Sunday 2 October 2016

निशुल्क फलादेश एवं उपाए

अधिकतम फोल्लोवेर्स और फ्रेंड्स के आग्रह पर आचार्य हेमंत अग्रवाल (गुरुदेव जी. डी. वशिस्ट द्वारा लाल किताब शिक्षित, रतन, मन्त्र, यंत्र, वैदिक एवं वास्तु शास्त्र के ज्ञाता) आज से 30 अक्टूबर 2016 तक शुभ दीपावली के उपलक्ष में निशुल्क फलादेश और उपाए देंगें। जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली आचार्य हेमंत अग्रवाल को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो तो दोपहर 02:00 बजे से सायं 07:00 तक नीचे दिए गए पते पर संपर्क करें और साथ ही जाने कि उपायों द्वारा कैसे बुरे ग्रहों के प्रभाव को कम करके आप अपने जीवन को अधिक से अधिक सुखमय बना सकते है ।हमारे पूर्वाचार्यों ने “एका क्रिया द्व्यर्थकारी प्रसिद्धा” इस क्रिया को चरितार्थ करते हुए मन्त्र, तंत्र, यंत्र-आदि की उपासना का विस्तार किया, यंत्र इनमे अति महतवपूर्ण तत्त्व है, यंत्रों की उपासना में मन्त्र और तंत्रों का भी समन्वय हो जाता है, यंत्र विद्या के प्रति प्राचीन काल में पर्याप्त श्रद्धा थी, इसका विधिवत प्रयोग होता था और उपासना द्वारा यंत्रों को सिद्ध करके बड़े से बड़े कठिन कार्य सरल बना लिए जाते थे । हमारे यहाँ नवरात्रों से लेकर दीपावली तक यंत्रों को सिद्ध एवं प्राणप्रतिष्ठा का कार्य चल रहा है, किसी भी फोल्लोवेर्स और फ्रेंड्स को अगर कोई भी यंत्र बनवाना हो तो नीचे दिए पते पर संपर्क करें ।आचार्य हेमंत अग्रवाल दूसरी मंजिल, प्लाट न 777, सेक्टर 43, डी एल एफ फेज 5, गुडगाँव दूरभाष : 8860960309Face Book Profile, Page & Group : Acharya Hemant Aggarwalईमेल : pb02a024@yahoo.com विशेष सूचना : आप की सुविधा हेतु कृपया मिलने का समय पूर्व आरक्षित करवा लें । हमारे यहाँ सभी प्रकार के शुद्ध रतन, उपरतन, यंत्र एवं उपाए सामग्री, साथ ही उच्च कोटि के ब्राह्मणों द्वारा सभी प्रकार की पूजा, प्राण प्रतिष्ठा एवं हवन सुविधा भी उपलब्ध हैं ।
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे यहाँ ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। प्रभु जगन्नाथ जी की कृपा सदा आप पर बनी रहे

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Sunday 27 September 2015

श्री जगन्नाथपुरी रथ यात्रा उत्सव




निशुल्क फलादेश एवं उपाए

अधिकतम फोल्लोवेर्स और फ्रेंड्स के आग्रह पर आचार्य हेमंत अग्रवाल (गुरुदेव जी. डी. वशिस्ट द्वारा लाल किताब शिक्षित, वैदिक एवं वास्तु शास्त्र के ज्ञाता ) आज से 06 जुलाई 2016  तक जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा समारोह  के उपलक्ष में निशुल्क फलादेश और उपाए ऑनलाइन देंगें। जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली आचार्य हेमंत अग्रवाल को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो तो सुबह 09:00 बजे से दोपहर 02:00 तक फ़ोन  पर संपर्क करें और साथ ही जाने कि उपायों द्वारा कैसे बुरे ग्रहों के प्रभाव को कम करके अपने जीवन को अधिक से अधिक सुखमय बनाया जा सकता है ।
पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर एक हिन्दू मंदिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। इस मंदिर के उद्गम से जुड़ी परंपरागत कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की इंद्रनील या नीलमणि से निर्मित मूल मूर्ति, एक अगरु वृक्ष के नीचे मिली थी। यह इतनी चकचौंध करने वाली थी, कि धर्म ने इसे पृथ्वी के नीचे छुपाना चाहा। मालवा नरेश इंद्रद्युम्न को स्वप्न में यही मूति दिखाई दी थी। तब उसने कड़ी तपस्या की और तब भगवान विष्णु ने उसे बताया कि वह पुरी के समुद्र तट पर जाये और उसे एक दारु (लकड़ी) का लठ्ठा मिलेगा। उसी लकड़ी से वह मूर्ति का निर्माण कराये। राजा ने ऐसा ही किया और उसे लकड़ी का लठ्ठा मिल भी गया। उसके बाद राजा को विष्णु और विश्वकर्मा बढ़ई कारीगर और मूर्तिकार के रूप में उसके सामने उपस्थित हुए। किंतु उन्होंने यह शर्त रखी, कि वे एक माह में मूर्ति तैयार कर देंगे, परन्तु तब तक वह एक कमरे में बंद रहेंगे और राजा या कोई भी उस कमरे के अंदर नहीं आये। माह के अंतिम दिन जब कई दिनों तक कोई भी आवाज नहीं आयी, तो उत्सुकता वश राजा ने कमरे में झांका और वह वृद्ध कारीगर द्वार खोलकर बाहर आ गया और राजा से कहा, कि मूर्तियां अभी अपूर्ण हैं, उनके हाथ अभी नहीं बने थे। राजा के अफसोस करने पर, मूर्तिकार ने बताया, कि यह सब दैववश हुआ है और यह मूर्तियां ऐसे ही स्थापित होकर पूजी जायेंगीं। तब वही तीनों जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां मंदिर में स्थापित की गयीं।

यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। इस मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवानजगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं। मध्य-काल से ही यह उत्सव अतीव हर्षोल्लस के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही यह उत्सव भारत के ढेरों वैष्णव कृष्ण मंदिरों में मनाया जाता है, एवं यात्रा निकाली जाती है। यह मंदिर वैष्णव परंपराओं और संत रामानंद से जुड़ा हुआ है। यह गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के लिये खास महत्व रखता है। इस पंथ के संस्थापक श्री चैतन्य महाप्रभु भगवान की ओर आकर्षित हुए थे और कई वर्षों तक पुरी में रहे भी थे। ऐसी ही यात्रा का भव्य आयोजन गुडगाँव में भी किया जाता है।



आचार्य हेमंत अग्रवाल 

ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक 1, गुडगाँव 

दूरभाष : 0124-2572165
Face Book Profile, Page & Group : Acharya Hemant Aggarwal
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव  में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। प्रभु जगन्नाथ जी  की कृपा सदा आप पर बनी रहे ।
विशेष सूचना : जो भी श्रदालु इस उत्सव में अपना सहयोग देना चाहता हो वह ऊपर दिए फ़ोन नंबर पर संपर्क करें।

