Monday 15 June 2015

राहु - रहनुमाए गरीबां मुसाफिरां ......

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आज मैं राहु देव के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ। इस पोस्ट में मैं राहु देव के कुंडली में अलग अलग घरों में अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताऊँगा। अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों या राहु से सम्बंधित निचे लिखे हुए हालत हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें।
लाल किताब के मुताबिक राहु केतु दोनों पापी ग्रह हैं। राहु खुफिया पाप तो केतु ज़ाहिरा पाप है। सूरज डूबने के बाद शाम मगर शनि की रात शुरू होने से पहले का वक्त राहु और रात खत्म होने के बाद सुबह मगर सूरज निकलने से पहले का वक्त केतु है। राहु सिर का साया तो केतु सिर के बिना धड़ (जिस्म) का साया है। लेकिन इन्सानी जिस्म में नाभि के ऊपर सिर की तरफ का हिस्सा राहु का राज्य और नाभि के नीचे पांव की तरफ के हिस्से पर केतु का राज होगा। राहु कुंडली के खाना नं 12 में आसमानी हद बृहस्पाति के साथ मुकर्र हुआ तो केतु खाना नं 6 पाताल के बुध का साथी हुआ। दोनों की मुश्तरका बैठक कुंडली का खाना नं 2 है। दोनों के बाहम मिलने की जगह शारा आम यानि जिस जगह दो तरफ से आकर रास्ता बन्द हो जाता हो, वहां दोनों ग्रहों का ज़रूर मंदा असर या दोनों मन्दे या पाप की वारदातें या नाहक तोहमत और बदनामी के वाक्यात या ग्रहस्थी के बेगुनाह धक्के लग रहे होंगे। लाल किताब के मुताबिक:-
'' केतु कुत्ता हो पापी घड़ी का, चाबी राहु जा बनता हो।
चन्द्र सूरज से भेद हो खुलता, ज़ेर शनि दो होता हो ॥''
राहु केतु हमेशा बुध (घड़ी) के दायरे में घूमते हैं। अगर यह देखना हो कि राहु कैसा है तो चन्द्र का उपाय करें यानि खालिस चांदी का टुकड़ा अपने पास रखें और केतु की नीयत का पता लगाने के लिये सूरज का उपायें करें यानि सुर्ख तांबा अपने पास रखें। इस तरह दोनों ग्रहों का दिली पाप खुद व खुद पकड़ा जायेगा। यानि उस ग्रह के ताल्लुक के वाक्यात होने लगेगें। राहु और केतु में से अगर कोई भी खाना नं 8 में हो तो शनि भी उस वक्त खाना नं 8 में गिना जायेगा। यानि जैसा शनि वैसा ही फैसला समझा जायेगा। अगर राहु केतु दोनों खराब असर करना शुरू कर दें तो राहु 42 साल और केतु 48 साल तक और दोनो मुश्तरका 45 साल का मन्दा असर कर सकतें हैं। कुंडली में सूरज राहु मुश्तरका से सूरज ग्रहण और चन्द्र केतु मुश्तरका से चन्द्र ग्रहण होगा। लिहाज़ा ग्रहण से राहु केतु के मन्दे असर का ज़माना लम्बा हो सकता है। जिसके लिये ग्रहण के वक्त और वैसे भी पापी ग्रहों की चीज़ें (नारियल वगैरह) चलते पानी (दरिया या नदी) में बहाते रहना मददगार होगा।
राहु चन्द्रमा का पात है। अंग्रेजी में इसकी संज्ञा ड्रैगन्स हेड (सांप के फन) से है। लाल किताब में इसे यही नाम दिया गया है। इसे शनि का एजेंट (प्रतिनिधि) कहा गया है। लाल किताब की मान्यता के अनुसार शनि एक विशालकाय सांप है और राहु उसका फन है। इससे संकेतित होता है की राहु दुष्ट ग्रह है। 
