Thursday 23 April 2015

खाना नंबर 5 - औलाद होने या न होने के मुतल्लिक ग्रह योग ......

जय माता दी !

गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………

मित्रों आज मैं औलाद देर से होने या न होने या होकर मर जाने या औलाद हो जाने के बाद पारिवारिक जीवन अच्छे से न चल पाने या औलाद समय पर हो जाने और परिवारिक जीवन अच्छे से चलने में ग्रहों के कारणों पर चर्चा करने जा रहा हूँ। यहाँ मैंने औलाद होने से सम्बंधित कुछ बहुत बुरे योग मसलन औलाद होने के बाद परिवार में झगड़ा या बटवारा हो जाना या परिवार के किसी सदस्य का मर जाना वगरैह का ज़िकर किया है। क्यों कि यह विषय बड़ा होने के कारण यहाँ एक ही पोस्ट में विस्तार से व्याख्या कर पाना मुश्किल है। इसलिए इसे मैंने अलग से ब्लॉग में लिखा है। आशा करता हूँ कि इसे पढ़ने में आप सब को कठिनाई नहीं होगी। असुविधा के लिए क्षमा चाहता हूँ। मुझे उम्मीद है की आप सब को इससे लाभ जरूर होगा। (मित्रों यहाँ कुछ बातें ऐसी लिखी हैं जिन्हे ज्योतिषाचार्य आसानी से समाज जायेगे, लेकिन कुछ मित्रों को उनको समझने के लिए किसी अच्छे ज्योतिषचार्ये से संपर्क करना होगा)

