जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ।
सप्तम भाव
कुछ लाल किताबकार के अनुसार सातवाँ भाव गृहस्थी का कारक है। वैवाहिक और दाम्पत्य सम्बन्ध इसमें समाहित होते है। जातक जीविका उपार्जन करने के लिए किस प्रकार के धंधे करेगा? उसे कितनी आय की प्राप्ति होगी? जीवन निर्वाह आसान होगा या कठिन? गृहस्थ जीवन सुखमय होगा या दुःख भरा? पति पत्नी, जातक के माता पिता, भाई बहन, बाल बच्चे की क्या स्थति होगी? इन बातों का विचार सातवें भाव से किया जाता है। लाल किताब में सातवें भाव को 'गृहस्थी की चक्की ' कहा है – "आकाश जमीन दो पत्थर सातवें रिज्क अकल की चक्की हो"
कुछ लाल किताबकार के अनुसार सातवें घर का स्वामी शुक्र और कारक शुक्र तथा बुध दोनों है। इस भाव में शनि उच्च का होता है। सूर्य नीच का होता है। इस भाव में शनि पीड़ित होने पर ही अशुभ फल देता है, अन्यथा नही, क्योंकि एक तो वह उच्च का होता है और दूसरे शुक्र का मित्र होता है। सातवें भाव की दृष्टि अपनी किसी पर नही होती। सप्तम को प्रथम देखता है। पहला घर खाली हो तो सातवाँ घर सो जाता है -
"पहले घर के खाली होते, सातवाँ फौरन सोया"
लाल किताबकार ने 'गृहस्थ की चक्की ' बड़ा सुंदर रूपक रचा है। धरती आकाश दो पत्थर है। इस चक्की में शुक्र धरती का प्रतीक है, बुध आकाश का /गृहस्थ की चक्की में शुक्र नीचे वाला पत्थर है जो स्थिर रहता है। बुध ऊपर वाला पत्थर है जो घूमता रहता है। सूर्य, चन्द्र और राहु का फल शुक्र के सामान स्थिर रहने वाला अर्थात अटल रहता है। गोचरवसात ये ग्रह अनिष्ट फल दे तो उसका कोई निवारण नही होता। उसे तो भोगना ही पड़ता है।
इस भाव में शनि और केतु का प्रभाव बुध के समान होता है। ये ग्रह अनिष्ट फल दे रहे हों तो सम्यक उपचार के द्वारा उसका शमन संभव है। अधिकतर स्त्री ग्रह घर की स्त्रियों को प्रभावित करते है और पुरुष ग्रह पुरुषों पर प्रभावडालते है; किन्तु सातवें घर में चन्द्रमा के साथ दो या दो से अधिक ग्रह हुए तो प्रथम और सप्तम के ग्रहों का जो प्रभाव चन्द्र (माता ) पर होने वाला था वह अब बृहस्पति (पिता ) पर होगा ।
लाल किताब तरमीम शुदा 1942 के अनुसार :
"आकाश ज़मीन दो पत्थर सातवें रिज़क अकल की चक्की हो,
दोनों घुमावें कीली लोहे की घर आठवें जो होती हो"
जनम अस्थान जहाँ का वासी, शुक्र की चीजें, शादी, जायदाद (मकानात वागैरेह) जाहिरदारी, जिस्म की जिल्द, जिस्म के मुसाम, हथेली की हर हालत का हाल सुभाओ गरम तर-बादी-औरत, लड़की, बहन, बुध की चीजें, पोती, चेहरे की चमक या रंग, गाय, पिस्तान, स्त्री घर, लड़कियों के रिश्तेदारों के घर, मिट्टी के ज़र्रे फ्ल्स्तर या सफेदी मकान, मकानात, का बनना, अण्डों से पैदा होने वाले परिंदे, रूहानी ताकत मुताल्लिका बुध, शुक्र, कबीला की पैदाइश व परवरिश, पराई दौलत का मिलना, बज़रिया बुध की नाली नस्ल दर नस्ल, ब्योपार, गौयाई, कुव्वते-बाह अंदरूनी अकल, दुनियावी ताल्लुक में, वक्त जवानी, मैदान दुनिया जायदाद के लिए साथ लाए ख़ज़ाने, जनूब-मगरिब, शुक्र बुध जैसे हों वैसा ही फल होगा। बृहस्पत चन्द्र राशि फल का होगा। यह सेहन है नंबर 1 का और सेहन या नंबर 7 का मुन्सिफ होगा मंगल वही रंग सफ़ेद बुध, फूल, शुक्र बीज।
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आचार्य हेमंत अग्रवाल
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माता रानी सब को खुशीआं दे।