Saturday 16 May 2015

खाना नंबर 7 - गृहस्थी चक्की ......

  जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
सप्तम भाव
कुछ लाल किताबकार के अनुसार सातवाँ भाव गृहस्थी का कारक है। वैवाहिक और दाम्पत्य सम्बन्ध इसमें समाहित होते है। जातक जीविका उपार्जन करने के लिए किस प्रकार के धंधे करेगा? उसे कितनी आय की प्राप्ति होगी? जीवन निर्वाह आसान होगा या कठिन? गृहस्थ जीवन सुखमय होगा या दुःख भरा? पति पत्नी, जातक के माता पिता, भाई बहन, बाल बच्चे की क्या स्थति होगी? इन बातों का विचार सातवें भाव से किया जाता है। लाल किताब में सातवें भाव को 'गृहस्थी की चक्की ' कहा है – "आकाश जमीन दो पत्थर सातवें रिज्क अकल की चक्की हो"
कुछ लाल किताबकार के अनुसार सातवें घर का स्वामी शुक्र और कारक शुक्र तथा बुध दोनों है। इस भाव में शनि उच्च का होता है। सूर्य नीच का होता है। इस भाव में शनि पीड़ित होने पर ही अशुभ फल देता है, अन्यथा नही, क्योंकि एक तो वह उच्च का होता है और दूसरे शुक्र का मित्र होता है। सातवें भाव की दृष्टि अपनी किसी पर नही होती। सप्तम को प्रथम देखता है। पहला घर खाली हो तो सातवाँ घर सो जाता है - 
"पहले घर के खाली होते, सातवाँ फौरन सोया"
लाल किताबकार ने 'गृहस्थ की चक्की ' बड़ा सुंदर रूपक रचा है। धरती आकाश दो पत्थर है। इस चक्की में शुक्र धरती का प्रतीक है, बुध आकाश का /गृहस्थ की चक्की में शुक्र नीचे वाला पत्थर है जो स्थिर रहता है। बुध ऊपर वाला पत्थर है जो घूमता रहता है। सूर्य, चन्द्र और राहु का फल शुक्र के सामान स्थिर रहने वाला अर्थात अटल रहता है। गोचरवसात ये ग्रह अनिष्ट फल दे तो उसका कोई निवारण नही होता। उसे तो भोगना ही पड़ता है।
इस भाव में शनि और केतु का प्रभाव बुध के समान होता है। ये ग्रह अनिष्ट फल दे रहे हों तो सम्यक उपचार के द्वारा उसका शमन संभव है। अधिकतर स्त्री ग्रह घर की स्त्रियों को प्रभावित करते है और पुरुष ग्रह पुरुषों पर प्रभावडालते है; किन्तु सातवें घर में चन्द्रमा के साथ दो या दो से अधिक ग्रह हुए तो प्रथम और सप्तम के ग्रहों का जो प्रभाव चन्द्र (माता ) पर होने वाला था वह अब बृहस्पति (पिता ) पर होगा ।
लाल किताब तरमीम शुदा 1942 के अनुसार :
"आकाश ज़मीन दो पत्थर सातवें रिज़क अकल की चक्की हो,
दोनों घुमावें कीली लोहे की घर आठवें जो होती हो"
जनम अस्थान जहाँ का वासी, शुक्र की चीजें, शादी, जायदाद (मकानात वागैरेह) जाहिरदारी, जिस्म की जिल्द, जिस्म के मुसाम, हथेली की हर हालत का हाल सुभाओ गरम तर-बादी-औरत, लड़की, बहन, बुध की चीजें, पोती, चेहरे की चमक या रंग, गाय, पिस्तान, स्त्री घर, लड़कियों के रिश्तेदारों के घर, मिट्टी के ज़र्रे फ्ल्स्तर या सफेदी मकान, मकानात, का बनना, अण्डों से पैदा होने वाले परिंदे, रूहानी ताकत मुताल्लिका बुध, शुक्र, कबीला की पैदाइश व परवरिश, पराई दौलत का मिलना, बज़रिया बुध की नाली नस्ल दर नस्ल, ब्योपार, गौयाई, कुव्वते-बाह अंदरूनी अकल, दुनियावी ताल्लुक में, वक्त जवानी, मैदान दुनिया जायदाद के लिए साथ लाए ख़ज़ाने, जनूब-मगरिब, शुक्र बुध जैसे हों वैसा ही फल होगा। बृहस्पत चन्द्र राशि फल का होगा। यह सेहन है नंबर 1 का और सेहन या नंबर 7 का मुन्सिफ होगा मंगल वही रंग सफ़ेद बुध, फूल, शुक्र बीज।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

Friday 8 May 2015

खाना नंबर 6 - पाताल की दुनिया - रहम का खजाना ..........

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
षष्ठ भाव
कुछ लाल किताबकार छटे भाव को पाताल की दुनिया कहते है। रहम का खजाना और ख़ुफ़िया मदद कहा गया है। लालकिताब के अनुसार इस भाव से माँ बाप और ससुराल के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।
लाल किताब में छटे भाव का स्वामी बुध और कारक केतु माना गया है। लाल किताब के अनुसार छटे भाव के शुभाशुभ फल का निर्णय करते समय दूसरे और आठवें भाव की स्थति पर अनिवार्यरूप से विचार करना होता है।
क्योकि ये तीनो भाव दृष्टि - सम्बन्ध द्वारा घनिष्ट रूप से जुड़े हुए है। आठवें भाव में बैठे हुए ग्रह दूसरे भाव को देखते है। दूसरे भाव में बैठे हुए ग्रह छटे भाव को देखते है। इस प्रकार आठवें की अलामत दूसरे में और दूसरे की छटे में पहुँच जाती है। शनि देव छटे घर में बैठकर दूसरे घर को विपरीत दृष्टि से देखते है। छटे भाव के ग्रह बारहवें भाव को देखते है। अतः छटे की अलामत बारहवें में चली जाती है। षष्ठस्थ ग्रह उस भाव के फल को प्रभावित करता है जिसमें बुध, केतु या शुक्र बैठा हो।
छटे घर में बुध या राहु  बैठे हो तो इस भाव पर दुष्ट ग्रहों का प्रभाव नही पड़ता, क्योकि छटा भाव इन दोनों ग्रहों के लिए उच्च का स्थान है। छटे भाव में सूर्य, चन्द्र और बृहस्पति अपना फल देते है (भाव का नही )। अतः वे "ग्रह फल "के कहलाते है। ग्रह फल अटल होता है। यदि वह अनिष्ट हुआ तो उसका कोई निवारण नही है। दूसरे भाव में बैठे हुए ग्रह छटे भाव को देखते है। छटा भाव खाली होने पर बारहवें भाव के ग्रहों को देखने वाला कोई नही। अतः वे भी सो जाते है ।
इन दोनों भावों (2 ,12 )में भले ग्रह हुए तो उनके सो जाने पर छटा भाव उनके शुभ फल से वंचित रहता है। इस स्थति में 2, 12 के भावों को जगाना श्रेयस्कर होता है। इसके लिए जातक मामा-परिवार की लड़कियों की सेवा करे, उनकी सहायता करे और स्वय अपनी पुत्रियों तथा दोहितियों की अच्छी देखभाल करे तो कारगर असर होता है। इससे 2, 12 के ग्रह जागृत हो जाते है और छटा भाव भरपूर शुभ फल देता है ।
लाल किताब तरमीम शुदा 1942 के अनुसार:  
रफ़्तार - गफ्तार, माता-पिता या औलाद के ज़रिये बन जाने वाले रिश्तेदार जिसका रिश्तेदारी ताल्लुक खुद कुंडली वाले के ताल्लुक के बगैर होवे छठे भाव से देखे जाते हैं। 
इंसान खुद किस ग्रह का है। चेहरा व पेशानी की हालत, बुध की चीज़ें, हमदर्दी फोकी, मॉमू, लड़की, दुश्मन, फूल की खुशबू या बदबू, फोका पानी, हमसाये, हाथ के नाखून का हाल, मकान के इर्द-गिर्द की चीज़ें, पट्ठे - नाड़े, आम रिश्तेदार, सुभाओ, सर्द-व-खाकी, लड़के का सुख, खुसरा-सुथरा, केतु की चीज़ें, हमदर्दी सच्ची, खालिस खटाई, कद-व-कामत व हथेली व उँगलियों की, तनासुब का हाल, चेहरा या बुध केतु मुश्तरका का हाल, नाक व माथा, चाहे (मय) बृहस्पत बुध या बृहस्पत केतु मुश्तरका, परिन्दे, गोबर, नानका धर (नाना नानी का), आम बरताओ व साहूकारा, साग सब्ज़ी, फूल पत्तर, जिस्मानी ताकत मुतल्लिका सूरज, मरने के बाद बाकी रहे हुअों का हाल, ज़ायका, गैबी कारोबार में अंदरूनी अक़ल, खुश्की (खल्वत) सहवन, भाख्या भाओ अपार नकारा खल्क, जाती बीमारी का अरसा खासियत (रूहानी, जिस्मानी व दिमागी) सफर खुश्की पाताल, ख़्वाब हस्ती, रिश्तेदारों से पाई हुई चीज़ें, शुमल, बुध केतु, शुक्र जैसे हों वैसा ही फल होगा। मंगल, शनि राशि फल का होगा, नेकी, फलना-फूलना, केतु की चीज़ें, यह सेहन है खाना न 12 का, सेहन या 6 न का मन्सिफ राहु होगा, सब्ज़ चितकबरा बुध केतु, बुध का उत्तम फल, केतु का खुद केतु की चीज़ों पर मंदा मगर दूसरों पर अच्छा। 
अगर बुध भी साथ हो, तो केतु खुद केतु की चीज़ों व दूसरों पर मंदा होगा। मगर बुध का बुध की चीज़ों पर नेक होगा, खाना नंबर 2 व नंबर 6 फैसला खाना नंबर 8 को साथ लेकर होगा। 
(आकार बुध का चेहरा की पसन्दीदगी, खूबसूरती केतु) खाना न 6 से देखी जाती है। मित्रों आने वाले आर्टिकल्स में लाल किताब के आधार पर चेहरे से किस प्रकार ग्रहों के बारे में जानकारी मिलती है, की वियाख्या करूंगा। 
मित्रों जैसा कि मैंने पहले लेखों में लिखा है कि खाना न 6 खाली हो तो खाना न 2-12 के ग्रह सोये हुए होंगे। आठवां देखता है दूसरे घर को, दूसरा घर देखता है छठे घर को और छठा घर देखता है बारहवें घर को। इस दृष्टि सम्बन्ध से यदि 2-12 घरों को बिजली की मशीन मान लिया जाये तो खाना न 6 का ग्रह उनको चलाने का बटन होगा। 
इसलिए यदि खाना न 2 और 12 में उत्तम ग्रह हो तो खाना न 6 को जगा लेना सहायक होगा अर्थात यदि छठे घर में कोई ग्रह न हो तो जातक अपने मामा, परिवार या लड़कियों के बच्चों की सेवा करता रहे तो उत्तम फल होगा क्योंकि दूसरे घर में बैठे शुभ ग्रह का प्रभाव छठे घर में सदैव एवं अवश्य मिलेगा। 
जो ग्रह छठे घर में बैठेगा वह अपनी सम्बंधित वस्तुओं के बारे में अपनी ग्रहचाली आयु तक मंदा प्रभाव देगा। बृहस्पत, सूर्य और चन्द्र को छोड़ कर छठे घर में सभी ग्रह इस घर में ग्रहफल और ग्रहफल का कोई उपाए नहीं है। बुध और केतु विशेष रूप से 6-8 में बैठे हुए अपनी ग्रह आयु तक मंदे होंगे। 
जहाँ बुध, केतु या शुक्र टेवे में बैठे हों, छठे घर के ग्रह का प्रभाव उन घरों पर भी पड़ सकता है। 
न 6 में स्थित शनि उल्टा खाना न 2 को देखा करता है। यदि दूसरे घर में सूर्य या चंदमा हो तो चौथे घर का मंगल, बद मंगल नहीं होगा। 
बुध-राहु खाना न 6 में उच्च के माने गए हैं, कभी मंदे न होंगे और न ही वह खाना नंबर या केंद्र स्थानो पर बुरा प्रभाव डालेंगे। छठे घर का फैसला खाना नंबर 2-8 की दृष्टि से किया जायेगा। 
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