राहु का रंग नीला माना गया है। नीला आकाश और नीला समुद्र राहु के अधिकार छेत्र में आते है। गुरु को हवा या पंख माना गया है जो ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर सतत प्रवाहमान है। द्वादशेश गुरु के साथ द्वादश में ही राहु भी हो तो वह गुरु से बलवत्तर हो जाता है। तब गुरु पूर्णतः सांसारिक मनुष्य बन जाता है। राहु उसे ऊंचाइयों पर नही जाने देता। राहु इतना शक्तिशाली ग्रह है कि सारा संसार उसके कदमों में है। जबतक चतुर्थ भाव या चन्द्रमा क्षुब्द्ध /पीड़ित न हो तब तक राहु अशुभ फल नही देता।
जब मंगल 12 या 3 में हो, सूर्य और बुध तृतीय में हो या राहु स्वय चतुर्थ में हो तब राहु का फल शुभ होता है। जब तक राहु का बुध से युति /दृष्टि सम्बन्ध हो तब तक राहु शुभ फल देता है। राहु यदि शनि से पूर्ववर्ती भावों में है तो शनि उसके निर्देशानुसार फल देता है। यदि राहु से पूर्ववर्ती शनि हुआ तो शनि के आदेशानुसार राहु फल देता है। वह चन्द्रमा को पीड़ित करता है। किन्तु वे दोनों एक ही भाव में हो तो ऐसा नही करता। यदि राहु अशुभ दुष्ट हुआ तो उसके अशुभ फल जातक की आयु के 42 वे वर्ष तक रहता है। जब सूर्य और शनि किसी घर में एक साथ गोचर करते है तब राहु प्राय अशुभ ही रहता है ऐसी स्तिथि में मंगल भी बद हो जाता है। 
यदि राहु अपने शत्रुओं (सूर्य, मंगल, शुक्र) के साथ साथ केतु पर दृष्टि पात करे तो जातक के नर बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। केतु से सम्बंधित सम्बन्धी और पदार्थ भी प्रभावित करते है। यदि राहु सूर्य से युक्त/दृस्ट हो तो वह जिस भाव में स्थित होता है उस भाव का फल विकृत कर देता है। इतना ही नही, उससे आगे वाले भाव को भी प्रभावित करके दूषित कर देता है। जब राहु का दुष्प्रभाव चल रहा हो तब घर के दक्षिणी द्वार से बड़े बड़े अनर्थ होते है। अतः घर का द्वार दक्षिणोन्मुख होना ही नही चाहिए।
जब राहु का दुष्प्रभाव हो तब निम्नलिखित उपाय करके निजात पायी जा सकती हे ।
  1. मानसिक शांति भंग हुई हो तो चांदी के उपाए करने चाहिए। चांदी का छल्ला पहनना चाहिए, चांदी का टुकड़ा जमीन में दबाना, घर में रखना, चांदी किसी न किसी रूप में अपने पास रखनी चाहिए।
  2. सफाई कर्मचारी को लाल मसूर की दाल दें। उसकी हर तरह से सहायता करें।
  3. बीमार आदमी के बराबर गेहू या जौ तोले। फिर उसे बहते पानी में डाल दें।
  4. पलंग नीचे रातको सोते समय जौ रखें। सुबह उठकर उन्हें गरीब को दे दें। 
  5. सरकार के साथ व्यापारिक समस्याओं के समाधान के लिए जातक के वज़न बराबर लकड़ी, कोयला आदि बहते पानी में डालें।
ग्रहों के पेंतीस साला दौरे में राहु के 6 वर्ष। सरस्वती इसकी अधिस्ठात्री देवी है। सीसा इसकी धातु और गोमेद रत्न है। जौ, सरसों, मूली राहु के भोज्य पदार्थ है। स्मृति और कल्पना इसके गुण है। बिजली के यंत्र, मशीन, नीला रंग शौचालय, चिमनी और पेंट - पजामे राहु के अधिकार छेत्र में आते। राहु सास ससुर और माता का कारक।
लाल किताबकार के अनुसार 
राहु :- रहनुमाए गरीबां मुसाफिरां ।
मस्त हाथी ज़िन्दा (नीच) कीमत एक लाख, मुर्दा (उच्च) सवा लाख ।