Monday 27 July 2015

राहू देव के दुष्प्रभाव एवं उपाए

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
जिस प्रकार उल्लू पर पर सवार लक्ष्मी तामसी है, कार्तिक की अमावस्या को उसका पूजन होता है, उसी प्रकार सप्तशती के अनुसार महाकाली से शिव  शारदा तामसी पैदा हुए थे। यह तामसी ब्रह्मा को दी गई। यही तामसी सरस्वती (शारदा) हमारी बुद्धि में बुरे विचार पैदा करती है और बुरे कर्म कराती है। इसी के कारण ब्रह्मा जीव को जन्म - मरण के चक्र में चलाते रहते हैं। 
राहु सिर है, अतः बुद्धि और विचारों के संकल्पों - विकल्पों का केंद्र है और शारदा (सरस्वती) बुद्धि की अधिष्ठात्री है। इसीलिए वह राहु की भी अधिष्ठात्री है। लाल किताब के अनुसार दिमाग के 42 खाने राहु से प्रेरित है। राहु - केतु ग्रहों के शुभ - अशुभ योग से अच्छे या बुरे होते हैं अन्यथा राहु गरीबों का सहायक और मुसाफिरों का पथ प्रदर्शक है। 
आज मैं आप लोगों को राहू देव के विषय में कुछ रोचक जानकारी दे रहा हूँ । मित्रो जिस जातक की जन्म कुंडली में राहू देव कुंडली के घर 2 में होते हैं, तब रुपया पैसा की कमी, ससुराल से बनती नही, बिगड़ जाती है, परिवार छोटा होता है। मन्दिर में चढ़ाया पैसा नुकसान देता है। ईशान कोण की तरफ मुँह करके पूजा पाठ किया जाये तो बर्बाद कर देता है और बचपन से ही गरीबी में गुजारा चल रहा होता है, अगर शनि देव भी अच्छे हाल में ना हों, ऐसा क्यूं होता है, मैं आपको तर्क के साथ बताता हूँ।
तर्क पर गौर करें, हमारी जन्म कुंडली में घर 2 ससुराल, धन स्थान, कुटुंब, ईशान कोण और धर्म स्थान माना जाता है। अब दूसरी बात ध्यान से समझो घर 2 को गुरु देव ब्रह्स्पति का पक्का घर माना है। क्योंकि घर दो धर्म स्थान, धन स्थान और कुटुंब स्थान माना जाता है और इन सब सुखों पर ब्रह्स्पति देव का अधिकार है, इस कारण घर 2 में ब्रह्स्पति अच्छा फल देते हैं और घर 2 को ब्रह्स्पति का पक्का घर माना जाता है और घर 2 को शुक्र का भी पक्का घर माना जाता है क्योंकि काल पुरुष कुंडली के अनुसार घर दो में शुक्र की राशि पड़ती है।
इसी प्रकार से दूसरी बात भी समझें काल पुरुष कुंडली के अनुसार घर 2 में वृषभ राशि आती है क्योंकि लग्न मेष राशि का होता है। तो घर 2 वृषभ राशि और वृषभ राशि पर शुक्र देव का अधिकार है। इसको दुसरे तरीके से समझे। घर 2 में शुक्र की जमीन पर ब्रह्स्पति का मकान (राशि शुक्र की और पक्का घर ब्रह्स्पति का) और राहू देव बृहस्पति और शुक्र दोनों के जानी दुश्मन हैं। तो इन दोनों, ब्रह्स्पति और शुक का पित्र दोष बन जाता है।  
अब घर 2 के अन्य सुखों के विषय को समझें। राहू घर 2 में दोनों मालिकों ब्रह्स्पति और शुक्र का जानी दुश्मन है और पापी ग्रह भी है, राक्षस प्रवर्ति भी है, राहू देव के बारे में ये भी ध्यान रखें की राहू का स्वभाव कैसा है। हकीकत में मित्रो राहू देव अलगाव बादी ग्रह है। जँहा बैठेंगे और जँहा देखेंगे वहां के सुखों को आग लगाने या तबाह करने का काम करते है।
अब गौर करो कि राहू अपने स्वभाव बस घर 2 के सुखो को आग ही लगायेगें। साथ ही ब्रह्स्पति और शुक्र के सुखों को भी आग ही लगाएंगे क्योंकि राहू देव ब्रह्स्पति और शुक्र से दुश्मनी रखते हैं। दूसरी बात पर और ध्यान दें ब्रह्स्पति और शुक्र सात्विक और नरम ग्रह होने के कारण राहू जैसे पापी और तामसिक ग्रह से मुकाबला नही कर सकते। कारण भी है ज्ञानी व्यक्ति बुरे और दुराचारी व्यक्ति से दूर रहने में ही भलाई समझता है।
मित्रो यंहा पर मैं आप सभी को एक बात और बता दूँ कि घर 2 ससुराल के सुखों का भी होता है और ससुराल का कारक ग्रह स्वयं राहू देव ही होते हैं और राहू देव घर 2 में हों तो ससुराल से सम्बन्ध खराब करवा देते हैं। सोचो आप सभी, राहू खुद ही अपने सुखों पर भी आग ही उड़ेल देते हैं, क्यूं, कभी आप भी सोचना जरूर, यहाँ पर मैं बता देता हूँ, पाप तत्व, जी हाँ, मित्रो राहू देव के स्वभाव में तामसिकता और पाप तत्व ज्यादा मात्रा में है। इस कारण बुरा करते समय उन्हें खुद ही नही पता होता कि क्या कर रहे हैं। लेकिन सावधानी के तौर पर ससुराल से अच्छे सम्बन्ध बनाये जाएँ तो राहू देव की बुरी शरारतों से कुछ बचाव सम्भव है।
अब एक और तरीके से समझने की कोशिस करें, पूजा पाठ, अध्यात्म, मन्दिर, रुपया पैसा, घर का ईशान कोण अक्सर वहां पर मन्दिर बना होता है, हमारे परिवार के सदस्यों में बढ़ोत्तरी, ये सब ब्रह्स्पति देव के गुण हैं और जब ब्रह्स्पति के साथ या उनके घरों में उनके दुश्मन ग्रह ना हों तब ही ब्रह्स्पति अपने सुखों को खुल के भोगने देंगे। अगर ब्रह्स्पति देव के साथ या उनके घरों में उनके दुश्मन होंगे तो ब्रह्स्पति कैसे हमारे जीवन में खुशियाँ लाएंगे। 
मित्रो आपकी जन्म कुंडली में राहू देव कितने भी अच्छे हाल बैठे हो तब भी उनसे सम्बंधित सामान घर में या तन पर नही रखना चाहिए। जबकि अन्य ग्रहों में ऐसा नियम नही है। अन्य ग्रह अच्छे हों तो उनसे सम्बंधित सामान घर और तन पर धारण करने से उनके अच्छे फल मिलते हैं। लेकिन राहू देव अच्छे हों या बुरे पर उनसे सम्बंधित सामान से दूर ही रहें।
राहू का सामान जैसे बिजली का खराब सामान, बन्द घड़ियां, खोटे सिक्के, विदेशी करन्सी, बिना ताले की चाबियां, बिना चाबी के ताले, बारिश की भीगी लकड़ी, कीलें, नट बोल्ट, पुरानी डाक टिकट या अन्य किसी भी प्रकार का कबाड़ जो इस्तेमाल में ना आ रहा हो, जो हमे अपने घर पर नही रखना चाहिये और राहू के नीले रंग के कपडे इस्तेमाल नही करने चाहिए ।
अपने घर की छत को हमेशा साफ रखें। घर की सीढ़ियों के ऊपर या नीचे कैसा भी अच्छा या बुरा सामान कभी भी ना रखें। कटे फ़टे और गन्दे बिस्तर का उपयोग ना करें। साबुन या सर्फ में भीगे कपड़े रात को स्नानघर में ना छोड़ें। बाथरूम्स एवं टॉयलेट्स को एकदम साफ सुथरा और खुशबूदार रखें। रात के झूठे बर्तन साथ के साथ साफ करें उन्हें सुबह के लिए ना छोड़े। इसके अतिरिक्त राहू देव का रंग गहरा नीला होता है। इसलिए नीले रंग के कपड़े ना डालें और घर के पर्दे तकिये बिस्तर आदि का रंग भी नीला ना रखें।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