Thursday 7 May 2015

ज्योतिषीय दृष्टिकोण में चंद्रमा का पीड़ित होना ......

जय माता दी । 
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से,,,,,,,,,,,,,,,
कुंडली में चंद्रमा का बलवान होने पर व्यक्ति मानसिक रूप से प्रसन्न रहता है।
चन्द्रमा यदि अशुभ मंगल खाना न 8 से नीच हो रहा हो तो ऐसे व्यक्ति की मृत्यु या बीमारी या व्यक्ति के अपने दिल की ख़राबीआं, दुश्मनों आदि से कष्ट होते हैं। कई बार देखने में आया है कि ऐसे वयक्ति को मिर्गी की बीमारी भी हो सकती है। 
चन्द्रमा यदि केतु से ख़राब हो हो रहा हो और खाना न 6 में हो तो माता की कुयाँ लगवाने के बाद फ़ौरन मौत हो जाती है। ये कुआँ बेशक अपनी खेती की जमीं में लगाया जाये या अपने घर में अथवा कहीं भी लगाया जाये। ऐसे व्यक्ति की औलाद की मौत होने की संभावना भी रहती है और ऐसे व्यक्ति को समुद्री सफरों में किसी न किसी प्रकार का नुकसान होता रहता है। दूसरा कोई आदमी गलत राय देकर ऐसे आदमी को गलत रस्ते पर डाल सकता है, जिससे उसे नुकसान भी होगा, किन्तु आरम्भ में ऐसा व्यक्ति ऐसे नुकसान की कल्पना नहीं कर सकता। 
चंद्रमा कमजोर होने पर मानसिक रूप से प्रसन्न नही रहता है। कुंडली में चंद्रमा पीड़ित हो ,शुभ प्रभाव मे न हो तो नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाते हैं।
कुंडली से जाने मानसिक अशांति के कारण :
  1. चंद्रमा नीच राशि (वृश्चिक) में होना।
  2. चंद्रमा का छठे घर, आठवें या बारहवें घर में होना।
  3. चंद्रमा का राहु या शनि के साथ होना।
  4. चंद्रमा का राहु या शनि से दृष्ट होना।
  5. जन्म राशि में शनि या राहु का गोचर होना।
ऊपर बताये योग होने पर मन कभी भी एकाग्र नहीं हो पायेगा और जल्दी तनाव मे आ जायेगा। ऐसे मे व्याकुल होना और घबराहट महसूस करना ।
जीवन मे संघर्ष होना। निराशा का होना। नकारात्मक सोच का होना। एकाग्रचित्त का ना होना और तनावग्रस्त होना। अमावस्या व पूर्णिमा के समय मानसिक तनाव का होना। जन्म राशि में शनि या राहु का गोचर हो रहा है तो यह समय भी आपको मानसिक तनाव से ग्रस्त रखेगा।
पीड़ित चंद्रमा के उपाय :
  • माता का आशीर्वाद लेना।
  • मोती धारण करे। 
  • 'ॐ सोम सोमाय नमः' का 108 बार जाप करना। 
  • बुजुर्गो का आशीर्वाद लें ,माता की सेवा करे, घर के बुजुगों ,साधु और ब्राह्मणों का आशीर्वाद लेना। 
  • रात में सिराहने के पास पानी रखकर सुबह उसे पौधों में डालना। 
  • उत्तरी पश्चिमी कोना चंद्रमा का होता है, यहां पौधे लगाए जाएं। 
  • जल से होने वाले पेट संबंधित रोग का होना, 
  • मातृप्रेम में कमी का होना। 
  • खिरनी की जड़ को सफेद कपड़े में बांधकर पूर्णमाशी को सायंकाल गले में धारण करना। 
  • देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। 
  • चन्द्रमा की रोशनी मैं सोना चाहिए। 
  • घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए। 
  • वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर रखे। 
  • पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए। 
  • सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगावे। 
  • खिरनी की जड़ को सफेद डोरे में बांधकर पहनने से लाभ होता है। 
  • हवन में पलाश की लकड़ी का समिधा की तरह उपयोग करना चाहिए। 
  • माता, नानी, दादी, विधवा, सास एवं इनके उम्र के समान वाली स्त्रियों को कष्ट नही देना चाहिए। इन सब से आशीर्वाद लेना। 
  • चांदी का कड़ा या छल्ला पहनना चाहिए। सफ़ेद 
  • चंदन का तिलक लगाना चाहिए। 
  • शिवलिंग पर दूध चढ़ाना चाहिए। 
  • पलंग के नीचे चांदी के बर्तन में जल रखें या चांदी के आभूषण धारण करना चाहिए। 
  • गन्ना, सफेद गुड़, शक्कर, दूध या दूध से बने पदार्थ या सफेद रंग की मिठाई का सेवन करना चाहिए। 
  • चमेली तथा रातरानी का परफ्यूम या इत्र का उपयोग करता चाहिए । 
  • प्रतिदिन पक्षियों को दाना डालें। प्रातः काल भ्रामरी व उद्गीथ प्राणायाम करें। 
  • अपने ईष्ट की आराधना करे।
  • शिव की भक्ति। सोमवार का व्रत।
  • दान : सोमवार को सफेद वस्तु जैसे दूध, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र, 1 जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना। 
  • ’ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:’’ का पाठ करे ।
  • ऊँ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करें।
  • ऊँ नमः शिवाय का जप करें।
लेकिन इन सब में से कोई भी उपाय करने से पहले अपनी कुंडली का विश्लेषण किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से अवश्य करवा लें। 

मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

Tuesday 5 May 2015

उत्तम सूरज वाला कुल दुनिया को रौशन करता .......




जय माता दी ! 
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रों आज मैं सूर्य देव के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ। इस पोस्ट में मैं सूर्य देव के कुंडली में अलग अलग घरों में अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताऊँगा। अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों या सूर्य से सम्बंधित नीचे लिखे हुए हालात हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुष प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें।
कुछ शास्त्रों में सूर्य के बारे में लिखा है कि ऊष्मा, ऊर्जा व् प्रकाश देकर सूर्य प्राणियों का पोषण व् रक्षण करते हैं। उनके आदि देव विष्णु जी है। सूर्य सदा एक ही दिशा में चलते दिखाई देते हैं, किन्तु उसका गंतव्य अज्ञात ही है। हमे केवल इतना पता है कि न तो वह अपना मार्ग बदलता है और न ही पीछे कदम हटाता है। सूर्य ऐसा राजा है जो सबकी सुनता है, सब कुछ देखता है, किन्तु कोई नही जनता अगले क्षण वह क्या करेगा। गुरु उसका नियन्ता (कंट्रोलर) है। सूर्य को दूसरा शासक (गुरु के बाद) कहा जाता है।
वह विश्वात्मा का प्रतिनिधि है। वह उदार और कृपालु शासक है। वह तपस्या करता है। वह धार्मिक है, किन्तु किसी धर्म विशेष का अनुयाई नही है। उसे सत्य या असत्य का ज्ञान है और इसी ज्ञान के आधार पर वो न्याय करता है। सातवें भाव में वह नीचा समझा जाता है, किन्तु सूर्य कभी नीच नही होता। सूर्य सातवें घर के बारे में यह भी माना जाता है कि जिसके जन्म पर समझे थे कि खानदान का सूरज निकला, वो चढ़ते चढ़ते यानि वो व्यक्ति जवान होते होते दुमदार सितारा बनता गया। उसने सब सोच - समझ कर नेकनीयत से किया मगर नतीजा उल्टा ही रहा। वक़्त पर राजा का हुक्म अपने हक़ में न होगा। बेशक राजगद्दी में जनम ले मगर उसे गद्दी पर बैठना कम ही नसीब होगा। ‘हाकिमी गर्मी की, दुकानदारी नर्मी की’ का उसूल उसको मुसीबतों से बचा सकता है। अगर कोई जलाए तो हम भी उसको जला कर मरना सिखला देंगे - यहाँ पर सूर्य ऐसे कौल का मालिक होगा यानि कोई जलाए तो खुद जलकर नहीं मरेंगे, बल्क़ि दूसरे को जला कर खाक कर देंगे। कुंडली मे भाव स्तिथि के आधार पर शुभ अशुभ माना जाता है। खाना नं 1 में सूर्य जातक को चरम सीमा (चरमोत्कर्ष) पर पहुंचा देता है। किन्तु इससे जातक को सुखप्राप्ति नही होती। अहं उसके मार्ग की ब्याधा है, अत्य अधिक सीधापन (साफगोई) मुसीबत है। यदि वह अपने अहं को नियंत्रित रख सके तो भाग्यशाली सिद्ध होता है।
यदि केतु 1 या 6 में हो तो सूर्य अत्यंत शुभ फल देता है सूर्य का फल अब उसकी अपनी भाव स्थिति पर निर्भर नही होता। यदि सूर्य की बुध पर दृष्टि हो तो वह स्त्रियों (बहन, बुआ, बेटी) के लिए हर दृष्टि से अच्छा होता है। बुध की सूर्य पर दृष्टि हो तो बुध सम्बन्धी फल अच्छे होते है। यदि सूर्य पर शनि की दृष्टि होतो सूर्य से सम्बंधित फलो में कमी आती है। किन्तु शुक्र से सम्बंधित शुभ फल में असाधारण वृद्धि होती है। शनि के द्वारा सूर्य पीड़ित होता है। किन्तु इससे जातक की आय और खुशहाली पर प्रभाव नही पड़ता। कुछ शारीरिक कष्ट हो सकते है। यदि शनि पर सूर्य की दृष्टि हो या शनि से पहले के भावो में सूर्य हो तो जातक के घर में स्त्रियों को दुर्भाग्य के आघात सहने पड़ते हैं। इस योग के बारे में मैंने पहले वाले लेखों में विस्तार से वर्णन किया है साथ ही इस योग से होने वाले शुभ अशुभ प्रभाव और उनके उपाए भी लिखे हैं। यदि सूर्य को चन्द्र, मंगल या गुरु की सहायता प्राप्त हो तो अल्प नमक भोज या नमक न खाने वाला जातक अपने वर्तमान रुतबे से ऊपर उठ जाता है ।
यदि खाना नं 5 खाली हो तो सूर्य के उपाए करना चाहिए। ग्रहों के पैंतीस साला दौरे में सूर्य को दो वर्ष मिले है। कुंडली के छटे और सातवें भाव में सूर्य 'राशि का ग्रह ' बन जाता है। उस समय अशुभ फल देने लगे तो उपाए (उपचार) से लाभ हो सकता है। सोना और ताम्बा सूर्य की धातुए है और लाल (माणिक्य) उसका रत्त्न है। देह अंगो की दृष्टि से सम्पूर्ण देह पर सूर्य का सामान्य अधिकार माना गया है; किन्तु दाहिनी आँख और हड्डियों पर विशेष रूप से सूर्य का अधिकार होता हे। गुड, गेहू, तांबा, बन्दर, भूरी चीटियाँ, नेवला, भूरी भैंस, सरकारी सेवा, सरकार में कार्य, पिता, नमक, केसरी रंग की वस्तुयें, शिलाजीत, सरकार, ऊर्जा उत्तपन करने वाली चीज़ें, बिना छेद वाला तांबे का पैसा, माणिक्य, क्षत्रिय, राजा, तपस्वी, राजपूत, काली गाय, पुरानी रस्म, गेरू, बाजरा, और इकलौता पुत्र सूर्य की कारक वस्तुयें माना जाता है। 