पंचम भाव :
ज्योतिष शास्त्र में पंचम भाव पणकर (शर्त कर) होता है। यह मिलाजुला शुभाशुभ भाव माना जाता है। इस भाव से जातक के जीवन की सफलता असफलता का विचार किया जाता है। इसी भाव से जातक का भविष्य जाना जाता है। इसी से उसकी संतान के सम्बन्ध में विचार किया जाता है। संतान के स्वस्थ्य, रोग अच्छे बुरे आचरण का विचार पंचम भाव से ही किया जाता है।
लाल किताब के अनुसार पंचम भाव का स्वामी सूर्य और कारक गुरु होता है। भाव और गोचर की दृष्टि से गुरु जब तक शुभ हो तब तक संतान का कोई अनिष्ट नही होता – "गुरु टेवे में जब तक उम्दा, औलाद दुखी ना होती हो"
शनि शुक्र या दोनों में से कोई एक पीड़ित हो तो पंचम भाव का फल उम्दा होता है; किन्तु चन्द्रमा चंगा हो तो स्थिति बदल जाती है अर्थात मंदी हालत बहुत जल्दी बदलकर अच्छी हो जाती है।
पंचमस्थ ग्रह नवम को देखता है। यदि नवम पीड़ित हो तो पचम का फल मंदा होता है। तृतीय और चतुर्थ के पीड़ित होने का फल भी अशुभ ही होता है।
घर तीन या चार हो नौ मंदा, बुरा असर पांच होता है
यदि केतु शुभ स्थति में हो तो पंचम का फल उत्तम होता है। किन्तु राहु मंदा हो तो सब कुछ उल्टा पुल्टा कर देता है।
केतु भला हो सब कुछ उम्दा, राहु मंदे सब उल्टा हो।
छटे और दसवे में जो बैठा हो, वे परस्पर कट्टर शत्रु बन जाते है। चाहे नैसर्गिक मित्र ही क्यों न हो । वे पंचमस्थ ग्रह के भी शत्रु बन जाते है। दोनों का जहर पंचम भाव में पहुँच कर संतान का अनिष्ट करता है या संतान का आचरण बिगाड़ देता है - 6, 10वे चाहे दोस्त उसका, शत्रु जहरी हो जाता है।
षष्ठ - दशम - जन्य अनिष्ट के निवारण के लिए पंचमस्थ ग्रह के शत्रु ग्रह से सम्बंधित चीज़े घर में जमीन के नीचे दबा देनी चाहिए। यदि छटे और दसवें के साथ साथ अष्टम भाव भी पीड़ित हो तो ये वस्तुए पैतृक घर में रख देनी चाहिए।
यदि पंचम भाव में राहु और शनि हो या एकादश में शुक्र हो या अष्टम में केतु हो या दशम में गुरु हो तो पहले जीवन साथी बीमार होगा, बाद में पुत्र भी रोग से पीड़ित हो जायेगा। इस अनिष्ट की शांति के लिए 48 दिन तक पुत्र के वजन के बराबर आटे की रोटिया बनाकर कुत्तों को खिलाये। 
मित्रों आप को लाल किताब में छिपे एक राज़ के बारे में ज़िकर कर रहा हूँ जिसे पड़कर आप हैरत में पड़ जायेंगे कि लाल किताब कैसे कैसे राज़ बताती है। लाल किताब में एक जगह खाना नं 10 के बृहस्पति के बारे में कहा है, "उधार लिया बाप, जो सिर्फ जन्म देने का वसीला बने" -इसी बात को हमारे प्राचीन इतिहास में 'वीर्यदान' कहा गया है। परन्तु "रजदान" के बारे में यानि उधार ली गई माँ के  बारे में किसी ग्रन्थ में कोई ज़िक्र नहीं आता। अब जब पश्चिमी देशों में बच्चे को धारण करने वाली औरत किराये पर ली जाने लगी है, परन्तु इस के बारे में खोज जारी है। 
"गुरू टेवे में जब तक उम्दा, औलाद दुखी न होती हो।
पांच पापी गुरू मन्दा टेवे, बिजली चमक आ देती हो।। ’’
कुण्डली के खाना नम्बर 5 को लाल किताब में औलाद मुस्तकबिल (भविष्य) का ज़माना कहा गया है। औलाद का ताल्लुक, औलाद नरीना (नर), शोहरत, औलाद का धन दौलत व किस्मत, औलाद को सुख, बचत अज़ औलाद (औलाद से बचत) व अपने खून का ताल्लुक, अक्ल व इल्म, तंगदस्ती वगैरह, सुभाओ गर्म खुश्क, आतिशी, औलाद के बनाये हुये मकान, मशरिक, नफसानी (कामवासना संबंधित)  ताकत मुताल्लिका सूरज, आग, रूह, रौशनी, हवा, साया इन्सान, हवास नुमां, पांचो इन्द्रियां, हाज़मा, नेकी की मशहूरी, मामू का सुख, अगर बृहस्पत या सूरज के दोस्त ग्रह खाना नं 5 में बैठे हों। किस्मत की चमक, ईमानदारी, औलाद के जन्मदिन से अपने बुढ़ापे तक का ज़माना, मुस्तकबिल होने वाला जन्म, दूसरों की मदद से पैदा करदा चीज़े मुताल्लिका औलाद खाना नं 5 से देखी जाती है। 
  • जंगल पहाड़ का ताल्लुक, आग का खौफ़ जब दुश्मन ग्रह खाना नं 5 हों। 
  • इस घर का मालिक सूरज है। 
  • बृहस्पत, सूरज, राहु, केतु जैसे हों वैसा ही फल होगा। 
  • यह सेहन (मैदान) है खाना नम्बर 9 का और इस सहन का न्यायकर्ता (मुंसिफ) होगा सूरज, सूरज का सुर्ख पक्का पीला बृहस्पत, सूरज मुश्तरका।
  • अगर खाना नम्बर 3 - 4 या 9 मन्दा हो तो खाना नम्बर 5 बुरा असर देगा। 
  • खाना नम्बर 6 - 10 की ज़हर से बचने के लिए खाना नम्बर 5 के दुश्मन ग्रह की चीज़ पाताल में दबाने से मदद होगी। 
  • शनि या शुक्र या दोनो जब कभी मन्दे हों तो दोनो की हालत के मुताबिक मन्दा असर होगा। लेकिन अगर उस वक्त चन्द्र भला हो तो असर उत्तम हो जायेगा। 
  • बृहस्पत की वजह पैदा शुदा बिमारी हो तो नई औलाद के पैदा हो चुकने के बाद खतम होगी। 
  • केतु भला तो सब कुछ उम्दा होगा। 
  • राहु मन्दा होने से सब उल्ट होगा। 
  • जब तक कुण्डली में बृहस्पत उम्दा हो तो औलाद दुखी न होगी।