Tuesday 16 June 2015

केतु - दरवेश आकबत अन्देश

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आज मैं केतु देव के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ। इस पोस्ट में मैं केतु देव के कुंडली में अलग अलग घरों में अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताऊँगा। अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों या केतु देव से सम्बंधित निचे लिखे हुए हालत हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें।
लाल किताब के मुताबिक राहु केतु दोनों पापी ग्रह हैं। राहु खुफिया पाप तो केतु ज़ाहिरा पाप है। सूरज डूबने के बाद शाम मगर शनि की रात शुरू होने से पहले का वक्त राहु और रात खत्म होने के बाद सुबह मगर सूरज निकलने से पहले का वक्त केतु है। राहु सिर का साया तो केतु सिर के बिना धड़ (जिस्म) का साया है। लेकिन इन्सानी जिस्म में नाभि के ऊपर सिर की तरफ का हिस्सा राहु का राज्य और नाभि के नीचे पांव की तरफ के हिस्से पर केतु का राज होगा। राहु कुंडली के खाना नं 12 में आसमानी हद बृहस्पाति के साथ मुकर्र हुआ तो केतु खाना नं 6 पाताल के बुध का साथी हुआ। दोनों की मुश्तरका बैठक कुंडली का खाना नं 2 है। दोनों के बाहम मिलने की जगह शारा आम यानि जिस जगह दो तरफ से आकर रास्ता बन्द हो जाता हो, वहां दोनों ग्रहों का ज़रूर मंदा असर या दोनों मन्दे या पाप की वारदातें या नाहक तोहमत और बदनामी के वाक्यात या ग्रहस्थी के बेगुनाह धक्के लग रहे होंगे। लाल किताब के मुताबिक:-
'' केतु कुत्ता हो पापी घड़ी का, चाबी राहु जा बनता हो।
चन्द्र सूरज से भेद हो खुलता, ज़ेर शनि दो होता हो ॥''
राहु केतु हमेशा बुध (घड़ी) के दायरे में घूमते हैं। अगर यह देखना हो कि राहु कैसा है तो चन्द्र का उपाय करें यानि खालिस चांदी का टुकड़ा अपने पास रखें और केतु की नीयत का पता लगाने के लिये सूरज का उपायें करें यानि सुर्ख तांबा अपने पास रखें। इस तरह दोनों ग्रहों का दिली पाप खुद व खुद पकड़ा जायेगा। यानि उस ग्रह के ताल्लुक के वाक्यात होने लगेगें। राहु और केतु में से अगर कोई भी खाना नं 8 में हो तो शनि भी उस वक्त खाना नं 8 में गिना जायेगा। यानि जैसा शनि वैसा ही फैसला समझा जायेगा। अगर राहु केतु दोनों खराब असर करना शुरू कर दें तो राहु 42 साल और केतु 48 साल तक और दोनो मुश्तरका 45 साल का मन्दा असर कर सकतें हैं। कुंडली में सूरज राहु मुश्तरका से सूरज ग्रहण और चन्द्र केतु मुश्तरका से चन्द्र ग्रहण होगा। लिहाज़ा ग्रहण से राहु केतु के मन्दे असर का ज़माना लम्बा हो सकता है। जिसके लिये ग्रहण के वक्त और वैसे भी पापी ग्रहों की चीज़ें (नारियल वगैरह) चलते पानी (दरिया या नदी) में बहाते रहना मददगार होगा।
लाल किताब में केतु को 'दरवेश' माना गया है। इसका सम्बन्ध इस लोक से कम, परलोक से ज्यादा है। केतु इस भव सागर से मुक्ति/मोक्ष/निर्वाण का प्रतीक है। केतु दया का सन्देश वाहक है, यात्राओं का कारक है और जीवन यात्रा के गंतव्य तक जातक का सहायक है। बृहस्पत, मंगल बद और बुध तीनों ही केतु के सम है। लाल किताब के अनुसार ये केतु के भाग है। केतु में तीन कुत्ते समाहित है। लाल किताब के अनुसार ये तीन केतु के भाग है। केतु के तीन कुत्ते है: बहिन के घर भाई कुत्ता, ससुराल में जमाई और मामा के घर भांजा कुत्ता। केतु का पालतू कुत्ता काले और सफ़ेद रंग का है। सफ़ेद रंग दिन का प्रतीक है और काला रात्रि का। इसका तात्पर्य यह हुआ कि केतु दिवा - रात्रि - बलि है, जबकि अन्य ग्रह या तो दिवा बलि होते है या केवल रात्रि बलि होते है। उसमे यदि कहीं लाल रंग है तो वह बुध का प्रतीक है। ऐसे कुत्ते के फल बुध वाले होते है और फलों की अवधि केतु निर्दिष्ट समय तक होती है ।
जब केतु बुरे फल देना शुरू करे तो जातक को शोर नही मचाना चाहिए। मन की व्यथा मन में ही रखें। जैसा कवि रहीम ने कहा है।
रहिमन निज की व्यथा मन ही राखौ गोय।
सुनि अठिलैहे लोक सब ,बांटी न लेहे कोय।
रहीम मिया तो कहते है की व्यथा कथा सुनकर लोग हसेंगे। लाल किताब कहती है कि आप केतु की दी हुई पीड़ा दूसरों के सामने प्रकट करेंगे तो केतु और मरेगा और जोर से मारेगा। दशमस्थ ग्रहों को ध्यान से देखने पर केतु के कहर की पूर्व सुचना निश्चित रूप से मिल जाती है ।
केतु की दी हुई पीड़ा से जातक का स्वास्थ्य प्रभावित हो चन्द्रमा के उपाए सहायक होते है। कभी कभी केतु नर संतान को कष्ट देता है। ऐसा होने पर मंदिर में कम्बल दान करें। केतु के प्रभाव से पाव के पंजे में या पेशाब नलिका में रोग/पीड़ा हो तो दोनों पावों के अंगूठे पर रेशमी धागे बांधने चाहिए।
लाल किताब की नयी मान्यता (उद्भावना) के अनुसार केतु खटिया भी है। विवाह के समय जो पलंग मिलता है उसपे केतु का स्वामित्व माना गया है। प्रसूति के समय स्त्री को इसी पलंग का इस्तमाल करना चाहिए। ऐसा करने पर केतु बच्चे पर दुष्प्रभाव नही डालता।
जब केतु क्षुभित/पीड़ित होता है तो दूसरे ग्रहों पर भी बुरा असर डालता है। केतु का राहु या शनि से युति दृष्टि सम्बन्ध होने पर वह पापी बन जाता है। राहु केतु युक्ति निश्चय ही असंभव है, किन्तु नकली राहु (जिन ग्रहों के मेल से नकली राहु बनता है वे ग्रह) तो केतु के साथ उसी भाव में बैठा हो सकता है। केतु दुष्ट/पीड़ित होने पर भी मारक नही होता। वह किसी सम्बन्धी की मृत्यु का कारण नही होता। वह अन्य प्रकार के कष्ट देता है। पापी होने पर केतु प्राय घर को, घर की स्त्रियों को और बच्चों को पीड़ित करता है।
जब रवि या गुरु अपने शत्रु ग्रहों द्वारा पीड़ित होते है तो वे केतु के अशुभ फल उत्पन्न करते है। जब केतु अशुभ होता है तो वह प्राय बच्चों को कष्ट देता है। फलतः बच्चों को सूखा रोग हो जाये तो नदी आदि जलाशयों से कीचड लीजिये और बच्चे के सारे शरीर पर लपेट दीजिये। वह जब सुख जाये तो बच्चे को नहलाये। लगातार 43 दिन तक यह उपाए करें। बच्चा ठीक हो जायेगा। 