कुछ शास्त्रों में सूर्य के बारे में लिखा है कि आकाश में रौशनी, ज़मीन के अन्दर गर्मी, राजा फकीर में सच्चाई, ज़माने में परर्विश और उन्नति की ताकत को सूरज के नाम से पुकारा गया है। जिसकी मौजूदगी का नाम दिन और गैरहाज़िरी का वक्त अंधेरी रात का दौर दौरा होगा। इन्सानी वजूद में रूह की हरकत और अपने जिस्म से दूसरे की मदद की हिम्मत इसका करिश्मा है। चलते चले जाना मगर अपना आखीर न बताना बल्कि पीछे हटे या रास्ता बदले बगैर फिर उसी जगह ही आकर हर रोज़ सुबह शाम करते जाना, इसका एक अजूबा है।


उत्तम सूरज वाला कुल दुनिया को रौशन करता और हर एक दौलत बख्शता है। लम्बी उम्र का मालिक होगा। तबीयत में अन्दर बाहर दोनों ही तरफ से सच्चा होगा। मन्दे वक्त पर बुरा असर रात के ख्वाब की तरह निहायत छुपे ढंग पर ज़ाहिर करेगा। किसी का सवाली न होगा बल्कि अगर हो सके तो किसी का सवाल पूरा कर देगा। खैरात न देवे तो बेशक मगर उल्टा फकीर की झोली से माल हरगिज़ न निकालेगा। खुद चोट खायेगा और बढ़ेगा मगर किसी को चोट न मारेगा। गो मौत को किसी ने भला नही गिना मगर सूरज उत्तम के वक्त मौत भी भली होगी।

राज दरबार से खुद अपने हाथों धन-दौलत कमाने का और बालिग होने का 22 साला उम्र का अरसा (अहद) जवानी का जोश हर तरफ नई रौशनी देगा। सूरज की रौशनी और धूप में गर्मी का दर्जा या कमी (हरारत) राहु केतु की हालत से पता चलेगा। उत्तम सूरज के वक्त चन्द्र, शुक्र और बुध का फल अमूमन भला ही होगा। केतु खाना नं0 1 या मंगल नं0 6 में हो तो सूरज का असर नेक बल्कि ऊँच हालत का होगा चाहे (ख्वाह) सूरज किसी भी घर में और कैसा भी बैठा हो। जन्म कुण्डली के खाना नं 1, 5, 11 में सूरज होने के वक्त टेवा बालिग ग्रहों का होगा जो बच्चे के माता के पेट में आने के वक्त ही से अपना असर शुरू कर देगा।

मन्दे असर का उपाय
अगर सूरज का खुद अपना ही असर दूसरे ग्रहों पर बुरा हो रहा हो तो सूरज के दोस्त ग्रह चन्द्र, मंगल, बृहस्पति को नेक कर लेना मददगार होगा। खाना नं 6,7 में बैठा होने के वक्त आम मन्दी हालत में बुध का किसी उपाय से नेक कर लेना मददगार होगा। जब कोई ग्रह सूरज से नष्ट या बर्बाद हो रहा हो तो खुद सूरज का उपाय करें। जब सूरज का खुद अपना असर नष्ट या बर्बाद हो रहा हो तो दुश्मन ग्रह को, जो उसके असर को बर्बाद कर रहा हो, नेक करें। 
उपाय :
लग्न - 
  1. सदाचारी बने रहो।
  2. घर के अंतिम सिरे पर बायीं ओर अँधेरा कमरा बनाएं।
द्वितीय भाव - 
  1. पैतृक घर में एक हैंड पम्प लगाओ।
  2. मुफ्त में किसी कुछ न लो। चावल, चांदी दूध आदि चन्द्रमा से संबंधित वस्तुए दान में न लें। 
  3. सदाचारी बने रहें।
  4. नारियल, तेल और अखरोट मंदिर में अर्पित करें। 
तृतीया भाव - 
  1. सदाचारी बने रहें।
  2. माँ /दादी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
चतुर्थ भाव - 
  1. अंधों को भोजन कराएं।
  2. मांस -मदिरा का सेवन न करें।
  3. तांबे का सिक्का खाकी धागे में पिरोकर गले में बांधे।
पंचम भाव - 
  1. झूट न बोलें । किसी का बुरा न चाहें।
  2. अपने वचन का पालन करें।
  3. पुराने रीति -रिवाजों का अनुसरण करें।
  4. लाल मुँह के बंदरो को गुड खिलाये। 
  5. तीन सांसारिक कुत्तों (साला, दामाद, भांजा) की सेवा करें।
षष्ठ भाव - 
  1. बंदरो को गेहू और गुड का भोजन कराये।
  2. दीमक को सात अनाज दें। उन्हें खुली जगह पर पेड़ के नीचे रखे।
  3. नदी -जल या चांदी सदा अपने पास रखें।
  4. माँ /दादी के पाँव धोये।
  5. चांदी का चौकोर सिक्का जमीन में दबाएं।
सप्तम भाव - 
  1. रात में भोजन बनाने के बाद चूल्हा दूध भुजाएं । वह चूला दूसरे दिनसुबह से पहले उपयोग न करें। 
  2. ताम्बे के चौकोर सिक्के जमीन में दबा दें।
  3. काली या बिना सिंग की गाय को भोजन दें।
  4. काम आरम्भ करने से पहले मिठाई खाके पानी पीले।
  5. भोजन बनाने के बाद चुल्ल्हे की जलती हुई आग में रोटी केटुकड़े दाल दें।
अष्टम भाव - 
  1. घर का मुख्य द्वार दक्षिनाभिमुख न हो।
  2. सफ़ेद गाय रखें।
  3. सदाचारी बने रहें।
  4. ससुराल में न रहें।
  5. बड़े भाई और गौमाता की सेवा करें।
नवम भाव - 
  1. पीतल के बर्तन बरतें।
  2. चावल ,दूध और चांदी का दान ग्रहण न करें।
  3. अत्यंत क्रुद्ध न हों, बहुत सहनशील भी न हों।   सामान्य बनें।
दशम भाव - 
  1. सफ़ेद टोपी या पगड़ी पहनें।
  2. पैतृक घर में हैण्ड पंप लगाएं।
  3. मटमैले रंग की भेंस की करे।
एकादश भाव - 
  1. मांस मदिरा का सेवन न करें। मछली न पकड़े, न खाए। 
  2. कभी झूट न बोलें।
  3. कसाई से बकरी / बकरा खरीद कर स्वतंत्र छोड़ दें।
द्वादश भाव - 
  1. मैकेनिक का व्यव्शाय न अपनाये।
  2. घर में आँगन रखें।
सामान्य उपाय : (सब भावों के लिए)
  1. रविवार को व्रत रखें।
  2. हरिवंश पुराण पढ़े या सुनें। 
  3. गेहू, गुड और तांबा दान करें।
  4. सदाचारी बने रहे।
  5. लाल (माणिक्य ) या तांबा पहनें।
  6. बहते पानी में ताम्बे के सिक्के पानी में डालें।
  7. घर का मुख्य द्धार पूर्वाभिमुख रखें।
  8. काला -बाजार और काला बजारियो से दूर रहें।
  9. यदि सूर्य उच्च का हो तो सूर्य से सम्बंधितवस्तुए दान में दें।
  10. सरकारी अफसरों की सेवा करें।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

Sunday 3 May 2015

पैदायश औलाद .....

जय माता दी !

गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………

मित्रों आज मैं औलाद देर से होने या न होने या होकर मर जाने या औलाद हो जाने के बाद परिवारिक जीवन अच्छे से न चल पाने या औलाद समय पर हो जाने और परिवारिक जीवन अच्छे से चलने में ग्रहों के कारणों पर चर्चा करने जा रहा हूँ। यहाँ मैंने औलाद होने से सम्बंधित कुछ बहुत बुरे योग मसलन औलाद होने के बाद परिवार में झगड़ा या बटवारा हो जाना या परिवार के किसी सदस्य का मर जाना वगरैह का ज़िकर किया है। क्यों कि यह विषय बड़ा होने के कारण यहाँ एक ही पोस्ट में विस्तार से व्याख्या कर पाना मुश्किल है। इसलिए इसे मैंने अलग से ब्लॉग में लिखा है। आशा करता हूँ कि इसे पढ़ने में आप सब को कठिनाई नहीं होगी। असुविधा के लिए क्षमा चाहता हूँ। मुझे उम्मीद है की आप सब को इससे लाभ जरूर होगा। (मित्रों यहाँ कुछ बातें ऐसी लिखी हैं जिन्ह ज्योतिषाचार्य आसानी से समाज जायेगे, लेकिन कुछ मित्रों को उनको समझने के लिए किसी अच्छे ज्योतिषचार्ये से संपर्क करना होगा)


पैदायश औलाद:-फरमान नम्बर 17 के मुताबिक
'' शुक्र मंगल बुध केतु राजा, शनि भी शामिल होता हो ।
पहले पांचवें नर ग्रह चन्द्र, मंगल दूजे केतु ग्यारा हो ।
जन्म वक्त औलाद का होगा, ज़िन्दा पैदा जो होती हो ।
बुध लड़की नर केतु लड़का देता, गिनती भले पर होती हो ।
केतु बैठा घर 11 टेवे, गुरू, चन्द्र, शनि
औलाद मन्दी या देरी होवे, लाश पैदा या मुर्दा हो ।
केतु, शनि, बुध
रवि, शुक्र, राहु
वक्त पैदायश लड़का/लड़की होवे, लेख उम्र उस लम्बा हो ।
केतु कायम तो लड़के कायम, लड़की कायम राहु करता हो।
छटे चन्द्र दे कन्या ज्यादा, चौथे केतु नर देता हो ॥ ''
यानि वर्षफल के हिसाब से, चन्द्र नष्ट तो औलाद नष्ट, बुध और केतु में से जो भी उम्दा हालत में हो लड़के या लड़की का फैसला उसी से, खाना नम्बर 5 में उम्दा ग्रह तो लड़का, केतु उम्दा तो औलाद उम्दा, राहु मन्दा तो औलाद मन्दी ।

वक्त औलाद:-

  1. खाना नम्बर 5 मंदे ग्रहो से अगर रद्दी न हो रहा हो तो औलाद की पैदायश उम्दा वरना औलाद में अड़चन होगी।
  2. केतु खाना नम्बर 2, 5, 7, 1, सनीचर नम्बर 1, 11 जब बहैसियत पापी ग्रह न बैठा हो, बगैर शर्त औलाद का योग देंगे।
  3. बुध जब जब शुक्र का दोस्त मददगार हो तो लड़का वर्ना लड़की देगा।
वर्षफल के हिसाब से जब मंगल या शुक्र या केतु या बुध में से कोई खाना नम्बर 1 में आ जावे या अकेला केतु खाना नम्बर 11 में हो जावे या मंगल का वक्त और खाना नम्बर 2 में मंगल, शुक्र, केतु, बुध के मददगार ग्रहों की हालत हो तो औलाद होगी। बुध और केतु की अपनी अपनी हालत या दोनों में से जो उम्दा होवे नर या मादा का फैसला करेगा। उम्दा केतु लड़का, उम्दा बुध लड़की देगा। 

जब वर्षफल में औलाद का वक्त हो:-

  1. लड़के देगें शुक्र के दोस्त ग्रह यानि सनीचर, केतु, बुध मगर शुद शुक्र नही । जब वो उम्दा हों या 3 , 5, 11 में हों जावें।
  2. लड़कियां देगें बुध या बुध के दोस्त सूरज, शुक्र, राहु जब वो उम्दा हों या 3, 5, 11 में हों जावें।
बृहस्पति कायम तो सब औलाद कायम। राहु कायम तो सब लड़कियां कायम बशर्ते कि ग्रहों पर उनके दुश्मन ग्रहों की दृष्टि न पड़ रही हो। चन्द्र नम्बर 6 तो सब लड़कियां हों। केतु नम्बर 4 तो सब लड़के हों मगर आपस में वह साथी ग्रह न बन रहे हों। चन्द्र केतु इकट्ठे लड़के लड़कियां मसावी (बराबर) ।
बृहस्पति शुक्र मुश्तर्का, केतु स्वभाव सनीचर मसनुई तो औलाद ज्यादा और कायम होगी। लेकिन जब मंगल बुध मुश्तर्का, मसनुई सनीचर राहु के मन्दे स्वभाव का होवे तो औलाद माता के पेट में ही बर्बाद होती जावे। ऐसी हालत में अगर बृहस्पति, चन्द्र या सूरज नेक या उम्दा हो तो सनीचर की 36 साला उम्र में औलाद कायम होगी। लेकिन अगर ऐसी मदद न मिले तो केतु का जाती (अपना) फैसला (जन्म कुण्डली में बैठा होने के हिसाब से ) बहाल होगा। चन्द्र केतु नम्बर 5 लड़के कायम। राहु नम्बर 11 लड़कियां कायम बशर्ते सनीचर नीच, मन्दा या नम्बर 6 में न हो। राहु नम्बर 9 में, 21 साला उम्र से 42 तक सिर्फ एक लड़का कायम, बाद में और हो सकता है। राहु नम्बर 5 निहायत मन्दा ग्रह वास्ते औलाद। अगर चन्द्र या सूरज साथ साथी या मुश्तर्का दीवार के खाना नम्बर 4, 6 में न हों। सनीचर खाना नम्बर 7 में लड़के बशर्ते राहु नम्बर 11 में न हो या नर ग्रह मन्दे न हों।
वालदैन व औलाद का बाहमी (आपसी) ताल्लुक:-सनीचर नम्बर 3 सूरज नम्बर 5 औलाद से दुखिया होगा। जन्म कुण्डली में अगर सूरज के साथ उसके दोस्त ग्रह बैठें हो तो वह शख्स अपने बाप से उम्दा हालत का होगा। लेकिन अगर सूरज के साथ उसके दुश्मन ग्रह बैठें हो तो ऐसे शख्स की औलाद उससे मन्दी हालत की होगी।

औलाद का वालदैन को सुख:- बृहस्पति और चन्द्र अकेले अकेले बैठें होने के वक्त अगर कुण्डली में चन्द्र पहले हो तो माता की उम्र लम्बी होगी वर्ना पिता लम्बी उम्र भोगेगा। जन्म कुण्डली के हिसाब से सूरज खाना नम्बर 6 और सनीचर हो खाना नम्बर 12 में तो औरत पर औरत मरती जावे या मां बच्चों का ताल्लुक ही न देखे या सुख से पहले चलती जावे। बुध मारता होवे बृहस्पति को या बुध बृहस्पति के घरों में या बृहस्पति के साथ ही तो बच्चे पिता पर भारी (दुख या मौत का सबब) होंगे।

साहबे औलाद दर औलाद होगा:-

'' गुरू, शुक्र, बुध, शनि, रवि से, ऊँच कायम कोई उम्दा हो ।
पूत बढ़ते पुश्तों बढ़ते, उम्र लम्बी सब सुखिया हो ।
पांच पहले 3 ग्रह जब उम्दा, औलाद सुखी सुख पाता हो ।
सेहत, दौलत, धन, आयु, सबका, नेक भला और उम्दा हो।
गुरू केतु जब शनि को देखे, असर तीनों का उम्दा हो ।
धन, आयु, औलाद इकट्ठे, सुख औरत का पूरा हो ॥''
यानि ऐसी हालत में औलाद, सेहत, धन दौलत, औरत और उम्र, हर तरह का सुख होगा। बेटे के आगे बेटा होता जावे और पुश्त आगे बढ़ती जावे । जब तक बृहस्पति उम्दा औलाद सुखिया होगी।

लावल्द (बे-औलाद) कभी न होगा :-

'' दूजे छटे जब शुक्र जागे, मदद गुरू रवि पाता हो ।
मच्छ रेखा परिवार कबीले, औलाद दौलत सब उम्दा हो ।
छटे रवि घर 12 होते, साथी मंगल बुध बनता हो ।
तीन राहु, घर दोस्त बदले लावल्द कभी न होता हो ॥''

लावल्द ही होगा :-

''बुध, मंगल
शुक्र, केतु
गुरू शुक्र घर 7वें बैठें , माता चन्द्र 8 बैठी हो ।
चन्द्र शुक्र हों मुकाबिल बैठे, शत्रु साथ या पापी हो ।
छते कुएं घर कायम होते, टेवा शक्की लावल्दी हो ।
शुक्र राहु घर 5वां पाते, कन्या कायम एक होती हो ।
चन्द्र केतु हो 11 बैठे, निशानी लावल्दी होती हो ॥''
ऊपर के जबाड़े के सामने के तीन दांत खत्म हो गये हों तो बुध नष्ट हो चुका हुआ लेंगे। कुआं छतकर या बन्द करके ऊपर मकान बनाना लावल्दी का सबब होगा।

हिजड़ा मर्द :-

'' सात शनि चन्द्र पहले, पांच शुक्र रवि चौथे हो।
चार ग्रह औलाद न फलते, हिजड़े मर्द न होते जो ॥''
जब चन्द्र हो खाना नम्बर 1, सनीचर नम्बर 7, सूरज नम्बर 4 और शुक्र नम्बर 5 में तो नामर्द होगा।

बांझ औरत

''शुक्र दूसरे 6वें बैठा, बुध मंगल न साथी हो।
शनि मिले न साथ गुरू का, आठ दृष्टि खाली हो ।
बांझ औरत वह खुसरा होगी, औलाद नरीना कतई हो ।
बाकी सिफत कुल उम्दा उसकी, उत्ताम लक्ष्मी होती हो ॥''
यानि खाना नम्बर 2, 6 का शुक्र हर तरह से अकेला हो तो औरत बांझ या नाकाबिले औलाद होगी चाहे उसमें बाकी सिफतें हों ।
कुण्डली में मन्दे ग्रहों को बदलना तो इन्सानी ताकत से बाहर है लेकिन उसकी ग्रह चाल को लाल किताब के उपायों से दुरूस्त करके फायदा लिया जा सकता है ।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

खाना न 8 - मुकाम फानी ........

