Tuesday 7 April 2015

खाना नंबर 4 - गर्भ स्थापना एवं माता की गोद ......


जय माता दी !गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ।
मित्रों आज मैं खाना न 4 की व्याख्या करने जा रहा हूं जिसे लाल किताब में माता की गोद कहा है |
चतुर्थ भाव
चतुर्थ भाव का स्वामी चन्द्रमा है। इस भाव का कारक भी चन्द्रमा है। लाल किताब ने चन्द्रमा को माता माना है। ज्योतिष शास्त्र में भी चन्द्रमा माता का कारक है। इसी कारण चतुर्थ को मातृ भाव की संज्ञा दी गयी है।
चतुर्थ भाव केंद्र भावों में से एक है। लाल किताब में केंद्र भावों को बंद मुठी के भाव कहा गया है। यह अत्यंत रोचक विषय है। लाल किताब में हथेली के विभिन्न भावों के स्थान माने गए है। अंगुलियों से ठीक नीचे ह्रदय - रेखा से घिरे हुए स्थान पर अनामिका की जड़ में प्रथम भाव, कनिष्टिका की जड़ में सप्तम और मध्यमा की जड़ में दसवें भाव का स्थान है। चतुर्थ भाव का स्थान कलाई के बिलकुल पास में हथेली के गुद्दे पर है। मुट्ठी बंद करने पर 1 ,7 ,10 ही मुट्ठी के भीतर आते है। चन्द्रमा का सिंहासन तो मुट्ठी से बाहर रह जाता है। फिर भी चतुर्थ को बंद मुठी का भाव कहने का कारण यह है कि इस भाव के द्वारा गर्भस्र्त शिशु का विचार किया जाता है। माता की गोद, पेट का जमाना। शिशु को अपने भीतर बंद किये हुए गर्भाशय बंद मुठी ही तो है।
गर्भावस्था के समय तीनों नर ग्रह (सूर्य, मंगल, गुरु) चन्द्र माता की शरण में होते है। उसका मित्र बुध भी मदद करता है। फलतः गर्भस्थ शिशु पूर्णतः सुरक्षित रहता है।
“तीनों मित्र ग्रह नर शरण माता की, पेट अंदर कुल पलता हो।”
इस किलेबंदी के रहते हुए राहु केतु जैसे परम पापी भी गर्भ का कोई अनिष्ट नही कर पाते। जो भी ग्रह चतुर्थ भाव में बैठा होता है, वह चन्द्रमा के समान हो जाता है। इसका प्रभाव चन्द्रमा के सामान ही होता है -
“ग्रह चौथे हो जो कोई बैठा, तासीर चन्द्र वो पाता है।
असर मगर हो उस घर जाता, शनि जहां टेवे बैठा हो।”
यदि चतुर्थ स्तिथ ग्रहों में से किसी का अशुभ प्रभाव हो तो वह उस घर में चल जाता है, जिसमे शनि देव विराजमान हों। चन्द्रमा रात्रि बलि होता हे । इसलिए जन्म कुंडली में चतुर्थ में जो भी ग्रह विधमान होते है ,वे रात्रि बलि हो जाते है -
“ग्रह चौथे का रात को जागे, या जागे मुसीबत में।”
चतुर्थ में कोई ग्रह अकेला हो और उसका सहायक कोई न हो तो वह बुढ़ापे में शुभ फल देता है -
“मदद कोई हो न जब करता है, आ तारे वो बुढ़ापे में”
चतुर्थ भाव खाली हो और चन्द्रमा केंद्र के घरों से बाहर हो तो भी सब ग्रहों का फल उत्तम होता है, चाहे चन्द्रमा रद्दी ही क्यों न हों -
“खाली होते चौथे मंदिर आखिरी उम्र तक उन्नति हो,
चन्द्र का फल दे चन्द्र, बैठा चन्द्र चाहे नष्टि हो “
छठे भाव में मंगल और राहू इकट्ठे हों तो चतुर्थ की मौत का बहाना बन जाता है -
“आठ तीजा छः टेवे मंदा, मौत बहाना चौथा हो।”
यहाँ लाल किताबकार ने भी ग्रहों के लिए संख्याओं का प्रयोग किया है। आठवाँ ग्रह राहु और तीजा ग्रह मंगल है। यहाँ भाव के नंबर की ग्रहों के नंबर से पृथकता व्यक्त करने के लिए छः के अंक (6 )का प्रयोग किया है । छटा भाव ज्योतिष शास्त्र में भी अशुभ माना गया है। यह त्रिक भावों (6 ,8 ,12 ) में से एक है ।