केतु:- दरवेश आकबत अन्देश
दुनिया की आवाज़ दरगाह में पहुंचाने वाला दरवेश कुत्ता,
मौत के यम की आमद पहले बताये। 
दुनियावी कारोबार के हल करने के लिये इधर उधर सलाह मशवरे के लिये दौड़ धूप का 48 साला उम्र का ज़माना केतु का दौर दौरा है। ज़र्द बृहस्पति, सुर्ख मंगल, अण्डे का रंग बुध तीनों ग्रहों का मजमुआ केतु तीनो ही ज़मानों का मालिक होगा। जान से मारने की बजाये आखिर कब्र तक (चारपाई, तख्ता) मदद होगा। केतु नेकी का फरिशता, सफर का मलिक और आखीर तक मदद देने वाला ग्रह है। केतु से मुराद सफेद व काला दो रंगा कुत्ता है। कुत्तिया का नर बच्चा जो एक ही पैदा हुआ हो, खानदानी नस्ल कायम कर जायेगा।
1. मन्दे केतु के वक्त अपनी कमज़ोरी दूसरों को बताना, दूसरों के आगे रोना और भी मन्दी मुसीबत देगा। बृहस्पति का उपाय मददगार होगा।
2. मन्दी सेहत के वक्त चन्द्र का उपाय मददगार मगर लड़का मन्दा हो तो धर्म स्थान में काला व सफेद कम्बल देना मुबारक होगा।
3. पांव या पेशाब की तकलीफ के वक्त पांवों के दोनों अगूंठों में खालिस रेशम का सफेद धागा बांधना या चांदी छल्ला डालना मददगार साबित होगा।
4. केतु की चारपाई भी मानी गई है। मगर ग्रहचाल में चूंकि केतु को शुक्र का फल माना है इसलिये चारपाई दरअसल वह जो शादी के वक्त दहेज में मामा या माता पिता की तरफ से लड़की को बतौर दान दी गई हो। ऐसी चारपाई को औलाद की पैदायश के लिये इस्तेमाल करना उत्ताम फल देगा चाहे केतु कुंडली में कितना भी नीच मन्दा या बर्बाद ही क्यों न हो। जब तक वह चारपाई घर में मौजूद और इस्तेमाल में रहे, केतु का फल कभी मन्दा ना होगा। 
5. मन्दी हालत में केतु दुनिया का धोखेबाज छलावा होगा। जब तक बुध अच्छा, केतु बर्बाद ही होगा। केतु का मकान, बच्चे व औरत जात की हालत मन्दी ही रखेगा। बृहस्पति या सूरज जब दुश्मन ग्रहों से खुद ही मर रहे हों तो केतु बर्बाद होगा। केतु मन्दे के वक्त खासकर जब कुंडली में चन्द्र और शुक्र इकट्ठे हो रहे हों तो बच्चे का जिस्म सूखने लग जाता है। ऐसे वक्त में बच्चे के जिस्म पर दरिया, नदी, नाले की मिट्टी, मुलतानी मिट्टी या गाचनी मलकर खुश्क होने दें। जब कुछ अर्सा हो जाये तो बच्चे को मौसम के मुताबिक सर्द या गर्म पानी से नहलाकर साफ कर देवें। ऐसा 40-43 दिन लगातार करने से जिस्म का सूखना ठीक हो जायेगा।
अलग अलग भावों में केतु के दुष्प्रभाव को कम करने के कुछ उपाए :
लग्न - 
  • काला या सफ़ेद कुत्ता पाले या ऎसे कुत्ते की देखभाल करें।
  • गली के आखिरी मकान में न रहें।
  • चन्द्रमा के निर्दिष्ट उपचार करें।
  • लाल रंग का रुमाल /कपडा जेब में रखें।
द्वितीय भाव - 
  • सदाचार का निरंतर पालन करते रहें।
  • नौ वर्ष की आयु से कम की कन्याओं की सेवा करें।
तृतीय भाव - 
  • यात्रा में दुर्घटना और नुकसान से बचे रहने के लिए सूर्य और चन्द्रमा से सम्बंधित चीज़ें बहते पानी में डालें।
  • सोना पहनें।
  • गुरु की वस्तुएँ बहते पानी में डालें।
चतुर्थ भाव - 
  • पुजालयो में गुरु की वस्तुओं का दान करें।
  • कुल -पुरोहित की सेवा करें।
पंचम भाव - 
  • पूजा पाठादि द्वारा गुरु की शांति करें।
  • शनि की वस्तुए बंद करके न रखें। लोहे के संदूक खुले रखें । दरवाजों में लोहे के ताले न लगाये।
षष्ठ भाव - 
  • दहेज़ में मिली हुई अंगूठी बायें हाथ में पहनें।
  • पंचम भाव में दिए गए उपचार इस भाव में भी करें।
सप्तम भाव - 
  • इंधन के चार चार टुकड़े चार दिन तक बहते पानी में डालें।
  • चार दिन तक प्रतिदिन चार चार निम्बू बहते पानी में डालने
अष्टम भाव - 
  • पुजलायो में काले सफ़ेद रंग के कपडे पहनें।
  • एक ही भाव में स्थित ग्रहों के साथ साथ काले धोले रंग के कम्बलों के टुकड़े शमशान भूमि में दबाएं।
नवम भाव - 
  • टॉप्स या बालियों के रूप में कानों में सोना पहने। 
  • 48 वर्ष की आयु के बाद घर में कुत्ता पाले।
  • चांदी के बर्तन में शहद रखें।
  • अच्छा व्यव्हार और अच्छा चाल - चलन रखें।
एकादश भाव - 
  • काला कुत्ता पालकर रखें।
द्वादश भाव - 
  • अंगूठे को दूध में डुबोकर चूसें/(यदि कोई पुत्र न हो तो ये न करें )
  • काला धोला कुत्ता पालें।
सामान्य उपचार सब भावों के लिए -
  • गणेश चतुर्थी और गणेश पूजा के दिन उपवास रखें ।
  • तिल ,नीम्बू और केले दान करें ।
  • घर में काला धोला पालें या ऐसे कुत्ते की सेवा करें ।
  • अच्छा व्यव्हार और चाल चलन बनाये रखें ।
  • नौ वर्ष से कम की आयु की कन्याओं को खट्टी चीज़ें दें ।
  • काले धोले तिल बहते पानी में डालें ।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

Monday 15 June 2015

राहु - रहनुमाए गरीबां मुसाफिरां ......

