Monday 9 March 2015

मंगल देव की नेकी और बदी (भाग 1) .....

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक से अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
लाल किताब में मंगल नेक और मंगल बद उदभावना की गयी है। इस ग्रह की मुख्य विशेष्ता यह है कि यह मध्यम नही रह सकता। इसकी शुभता अशुभता दोनों ही हद दर्ज की होती है। यदि शुभ हुआ तो शुभता चरम सीमा तक पहुँच जाती है। अशुभ हुआ तो अशुभता की पराकाष्ठा हो जाती है। लाल किताबकार के शब्दों में
'दो रंग अच्छी ,न एक रंग बुरी।
सरासर तू मोम हो, या संग (पत्थर) हो जा।'
यदि एक ही भाव में सूर्य के साथ बुध हो तो मंगल शुभ होता है। यदि सूर्य शनि की युति हो तो मंगल बद होता है। निसर्गत: मंगल न तो क्रूर है, न ही सौम्य। उसका भला बुरा होना कुंडली के स्वरुप पर निर्भर करता है।
मंगल नेक - मंगल शुभ फलदायक होता है यदि -

  1. शनि राहु या शनि केतु एक भाव में स्थित हो।
  2. दो शत्रु ग्रह एक ही भाव में स्थित हों। जैसे बुध और केतु।
  3. 3, 4, 8 में किसी में भी चन्द्रमा हो, शुक्र हो, चन्द्र मंगल हों, शुक्र मंगल हों, चन्द्र शुक्र हों, चन्द्र मंगल हों।
  4. चन्द्रमा 1, 4, 7, 10 में से किसी में भी हो।
  5. सूर्य षष्ठ भाव में हो।
  6. रवि, शनि या गुरु 3, 4, 8, 9 में हों।
  7. मंगल के मित्र (सूर्य, चाँद, गुरु) उसकी सहायता कर रहे हो।
मंगल बद - मंगल के मित्र (सूर्य, चन्द्र, गुरु) मंगल की सहायता नही करते हों तो मंगल शुभ नही करता। निम्नांकित स्थतियों में मंगल को सूर्य की सहायता नही मिलती।

  1. यदि सूर्य 5 या 9 में केतु के साथ हो तो।
  2. यदि सूर्य 6 या 12 में केतु के साथ हो तो।
  3. यदि सूर्य सप्तम में शुक्र के साथ हो।
  4. यदि सूर्य दशम में शनि के साथ हो।
  5. यदि सूर्य द्वादश में बुध के साथ हो।
  6. यदि सूर्य 1 या 8 में मंगल के साथ हो।
  7. चन्द्रमा और गुरु यदि 3 ,4 ,8 में न होतो वे मंगल की सहायता नही करते।
  8. यदि 3, 4, 8 में से किसी एक भाव में मंगल हो और शेष दो भावों बुध और केतु हो तो मंगल बद हो जाता है।
ग्रहों के पेंतीस साला दौर में मंगल को 6 वर्ष दिए गए है।
मंगल नेक के देवता हनुमान जी है। मंगल बद के देव भुत -प्रेत माने गए है। मंगल की धातु ताम्बा और रत्न मूंगा है। शहद और मिठाई उसके मन भाते भोज्य पदार्थ है।
मंगल की शांति - पूजा - दानादि द्वारा लग्न को सक्रीय और सबल किया जा सकता है ।
कुछ लाल किताबकार के अनुसार मंगल नेक, शस्त्रधारी, सुर्ख रंग, नेक होने पर जिस्म में खून रूह की तरह जंगल में मंगल किया और बदी से हिरण की तरह भागा। मंगल बद हुआ तो कोई बदी न छोड़ी और हर एक को तलवार के घाट उतारा मगर मुआफ हरगिज़ न किया। ऊँठ रेगिस्तान का जहाज़ जिसे रेत से मुहब्बत है और पानी की परवाह नही