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ।
अष्टम भाव
कुछ लाल किताबकार के अनुसार आठवां भाव बीमारी और मृत्यु का भाव माना गया है। लाल किताब में इसे मुकाम फानी ,मौत अदल और न्याय का घर कहा गया है।
आठवें भाव का स्वामी मंगल है। कारक शनि और मंगल दोनों है। इसीलिए इसे शनि और मंगल की साजी गद्दी कहा गया है। अष्टम भाव में कर्म और फल का न्याय चन्द्रमा करता है। उसके न्याय में माफ़ी या दया के लिए नही है।
आठवां भाव (विपरीत दृष्टि ) दूसरे को देखता है। दूसरा छटे को और छटा बारहवें को देखता है। इस प्रकार आठवें के ग्रहों का प्रभाव दूसरे और छटे भाव में होता हुआ बारहवें भाव तक जाता है।
आठवें भाव में बैठकर सूर्य, चन्द्र और मंगल शुभ फल देते है - वे चाहे एक एक करके हों या तीनों इक्कठे हों ।
सूर्य चन्द्र के साथ गुरु हो तो आठवें घर की घेराबंधी हो जाती है। उसके ग्रहों का प्रभाव उसी में रहता है ,दूसरे में भी नही जा पाता। 
अष्टम भाव में चन्द्र और मंगल के साथ शनि मिल जाये तो अनिष्ट करता है। चन्द्रमा स्वस्थ्य बिगाड़ता है और शनि मृत्यु देता है, मंगल दूसरे तथा छटे भाव से प्रभाव ग्रहण करके मंगल बद हो जाता है। वह जातक को हर तरह से अपमानित और कलंकित करता है और मृत्यु भी देता है। इस भाव में ये तीनो एक एक अकेले ही हो तो शुभ फल देते है। 
शनि के द्वितीय भाव में न रहते हुए मंगल - बुध आठवें घर में हो तो उत्तम फल देते है। 
छटे या आठवें घर में कोई ग्रह पीड़ित हो तो अशुभ फल देता है। उसका अनिष्ट द्वादश को भी प्रभावित करताहै। अतः 6 , 8 ,12 पर एक साथ विचार करना चाहिए। 
द्वितीय भाव से सम्बन्धी मामलों में चन्द्रमा सबसे अधिक बलवान होता है। स्वग्रही और उच्च का होकर वह बारहवें भाव के अशुभ फल को मिटा देता है।(मृत्यु के बारे में 8,2,6 के प्रभाव के निर्णय खाना न १२ करेगा, चाहे वह उनका शत्रु ग्रह ही क्यों न हो और अंतिम अपील खाना न २ में चन्द्र के पास होगी, जो मारक स्थान 2 में उच्च का है)
अष्टमस्थ ग्रह यदि द्वितीयस्थ और एकादश्य ग्रहों के शत्रु हुए तो मर्मान्तक चोट पहुंचाते है। ग्यारह भाव का ग्रह गोचर से आठवें या ग्यारहवें में (वर्ष फल में ) आये, उस समय ग्यारह भाव में बैठे हुए ग्रह की चीज़े घर में लाना अशुभ है। इससे स्वास्थ्य बिगड़ता है, धन हानि होती है।
चतुर्थ भाव में बैठा हुआ ग्रह 2, 11 के ग्रहों का शत्रु हुआ तो मौका पाकर आठवें में बैठा हुआ ग्रह हमला कर देता है - मृत्यु देता है । 
कुछ लाल किताबकार के अनुसार लाल किताब में खाना नं0 8 को मुकाम फानी कहा गया है। इस घर के ग्रह ''अदले का बदला'' के असूल पर अपना काम करेंगे। खाना नं08 मंगल का घर और सनीचर का हैड क्वार्टर है।
  • अगर खाना नं0 8 में बृहस्पति, सूरज या चन्द्र में से कोई भी अकेला या दो या तीन मुश्तर्का बैठ जावें तो यह खाना न आगे खाना नं0 12 को और न पीछे खाना नं0 2 को देखेगा, बल्कि खाना नं0 8 का ऐसा असर सिर्फ इसी खाने में बन्द हुआ गिना जायेगा। गोया मौत के घर को योगी जंगी जीत लेगा।
  • सनीचर, चन्द्र या मंगल अकेले अकेले इस घर में उम्दा मगर जब कोई दो या तीन मुश्तर्का हों तो सनीचर मौतों का भण्डारी, चन्द्र दौलत व सेहत को बर्बाद करने वाला और मंगल में खाना नं0 2-6 का मन्दा असर शामिल या वह मंगल बद हर तरह की लानत का देवता जलता ही होगा। 
  • बुध खाना नं0 8 हमेशा मन्दा। 
  • मंगल नं0 8 अमूमन् बुरा मगर मंगल बुध मुश्तर्का नं0 8 में उत्तम होंगे, जब तक नं0 2 में सनीचर न हो, वर्ना मंगल बद ही होगा जो मैदाने जंग मे मौत का बहाना खड़ा करेगा।
  • खाना नं0 8 की मन्दी हालत खाना नं0 4 मार्फत नं0 2 होगा। जब तक खाना नं0 2 खाली हो तो मन्दी हालत नं0 8 तक महदूद होगी। 
  • खाना नं0 11 में अगर खाना नं0 8 के दुश्मन ग्रह हों तो नं0 8 का बुरा असर नं0 2 में न जायेगा।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
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सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

किस्मत .......


जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
मित्रो आज मैं लाल किताब के सिद्धांतों पर लिखी भाग्य की व्याख्या पर चर्चा करने जा रहा हूँ। मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में कोई भी ऐसे योग हों तो किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा इन बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें।
भाग्य दुर्भाग्य हमारे कर्मों पर आधारित है और ग्रह भी कर्मों के अधीन है।  यह ग्रह भी पंचतत्वों की तरह नेकी बदइ के बीज  को अंकुरित करते हैं, बड़ा करते हैं तथा फल प्रदान करते हैं। लाल किताब ग्रहों के आधार पर भाग्य दुर्भाग्य का निर्णय करती हैं। एक व्यक्त्ति अनथक परिश्रम करके भी दुखी है। दूसरा कुछ न करके भी मौज कर रहा है विवेक से यही परिणाम ज्ञात हुआ की भाग्य प्रबल है केवल प्रयतन से कुछ नहीं होता। 



''घर चलकर जो आवे दूजे, ग्रह किस्मत बन जाता है।

खाली पड़ा घर 10 जब टेवे, सोया हुआ कहलाता है। ''

किस्मत लक्ष्मी के नाम से मशहूर है जो बृहस्पति का दूसरा नाम है। 12 साल तक बच्चे और 70 साल के बाद किस्मत का एतबार नही। किस्मत एक ऐसी चीज़ है जो दुनियावी कारोबार में न हाथ की मदद ढूंढे और न ही उसमें आंख को काम करना पड़े। हर काम का नतीजा खुद-ब-खुद नेक हो जाता है। धन्ना भगत, (बृहस्पति खाना नं 2 में)  की गायें राम चरावे। मगर सुदामा भगत, (बृहस्पति खाना नं  9 में)  अपने सखा कृष्ण के लिये तोहफा लेकर जावे।

खाना नं 2 व खाना नं 6 का फैसला खाना नं 8 को साथ लेकर होगा। कुण्डली के बाद के घरों के ग्रहों के जागने के दिन से किस्मत का जागना, मतलब होगा (मुराद होगी)। बन्द मुठ्ठी के अन्दर के खानाें (1,7,4,10) के ग्रह ख्वाह भले हों ख्वाह बुरे कुण्डली वाले की किस्मत के बुनियादी पत्थर होंगे। किस्मत के ग्रह का जागने का वक्त किस्मत के असर का वक्त होगा। किस्मत के ग्रह कई एक हों सब आपस में (बाहम) पूरे मददगार होंगे। सब से अच्छी किस्मत, बृहस्पति का किस्मत का ग्रह होता है। ''बृहस्पति नं 2 कायम और खाना नं 9 में दुश्मन (बुध, शुक्र, राहु) न हों और न ही नं 9 मन्दा हो रहा हो।''

किस्मत का ग्रह

सबसे उत्तम दर्जा पर वह ग्रह होगा जो राशि का ऊँचे  फल देने के लिए निश्चित (मुकर्रर) है, जो हर तरफ से कायम, साफ और दुरूस्त हो और उसमें किसी तरह से किसी साथी ग्रह का बुरा असर न मिला हुआ होवे। उसके बाद पक्के घर का ग्रह, घर का मालिक दोस्त ग्रहों का बना हुआ दोस्त ग्रह किस्मत का मालिक ग्रह होगा। 

किस्मत के ग्रह की तलाश

सबसे पहले 12 राशियों के उच्च फल देने वाले ग्रहों की तलाश करें। फिर 9 ग्रहों से जो उम्दा हो वो लें और बाद में बन्द मुठ्ठी के खानों (1,7,4,10) के ग्रहों से जो उम्दा हों लें । उच्च फल देने वालों में से जो सबसे तसल्ली बख्श और उच्च हो, लें । घर के मालिक ग्रहों से सबसे ज्यादा ताकतवर वाले को लें। अगर मुठ्ठी के चारों खाने खाली हों तो खाना नं 9 के ग्रहों को लेंगे। वह भी खाली हो तो, खाना नं 3 के ग्रहों को लें। अगर वह भी खाली हो तो खाना नं 11 के ग्रहों को लेंगे। 
अगर वह भी खाली हों तो खाना नं 5  को लेंगे। 

अगर वह भी खाली हों तो दूसरा दरवाज़ा या खाना नं 2 को लेंगे।  

अगर वह भी खाली हों तो खाना नं 6 को देखेंगे। अगर वह भी खाली हों तो खाना नं 12 में तलाश करेंगे। अगर वह भी खाली हो तो खाना नं 8 में बैठकर देखेंगे कि आया किस्मत का ग्रह, जिसमें ऊपर की तमाम शर्तें न हों, नष्ट ही तो नही हो गया ? यह तलाश जन्म और चन्द्र कुण्डली दोनों 
से होगी। किस्मत का ग्रह बातरतीब बृहस्पति के बाद सूरज के बाद चन्द्र के बाद शुक्र के बाद मंगल के बाद बुध के बाद सनीचर के बाद राहु के बाद केतु का असर देता है।
उदहारण कुण्डलियाँ
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें।
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है।
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है।
आचार्य हेमंत अग्रवाल
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

Friday 1 May 2015

खाना नंबर 1- शाह सलामत का तख़्ते बादशाही ...