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आज मैं राहु देव के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ। इस पोस्ट में मैं राहु देव के कुंडली में अलग अलग घरों में अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताऊँगा। अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों या राहु से सम्बंधित निचे लिखे हुए हालत हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें।
लाल किताब के मुताबिक राहु केतु दोनों पापी ग्रह हैं। राहु खुफिया पाप तो केतु ज़ाहिरा पाप है। सूरज डूबने के बाद शाम मगर शनि की रात शुरू होने से पहले का वक्त राहु और रात खत्म होने के बाद सुबह मगर सूरज निकलने से पहले का वक्त केतु है। राहु सिर का साया तो केतु सिर के बिना धड़ (जिस्म) का साया है। लेकिन इन्सानी जिस्म में नाभि के ऊपर सिर की तरफ का हिस्सा राहु का राज्य और नाभि के नीचे पांव की तरफ के हिस्से पर केतु का राज होगा। राहु कुंडली के खाना नं 12 में आसमानी हद बृहस्पाति के साथ मुकर्र हुआ तो केतु खाना नं 6 पाताल के बुध का साथी हुआ। दोनों की मुश्तरका बैठक कुंडली का खाना नं 2 है। दोनों के बाहम मिलने की जगह शारा आम यानि जिस जगह दो तरफ से आकर रास्ता बन्द हो जाता हो, वहां दोनों ग्रहों का ज़रूर मंदा असर या दोनों मन्दे या पाप की वारदातें या नाहक तोहमत और बदनामी के वाक्यात या ग्रहस्थी के बेगुनाह धक्के लग रहे होंगे। लाल किताब के मुताबिक:-
'' केतु कुत्ता हो पापी घड़ी का, चाबी राहु जा बनता हो।
चन्द्र सूरज से भेद हो खुलता, ज़ेर शनि दो होता हो ॥''
राहु केतु हमेशा बुध (घड़ी) के दायरे में घूमते हैं। अगर यह देखना हो कि राहु कैसा है तो चन्द्र का उपाय करें यानि खालिस चांदी का टुकड़ा अपने पास रखें और केतु की नीयत का पता लगाने के लिये सूरज का उपायें करें यानि सुर्ख तांबा अपने पास रखें। इस तरह दोनों ग्रहों का दिली पाप खुद व खुद पकड़ा जायेगा। यानि उस ग्रह के ताल्लुक के वाक्यात होने लगेगें। राहु और केतु में से अगर कोई भी खाना नं 8 में हो तो शनि भी उस वक्त खाना नं 8 में गिना जायेगा। यानि जैसा शनि वैसा ही फैसला समझा जायेगा। अगर राहु केतु दोनों खराब असर करना शुरू कर दें तो राहु 42 साल और केतु 48 साल तक और दोनो मुश्तरका 45 साल का मन्दा असर कर सकतें हैं। कुंडली में सूरज राहु मुश्तरका से सूरज ग्रहण और चन्द्र केतु मुश्तरका से चन्द्र ग्रहण होगा। लिहाज़ा ग्रहण से राहु केतु के मन्दे असर का ज़माना लम्बा हो सकता है। जिसके लिये ग्रहण के वक्त और वैसे भी पापी ग्रहों की चीज़ें (नारियल वगैरह) चलते पानी (दरिया या नदी) में बहाते रहना मददगार होगा।
राहु चन्द्रमा का पात है। अंग्रेजी में इसकी संज्ञा ड्रैगन्स हेड (सांप के फन) से है। लाल किताब में इसे यही नाम दिया गया है। इसे शनि का एजेंट (प्रतिनिधि) कहा गया है। लाल किताब की मान्यता के अनुसार शनि एक विशालकाय सांप है और राहु उसका फन है। इससे संकेतित होता है की राहु दुष्ट ग्रह है। 
राहु का रंग नीला माना गया है। नीला आकाश और नीला समुद्र राहु के अधिकार छेत्र में आते है। गुरु को हवा या पंख माना गया है जो ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर सतत प्रवाहमान है। द्वादशेश गुरु के साथ द्वादश में ही राहु भी हो तो वह गुरु से बलवत्तर हो जाता है। तब गुरु पूर्णतः सांसारिक मनुष्य बन जाता है। राहु उसे ऊंचाइयों पर नही जाने देता। राहु इतना शक्तिशाली ग्रह है कि सारा संसार उसके कदमों में है। जबतक चतुर्थ भाव या चन्द्रमा क्षुब्द्ध /पीड़ित न हो तब तक राहु अशुभ फल नही देता।
जब मंगल 12 या 3 में हो, सूर्य और बुध तृतीय में हो या राहु स्वय चतुर्थ में हो तब राहु का फल शुभ होता है। जब तक राहु का बुध से युति /दृष्टि सम्बन्ध हो तब तक राहु शुभ फल देता है। राहु यदि शनि से पूर्ववर्ती भावों में है तो शनि उसके निर्देशानुसार फल देता है। यदि राहु से पूर्ववर्ती शनि हुआ तो शनि के आदेशानुसार राहु फल देता है। वह चन्द्रमा को पीड़ित करता है। किन्तु वे दोनों एक ही भाव में हो तो ऐसा नही करता। यदि राहु अशुभ दुष्ट हुआ तो उसके अशुभ फल जातक की आयु के 42 वे वर्ष तक रहता है। जब सूर्य और शनि किसी घर में एक साथ गोचर करते है तब राहु प्राय अशुभ ही रहता है ऐसी स्तिथि में मंगल भी बद हो जाता है। 
यदि राहु अपने शत्रुओं (सूर्य, मंगल, शुक्र) के साथ साथ केतु पर दृष्टि पात करे तो जातक के नर बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। केतु से सम्बंधित सम्बन्धी और पदार्थ भी प्रभावित करते है। यदि राहु सूर्य से युक्त/दृस्ट हो तो वह जिस भाव में स्थित होता है उस भाव का फल विकृत कर देता है। इतना ही नही, उससे आगे वाले भाव को भी प्रभावित करके दूषित कर देता है। जब राहु का दुष्प्रभाव चल रहा हो तब घर के दक्षिणी द्वार से बड़े बड़े अनर्थ होते है। अतः घर का द्वार दक्षिणोन्मुख होना ही नही चाहिए।
जब राहु का दुष्प्रभाव हो तब निम्नलिखित उपाय करके निजात पायी जा सकती हे ।
  1. मानसिक शांति भंग हुई हो तो चांदी के उपाए करने चाहिए। चांदी का छल्ला पहनना चाहिए, चांदी का टुकड़ा जमीन में दबाना, घर में रखना, चांदी किसी न किसी रूप में अपने पास रखनी चाहिए।
  2. सफाई कर्मचारी को लाल मसूर की दाल दें। उसकी हर तरह से सहायता करें।
  3. बीमार आदमी के बराबर गेहू या जौ तोले। फिर उसे बहते पानी में डाल दें।
  4. पलंग नीचे रातको सोते समय जौ रखें। सुबह उठकर उन्हें गरीब को दे दें। 
  5. सरकार के साथ व्यापारिक समस्याओं के समाधान के लिए जातक के वज़न बराबर लकड़ी, कोयला आदि बहते पानी में डालें।
ग्रहों के पेंतीस साला दौरे में राहु के 6 वर्ष। सरस्वती इसकी अधिस्ठात्री देवी है। सीसा इसकी धातु और गोमेद रत्न है। जौ, सरसों, मूली राहु के भोज्य पदार्थ है। स्मृति और कल्पना इसके गुण है। बिजली के यंत्र, मशीन, नीला रंग शौचालय, चिमनी और पेंट - पजामे राहु के अधिकार छेत्र में आते। राहु सास ससुर और माता का कारक।
लाल किताबकार के अनुसार 
राहु :- रहनुमाए गरीबां मुसाफिरां ।
मस्त हाथी ज़िन्दा (नीच) कीमत एक लाख, मुर्दा (उच्च) सवा लाख ।
दुनियां के फर्ज़ी अन्देशे की सोच विचार और जागते हुये ही इन्सानी दिमाग में ख्वाबी लहर और क्यासी ख्यालात की नकल व हरकत का 42 साला उम्र का ज़माना राहु का अहद है। सब कुछ होते हुये कुछ भी न होना राहु शरीफ़ की असलियत है। दिमागी लहर का मालिक सब दुश्मनों से बचाव और उनका नाश करने वाला माना गया है। उत्तम असर के वक्त चोट लगने से नीला रंग हो चुके जिस्म को फूंक से ही तन्दरूस्त करने वाला मानिंद हाथी मगर सफेद रंग का । राहु जिसकी मदद पर हो जाये कुल दुनिया का सिर उसके सामने झुक जाये। कुंडली में अगर मंगल शनि मुश्तरका या राहु अकेला खाना नं 4 में या चन्द्र उत्तम हो या मंगल खाना नं 12 में हो तो राहु मन्दा असर न देगा। अगर राहु कुण्डली में शनि के बाद के घरों में बैठा हो तो शनि से हुकम लेकर काम करेगा। लेकिन जब शनि से पहले घरों में हो तो खुद हाकिम होगा और शनि को हुक्म देगा।
राहु मन्दे के वक्त इसका मन्दा असर राहु की कुल मियाद 42 साला उम्र के पूरा होने पर दूर होगा। फालतू धन दौलत, दुनियावी आराम व बरकत 42 के बाद फौरन बहाल हाेंगे। कड़कती हुई बिजली, भूचाल, आतिशी खेज़ मादा पाप की एजेन्सी में बदी का मालिक हर मन्दे काम में मौत का बहाना घड़ने वाली ताकत, ठगी, चोरी और अयारी का सरगना चोट मारके नीला रंग कर देने वाली गैबी लहर का नामी फ़रिशता कभी छिपा नही रहता। कुंडली में सूरज शुक्र मुश्तरका होंतो राहु अमूमन मन्दा असर देगा। अगर सूरज शनि मुश्तरका और मन्दे हों तो राहु नीच फल बल्कि मंगल भी मंगल बद ही होगा। अगर केतु पहले घरों में और राहु बाद के घरों में हो तो राहु का असर मन्दा और केतु सिफर होगा। अगर राहु अपने दुश्मन ग्रहों (सूरज, शुक्र, मंगल) को साथ लेकर केतु को देखे तो नर औलाद, केतु की चीज़ें, कारोबार या रिश्तेदार मतल्का केतु बर्बाद होंगे। सूरज की दृष्टि या साथ से राहु का असर न सिर्फ बैठा होने वाले घर पर मन्दा होगा बल्कि साथ लगता हुआ घर भी बर्बाद होगा। मन्दे राहु के वक्त दक्षिण के दरवाज़े का साथ न सिफ माली नुक्सान देगा बल्कि इसका ताकतवार हाथी भी मामली चींटी से मर जायेगा। मन्दे राहु के वक्त यानि जब बुखार, दुनियावी दुश्मन या अचानक उलझन पर उलझन खड़ी होती जाये तो:-