अगर जन्म कुण्डली में सूरज बुध इकट्ठे हो तो मंगल नेक (इस योग में मंगल कहीं भी हो नेक माना जायेगा), अगर सूरज शनि इकट्ठे तो मंगल बद होगा और मंगल बद होकर दूसरे ग्रह को अपना बल देता है। जैसे बुध 3 में, शुक्र 9 में । खाना नं 4 का ग्रह मंगल की अवस्था की सूचना देगा, 4 के ग्रह का जो प्रभाव होगा, वही मंगल के खून की अवस्था होगी। खाना पीना, भाई बन्दो की सेवा, जंग व युद्ध (जदल), जिस्मानी दुःख, बिमारी 28 सालां उम्र का ज़माना। तमाम जिस्म की बीच की (दरमियानी) जगह नाभि मंगल की राजधानी और सूरज की सीधी किरणों की जगह मानी गई है। इसलिये कुण्डली की नाभि खाना नं 4 के ग्रह, मंगल की नेक और बुरी हालत का पता बतायेंगे यानि जैसे नं 4 मे बैठे होने वाले का असर होगा, वही हालत मंगल के खून की होगी। न सिर्फ दान इसका ज़रूरी पहलू और कुल दुनिया के भलाई के काम और भण्डारे खोलने की हिम्मत इसकी नेकी का पता बतायेंगे बल्कि कुल खानदान की निःसंतान (लावल्दी) दूर करेगा। अकेला बैठा हुआ मंगल एक तरह (मानिंद) जंगल का शेर बहादुर होगा। मंगल नेक अपने असर की निशानी हमेशा उस ग्रह की चीज़ों के ज़रिए देगा जोकि कुण्डली में उम्दा हों और उस ग्रह का अपना वक्त असर देने का हो । मंगल बद मन्दे ग्रहों की चीज़ों, इसके मन्दा असर देने के वक्त बुरे असर की हवा का आना पहले बतला देगा। हर हालत में मंगल के असर में एक समान (यकसां), लगातार, मध्म (दरिमयाना) रफतार न होगी। चाहे (ख्वाह) मंगल नेक शेर बहादुर के हमला की ताकत का हो। चाहे (ख्वाह) मंगल बद डरपोक हिरण की तरह कोसों ही दूर भागता हो।
बदी का बीज (तुख्म), खून का बदला खून से लेना हरदम ज़रूरी जब घी (शुक्र) और शहद (मंगल नेक) विषम मात्रा में अमृत है, परन्तु बराबर के हों तो ज़हर (मंगल बद) हाेंगा यानि सबसे पहले शुक्र और बाद में सूरज का फल एक के बाद एक (यके बाद दीगरे) मन्दा होगा। लेकिन अगर सूरज या चन्द्र की मदद मिल जावे तो मंगल बद न होगा। 
एक महत्वपूर्ण जानकारी : जब कोई ग्रह इसे बदी के लिए उकसाता है तो मंगल फिर पीछे नहीं हटता, अपना पूरा बल उस बुरा करने वाले ग्रह को दे देता है। शनि, राहु, केतु, शुक्र, इसके शत्रु ग्रह हैं। बहुत ही ध्यान देने वाली बात है कि यदि बुध मंदा हो तो मंगल बद और भी मंदा होगा। 
कोई दो पापी (सनीचर राहु, सनीचर केतु) या कोई दो आपस में (बाहम) दुश्मन (बुध केतु, सूरज शुक्र) मंगल के साथी होवें तो मंगल बद न होगा। जब अपनी मार पे आयेगा, एक का बुरा न करेगा बल्कि अगर हो सके तो कुल खानदान का बेड़ा गर्क करेगा। जब बुध मन्दा हो, मंगल बद ओर भी मन्दा होगा और खूनी शेर बहादुर की बजाये बकरियों में रहने वाला पालतू शेर की तरह अपनी असलियत से बेखबर होगा। 