शादी ब्याह के बाद औलाद का होना भी ज़रूरी समझा जाता है। परिवार, समाज और दुनिया ऐसे ही चलती है। अगर औलाद न हो तो कई सवाल खड़े हो जाते हैं।

मित्रों मैं लाल किताब में लिखे कुछ ऐसे योग के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ जिसे आज तक बहुत ही कम ज्योतिषाचार्य जान पाएं हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य पांचवे घर में शुभ स्तिथि में बैठा हो तो उस व्यक्ति की औलाद (लड़का या लड़की) वह शेर जैसी ही होती है और बुढ़ापे के अन्दर पिता और पुत्र दोनों सुखी होते हैं।
यदि सूर्य खाना नं 5 और शनि खाना नं 3 में हों तो जातक की औलाद को दुःख और तकलीफ ज़रूर मिलेगी। हो सकता है कि जातक की औलाद बीमार या फिर बुरी संगत में पड़ जाये। मित्रों लाल किताब में छिपे ऐसे बहुत से योग हैं। जिन का यहाँ वर्णन कर पाना मुश्किल है।

आदमी की कुण्डली में शुक्र उसकी औरत और औरत की कुण्डली में शक्र उसका आदमी है। बच्चा पैदा करने की ताकत मंगल, पैदावार की ज़मीन शुक्र, औलाद का फल केतु (बेटा) और फूल बुध (बेटी) है। बृहस्पत की कृपा से चन्द्र खानदानी बेल को फल फूल लगता है। लिहाज़ा बृहस्पत, चन्द्र और शुक्र के उपाय करने से औलाद का योग बन सकता है। 
साहबे औलाद

आज के दौर में वही वालदैन (माता पिता) पूरी तरह कामयाब हैं जिनकी औलाद भी कामयाब हो जावे। यही वजह है कि औलाद को कायम करने के लिए दौड़ लगी हुई है। मगर ग्रह क्या कहते हैं, यह भी देख लें तो बेहतर होगा।