  • चांदी का उपाये मददगार जब दिल की शांति बरबाद हो रही हो।
  • मसूर की दाल सुर्ख रंग दली हुई, भंगी को सुबह देवें या वैसे ही भंगी को पैसे की खैरात करते रहें।
  • मरीज के वज़न के बराबर जौं (अनाज, कनक) चलते पानी में बहा देवें।
  • जौं रात को सिरहाने रखकर सुबह जानवरों या गरीबों में तकसीम करदें।
  • राज दरबार या व्यापार के आये दिन झगड़े और नुकसानों के वक्त अपने जिस्म के वज़न के बराबर कच्चे कोयले दरिया में बहाना मदद देगा। 
अलग अलग भावों में राहु के दुष्प्रभाव को कम करने के कुछ उपाए :
लग्न - 
  • गेहूँ, गुड और कांसा मंदिर में दान करें।
  • चांदी का चौकोर टुकड़ा गर्दन में बांधे। उसकी मोटाई सब जगह बराबर होनी चाहिए।
  • दूध से स्नान करें।
द्वितीय भाव - 
  • जेब में चांदी की छोटी छोटी गोलियां रखें।
  • ललाट पर हल्दी या केसर का तिलक लगाये।
  • सोने के गहने पहने।
तृतीय भाव - 
  • हाथी दन्त की बनी हुई चीज़े अपने पास रखें।
  • चन्द्रमा के लिए निर्दिष्ट उपचार करें।
चतुर्थ भाव - 
  • हरिद्धार जाकर गंगा स्नान करें।
  • घर में और घर की दीवारों के पास पानी जमा न होने दें।
  • सीढ़ियों के नीचे रसोई घर न बनाएं। 
पंचम भाव - 
  • चांदी से बना हाथी (खिलौना) घर में रखें।
  • अपनी पत्नी से दूसरी बार विवाह करें।
  • दूसरी शादी पहली पत्नी के अतिरिक्त अन्ये किसी से) न करें।
षष्ठ भाव - 
  • काला कुत्ता घर में पालें।
  • घर में और दफ्तर में काले शीशे लगाएं।
  • शीशे की छोटी छोटी गोलियां जेब में रखें।
सप्तम भाव - 
  • घर में कुत्ता पालें।
  • घर में चांदी की ईंट रखें।
  • बहते पानी में नारियल डालें।
अष्टम भाव - 
  • 42 वर्ष की आयु तक प्रतिवर्ष सीसे के 8 सिक्के बहते पानी में डालें।
  • जेब में चांदी रखें जिसकी मोटाई एक जैसी हो।
नवम भाव - 
  • संयुक्त परिवार में रहें।
  • सोना पहनें। 
  • मंदिर में मत्था टेके।
दसम भाव - 
  • सिर पर टोपी या पगड़ी हर वक्त रखें।
  • मंगल के लिए निर्दिष्ट उपचार करें।
एकादश भाव - 
  • चांदी सिर पर धारण करें।
  • चांदी के बर्तन में दूध पियें।
  • घर में अस्त्र शस्त्र न रखें।
  • चार किलो सीसा और एक सूखा नारियल बहते पानी में डालें।
द्वादश भाव - 
  • सौंफ और चीनी तकिये के नीचे रखें।
  • ठोस चांदी का बना हुआ हाथी घर में रखें।
  • घर के भीतर अंतिम सिरे में अँधेरा कमरा बनाएं।
सामान्य उपचार सब भावों के लिए -
  • सरस्वती देवी की पूजा करें।
  • बिजली से चलने वाले उपकरण, स्टील के बर्तन और नीले रंग के कपडे किसी से न लें।
  • कन्या दान करें।
  • गोमेद पहनें।
  • तम्बाकू का सेवन कभी न करें।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
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माता रानी सब को खुशीआं दे।

Thursday 11 June 2015

बुध की नाली ....

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रो आज मैं आप सभी को लाल किताब के आधार पर सरल से उपाए करके बुरे ग्रहों के प्रकोप को कम करके जीवन में आने वाली तकलीफों को कैसे कम करके जीवन को सुख मय बना सकते हैं । क्यों कि यह विषय बड़ा होने के कारण यहाँ एक ही पोस्ट में विस्तार से व्याख्या कर पाना मुश्किल है। इसलिए इसे मैंने अलग से ब्लॉग में लिखा है। आशा करता हूँ कि इसे पढ़ने में आप सब को कठिनाई नहीं होगी। मुझे उम्मीद है की आप सब को इससे लाभ जरूर होगा।
बुध की नाली
हर तीसरे घर के ग्रह यानि 1, 3 कभी बाहम (आपस में) नहीं मिल सकते। इसलिये बाहम (आपस में) असर भी नही मिला सकते। लेकिन अगर बुध की नाली से कभी मिल जावें तो वह बाहम (आपस में) बुरा असर न देंगे। अगर नेक हो जावे तो बेशक हो जावें
शुक्र बुध दोनों इकट्ठे ही मुबारक हैं और खाना नम्बर 7 दोनों का पक्का घर है। लेकिन जब जुदा जुदा हो जावें और अपने से सातवें पर होवें तो दोनों का फल रद्दी। लेकिन जब तक इस सातवें की शर्त से दूर हों मगर हों दोनो जुदा जुदा तो बुध जिस घर में बैठा हो, वह (बुध) उस घर के तमाम ग्रहों का और उस घर में उनके बैठे हुये का अपना अपना असर शुक्र के बैठा होने वाले घर में नाली लगाकर मिला देगा। यानि दोनों घरों का असर मिला मिलाया हुआ इकट्ठा गिना जायेगा। फर्क सिर्फ यह हुआ कि शुक्र अपने घर का असर उठाकर बुध बैठा होने वाले घर में नही ले जाता मगर बुध का अपने बैठा होने वाले घर का असर उठाकर शुक्र बैठा होने वाले घर में जा मिलाता है। किस्सा कोताह (अंत संक्षेप में) जब कभी शुक्र का राज हो तो शुक्र बैठा होने वाले घर में बुध बैठा होने वाले घर का असर साथ मिला हुआ गिना जायेगा। 
मगर बुध की तख्त की मालकियत के वक्त अकेले ही उन ग्रहों का असर होगा जिनमें कि बुध बैठा हो। शुक्र बैठा होने वाले घर के ग्रह का असर बुध वाले घर में मिला हुआ न गिना जायेगा। बुध शुक्र के इस तरह पर असर मिलाने के वक्त अगर बुध कुण्डली में शुक्र से बाद के घराें में बैठा हो तो, बुध का अपना जाति असर बुरा होगा। अगर बुध कुण्डली में शुक्र से पहले घरों में बैठा हुआ और उठाकर अपने बैठा होने वाले घर का असर ले जावे शुक्र बैठा होने वाले घर में तो अब बुध का लाया हुआ असर में जाती अपना असर बुरा न होगा बल्कि भला ही गिना जायेगा। इस मिलावट के वक्त अगर बुध वाले घर में शुक्र के दुश्मन ग्रह भी शामिल हों तो शुक्र इज़ाज़त ने देगा कि बुध अपने बैठा होने वाले घर का असर उठाकर शुक्र बैठा होने वाले घर में मिला देवे। यानि ऐसी हालत में बुध की नाली बन्द होगी और शुक्र को जब बुध की मदद न मिली तो शुक्र अब बुध के बगैर पागल होगा। लेकिन अगर बुध का साथ वहां शुक्र के दोस्त ग्रह हों तो शुक्र कोई रूकावट न देगा। बल्कि बुध को ज़रूर अपना असर शुक्र बैठा होने वाले घर में ले जाना पड़ेगा। हो सकता है कि ऐसी मिलावट में राहु केतु दोनों शामिल हो (यह हालत सिर्फ उस वक्त होगी जब राहु केतु अपने से सातवें घर होने की वजह से बुध और शुक्र भी आपस में सातवें घर होंगे ) तो मन्दा नतीजा होगा। खास करके उस वक्त जब बुध होवे शुक्र के बाद के घरों में और साथ ही राहु और केतु का दौरा भी आ जावे । यानि उन मे से कोई एक तख्त की मालकियत के दौरे के हिसाब से आ जावे तो उस वक्त (जबकि इस मिलावट में राहु केतु शुक्र बुध के साथ मिल रहें हैं और राहु केतु का अपना उधर राज पर इकट्ठे होने का भी वक्त है) कुण्डली वाले के लिए मार्क स्थान का भयानक ज़माना होगा। यानि मौत के बराबर का बुरा वक्त होगा। लेकिन अगर यह शर्तें पूरी न हों या बुध होवे शुक्र से पहले घरों में तो यह मन्दा ज़माना न होगा। मन्दा ज़माना सिर्फ राहु केतु के दौरे के वक्त होगा। शुक्र या बुध के दौरे (ग्रह के दौरे से मुराद ग्रह मतल्का का खाना नम्बर 1 में आने का ज़माना होगा) के वक्त यह लानत न होगी। इस बुध की नाली का खास फायदा मंगल से मतल्का (सम्बंधित) है। बाज़ (किसी) वक्त मंगल को सूरज की मदद मिलती हुई मालूम नही होती या चन्द्र का साथ होता हुआ मालूम नही होता, इस नाली की वजह से मंगल को मदद मिल जाती है और मंगल जो सूरज चन्द्र के बगैर मंगल बद होता है, मंगल नेक बन जाता है। इसी तरह मंगल बुध बाहम दुश्मन हैं। मंगल के बगैर शुक्र की औलाद कायम नही रहती। बुध जब मंगल के साथ होवे तो लाल कण्ठी वाला तोता होगा और खुद उठकर और मंगल को साथ उठाकर शुक्र से मिला देगा या शुक्र की औलाद बचा देगा। जिससे कण्डली वाला लाऔलाद (नि:सन्तान) न होगा। ऐसी हालत में बुध या शुक्र के बाहम पहले या बाद के घराें में होने पर बुध के जाति असर की बुराई की शर्त न होगी। भलाई का असर ज़रूर होगा। क्योंकि मंगल ने शुक्र के दौरे के पहले साल में अपना असर ज़रूर मिलाना है। गोया बुध की नाली 100 प्रतिशत, 50 प्रतिशत, 25 प्रतिशत और अपने से 7वें होने की दृष्टि से बाहर एक और ही शुक्र और बुध की बाहम दृष्टि है और यह है इसलिए कि शुक्र में बुध का फल मिला हुआ माना जाता है। मिलावट में राहु के साथ हो जाने के वक्त जब शुक्र ने बुध को बाहर ही रोक दिया तो शुक्र में बुध का फल न मिला तो बुध के बगैर शुक्र पागल होगा या शुक्र खाना नम्बर 8 के असर वाला होगा (और अधिक जानकारी के लिए ज़िक्रर लाल किताब अमृत पृष्ठ 125, गुरुदेव जी डी वशिष्ठ द्वारा) । इसी तरह शुक्र के बगैर बुध का असर सिर्फ फूल होगा फल न होगा। यानि कुवते वाह (संभोग शक्ति) होगी तो मंगल की बच्चा पैदा करने की ताकत का शुक्र को फायदा न मिलेगा।
बुध के दांत
दांत कायम हों तो आवाज़ अपनी मर्ज़ी पर काबू में होगी । गोया बृहस्पति की हवाई ताकत (पैदायश औलाद) पर काबू होगा। मंगल भी साथ देगा । यानि जब तक दांत (बुध) न हों, चन्द्र मदद देगा। जब दांत न थे तब दूध दिया । जब दांत दिये तो क्या अन्न (शुक्र) न देगा ? यानि बुध होवे तो शुक्र की खुद-ब-खुद (अपने आप) आने की उम्मीद होगी। लेकिन जब दांत आकर चले गये (और मुंह के ऊपर के जबाड़े के सामने के) तो अब मंगल बुध का साथ न होगा। न ही बृहस्पति पर काबू होगा या उस शख्स या औरत के अब औलाद का ज़माना खतम हो चुका होगा जबकि यह दांत आकर चले गये या खतम हो गये। दांत गये दांत कथा गई । बृहस्पति खत्म तो लावल्द (नि:संतान) हुआ।
तोते की 35 (पैंती)
''लटपट 35 चतुर सुजान,
कहो गंगा रामा श्री भागवान।''
तोते की 35 यह दोहा बचपन में कई बार सुना था । मगर इसका कोई ज्योतिषीय मतलब भी हो सकता है, यह बाद में लाल किताब से ही पता चला ।


