का उच्च होगा जिसमें केतु का उत्तम फल शामिल होगा। ऐसी हालत में बैठे होने के वक्त दोनों का असर बाहम न मिल सकेगा। 
जब दोनो ग्रह जुदा जुदा मगर आपस में दृष्टि के खानों की शर्त से बाहर हों तो जिस घर शुक्र हो वहां बुध अपना असर अपनी खाली नाली के ज़रिए लाकर मिला देगा और शुक्र के फल को कई दफ़ा बुरे से भला कर देगा। लेकिन बुध के साथ अगर दुश्मन ग्रह हों तो ऐसी हालत में शुक्र कभी भी बुध को ऐसी नाली लगाकर अपना असर उसमें मिलाने नही देगा। गोया ऐसी हालत में बुध किसी तरह भी शुक्र को निकम्मा या बरबाद नही कर सकता। 
दुश्मन ग्रहों से ताल्लुक : 
सूरज और सनीचर जो बाहम दुश्मन हैं अगर इकट्ठे बैठे हों तो टेवे वाले पर बुरा असर नही होता। जमा और तफरीक बराबर होती रहती है। लेकिन जब सनीचर शुक्र बैठे को कोई भी ग्रह देखे तो सनीचर देखने वाले ग्रह को जड़ से मार देगा। अगर टेवे में सूरज और सनीचर झगड़ा हो तो शुक्र मारा जायेगा। यानि जब सूरज देखे सनीचर को तो सनीचर की बरबादी होने की बजाये शुक्र का फल बरबाद होगा। लेकिन अगर सनीचर देखे सूरज को तो शुक्र आबाद या उसका फल उत्तम होगा। बहरहाल अगर शुक्र के साथ जब दुश्मन ग्रह हो तो शुक्र और दुश्मन ग्रह सब की ही अश्यिा रिश्तेदार या कारोबार मुताल्लका पर हर तरफ से उड़ती हुई मिट्टी पड़ती और किस्मत मन्दी का ज़माना होगा। 
राहु का ताल्लुक : 
शुक्र गाय और राहु हाथी, इन दोनों को बाहमी ताल्लुक कहां तक अच्छा फल दे सकता है ? जब कभी बज़रिया दृष्टि दोनों मिल रहे हों, शुक्र का फल बरबाद होगा। दो बाहम दुश्मन ग्रह साथी दीवार वाले घर में बैठे हुए जुदा जुदा ही रहा करते हैं। लेकिन अगर शुक्र अपने दुश्मन ग्रहों के घर बैठा हो और राहु साथी दीवार वाले घर में आ बैठे तो शुक्र का वही मन्दा हाल होगा जो कि शुक्र के साथ ही इकट्ठा राहु बैठ जाने या दृष्टि से या मिलने पर मन्दा हो सकता है। 
जन्म कुण्डली में शुक्र अगर अपने दुश्मन ग्रहों को देख रहा हो तो जब कभी बमुजिब वर्ष फल शुक्र मन्दा हो या मन्दे घरों में जा बैठे, वह दुश्मन ग्रह जिनको कि शुक्र जन्म कुण्डली में देख रहा था, शुक्र के असर को ज़हरीला और मन्दा करेंगे ख्वाह वह शुक्र को अब देख भी न सकते हों । ऐसे टेवे वाला जिससे खुफिया बदी किया करता था अब वही दुश्मनी और बरबादी का सबब होगा। 
उपाय 
लग्न - 

  1. अपने खाने में से  कुछ भाग गाय  कोकुत्तों या पछियों को दें
  2. सास ससुर  से शुद्ध चाँदी ग्रहण करें
  3. गोमूत्र पिये
  4. जौ और सरसों दान में दें
  5. पत्नी सिर पर सोना पहनें
  6. भगवान पर पूरा विस्वास रखें
द्वितीय भाव - 

  1. व्यापार लिए चौपाये जानवर रखे
  2. आलू ,दही और मक्खन का दान दें
तृतीय भाव 

  1. अपनी पत्नी के साथ ही दुबारा शादी करें
  2. घर में संगीत नृत्य बंद करें।  
चतुर्थ  भाव - 

  1. अपनी पत्नी के साथ ही दुबारा शादी करें
  2. सदाचार का पालन करें। 
पंचम भाव - 

  1. सदाचारी बने रहें
  2. गायों की सेवा करें
  3. माता पिता की इच्छा  विरुद्ध या प्रेम विवाह  करें
  4. पति पत्नी दोनों अपने गुप्तांगो को दूध से धोये
षष्ठ भाव - 

  1. नारी मात्र का सम्मान करें
  2. घर की स्त्रीया कभी भी कहीं भी नंगे पैर  रहें
सप्तम भाव - 

  1. सफ़ेद के अतिरिक्त अन्य रंगो की गायों की सेवा करें और उन्हें भोजन दें
  2. दहेज़ में काँसे  के बर्तन लें
अष्टम भाव - 

  1. भगवान  के नाम पर भी कोई दान स्वीकार  करें
  2. मंदिरों के सामने मस्तक नवाये
  3. गंदे नाले में कुछ फूल  या ताम्बे के सिक्के डालें                                     
नवम भाव - 

  1. घर की नींव में चांदी और सहद डालें
  2. मांसमछलीअण्डाशराब आदि तामसिकवस्तुओं का सेवन  करें
दशम भाव 

  1. शनि के उपाय करें
  2. घर की पश्चिम दिशा की दीवार कच्ची रखें
  3. पर नारी से रति  करें
  4. अति कामुकता से बचें
एकादश भाव - 

  1. बुध के उपचार यहाँ भी काम देंगे
  2. शनिवार को तेल का दान करें
द्वादश भाव - 

  1. गोदान करें
  2. पत्नी द्वारा नीले फूल जमीन में गाढ़े
  3. पत्नी किसी  किसी प्रकार दान करें
  4. शुद्ध घी का दीया जलाये
सब भावों के सामान्य उपचार -

  1. शुक्रवार को उपवास रखें
  2. शुद्ध घी ,दही और कपूर पूजा -स्थानों में चढ़ाये
  3. हीरा या मोती पहनें
  4. कपड़ों में सुगंध और मुँह पर क्रीम पाउडर लगायें
  5. साफ़ सुथरे प्रेस किये हुए कपडे पहनें
  6. फटे पुराने या जले हुए वस्त्र बिलकुल  पहनें
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
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सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।