विवेश टिप्पणी : जब चौथे घर में अकेला ग्रह हो और चंद्रमा बंद मुट्ठी के खानों से बाहर कहीं भी बरबाद या खराब हो रहा हो तो चौथे घर का ग्रह शुभ फल होगा, चाहे वह चंद्रमा का मित्र हो या शत्रु | यह सिद्धांत मंगल बद या मांगलिक पर भी लागू होगा
 यदि चंद्रमा 8 वृश्चिक में नीच का हो या 11 वें घर मे शुन्य (निरपेक्ष या मंदा) हो, चौथे घर वाला ग्रह शुभ फल होगा
लाल किताब तरमीम शुदा (1942) में लिखा है : 
"ग्रह चैथे के रात को जागे,या जागे वह मुसीबत में।
मदद कोई न हो जब करता, आ तारे वह बुढ़ापे में ।।"
कुण्डली के खाना नम्बर 4 को लाल किताब में माता की गोद व पेट का ज़माना कहा गया है। माता का ताल्लुक दिल, दूध, धन-दौलत, कुदरती तौर पर तबीयत का झुकाव क्या होगा। शान्ति सुभाओ, सर्द तर पानी जैसा (मानिन्द पानी) होगा। व्यक्तिगत लिखी हुई बात (तहरीर जाती), माता का पेट, जिस्मानी हालत का असर, घोड़ा, दूध वाले चारपाये, आबी या पानी के जानवर, माता का खानदान, मासी फूफी का मकान, खाली तह ज़मीन, धरती माता, समन्दर पार या समन्दर का सफ़र, खुशी, बृहस्पत का धन, हौंसला, रस या फलों के रस , बजाजी कपड़े का काम, रूहानी ताकत मुताल्लिका सूरज, वक्त जवानी, साथ लाई हुई चन्द्र की चीज़ें, धन, मर्दों का ताल्लुक, रूहानी कारोबार, (उत्तर-पूर्व स्थान) शुमाल मशरिक, बृहस्पत, सूरज, चन्द्र जैसे हों वैसा ही फल होगा। शुक्र मंगल बद या मंगलीक, केतु राशि फल के होंगे। ग्रह का असर मानिन्द रफ्तार केकड़ा होगा यानी ग्रह का असर केकड़े की गति जैसा होगा। यह मैदान (सहन) है खाना नम्बर 10 का और इस घर का न्यायकर्ता (मुन्सिफ) सनीचर होगा।
चन्द्र खाना नम्बर 4 का मालिक है। दूध का सफेद चन्द्र, राहु केतु इस घर में पाप छोड़ने का हलफ लिये होते हैं यानी पाप न करने की कसम खाते हैं। यह भी संभव है कि उनके चुप रहने से लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है
 जैसे दंड देने का अधिकारी यदि शरारती को न डांटे तो अत्याचार और भी बड जाता है
जिस तरह रात को जागने वाले आंख के होशियार होते हैं, उसी तरह ही इस घर के ग्रह रात को जागने या अपना असर रात को दिया करते हैं या वह ग्रह आखिरी वक्त जब कोई मददगार न हो, मदद दिया करते हैं। बुढ़ापे में तो खासकर मदद करते हैं।
इस घर में चाहे सनीचर ज़हरीला सांप और मंगल जला हुआ मगर राहु केतु धर्मात्मा ही रहेंगे या यूं कहो कि चुप होंगे और पाप न करेंगे। चन्द्र बन्द मुट्ठी (खाना नम्बर 1,4,7, 10) से बाहर चाहे रद्दी हो और उस वक्त खाना नम्बर 4 खाली हो तो चन्द्र का नेक असर होगा। नम्बर 4 में कोई भी अकेला ग्रह हो और चन्द्र बन्द मुट्ठी से बाहर मन्दा हो रहा हो तो नम्बर 4 वाला ग्रह नेक असर ही देगा। अपने घर खाना नम्बर 4 में चन्द्र खर्चने पर और बढ़ने वाला आमदन का दरिया होगा। माता के आर्शीवाद से माया की लहर बहर होगी।
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आचार्य हेमंत अग्रवाल
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सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

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