Tuesday 28 April 2015

चन्द्र उम्र की किश्ती का समुंद्र .......

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
कुछ लाल किताबकार के अनुसार लाल कितन में चन्द्रमा को माँ कहा गया है। बच्चे की कुशलता के लिए सूर्य की ऊष्मा की जरूरत होती है: किन्तु बहुत अधिक या बहुत कम गर्मी हानिकारक होती है।
चन्द्रमा सूर्य के गिर्द घूमता है। वह न रुकता हे न ही उल्टा चलता है। सूर्य के गंतव्य का हमे निश्चित पता नही, किन्तु चन्द्रमा (माँ) का गंतव्य निष्चय ही बच्चे की कुशलक्षेम है। चन्द्रमा जीवन (आयु) का कारक है हृदय का प्रतिनिधित्व करता है; क्योंकि हृदय का धड़कना ही जीवन का प्रमाण है। भचक्र की चौथी राशि (लाल किताब में चौथे भाव) का स्वामी चन्द्रमा है। कुंडली के चौथे भाव का वह कारक है।
यदि चन्द्रमा से पूर्व के भावों में गुरु हो और बाद के घरों में केतु हो तो चन्द्रमा शुभ फल नही देता -बशर्ते की बुध अशुभ हो। यदि बुध पक्ष में हो तो सुप्त चन्द्रमा भी शुभ फल देता है। यदि चन्द्रमा पर शुक्र दृष्टि हो तो जातक को नारी जाति के विरोधी रुख का सामना करना पड़ता है। यदि शुक्र पर चन्द्र की दृष्टि हो तो जातक निश्च्य ही अति मानवीय शक्ति बन जाता है। चतुर्थ में जो भी ग्रह होता है वह शुभ फल देता है। यदि चतुर्थ खाली हो तो चतुर्थेश चन्द्रमा भाव के शुभ फल देता है। बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद लेने वाला जातक और भी अच्छे / शुभ फल प्राप्त करता है। यदि चन्द्रमा हो बुध से पहले के भावों में तो वह बुध के फल को प्रभावित करता है। सरसरी तौर पे कोई भी भौतिक लाभ दिखाई नही पड़ता, किन्तु आवश्यकता पड़ने पर दैवी सहायता ही मिल जाती है। यदि बुध और चन्द्रमा 4 और 7 में साथ साथ बैठे तो अच्छा फल नही देते।
यदि चन्द्रमा की दृष्टि शनि पर हो तो चन्द्रमा पर दुष्प्रभाव नही होता। यदि शनि की दृष्टि चन्द्रमा पर हो तो चन्द्रमा के फल का विपरीत प्रभाव पड़ता है। चन्द्रमा में शनि का विष आये बिना नही रहेगा।शनि द्वारा शासित जातक शुक्र से सम्ब्नधित वस्तुए के व्यापार में लाभ प्राप्त नही कर सकेगा। यदि राहु - केतु या शनि की दृष्टि चन्द्रमा पर हो तो द्रष्टा ग्रह से सम्बंधित जातक के सबंधी पर अशुभ फलो का प्रभाव होगा। जब सूर्य और मंगल साथ साथ एक ही भाव में हो तो चन्द्रमा प्राय: लाभ का ग्रह नही होता। जब चन्द्रमा की दृष्टि गुरु पर हो तो 2 में बुध, 5 में शुक्र, 9 में राहु तथा 12 में शनि हो तो चन्द्रमा शुभ फल नही देता। यदि 2, 4 या 8 खली होने के कारण सुप्त हो तो चन्द्रमा का उपाए करना चाहिए। ग्रहों के 35 साला दौरे में चन्द्रमा को एक साल मिला है। अधिदेव शिव है। चांदी, चावल, दूध, जलाशय और सफ़ेद मोती चांदी की वस्तुए है। हृदय और बायीं आँख उसके देहांग है। घोडा और खरगोश चाँद के जानवर है। माँ, मौसी और माँ दादी चन्द्रमा के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सम्बन्धी हैं।