जय माता दी । 
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से……… 

प्रथम भाव (लग्न) : कुंडली के बारह भावों में से लग्न सब से महत्पूर्ण है। अन्य भावों का शुभाशुभ लग्न की बलकता पर निर्भर होता है। लाल किताब में लग्न को जीव और माया के संघर्ष का घर माना है - झगड़ा जहाँ रहे माया का ।
यह जातक की सफलता और असफलता का कारण है। जगद नियंता का सिंहासन है - ग्रह पहला है तख़्त हजारी, ग्रह फल राजा कुंडली का।
लाल किताब ने आयुष्य, मेघा और शिक्षा का घर भी लग्न को ही माना है - इल्म आयु घर पहले से।
प्रथम भाव का स्वामी मंगल और कारक सूर्य है जो सम्पूर्ण देह का प्रतिनिधित्व करता है। शास्त्रीय ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। फलतः वह भौतिक देह में शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। प्रथम भाव में सूर्य उच्च का होता है शनि नीच का होता है। 
लाल किताब के अनुसार लग्नस्थ ग्रह सप्तम को देखता है। सप्तम भाव में कोई ग्रह हुआ तो लग्नस्थ ग्रह अपनी बुरी अच्छी सब अलामत उस पर डालकर स्वय निश्चित हो जाता है। सप्तम खाली हुआ तो दृष्टा ग्रह अँधा हो जाता है। लग्न में कोई ग्रह नही हुआ तो प्रथम भाव ही अँधा हो जाता है। अंधे हुए ग्रह के फल उट पटांग ही होते है।
प्रथम भाव में दो या दो से अधिक ग्रह हों और अष्टम भाव खाली हो तो शुक्र निर्णायक का काम करता है। वही यह निर्णय करता है की किस ग्रह का कितना फल होता है ।
लग्न में चन्द्र, राहु, बुध, गुरु चारों हों और सप्तम में केतु अकेला होतो 35 वर्ष की आयु तक जातक का एक ही पुत्र जीवित रहता है। 48 वर्ष की आयु के बाद केतु (पुत्र कारक) का समय समाप्त होकर बुध (पुत्री कारक) का समय आरम्भ हो जाता है। उस समय दूसरा पुत्र सही सलामत रहता है तो पुत्री का अनिष्ट हो जाता है।
पुत्रों के जीवन और पुत्री के अनिष्ट नवारण के लिए कन्याओं को भोजन खिलाये। गाय, घोड़े और तोते को रोटी दें। इससे न केवल अनिष्ट - निवारण होगा; बल्कि चन्द्र, राहु, बुध, गुरु की युति से राजयोग बन जायगा । 
लाल किताब तरमीम शुदा 1942 में लिखा है :
’’घर पहला है तख़्त हज़ारी, ग्रह फल राजा कुण्डली का;

जोतिष में इसे लग्न भी कहते, झगड़ा जहां रूह माया का।’’

लाल किताब में कुण्डली के घर खाना नम्बर 1 को शाह सलामत का तख़्ते बादशाही कहा गया है। खुद अपना जाती जिस्म, तमाम अज़ू , वजूद, जाती कमाई, रोज़ी रोटी, सुभाओ गर्मी खुश्की व जलता हुआ (आतिषी) होगा । खुद गढ़ा हुआ (साख्ता) मकान, अपना तख़्त, चारदीवारी, मय तहके गोशे, सामान सवारी, रूह रूहानी व दिमागी ताकत, मर्दो का ताल्लुक, गुस्सा परोपकार, राज दरबार, पुरानी रसोमात व मकानात का ताल्लुक, वक्त जवानी, ज़माना हाल, मौजूदा जन्म, साथ लाया हुआ खजाना वास्ते खुद अपना जन्म, दुनिया में नाम किस हैसियत का होगा। यह मैदान (सहन) है खाना नम्बर 7 का और इस घर का न्यायकर्ता (मुन्सिफ) होगा शुक्र। बुध, सूरज, शनि, मंगल जैसा होवे वही हाल होगा। सूर्य इस घर में साथ बैठे (चाहें दोस्त हों चाहे दुश्मन) ग्रहों को मदद दिया करता है। राहु राशिफल का होगा। 

खाना नम्बर 1 में सूरज उच्च, शनि नीच और मंगल घर का ग्रह का होगा। मगर खाना नम्बर 7 में शनि उच्च, सूरज नीच और शुक्र घर का ग्रह होगा। अगर खाना नम्बर 7 खाली हो तो खाना नम्बर 1 के उच्च ग्रहों का असर शक्की ही होगा। तख़्त पर बैठा हुआ ग्रह राजा और खाना नम्बर 7 में बैठा हुआ ग्रह उसका वज़ीर होगा। अगर तख्त पर एक ग्रह और खाना नम्बर 7 में ज्यादा ग्रह बैठे हों तो राजा वज़ीरी होती है। मगर जब उल्ट हो जावे तो सातवें की जड़ कट जाती है। उदहारण के तौर पर (मसलन्) खाना नम्बर 1 में चार ग्रह बृहस्पत, चन्द्र, बुध, राहु और खाना नम्बर 7 में अकेला केतु हो तो 34 साला उम्र (बुध के समय) तक  नर औलाद गायब हो (नदारद) या पैदा होकर मरती जावे और 48 साला उम्र (केतु  के समय) तक एक ही लड़का बचे (कायम हो)। अगर 48 साला उम्र से दूसरा लड़का बच (कायम हो) जावे तो लड़की बेवा, बेईज्जत या दीगर मन्दे नतीजों से बरबाद होगी। उपाए: कुण्डली वाला अगर चार और जानों (कुत्ता, धोड़ा, गाए, कौवा, (कोई भी चार पशु-पक्षी) को रोटी का हिस्सा देवे तो नर औलाद जीवित (कायम) होगी और औलाद पैदा होने के दिन से चारो ग्रह इकट्ठे (मुश्तर्का) राजयोग होंगे वर्ना उम्दा असर की बजाये खाक या हर तरह लानत नसीब होगी। जब खाना नम्बर 1 में ज्यादा ग्रह हों तो खाना नम्बर 1 का न्यायकर्ता (मुन्सिफ) शुक्र होगा चाहे वह लग्न में ही हो, वह प्रधान (प्रथम) माना जायेगा। 
  • जिस वक्त टेवे मेे असल मंगल के अलावा बनावटी (मसनूई) मंगल नेक या बद दोनों ही मौजूद हों तो नम्बर 1 देखेगा खाना नम्बर 11 को। 
  • अगर खाना नम्बर 11 खाली हो तो खाना नम्बर 1 का ग्रह अपना असर करने के ताल्लुक में बुध की चाल पर चलेगा। 
  • जब नम्बर 8 खाली हो तो 1 वाले ग्रह की आंखों को रोकने के लिए कोई रूकावट न होगी और वह खुद ही अपनी आंखों से देखभाल करता होगा। 
  • तख़्त पर बैठे हुये ग्रहचाली हुक्मरान राजा के राजत्व (अहद) में उसके लिए खाना नम्बर 1 लैंन्स, नम्बर 8 फोक्सिंग ग्लास और नम्बर 11 रैगुलेटर होगा।  इस प्रकार लग्न से खाना नं 7, खाना नं 8 , खाना नं 11 का बाहम ताल्लुक होगा।   
राजयोग
एक ज़माना था जब राजयोग राजा महाराजा की कुण्डली में होता था। मगर आज राजे तो रहे नही, इसलिए राजयोग का रूप भी कुछ बदल सा गया है। अब राजयोग से मतलब हैं सत्ताा, मान इज्ज़त, धन दौलत, सुख सुविधा, सरकार या कारोबार में ऊँचा मरतबा वगैरह। दूसरे लफज़ों में राजयोग आदमी को खास पहचान देता है।
लाल किताब में कुण्डली के खाना नं 1 को शाह सलामत का तख्ते बादशाही और तख्त पर बैठने वाले ग्रह को राजा कहा गया है। लगन, केन्द्र में नेक हालत के ग्रह और दोस्त ग्रहों की मदद, राजयोग की
पहली निशानी है।
ग्रहों की हालत जितनी अच्छी होगी राजयोग उतना ही मज़बूत या उच्च होगा।
तख्त
'' हुई राख दुनिया है दिन रात जलती,
सिर्फ धर्म बाकी है एहसान धरती।''
सूरज खाना नं 1 होने के वक्त कुण्डली वाला समान (मानिन्द) राजा हुकमरान, ख्यालात पुराने ज़माना के और धर्म की पालना करने वाला होगा। उसके ज्यादा भाई बहन होने की शर्त न होगी। बाप की आखिरी उम्र तक पूरी सेवा और मदद करे पर अपने बेटे की तरफ से उम्मीद न रखे। बाप से बेशक दौलत मिले न मिले मगर बेटे को दौलत जमा करके ज़रूर दे जायेगा। जो उसे तबाह करने की गर्ज़ से मारेगा, वह खुद ही बर्बाद हो जायेगा। शराबखोरी व गन्दे इश्क से दूर मगर नेकी व गरीब की मदद हमेशा चाहने वाला। दो धारी तलवार की तबीयत का मालिक और जिस्म में सांप का गुस्सा। कुछ भी हो उसका रिज़क कभी बन्द न होगा और वह खुद साख्ता अमीर होगा। उम्र लम्बी और राज दरबार का साथ होगा। सफर के नेक नतीजे या सफर से दौलत पैदा करे। जिस्म के तमाम अंग आखिरी दम तक साथ देंगे। ईमानदारी से धन फलता और बरकत देगा। औलाद चाहे गिनती की हो पर सुख देगी। परोपकार, सेवा साधन और सन्तोष माया तरक्की की बुनियाद होंगे। माया दौलत खुद पैदा करेगा मगर माया का गुलाम न होगा, जब दोस्त ग्रहों की मदद हो ।
जब दोस्त ग्रह मन्दे हो तो सूरज का कोई भरोसा न होगा। वालिद बचपन में गुज़र जाये और औरत की सेहत मन्दी जब शुक्र खाना नं 7 में हो। लड़का ज़िन्दा न रहे जब मंगल खाना नं 5 में हो। औरत ज़िन्दा न रहे जब सनीचर खाना नं 8 में हो । सोया हुआ सूरज जब खाना नं 7 खाली हो तो 24 साला उम्र से पहले की शादी मुबारक। बतौर उपाय जद्दी मकान में कुदरती पानी कायम होने के 10 साल बाद किस्मत का सूरज चमकता होगा।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें। उपाय बहुत सारे है। जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप मुझसे फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली मुझे दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहता हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो और लाल किताब ज्योतिष सीखने के इच्छुक हों संपर्क करें। 

आचार्य हेमंत अग्रवाल 

ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 

फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 

फेस बुक पर आचार्य हेमंत अग्रवाल या हेमंत अग्रवाल 

ईमेल : pb02a024@gmail.com 

सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें। 

माता रानी सब को खुशीआं दे।

खाना न 12 - इन्साफ (मगर इन्साफ करने कराने की जगह नहीं) ......


