Friday 1 May 2015

खाना नंबर 1- शाह सलामत का तख़्ते बादशाही ...

जय माता दी । 
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से……… 

प्रथम भाव (लग्न) : कुंडली के बारह भावों में से लग्न सब से महत्पूर्ण है। अन्य भावों का शुभाशुभ लग्न की बलकता पर निर्भर होता है। लाल किताब में लग्न को जीव और माया के संघर्ष का घर माना है - झगड़ा जहाँ रहे माया का ।
यह जातक की सफलता और असफलता का कारण है। जगद नियंता का सिंहासन है - ग्रह पहला है तख़्त हजारी, ग्रह फल राजा कुंडली का।
लाल किताब ने आयुष्य, मेघा और शिक्षा का घर भी लग्न को ही माना है - इल्म आयु घर पहले से।
प्रथम भाव का स्वामी मंगल और कारक सूर्य है जो सम्पूर्ण देह का प्रतिनिधित्व करता है। शास्त्रीय ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। फलतः वह भौतिक देह में शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। प्रथम भाव में सूर्य उच्च का होता है शनि नीच का होता है। 
लाल किताब के अनुसार लग्नस्थ ग्रह सप्तम को देखता है। सप्तम भाव में कोई ग्रह हुआ तो लग्नस्थ ग्रह अपनी बुरी अच्छी सब अलामत उस पर डालकर स्वय निश्चित हो जाता है। सप्तम खाली हुआ तो दृष्टा ग्रह अँधा हो जाता है। लग्न में कोई ग्रह नही हुआ तो प्रथम भाव ही अँधा हो जाता है। अंधे हुए ग्रह के फल उट पटांग ही होते है।
प्रथम भाव में दो या दो से अधिक ग्रह हों और अष्टम भाव खाली हो तो शुक्र निर्णायक का काम करता है। वही यह निर्णय करता है की किस ग्रह का कितना फल होता है ।
लग्न में चन्द्र, राहु, बुध, गुरु चारों हों और सप्तम में केतु अकेला होतो 35 वर्ष की आयु तक जातक का एक ही पुत्र जीवित रहता है। 48 वर्ष की आयु के बाद केतु (पुत्र कारक) का समय समाप्त होकर बुध (पुत्री कारक) का समय आरम्भ हो जाता है। उस समय दूसरा पुत्र सही सलामत रहता है तो पुत्री का अनिष्ट हो जाता है।
पुत्रों के जीवन और पुत्री के अनिष्ट नवारण के लिए कन्याओं को भोजन खिलाये। गाय, घोड़े और तोते को रोटी दें। इससे न केवल अनिष्ट - निवारण होगा; बल्कि चन्द्र, राहु, बुध, गुरु की युति से राजयोग बन जायगा । 
लाल किताब तरमीम शुदा 1942 में लिखा है :
’’घर पहला है तख़्त हज़ारी, ग्रह फल राजा कुण्डली का;

जोतिष में इसे लग्न भी कहते, झगड़ा जहां रूह माया का।’’

लाल किताब में कुण्डली के घर खाना नम्बर 1 को शाह सलामत का तख़्ते बादशाही कहा गया है। खुद अपना जाती जिस्म, तमाम अज़ू , वजूद, जाती कमाई, रोज़ी रोटी, सुभाओ गर्मी खुश्की व जलता हुआ (आतिषी) होगा । खुद गढ़ा हुआ (साख्ता) मकान, अपना तख़्त, चारदीवारी, मय तहके गोशे, सामान सवारी, रूह रूहानी व दिमागी ताकत, मर्दो का ताल्लुक, गुस्सा परोपकार, राज दरबार, पुरानी रसोमात व मकानात का ताल्लुक, वक्त जवानी, ज़माना हाल, मौजूदा जन्म, साथ लाया हुआ खजाना वास्ते खुद अपना जन्म, दुनिया में नाम किस हैसियत का होगा। यह मैदान (सहन) है खाना नम्बर 7 का और इस घर का न्यायकर्ता (मुन्सिफ) होगा शुक्र। बुध, सूरज, शनि, मंगल जैसा होवे वही हाल होगा। सूर्य इस घर में साथ बैठे (चाहें दोस्त हों चाहे दुश्मन) ग्रहों को मदद दिया करता है। राहु राशिफल का होगा। 