कुछ लाल किताबकार के अनुसार चन्द्र उम्र की किश्ती का समुंद्र, जगत की धरती माता, दयालु शिव जी भोले नाथ। चन्द्र का सफेद रंग (दूध) समुंद्री व हवाई घोड़ा, अपनी ताकत की ज्यादती के सबब मैदान-ए-जंग(खाना नं. 3) मालिक की मौत (खाना नं. 8) और खुराक में कंकर (खाना नं. 7) आने पर दुनिया में तीन दफा जागा। इसलिए नौ ग्रह बारह राशि की नौ निधि व बारह सिध्दि का मालिक हुआ। इन्सान की पैदायश नौ महीने, घोड़े की पैदायश 12 महीने। 
''बढ़े दिल मुहब्बत जो पांव पकड़ती, 
उम्र नहर तेरी, चले ज़र उछलती।'' 
दिल का मालिक चन्द्र है जो सूरज से रोशनी लेता है और दुनिया में उसका नायाब उल सल्तनत है। सूरज ख्वाह कितना ही गर्म होकर हुक्म देवे मगर चन्द्र उसे ठण्डे दिल और शान्ति से बजा लाता है और हमेशा सुरज के पांव में रहना चाहता है। चन्द्र बेशक सूरज से दूर हो मगर सूरज के पांव में बहता रहता है। स्त्री (शुक्र) माई (चन्द्र) साले, बहनोई (मंगल नेक) और अपने भाई (मंगल बद) गुरू और पिता (बृहस्पत) सब के सब इस दिल के दरिया (चन्द्र ) की यात्रा को आते हैं जो सूरज की चमक से दबी हुई आंखों (सनीचर) और दिमाग (बुध) को शान्ति और ठण्डक (चन्द्र का असर) देता है। दूसरे लफज़ों में दरिया दिल के एक किनारे दुनिया के सब रिश्तादार और दूसरी तरफ इन्सान का अपना जिस्म व रूह (सूरज) और चश्म व सिर (सनीचर व बुध) बैठे हैं और दिल दरिया उन दोनों के दरमियान चलता हुआ दोनों तरफ में अपनी शान्ति से उम्र बढ़ा रहा है या जिस्म इन्सानी को बृहस्पत की हवा के सांस से हरकत में रखने वाली चीज़ यही दिल है। इसलिये उसके मालिक चन्द्र की चाल से उम्र के सालों की हदबंदियां मुकर्रर की हैं। 
चांदी की तरह चमकती हुई चांदनी भरी रात चन्द्र का राज है। जिसके शुरू में राहु आखिर पर केतु और दरमियान में खुद शनि निगरां हैं। गोया पापी टोला (राहु केतु सनीचर इकट्ठे) अपनी जन्म वाली और जगत माता ही के दरबार में हर एक के आराम और खुद माता के अपने दूध में ज़हर डालने की शरारतों के लिए तैयार हैं। बेशक दूध (चन्द्र) और ज़हर (पापी ग्रह) मिल रहे हैं मगर फिर भी दरिया दिल चन्द्र माता दुनिया के समुंद्र के पानी में सूरज का अक्स ज़रूर होगा। जिसकी शहादत के लिए ज़माने की हवा या इन्सानी सांस का मालिक जगत गुरू बृहस्पत हर जगह मौजूद है। 
अपने हाथों माता की सेवा करने का ज़माना 24 साला उम्र यानि चन्द्र। वक्त मुसीबत एक पर ही मन्दा होगा। खानदान ही नष्ट नही होने देगा। टेवे में जब पहले घरों में बृहस्पत और बाद के घरों में केतु हो तो चन्द्र मन्दा ही होगा। लेकिन जब तक बुध उम्दा होवे, चन्द्र का असर दूध की तरह उम्दा ही रहेगा और सोया हुआ चन्द्र भी उत्ताम फल देगा। खुद ऐसा चन्द्र तो जागता हुआ घोड़ा होगा। शुक्र देखे चन्द्र को, औरतों की मुखालिफत होगी। चन्द्र देखे शुक्र को फकीर साहिब कमाल, तमाम नशेबाज़ों का सरदार साहिब कमाल। सूरज का अक्स (जैसा भी टेवे में सूरज की हालत हो) ज़रूर ही चन्द्र के असर में साथ मिलता रहेगा और मंगल बद डरकर कोसो दूर भागता रहेगा। चन्द्र के घर अकेला बैठा हुआ ग्रह ख्वाह कोई भी हो, उत्ताम फल देगा। जब चन्द्र का घर नं. 4 खाली हो तो खुद चन्द्र सारी उम्र ही नेक फल देगा ख्वाह कैसी हालत का ही क्यों न हो या हो जावे। माता या किसी बड़े के पांव छूकर उसका आर्शीवाद लेना चन्द्र के उत्ताम फल पैदा करने की सबसे बढ़िया बुनियाद है।
उपाय :
लग्न - 