जय माता दी । 
गुरुदेव जी० डी० वशिष्ट के आशीर्वाद से……… 
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
कुछ लाल किताबकार के अनुसार :
द्वादश भाव
यह कुंडली का आखिरी भाव होता है। यही एक अवतार समाप्त होकर दूसरा आरम्भ होता है। - एक जन्म से दूजा सुरु हो।
लाल किताब में द्वादश भाव को इंसाफ, आरामगाह, ख्वाब अवस्था और इन्साफ का घर कहा गया है। इस भाव के स्वामी गुरु और राहु है तथा कारक अकेला राहु है। इस भाव् से स्त्री - सुख के सम्बन्ध में विचार किया जाता है। यह व्यवस्था ज्योतिष शास्त्र से मेल नही खाती। परंपरागत ज्योतिष के अनुसार द्वादश का कारक केतु है और इस भाव से जीवात्मा की अंतिम परिणीति अर्थात मोक्ष के संबंध में विचार किया जाता है। द्वादश की अपनी दृष्टि किसी भाव पर नही होती। छटा भाव द्वादश को देखता है, किन्तु द्वादश की अपील होती है द्वितीय में - घर बारह में जो ग्रह बोले, घर दो में वो बोलता है।
लाल कितबार ने एकादश और द्वादश भावों को न्याय के स्थान कहा है। प्रथम भाव को राजा और द्वितीय को वजीर माना गया है। प्रथम भाव के ग्रह आयु पर्यन्त कुंडली के सब ग्रहों का फैसला ग्यारहवें घर में होता है और उसकी अपील प्रथम घर में होती है। 
प्रथम भाव के ग्रह की आयु समाप्त हो जाने के बाद सब ग्रहो का फैसला बारहवें भाव में होता है और उसकी अपील दूसरे घर में होती है। 
यह लाल किताबकार का उक्ति वैचित्र्य है। सीधी बात यह है कि सब ग्रहों के शुभाशुभ फल पर विचार करने के बाद जातक के जीवन की सफलता और जीवात्मा की अंतिम परिणित के सम्बन्ध में एकादश भाव की शुभअशुभता के आधार पर निर्णय करना चाहिए। उसमे भी यदि कोई अंतर्विरोध या शंका दिखाई दे तो प्रथम भाव की शुभाशुभता के आधार पर संशोधन करके अंतिम निर्णय लेना चाहिए। प्रथम भाव के ग्रह की आयु समाप्त हो जाने के बाद ये ही निर्णय द्विर्द्वादश भावों से करने चाहिए । इस अर्थ में द्वादश भाव जातक की चारित्रिक उपलब्धियों का भाव है । यदि 2 , 6 ,8 खाली न हों तो जातक सच्चरित्र होता है। 
यदि बारहवें में बैठा हुआ ग्रह आठवें में बैठे हुए ग्रह का शत्रु न हो और 2, 8 खाली न हो तो जातक प्रतिभावान होता है। 
यदि जीवन को चार भागों में विभाजित करके सम्यक अध्यन किया जाये तो यह जाना जा सकता है की जातक 1-3, 4-6, 7-9, 10 -12 भावों के मामलों में क्या क्या उपलब्धियां हासिल करेगा। 
द्वादश भाव के अनिष्ट का निवारण करने के लिए प्रथम भाव का उपचार करना चाहिए। यदि प्रथम खाली हो तो द्वितीय के ग्रहों का उपचार करना चाहिए। 
द्वादश के ग्रह से जुड़े हुए रिश्तेदार जातक को सुख आराम देते है। उन रिश्तेदारों की मृत्यु के बाद उस ग्रह की वस्तुए पास में रखने से सुख आराम मिलेगा। उदहारण से जन्म कुंडली में बारहवें भाव में बृहस्पति बैठा होतो पिता और दादा जातक को सुख आराम देंगे । उनके देहांत के बाद बृहस्पति की वस्तुए अपने पलंग के नीचे रखने से सुख मिलेगा । दूसरा भाव खाली हो और आठवें तथा बारहवें में मंदा फल देने वाले ग्रह बैठे हों तो जातक को मंदिर नही जाना चाहिए । ऐसा करने से अनिष्ट करने वाले ग्रह टकराएंगे और उनसे सम्बंधित रिश्तेदार का अनिष्ट होगा । उदाहरणार्थ आठवें में शनि हो और बारहवें में बुध हो । ये दोनों टकराएंगे तो जातक की बेटी की आँखों की बिनाई पर बुरा असर पड़ेगा क्योंकि बुध बेटी का कारक है ।
भावों से सम्बंधित पशु -पक्षी ,पेड़ -पौधे ,सम्बन्धी आदि वस्तुए अगले पोस्ट में लिखें गे। 

लाल किताब तरमीम शुदा 1942 में लिखा है : 
’’घर 12 न ग्रह जो बोले, घर 2 में वह बोलता है;
फल घर 12-2 का इकट्ठा, साधु समाधि होता है।’’
लगन से कुंडली का पक्का घर खाना नं 12 - इन्साफ (मगर इन्साफ करने कराने की जगह नहीं), आरामगाह, ख्वाब - अवस्था इंसान का सिर : 
इसी असूल के हौसला पर इन्सान 12 राशियों के 12 साल को गुज़ारता है कि आखीर कभी न कभी 12 साल के बाद ही मालिक (बृहस्पत) सुन ही लेगा और यह सच है कि 12 साल के बाद सब की अमूमन सुनी जाती है और फिर वही बृहस्पत का ज़माना बदलने को खाना नम्बर 1 का सूरज निकल आता है। कुण्डली का खाना नम्बर 12 इन्साफ (मगर इन्साफ करने कराने की जगह नहीं), आरामगाह, बृहस्पत राहू की मुश्तर्का 

बैठक है। यह मैदान (सहन) है नम्बर 6 का और 6 का न्यायकर्ता (मुन्सिफ) होगा केतु। ज़र्द नीला 

मगर जुदा जुदा, बृहस्पत की दो जहां की ताकत का फैसला राहु से होगा।
  1. कुण्डली के तमाम ग्रहों की अपील खाना नम्बर 12 पर होगी। यानि खाना नम्बर 12 का फैसला सबसे आखिरी फैसला होगा। अगर खाना नम्बर 12 के लिए खुद अपनी अपील की ज़रूरत हो तो खाना नम्बर 2 पर होगी या खाना नम्बर 12 के जाति ताल्लुक खाना नम्बर 2 का फैसला सबसे आखिरी फैसला होगा। 
  2. नम्बर 12 के लिए नम्बर 1 के ग्रह की उम्र गुज़रने के बाद नम्बर 2 अपील का काम देगा। जिसका आखिरी न्यायकर्ता (मुन्सिफ) केतु होगा। अगर नम्बर 1 खाली हो या नम्बर 1 के ग्रह की उम्र के बाद नम्बर 1 खाली हो जावे तो सब से आखिरी न्यायकर्ता (मुन्सिफ) चन्द्र होगा। लेकिन नम्बर 1 की उम्र के अन्दर अन्दर आखिरी शासक (हाकिम) हमेशा नम्बर 1 का ग्रह ही होगा।
  3. नम्बर 12 के ग्रह का सम्बंधित (मुताल्लिका) रिश्तेदार कुण्डली वाले के आराम पैदा करने के अम्बंध (ताल्लुक) में इश्वरिये (खुदाई) ताकत का मालिक होगा। जिसके बाद उस ग्रह की सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ें (अश्या) स्थापित (कायम) करने से सुख सागर होगा। उदाहरण के तौर पर (मसलन्) बृहस्पत नम्बर 12 हो तो बाप, बाबा ज़िंदा होने के वक्त तक कुण्डली वाले की रात हमेशा आराम से गुज़रेगी। उनकी मृत्यु (वफ़ात) के बाद बृहस्पत की चीज़ें (अश्या) रात के समय (बावक्त रात) स्थापित (कायम) रखना आराम देगा।
  4. नम्बर 8 मन्दा और नम्बर 2 खाली हो या जब नम्बर 12 और नम्बर 8 दोनों ही घरों में ऐसे ग्रह हों जो इकट्ठे हो जाने पर मन्दे हो जावें तो मन्दिर से दूरी बेहतर वर्ना खाना नम्बर 8-12 की मन्दी टक्कर होगी। 
  5. उदाहरण के तौर पर (मसलन्) बुध नम्बर 8 सनीचर नम्बर 12 तो लड़की की बीनाई बर्बाद जब मन्दिर में जावे। कुण्डली का खाना नम्बर 12 जि़न्दगी में आराम की हालत बतलायेगा। अगर इस खाने में कोई मन्दा ग्रह बैठ जावे तो दिन भर काम, रात को बेआराम और बिना वजह बदनाम वाला हाल होगा।
इकट्ठे (मुश्तरका) खाने : 
  1. खाना नं 6 में जब केतु को माना था तो उसका दूसरा साथी राहु खाना नं 12 में और बृहस्पत दोनों (राहु-केतु) को चलाने वाला खाना नं 2 में बैठा है 
  2. खाना नं 2 में बृहस्पत है और गुरुद्वारा इस में खाना नं 8 का असर आया।  खाना नं 8 पापी ग्रहों की (तीनो ही राहु केतु शनि की) बैठक है और खाना नं 2 सिर्फ राहु केतु की बैठक है। यानि जब खाना न 8 का असर 2 में जावे तो शनि का बुरा असर साथ लेंगे। 
  3. लेकिन जब खाना न 2 का असर खाना न 6 में जावे तो सिर्फ राहु केतु का असर चला (इसी वज़ह से खाना न 2 को शुक्र की राशि माना है। क्योंकि राहु केतु मुश्तरका सिर्फ हवाई शुक्र के घर को ही हवा का मालिक बृहस्पत सम्भाल सकता है) । 
  4. खाना न 6 से जब खाना न 12 में असर गया तो खाना न 6 में से बुध का असर भी मिला हुआ पाया जो आकाश व गोल दायरा का मालिक है। 
इस तरह खाना न 8-2-6-12 में हर तरह का झगड़ा हुआ। पाताल और आकाश में हर तरफ बुध व बृहस्पत की चारों तरफ घूम लेने वाली गांठ में शनि के चारों तरफ मार कर लेने की ताकत खड़ी हो गई। बुध और बृहस्पत ने भी सूर्य और शनि दोनों का ही साथ दिया। गो वह दोनों बुध और बृहस्पत आपस (बाहम) दुश्मन है। इन चारों तरफों की ताकत वाला खाना न 4 चन्द्र को मिला जिसमें नेकी की सिफत हुई। मंगल बद ने खाना न 4 में और शनि ने चन्द्र से जो खाना न 4 का मालिक है अपनी दुश्मनी के सुभाओ का सबूत दिया। इस चक्र के बुरे और भले हो जाने के कारण (सबब) से चन्द्र ने सब की उम्र की ताकत अपने काबू कर ली और सब की उम्र का मालिक हुआ और समय ही के सफर में अपना असर डालने की ताकत पकड़ी। 
निम्नलिखित ग्रह टेवे में चाहे किसी भी घर में इकट्ठे हों जावें तो उनके सामने दिए हुए खाना न का असर पैदा हो जायेगा। 


खाना न 9 - किस्मत का आगाज़ ....