बुध के ग्रह का भेद
तोते की 35 के कुण्डली के खानों को गौर से मुलाहज़ा (निरीक्षण) करें तो कुण्डली का खाना नम्बर 9 कहीं नही मिलेगा। बुध का यह खाना नम्बर 9, वह खुद खाना नम्बर 9 एक अजीब हालत का है । यही खाना नम्बर 9 एक चीज़ है जो इन्सान व हैवान में फर्क कर देता है और तमाम ग्रहों की बुनियाद है । या दोनों जहान की हवा बृहस्पति असल है। इस 35 के 11 खानें दर असल बुध के 12 खाना की हालत बताते हैं । यानि खाना नम्बर 10 के बुध को सनीचर, नम्बर 2 के बुध को बृहस्पति वगैरह जिस तरह कि इस तोते की 35 की कुण्डली में लिखे हैं, लेंगे। यानि असर के लिए बुध के अपने असर की बजाये दिए हुए ग्रहों की हालत का असर लेंगे। यानि बुध 
जिस घर में बैठा हो वहां बैठा हुआ वह उस ग्रह का असर देगा जिस ग्रह का वह खाना नम्बर पक्का घर मुकर्रर (निश्चित)है।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
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सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

बुध बैठा होने वाले घर का मालिक .....

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आज मैं बुध देव के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ। इस पोस्ट में मैं बुध देव के कुंडली में अलग अलग घरों में अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताऊँगा। अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों या बुध से सम्बंधित नीचे लिखे हुए हालात हों तो किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें ।
बुध सौर मंडल का सबसे छोटा ग्रह है। लेकिन जितना छोटा उतना ही खोटा है। यह अँधेरे में रह कर तीर चलाता है और चुपके चपके काम बिगाड़ देता है। उदाहरण के लिए किसी की आज पेशी है। उसने जज को रिश्वत देकर जज को पक्का कर लिया है कि फैसला उसके पक्ष में ही आयेगा । अब बुध को शरारत सूझी उसने जज के दस्त लगा दिए और उसके आसन पर कोई दूसरा जज आकरबैठ गया। उसने जातक के विरुद्ध फैसला सुना दिया। इसीलिए लाल किताब में बुध की तुलना ऐसे चमगादड़ से की गयी है जो अँधेरे में उल्टा लटका रहता है, मौका पाकर बच्चों के मुँह पर झपट्टा मरता है। जातक को पता ही नही चल पाता और बुध भाग्य को उल्टा घुमा देता है।
लाल किताब में बुध को देवताओं का सन्देश वाहक छोकरा बताया गया है। इसका फल यह है कि यह दूसरे ग्रह में मिला देता है। इस दृष्टि से उसे संदेशवाहक नही बल्कि फलवाहक कहना चाहिए। बुध जिस ग्रह के प्रभाव में या साथ में होता है उसी का फल जातक को देता है। यह अच्छो के साथ अच्छा बुरों के साथ बुरा हो जाता है। गंगा गए गंगादास, यमुना गए यमुनादास।  यदि बुध का आदेशक ग्रह नवम में हुआ तो यह कोई फल नही देता। यह राहु केतु के फल सदा ही ढोता रहता है। केवल चतुर्थ इसका अपवाद है। 3, 8, 9, 12 में बुध सदा ही अशुभ होता है। 1, 5, 7, 8 और 11 में राहु अशुभ होता है। यदि बुध और राहु दोनों ही अपने अपने अशुभ स्थानों में है तब तो बुध गजब ढाह देता है। प्रबलतम दुष्ट फल करता है। वह जातक को जेल में न डाले तो भी जेल यातना जैसे कष्टों में जरूर डाल देता है। उसे अकारण ही दूसरों की शरण लेनी पड़ती है।
बुध की शरारतों से रक्षा करने में स्टील का छल्ला रक्षा कवच का काम करता है। बुध और केतु में दृष्टि सम्बन्ध हो तो बुध अपनी भाव स्तिथि के अनुसार फल उत्पन्न करता है और केतु ऐसा आचरण करता है जैसा वह अपनी नीच राशिगत होकर किया करता है । जो जातक बुध के दुष्प्रभावों से पीड़ित हों उन्हें अपनी नाक बिंधवा लेनी चाहिए। उन्हें अपनी नाक सूखी और साफ़ रखनी चाहिए।दांत साफ़ रखना भी प्रभावी उपचार है। बहन, साली और मासी की सेवा करनी चाहिए ।

दुर्गा बुध की अधिस्ठात्री देवी है। दांत, मस्तिष्क और स्नायुतंत्र इसके अंग है। पत्रकारिता, प्रकाशन और प्रेस के व्यवसायों का बुध प्रतिनिधित्व करता है। तोता, बकरी और चमगादड़ इसके जीव है।बुआ, मौसी, साली, बहन और बेटी के रिश्तों का कारक बुध है। अपनी भाव स्तिथि के आधार पर बुध कुछ ग्रहों के फल उत्पन्न करता है, कुछ के फल बिगाड़ता है। लाल किताब में उसकी व्यवस्था इस प्रकार दी गयी है –


निम्नलिखित ग्रहों की जरूरत पड़ने पर बुध मदद करता है
















'' उल्ट पांव चमगादड़ लटका, खुफिया शरारत करता हो ।
घर पक्का जिस ग्रह का होगा, वहां वही बन बैठता हो।''