  1. जब बच्चो सहित कोई नदी पार करे तो बहते पानी में ताम्बे का सिक्का डाले।
  2. माँ का आशीर्वाद प्राप्त करें । उसके दिए हुए चावल और चांदी अपने पास रखें।
  3. पलंग पे पायो में ताम्बे की मेख लगाये।
  4. आयु के 24 वे वर्ष नौकरानी या गाय रखें।
  5. 28 वर्ष की आयु से पहले शादी न करें।
  6. 24 वर्ष की आयु से पहले ग्रह निर्माण न करें।
  7. चांदी के पात्र में दूध या पानी पीये।
द्वितीय भाव - 

  1. घर की नीव में चांदी ईंट रखे।
  2. माँ का आशीर्वाद लें और उसके दिए हुए चावल तथा चांदी सदाअपने पास रखे।
तृतीया भाव - 

  1. चावल, चांदी और दूध बेटी के जन्म दिन पर दान दे।
  2. दुर्गा पूजा।
  3. कन्या दान।
चतुर्थ भाव - 

  1. दूध या दूध से निर्मित वस्तुए का व्यापार न करें।
  2. माता की साझदारी या उसकी सलाह से कपड़े न लें।
पंचम भाव -

  1. धार्मिक अनुष्ठान करे।
  2. पर्वतीय स्थानों की यात्रा करें। 
षष्ठ भाव - 

  1. अपने रहस्य किसी को न बताये। 
  2. खरगोश पाले।
  3. पानी भरने के सार्वजनिक स्थान की व्यस्था करें।
सप्तम भाव - 

  1. सदाचार का पालन करते रहे।
  2. 24 वे या 25 वे वर्ष से पहले विवाह न करें।
अष्टम भाव - 

  1. स्वर्गवासी पूर्वजों के पर दान दें।
  2. अस्पताल में या श्मशान घाट में हैंड पंप लगवाये।
  3. रवि गुरु कुंज की वस्तुए मंदिरो या धार्मिक स्थानो पररखे।
नवम भाव - 

  1. पुजालयो में जाते रहे।
  2. अच्छा आचरण करते रहे।
दशम भाव - 

  1. यदि आप डॉक्टर हे तो रोगियों को मुफ्त दवाएं दें।
  2. सदाचार के नियमों का पालन करते रहें।
  3. रात्रि के समय दूध न पीये।
एकादश भाव - 

  1. जातक की माँ जातक के पुत्र को 43 दिन का होनेतक न देखे।
  2. भैरो के मंदिर में दूध चढ़ाये।
  3. नो साल से कम की आयु के ग्यारह बच्चों कोग्यारह (पेड़े खिलाये )कुल मिलाकर।
द्वादश भाव - 

  1. चार चांदी की डली वर्षा जल में डालकर अपने घर की छत केनीचे रखे।
सामन्य उपचार सभी भावों के लिए :
  1. सोमवार को उपवास रखें।
  2. शिव की पूजा करे या अमरनाथ की यात्रा केलिए जाये।
  3. दूध ,चावल और चांदी का दान दें।
  4. सफ़ेद दूधिया मोती पहने या चांदी धारणकरें।
  5. माँ दादी और सास से आशीर्वाद प्राप्त करें।
  6. पलंग पे पायो में चांदी ई मेख बनाये।
  7. श्मशान घाट पर चांदी या चावल डाले।
  8. गंगा में या कही नही बहते पानी में स्नानकरे।
  9. पानी की टंकी 5 -6 महीने में एक बारसाफ़ करें।
  10. छत के नीचे कुआँ या हैंडपंप नही होनाचाहिए।
  11. यदि चन्द्रमा अपनी नीच राशि में होतोचन्द्रमा से सम्बंधित वस्तुए दान दें । यदि उच्च का होतो न दें।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें। उपाय बहुत सारे है । जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप मुझसे फ़ोन कॉल के माध्यम सेअपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। मित्रों यह एक सिमित पोस्ट है, यहाँ विस्तार से व्याख्या करना सम्बव नहीं है। मित्रों मै एक प्रोफैशनल एस्ट्रोलोजर हूँ। मैं अपना पूरा समय एस्ट्रोलॉजी को ही देता हूँ। जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली मुझे दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहता हो वह ईमेल द्वारा मात्र 1100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो और लाल किताब ज्योतिष सीखने के इच्छुक हों संपर्क करें। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पर आचार्य हेमंत अग्रवाल या हेमंत अग्रवाल 
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें।

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