जय माता दी ! 
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
कुछ लाल किताबकार के अनुसार "नौवा भाव भाग्य है" माना जाता है। लाल किताब में इसे अगाजे किस्मत कहा गया है। इस भाव का स्वामी बृहस्पति है, कारक भी वही है। लाल किताब में इसे गुरु की गद्दी कहा गया है। नौवे घर पर पाँचवे घर की दृष्टि होती है। नौवें की अपनी दृष्टि नही होती। नौवां भाव कर्मों का सागर है। यह द्वितीय भाव पर कर्मो की वर्षा करता है। 2 - 9 का गहरा सम्बन्ध है। नौवां भाव जब सोया हुआ होता है तो द्वितीय भाव के माध्यम से जगाया जाता है। लेकिन यह तभी संभव है जब तृतीय और पंचम भाव खाली हों। पहले तीसरे भाव का प्रभाव शामिल होता है। फिर पाँचवे भाव का प्रभावशामिल होता है तब दूसरा भाव जगता है ।
घर तीजे का असर हो पहले, बाद मिला घर पांच का हो ।
तीसरा भाव भी सोया हुआ हो तो तीन साल की आयु के बाद असर होता है। सोया हुआ ग्रह गोचर से नवम में आने के बाद सक्रिय होता है तो वह अपनी आयुष्य पर फल देना शुरू करता है और अपनी निश्चित आयु पूरी होने तक फल दिए जाता है लाल किताब में प्रत्येक ग्रह की आयु निर्धारित की गयी है। उदहारण से टेवे में गुरु दूसरे घर में हो और गोचरवशात् नवम भाव में आता हो तो वह सोलह वर्ष तक (32 वर्ष की आयु तक )फल दिए जाता है। ग्रहों की आयु के सम्बन्ध में आगे यथास्थान विचार किया जायेगा। सूर्य चन्द्र नवम भाव में हो तो सदा शुभ फल देते है। राहु - केतु भी जातक पर बुरा प्रभाव नही डालते। नवम भाव के ग्रहों की चीज़े तिलक के स्थान पर लगाने से इस भाव के अनिष्ट शांत होते है । 
’’जड़ बुनियाद ग्रह 9 होता, किस्मत का आगाज़ भी हो; 
घर दूजे पर बारिश करता, समन्दर घिरा ब्रहमण्ड भी हो।’’ 
लाल किताब के मुताबिक किस्मत का असल आगाज़ (शुरुवात) खाना नम्बर 9 का ग्रह होगा। नम्बर 9, जब नम्बर 3-5 खाली हो तो नम्बर 2 की मार्फत जाग पड़ेगा। नम्बर 9 के ग्रह की मुताल्लिका अश्या तिलक की जगह लगाने से नम्बर 9 का असर पैदा होगा।
खाना नम्बर 9 के ग्रह किस्मत के बुनियादी ग्रह होते हैं। इस खाने में खाना नम्बर 3 और खाना नम्बर 5 के ग्रहों का असर भी आ मिलता है। औलाद की पैदायश के दिन से खाना नम्बर 5 का असर न सिर्फ खाना नम्बर 9 में जाने लग जाता है बल्कि बाप बेटे की मुश्तर्का किस्मत 70-72 साला सवाल करने लग जाता है। खाना नम्बर 3 का असर कुण्डली वाले के अपने जन्म से ही खाना नम्बर 9 में मिलने लग जाता है। औलाद की पैदायश के दिन से पहले खाना नम्बर 5 का असर खाना नम्बर 9 में गया। वह बाप बेटे की मुश्तर्का किस्मत पर असर नही करता बल्कि खाना नम्बर 9 की दूसरी चीजें यानि धर्म कर्म और कुण्डली वाले के अपने बज़ुर्गो के ताल्लुक में असर रखता है। औलाद की पैदायश के दिन से खाना नम्बर 5 का असर कुण्डली वाले के अपने बज़ुर्गो की बजाये खुद कुण्डली वाले की अपनी किस्मत पर असर करता है। इसी तरह खाना नम्बर 3 का असर भाई की पैदायश के दिन से खाना नम्बर 9 में जब जायेगा तो कुण्डली वाले की अपनी जात पर असर करेगा और भाई की पैदायश से पहले कुण्डली वाले के अपने बज़ुर्गों के ताल्लुक में दखल देगा। अगर उसका भाई पहले ही मौजूद हो तो बड़े भाई की किस्मत का असर कुण्डली वाले में आयेगा। खाना नम्बर 3 की इस ताकत की वजह से मंगल की राशि नम्बर 8 मंगल बद मौत ने भी उल्टा देखा क्योंकि मंगल नेक और बद दोनों भाई ही हैं। उम्र के पहले 35 साला चक्कर में छोटा भाई भी हो और औलाद भी शुरू हो जावे तो खाना नम्बर 5 का असर खाना नम्बर 3 के असर पर प्रबल होगा। अगर खाना नम्बर 3 व नम्बर 5 दोनो ही खाली हों तो किस्मत की बुनियाद पर सिर्फ खाना नम्बर 9 के ग्रह माने जायेंगे। अगर खाना नम्बर 9 भी खाली हो तो यह शर्त ही उड़ गई। 
खाना नम्बर 5 का असर कुण्डली वाले पर उसके बुढ़ापे में होता है और खाना नम्बर 3 का बचपन से या यूं कहो कि खाना नम्बर 3 का असर उम्र के पहले 35 साला चक्कर में होता है और खाना नम्बर 5 का उम्र के दूसरे 35 साला चक्कर पर या किस्मत की बुनियाद पर उम्र के पहले 35 साला चक्कर में खाना नम्बर 3 का असर होगा और दूसरे 35 साला चक्कर में खाना नम्बर 5 का असर किस्मत की बुनियाद पर होगा। खुलासातन उम्र के दूसरे 35 साला चक्कर में खाना नम्बर 5 का असर नम्बर 3 के असर पर प्रबल होता हुआ किस्मत की बुनियाद पर होगा। हर हालत में खाना नम्बर 5 प्रबल होता है और खाना नम्बर 3 नीचे दब जाने वाला । खाना नम्बर 9 का अपना असर हर वक्त साथ होगा। पहले घरों के ग्रह बाद के घरों के ग्रहों को अपनी दृष्टि के वक्त जगा दिया करते हैं। अगर बाद के घरों में कोई ग्रह न होवे तो वह खाना सोया हुआ गिना जाता है। फर्जन खाना नम्बर 11 में कोई न कोई ग्रह मौजूद है मगर खाना नम्बर 3 खाली है तो इस हालत में खाना नम्बर 11 के ग्रह सोये हुये माने जायेंगे। जिनको जगाने के लिए किस्मत के जगाने वाले ग्रह की ज़रूरत होगी। बाद के घरों के ग्रहों के जागने के दिन से किस्मत का जागना मुराद होगी। इस तरह अगर खाना नम्बर 9 के ग्रह खास खास सालों में जागें तो खाना नम्बर 9 में दिया हुआ असर पैदा होगा। जिस साल से पहले घरों के ग्रहों का पहला दौरा शुरू, उस साल के बाद के घरों के ग्रह जाग पड़े होंगे और उस साल से पहले ग्रह सोये हुये माने जायेंगे। सालों में वर्षफल के हिसाब से शुरू हो या न हो तो भी ऊपर का फल देंगे। शुरू उम्र की तरफ से अपनी अपनी उम्र में शुरू होकर अपनी अपनी उम्र के अर्सा तक ही यानि बृहस्पत 16 साल से शुरू होकर 16 साल ही यानि 32 साला उम्र तक, सूरज 22 से 22 साल कुल 44 साला उम्र तक, सनीचर 60 से 60 साल तक कुल 120 साल तक वगैरह वगैरह ऊपर का फल देंगे। वर्षफल के हिसाब से खाना नम्बर 9 वाले का असर उसकी अपनी आमतौर पर शुरू होने की मियाद की बजाये जन्मदिन से ही शुरू होता हो तो वह ग्रह जन्मदिन से ही अपनी उम्र के अर्सा तक ही ऊपर का फल देगा यानि बुध 34 साल, मंगल 28 साल, सनीचर 60 साल वगैरह। खुलासातन खाना नम्बर 9 के तमाम ग्रह जब कभी भी शुरू होवे वह अपनी-अपनी आम उम्र की मियाद तक फल देंगे सिवाये सनीचर के जो 60 साल उम्दा फल देगा। इस तरह खाना नम्बर 9 में शुक्र या बुध और मंगल बद सबसे मन्दे और सनीचर नम्बर 9 में सबसे उत्तम और सबसे लम्बा अर्सा 60 साल का होगा। 
बृहस्पत के खाना नम्बर 9 में ऊपर दिये हुये खास खास वक्तों में जागे हुये ग्रह का असर इस तरह होगा।
  • बृहस्पत :- निहायत मुबारक
  • सूरजः- निहायत मुबारक
  • चन्द्रः- निहायत मुबारक
  • शुक्रः- मंगल बद का असर
  • मंगलः- निहायत उत्तम
  • बुधः- मंगल बद का असर
  • सनीचरः- मुबारक
  • राहुः- मुबारक खर्चा
  • केतुः- मुबारक सफर

इस घर के ग्रह शुरू उम्र में और हर एक ग्रह अपने शुरू होने के दिन से अपनी पूरी उम्र तक फल देंगे।
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
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माता रानी सब को खुशीआं दे।