खाना नं 4 और 8 का मंगल आमतौर पर बद ही होता है। उपाय के लिए हर रोज़ सुबह पानी से दांत सफा करना मददगार होगा। चन्द्र का उपाय या बढ़ के दरखत को दूध में मीठा डालकर गीली की हुई मिट्टी का तिलक पेट की खराबियों को दूर करेगा। आग के वाक्यात पर छत पर खाण्ड की बोरियां, शहद से मिट्टी का बर्तन भरकर बाहर शमशान में ( निःसंतान (लावल्दी) के वक्त या औरत, औलाद की बरबादी), मृगशाला (लम्बी बिमारियों से छुटकारा), चांदी चकौर की मदद या दक्षिणी (जनूबी) दरवाज़ा लोहे से कील देवें । काले, काने, निःसंतान (लावल्द), डेक के दरखत से दूरी पकड़ें। सूरज, चन्द्र, बृहस्पति की चीज़ें (अश्या) कायम करें। चिड़े चिड़ियों को मीठा देना और हाथी दांत पास रखना मुबारक होगा।
शनि आँख और दृष्टि का स्वामी है जिससे हम लिखते-पढ़ते हैं, परन्तु मंगल उस दृष्टि का चमत्कार है। किसी को नज़र लग जाना मंगल बद का काम है। मंगल बद वाले की नज़र पर्वत को चूर चूर कर देती है और ध्यान दृष्टि जिससे हम सैंकड़ो मील दूर की वस्तु को देख सकते हैं,मंगल की करामात है। 
उपाय
लग्न - 
  1. किसी से कोई वस्तु मूल्य चुकाने के बिना या मुफ्त न लें। 
  2. झूठ न बोलें।
  3. हाथी दांत की बनी हुई वस्तुए जातक के लिए हानिकारक है।
द्वितीय भाव - 
  1. लाल रंग का रुमाल अपने पास रखें।
  2. घर में मृगशाला रखें।
  3. दोपहर के समय गुड और गेहू बच्चों में बांटे।
तृतीय भाव - 
  1. हाथी दांत की बनी हुई चीज़े अपने पास रखें।
  2. बायें हाथ में चांदी का छल्ला पहनें।
चतुर्थ भाव - 
  1. बंदरो साधुओं और अपनी माँ की सेवा करें।
  2. काले, काने और अंग भंग लोगों से अलग रहें।
  3. रात को अपने पलंग के नीचे सिरहाने की तरफ पानी रखकर सोयें। सुबह उठकर उसे गुलदस्ते में डाल दें।
षष्ठ भाव- 
  1. पुत्र के जन्म दिन पर नमक बांटे।
  2. शनि के लिए बताये गए उपचार करें।
सप्तम भाव - 
  1. सदाचार का पालन करते रहें।
  2. बहन, बेटी, बुआ, मासी और साली को मिठाई दें।
अष्टम भाव - 
  1. विधवाओं के आशीर्वाद प्राप्त करें।
  2. मीठी रोटी के टुकड़े कुत्तों को डालें।
  3. मंगल के लिए 4, 6 भावों में दिए गए उपचार एक साथ करें। 
नवम भाव - 
  1. भाभी की सेवा करें।
  2. अग्रज की आज्ञा का पालन करें।
  3. लाल रंग का कपडा रुमाल जेब में रखें।
दसम् भाव - 
  1. हिरन पालें।
  2. दूध को उफन कर आग पर न गिरने दें।
एकादश भाव - 
  1. मिटटी के बर्तन में सिंदूर या शहद रखें।
  2. सुबह सुबह खाली पेट शहद खाएं।
सामान्य उपाय सभी भावों के लिए -
  1. मंगल का उपवास रखें।
  2. हनुमान जी को सिंदूर लगाएं।
  3. शहद ,सिंदूर या मसूर की दाल बहते पानी में डालें।
  4. भाई की सेवा करें।
  5. मर्ग चर्म पर सोयें।
  6. शुद्ध चांदी का प्रयोग करें। 
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
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