खाना नम्बर 1 में सूरज उच्च, शनि नीच और मंगल घर का ग्रह का होगा। मगर खाना नम्बर 7 में शनि उच्च, सूरज नीच और शुक्र घर का ग्रह होगा। अगर खाना नम्बर 7 खाली हो तो खाना नम्बर 1 के उच्च ग्रहों का असर शक्की ही होगा। तख़्त पर बैठा हुआ ग्रह राजा और खाना नम्बर 7 में बैठा हुआ ग्रह उसका वज़ीर होगा। अगर तख्त पर एक ग्रह और खाना नम्बर 7 में ज्यादा ग्रह बैठे हों तो राजा वज़ीरी होती है। मगर जब उल्ट हो जावे तो सातवें की जड़ कट जाती है। उदहारण के तौर पर (मसलन्) खाना नम्बर 1 में चार ग्रह बृहस्पत, चन्द्र, बुध, राहु और खाना नम्बर 7 में अकेला केतु हो तो 34 साला उम्र (बुध के समय) तक  नर औलाद गायब हो (नदारद) या पैदा होकर मरती जावे और 48 साला उम्र (केतु  के समय) तक एक ही लड़का बचे (कायम हो)। अगर 48 साला उम्र से दूसरा लड़का बच (कायम हो) जावे तो लड़की बेवा, बेईज्जत या दीगर मन्दे नतीजों से बरबाद होगी। उपाए: कुण्डली वाला अगर चार और जानों (कुत्ता, धोड़ा, गाए, कौवा, (कोई भी चार पशु-पक्षी) को रोटी का हिस्सा देवे तो नर औलाद जीवित (कायम) होगी और औलाद पैदा होने के दिन से चारो ग्रह इकट्ठे (मुश्तर्का) राजयोग होंगे वर्ना उम्दा असर की बजाये खाक या हर तरह लानत नसीब होगी। जब खाना नम्बर 1 में ज्यादा ग्रह हों तो खाना नम्बर 1 का न्यायकर्ता (मुन्सिफ) शुक्र होगा चाहे वह लग्न में ही हो, वह प्रधान (प्रथम) माना जायेगा। 
  • जिस वक्त टेवे मेे असल मंगल के अलावा बनावटी (मसनूई) मंगल नेक या बद दोनों ही मौजूद हों तो नम्बर 1 देखेगा खाना नम्बर 11 को। 
  • अगर खाना नम्बर 11 खाली हो तो खाना नम्बर 1 का ग्रह अपना असर करने के ताल्लुक में बुध की चाल पर चलेगा। 
  • जब नम्बर 8 खाली हो तो 1 वाले ग्रह की आंखों को रोकने के लिए कोई रूकावट न होगी और वह खुद ही अपनी आंखों से देखभाल करता होगा। 
  • तख़्त पर बैठे हुये ग्रहचाली हुक्मरान राजा के राजत्व (अहद) में उसके लिए खाना नम्बर 1 लैंन्स, नम्बर 8 फोक्सिंग ग्लास और नम्बर 11 रैगुलेटर होगा।  इस प्रकार लग्न से खाना नं 7, खाना नं 8 , खाना नं 11 का बाहम ताल्लुक होगा।   
राजयोग
एक ज़माना था जब राजयोग राजा महाराजा की कुण्डली में होता था। मगर आज राजे तो रहे नही, इसलिए राजयोग का रूप भी कुछ बदल सा गया है। अब राजयोग से मतलब हैं सत्ताा, मान इज्ज़त, धन दौलत, सुख सुविधा, सरकार या कारोबार में ऊँचा मरतबा वगैरह। दूसरे लफज़ों में राजयोग आदमी को खास पहचान देता है।
लाल किताब में कुण्डली के खाना नं 1 को शाह सलामत का तख्ते बादशाही और तख्त पर बैठने वाले ग्रह को राजा कहा गया है। लगन, केन्द्र में नेक हालत के ग्रह और दोस्त ग्रहों की मदद, राजयोग की
पहली निशानी है।
ग्रहों की हालत जितनी अच्छी होगी राजयोग उतना ही मज़बूत या उच्च होगा।
तख्त
'' हुई राख दुनिया है दिन रात जलती,
सिर्फ धर्म बाकी है एहसान धरती।''
सूरज खाना नं 1 होने के वक्त कुण्डली वाला समान (मानिन्द) राजा हुकमरान, ख्यालात पुराने ज़माना के और धर्म की पालना करने वाला होगा। उसके ज्यादा भाई बहन होने की शर्त न होगी। बाप की आखिरी उम्र तक पूरी सेवा और मदद करे पर अपने बेटे की तरफ से उम्मीद न रखे। बाप से बेशक दौलत मिले न मिले मगर बेटे को दौलत जमा करके ज़रूर दे जायेगा। जो उसे तबाह करने की गर्ज़ से मारेगा, वह खुद ही बर्बाद हो जायेगा। शराबखोरी व गन्दे इश्क से दूर मगर नेकी व गरीब की मदद हमेशा चाहने वाला। दो धारी तलवार की तबीयत का मालिक और जिस्म में सांप का गुस्सा। कुछ भी हो उसका रिज़क कभी बन्द न होगा और वह खुद साख्ता अमीर होगा। उम्र लम्बी और राज दरबार का साथ होगा। सफर के नेक नतीजे या सफर से दौलत पैदा करे। जिस्म के तमाम अंग आखिरी दम तक साथ देंगे। ईमानदारी से धन फलता और बरकत देगा। औलाद चाहे गिनती की हो पर सुख देगी। परोपकार, सेवा साधन और सन्तोष माया तरक्की की बुनियाद होंगे। माया दौलत खुद पैदा करेगा मगर माया का गुलाम न होगा, जब दोस्त ग्रहों की मदद हो ।
जब दोस्त ग्रह मन्दे हो तो सूरज का कोई भरोसा न होगा। वालिद बचपन में गुज़र जाये और औरत की सेहत मन्दी जब शुक्र खाना नं 7 में हो। लड़का ज़िन्दा न रहे जब मंगल खाना नं 5 में हो। औरत ज़िन्दा न रहे जब सनीचर खाना नं 8 में हो । सोया हुआ सूरज जब खाना नं 7 खाली हो तो 24 साला उम्र से पहले की शादी मुबारक। बतौर उपाय जद्दी मकान में कुदरती पानी कायम होने के 10 साल बाद किस्मत का सूरज चमकता होगा।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें। उपाय बहुत सारे है। जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 

ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 

फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 

फेस बुक पर आचार्य हेमंत अग्रवाल या हेमंत अग्रवाल 

ईमेल : pb02a024@gmail.com 

सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें। 

माता रानी सब को खुशीआं दे।

1 comment:

  1. आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है पर क्या आपकी कुंडली में मात्र लग्न जानने के बाद किसी व्यक्ति के स्वभाव व विशेषताओं के विषय में 50% जानकारी दी जा सकती है। ये सच है.
    see more - https://bit.ly/2HWjv8b

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