ग्रहों से औलाद का ताल्लुक:-
कुछ ग्रहों के योग से बनने वाले बनावटी ग्रह से संतान का विचार :
  • बृहस्पति (बुध + राहू) :- जिस्म में रूह के आने जाने का ताल्लुक (सम्बन्ध) या पैदायश औलाद मगर औलाद की ज़िन्दगी कायम रखने या मौत हो जाने का कोई बन्धन नहीं। 
  • सूरज (शुक्र + बुध) :- माता के पेट के अन्धेरे में रोशनी दे देना या पैदा होने के बाद दुनिया में उनकी या उनसे वालदैन की किस्मत को रौशन करना। खुलासा बज़रिया नर औलाद, अन्धेरे घरों में चिराग रौशन करने की ताकत, सेहत का मालिक। 
  • चन्द्र (सूर्य + बृहस्पत) :- उम्र, धन-दौलत और वालदैनी नेक ताल्लुक, वालदैनी खून नुतफ़ा का ताल्लुक (नर मादा हर दो औलाद का)। 
  • शुक्र (राहू + केतु) :- जिस्म या बुत की मिट्टी, गृहस्थी सुख, औलाद की पैदायश में मदद या खराबी, दुनियावी सुख।
  • मंगल (सूर्य + बुध = मंगल नेक; सूर्य + शनि = मंगल बद) :- जिस्म में खून कायम रहने तक ज़िन्दगी का नाम और दुनिया में औलाद और उनके आगे औलाद दर औलाद कायम रखकर बेलों (पौधे) की तरह बढ़ाना और उनका नाम या उनके नाम से सब का नाम बढ़ाना या दुनिया में नाम बाकी या पैदा कर देना, कुंडली वाले में कुवते बाह से अलैहदा (अलग) बच्चा पैदा करने की ताकत, जिस्म में ज़ोर, रूह बुत को इकट्ठा पकड़े रखने की हिम्मत, बेल सब्ज़ी की तरह औलाद ज़िन्दा रखने का मालिक। अगर मंगल बद होता है तो यम कहलाता है |
  • बुध (बृहस्पत + राहू) :- औलाद का रिश्तेदारों से ताल्लुक लड़कियां, लड़कियों की नस्लों का बढ़ाना, खुद कुण्डली वाले में कुवते बाह खाली विषय की ताकत, कुण्डली वाले और औलाद के लिए दूसरों से मिलने मिलाने का मैदान खुला करना या खाली आकाश की तरह उन सब के लिए हर तरफ जगह खाली करके मैदान बढ़ा देना, इज्ज़त शोहरत। 
  • सनीचर (बृहस्पत + शुक्र = शनि केतु स्वभाव; मंगल + बुध = शनि राहू स्वभाव) :- औलाद की पैदायश के शुरू होने का वक्त, जायदादी ताल्लुक, मौत के बहाने, ज़हमत बिमारी।
  • राहु (मंगल + शनि = उच्च राहू; सूर्य + शनि = नीच राहू) :- बृहस्पति के असर के खिलाफ़ होना या बृहस्पति को चुप कराना । रूह का आना जाना बन्द कराना या मौतें या बहुत देर तक पैदायश औलाद को रोक देना या दीगर गैबी और छुपी छुपाई खराबियां या पांव तले भूचाल पैदा करने मगर लड़कियाें की मदद करता है, झगड़े फ़साद। 
  • केतु (शुक्र + शनि = उच्च केतु; चन्द्र + शनि = नीच केतु) :- औलाद की खुशहाली, फलना फूलना मगर औलाद की तायदाद (गिनती) में कमी का हिन्दसा रखना, मौते करके औलाद घटाने से मुराद नही वैसे ही औलाद गिनती ही की होगी या बहुत देर बाद होगी। लेकिन जो होगी या जब होगी उम्दा और मुकम्मल होगी। बशर्ते कि इसके दुश्मन ग्रह की दृष्टि न हो केतु पर। ऐश का मालिक । केतु को लड़का भी माना जो अपने उच्च घरों में उम्दा फल देता है लेकिन अगर बृहस्पति या मंगल खाना नम्बर 6,12 में हो जावें तो केतु ख्वाह (चाहे) उच्च उम्दा या नेक घरों में ही क्यों न बैठा हो, मन्दा फल देगा। 
  • बृहस्पत मंगल बुध : खुद कुण्डली वाले में बुध में कुवते बाह (सम्भोग शक्ति) और मंगल के खून से बच्चा पैदा करने की ताकत और बृहस्पति की औलाद की पैदायश, तीनों को इकट्ठा रखने वाली ताकत नुतफ़ा या वीर्य या नुतफ़ा की बुनियाद को नर मादा में मिलाने वाली तुफानी हवा या खाली नाली होगी। यही तीन ग्रह केतु की तीन टांगे हैं, जिनकी वजह से शुक्र का बीज कहलाता है । अगर कुण्डली वाले का जो ग्रह रद्दी या उम्दा हालत में होगा वही रद्दी या उम्दा हालत होगी।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें। उपाय बहुत सारे है। जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप मुझसे फ़ोन कॉल के माध्यम सेअपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। 

मित्रों यह एक सिमित पोस्ट है, यहाँ विस्तार से व्याख्या करना सम्बव नहीं है। मित्रों मै एक प्रोफैशनल एस्ट्रोलोजर हूँ। मैं अपना पूरा समय एस्ट्रोलॉजी को ही देता हूँ। जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली मुझे दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहता हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो और लाल किताब ज्योतिष सीखने के इच्छुक हों संपर्क करें।
आचार्य हेमंत अग्रवाल

ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव

फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309
फेस बुक पर आचार्य हेमंत अग्रवाल या हेमंत अग्रवाल

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सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें।

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