लाल किताब्कर के अनुसार अक्ल के उल्ट काम कर करा के टेवे वाले को चमगादड़ की तरह लटका देना, कोई छुपी शरारत करके मुश्किल में डाल देना, जिस घर में बैठना उस घर के पक्के ग्रह की तोते की तरह नकल करना, मौका देखकर गिरगिट की तरह रंग बदल लेना वगैरह वगैरह बुध ग्रह की खास सिफतें हैं। इसीलिए पण्डित जी (लाल किताब की रचना करने वाले) बुध को उल्लू का पट्ठा कहा करते थे।
''घर 2, 4 या 6 में बैठा, राज योगी बुध होता हो।
7वें घर में पारस होता, ग्रह साथी को तारता हो।
9, 12, 8 तीसरे, 11, थूके कोढ़ी बुध होता हो।
घर पहले 10 घूमता राजा, परिवार दौलत 5 देता हो''।
  • बुध बैठा होने वाले घर का मालिक ग्रह जब नम्बर 9 में बैठ जावे तो बुध की तरह वह खाली चक्कर या बेकार निष्फल होगा। 
  • सिर्फ खाना नम्बर 4 के बुध में राहु केतु का असर नहीं, इसलिए राज योग है। बाकी हर जगह पाप बुध के दायरे मेें होगा। 
  • ज़हर भरा बुध जब बैठा हो खाना नम्बर 3 में कबीले पर भारी और खानदान पर मन्दा, नम्बर 8 में जानदार चीज़ों और जानों पर मन्दा, नम्बर 9 में टेवे वाले की अपनी ही हर हालत (माल व जान) पर मन्दा, नम्बर 11 में आमदन की नाली में रोढ़ा अटकावे, नम्बर 12 में कारोबार और रात की नींद बर्बाद करे। 
  • ज़हर से भरा खुद मारा जावे तो बेशक मगर 1 से 4 (सिवाये खाना नम्बर 3 जहां कि दूसराें के लिए थूकता हुआ कोढ़ी यानि मन्दा) पर मन्दा न होगा। नम्बर 5 से 10 में दहशत (डर) तो ज़रूर देगा। नम्बर 11, 12 में हड़काये कुत्तो की तरह जिसे काटे वो आगे हड़काकर भागने लगे। 
  • बुध अमूमन (आम तौर पर) खाना नम्बर 1, 2, 9 से 12 में सनीचर (शनि) की मदद करेगा। चाहे ज़हर मिला लोहा मार देने वाली ज़हर निर्धन करने वाला होगा। नम्बर 3 से 8 में सूरज की मदद, धन दौलत उम्दा चाहे 3 और 8 में हज़ारो दुख: खड़े करेगा।
  • बुध से मुराद बहन, बुआ, फूफी, मासी, साली, व्यापार और दूसरे बुध के काम होगा। बुध के बगैर तमाम ग्रहों में झुकने झुकाने की ताकत कायम न होगी।
  • बुध्दि के काम तिज़ारत, व्यापार, हुनर, दस्तकारी, दिमागी लियाकतों (बुध्दिमत्ताा) से धन दौलत कमाने का 34 साला उम्र का ज़माना बुध की हकूमत होगा। किसी भी चीज़ के न होने की हालत, बुध का होना या उसकी हस्ती कहलाती है। यानि खाली जगह में बुध का दखल होगा। 
  • ज़हर से भरा बुध खाना नम्बर 1 से 4 में (सिवाये खाना नम्बर 3 के) साथ बैठे ग्रह पर कभी मन्दा असर न देगा। खुद बेशक बुरे असर अपने देवे मगर कोई ज़हर मिला वाकिया न करेगा। नम्बर 11 से 12 जिस ग्रह को काटे वह हड़काये कुत्तो की तरह दूसरों को भी आगे हड़काता चला जावे। 
  • चन्द्र राहु के झगड़े में बुध बर्बाद होगा। 
  • बुरे ग्रहों के साथ बैठा उस ग्रह का असर और भी बुरा कर देगा और भले ग्रह के साथ बैठने से न सिर्फ उस भले ग्रह को और भी भला कर देगा बल्कि खुद भी भला हो जायेगा। यानि जिससे मिलेगा उसकी ही ताकत का असर देगा। 
  • यह ग्रह दरखतों पर उल्ट पांव लटके हुये चमगादड़ की तरह अन्धेरे में जागकर खुफिया (छुपी) शरारत करता होगा। मकान में मन्दे बुध की पहली निशानी यह होगी कि नये बनाये मकान में किसी न किसी वजह से सिर्फ सीढ़ियां गिराकर दोबारा बनने का बहाना होगा। चार दीवारी और छत्त नही बदली जायेगी।
पाप (राहु, केतु) बुध के दायरे में चलता है सिवाये खाना नम्बर 4 के जहां कि बुध राजयोग होगा क्योंकि वहां राहु, केतु पाप न करने की कसम खाते हैं । शुक्र मन्दे को ज़रूर मदद देगा मगर पाप मन्दे के वक्त खुद भी मन्दा होगा और मौत गूंजती होगी। बल्कि ऐसी हालत में अगर शुक्र भी ऐसे घरों में हो जहां कि बुध मन्दा गिना गया है तो वह शुक्र को भी बर्बाद कर देगा। अकेला बैठा हुआ बुध निकम्मा व बगैर ताकत होगा और उस ग्रह का फल देगा जिस ग्रह का वह पक्का घर है जहां कि बुध बैठा हो। धोखे से बचने के लिए यह बात साफ होनी चाहिए कि घर की मालकीयत दो तरह की होती है। एक तो बतौर घर का मालिक और दूसरी हालत में हर एक घर किसी न किसी ग्रह का पक्का घर मुकर्रर हैं । मसलन् खाना नम्बर 1 का मालिक तो मंगल है मगर यह पक्का घर सूरज का है । खाना नम्बर 3, 8, 9, 11, 12 का मन्दा बुध बेवकूफ कोढ़ी मल्लाह जो खतरे के वक्त अपनी बेड़ी को खुद ही गोता देने लगे और आमदन की नाली में रोढ़ा अटकाने वाला हो जावे।
  • बुध का अण्डा अक्ल का बीज़ नहीं मगर अक्ल की नकल ही अण्डा है जो कुण्डली के खाना नम्बर 9 में पैदा होता है। 
  • ग्रह कुण्डली में खड़ा अण्डा (मैना, आम, बकरी) बुध कुण्डली के खाना नम्बर 2, 4, 6 में होगा। लेटा हुआ अण्डा (भेड़) बुध कुण्डली के खाना नम्बर 8, 10 में होगा। 
  • गन्दा अण्डा बुध कुण्डली के खाना नम्बर 12 में होगा। 
  • आम हालत (मां धी) बुध कुण्डली के खाना नम्बर 1 में होगा। 
  • चमगादड़ व किसी चीज़ का साया या अक्स मगर असल चीज़ जिसका साया या अक्स है, का पता न लगे कि वह कहां है, बुध कुण्डली के खाना नम्बर 3, 9 में होगा। 
  • दूध देना वाला बकरा मगर बकरी दाढ़ी वाली, बुध कुण्डली के खाना नम्बर 5 में होगा। 
  • चौड़े पत्ताों वाला दरखत, मैना का उपदेश, लाल कण्ठी वाला तोता, बृहस्पति की नक्ल, बुध कुण्डली के खाना नम्बर 11 में होगा।
मन्दे बुध वाले को नाक छेदन करवाना और फिटकरी वगैरह से दांत साफ रखना या छोटी लड़कियों को पूजना, सेवा रखना मददगार होगा। अगर घर के बहुत से मैम्बरों का बुध निकम्मा ही हो या खुद अपना बुध टेवे में अमूमन् मन्दे ही घरों में आता रहे तो बकरी की सेवा या बकरी का दान करना उत्तम फल पैदा करेगा। अगर ज़ुबान में थुथलापन हो तो बद। इस थुथलापन के अलावा और कोई मन्दा फल न देगा चाहे टेवे में मन्दा होवे। घर में एक के बाद दूसरे पर लानत, बीमारी खड़ी हो जाने के वक्त बुध से बचाव के लिए हलवा कद्दू जो पक्का रंग ज़र्द (पीला) और अन्दर से खोखला हो चुका हो, सालम का सालम यानि पूरे का पूरा धर्म स्थान में देना मददगार होगा।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
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