दुनियां के फर्ज़ी अन्देशे की सोच विचार और जागते हुये ही इन्सानी दिमाग में ख्वाबी लहर और क्यासी ख्यालात की नकल व हरकत का 42 साला उम्र का ज़माना राहु का अहद है। सब कुछ होते हुये कुछ भी न होना राहु शरीफ़ की असलियत है। दिमागी लहर का मालिक सब दुश्मनों से बचाव और उनका नाश करने वाला माना गया है। उत्तम असर के वक्त चोट लगने से नीला रंग हो चुके जिस्म को फूंक से ही तन्दरूस्त करने वाला मानिंद हाथी मगर सफेद रंग का । राहु जिसकी मदद पर हो जाये कुल दुनिया का सिर उसके सामने झुक जाये। कुंडली में अगर मंगल शनि मुश्तरका या राहु अकेला खाना नं 4 में या चन्द्र उत्तम हो या मंगल खाना नं 12 में हो तो राहु मन्दा असर न देगा। अगर राहु कुण्डली में शनि के बाद के घरों में बैठा हो तो शनि से हुकम लेकर काम करेगा। लेकिन जब शनि से पहले घरों में हो तो खुद हाकिम होगा और शनि को हुक्म देगा।
राहु मन्दे के वक्त इसका मन्दा असर राहु की कुल मियाद 42 साला उम्र के पूरा होने पर दूर होगा। फालतू धन दौलत, दुनियावी आराम व बरकत 42 के बाद फौरन बहाल हाेंगे। कड़कती हुई बिजली, भूचाल, आतिशी खेज़ मादा पाप की एजेन्सी में बदी का मालिक हर मन्दे काम में मौत का बहाना घड़ने वाली ताकत, ठगी, चोरी और अयारी का सरगना चोट मारके नीला रंग कर देने वाली गैबी लहर का नामी फ़रिशता कभी छिपा नही रहता। कुंडली में सूरज शुक्र मुश्तरका होंतो राहु अमूमन मन्दा असर देगा। अगर सूरज शनि मुश्तरका और मन्दे हों तो राहु नीच फल बल्कि मंगल भी मंगल बद ही होगा। अगर केतु पहले घरों में और राहु बाद के घरों में हो तो राहु का असर मन्दा और केतु सिफर होगा। अगर राहु अपने दुश्मन ग्रहों (सूरज, शुक्र, मंगल) को साथ लेकर केतु को देखे तो नर औलाद, केतु की चीज़ें, कारोबार या रिश्तेदार मतल्का केतु बर्बाद होंगे। सूरज की दृष्टि या साथ से राहु का असर न सिर्फ बैठा होने वाले घर पर मन्दा होगा बल्कि साथ लगता हुआ घर भी बर्बाद होगा। मन्दे राहु के वक्त दक्षिण के दरवाज़े का साथ न सिफ माली नुक्सान देगा बल्कि इसका ताकतवार हाथी भी मामली चींटी से मर जायेगा। मन्दे राहु के वक्त यानि जब बुखार, दुनियावी दुश्मन या अचानक उलझन पर उलझन खड़ी होती जाये तो:-

  • चांदी का उपाये मददगार जब दिल की शांति बरबाद हो रही हो।
  • मसूर की दाल सुर्ख रंग दली हुई, भंगी को सुबह देवें या वैसे ही भंगी को पैसे की खैरात करते रहें।
  • मरीज के वज़न के बराबर जौं (अनाज, कनक) चलते पानी में बहा देवें।
  • जौं रात को सिरहाने रखकर सुबह जानवरों या गरीबों में तकसीम करदें।
  • राज दरबार या व्यापार के आये दिन झगड़े और नुकसानों के वक्त अपने जिस्म के वज़न के बराबर कच्चे कोयले दरिया में बहाना मदद देगा। 
अलग अलग भावों में राहु के दुष्प्रभाव को कम करने के कुछ उपाए :
लग्न - 
  • गेहूँ, गुड और कांसा मंदिर में दान करें।
  • चांदी का चौकोर टुकड़ा गर्दन में बांधे। उसकी मोटाई सब जगह बराबर होनी चाहिए।
  • दूध से स्नान करें।
द्वितीय भाव - 
  • जेब में चांदी की छोटी छोटी गोलियां रखें।
  • ललाट पर हल्दी या केसर का तिलक लगाये।
  • सोने के गहने पहने।
तृतीय भाव - 
  • हाथी दन्त की बनी हुई चीज़े अपने पास रखें।
  • चन्द्रमा के लिए निर्दिष्ट उपचार करें।
चतुर्थ भाव - 
  • हरिद्धार जाकर गंगा स्नान करें।
  • घर में और घर की दीवारों के पास पानी जमा न होने दें।
  • सीढ़ियों के नीचे रसोई घर न बनाएं। 
पंचम भाव - 
  • चांदी से बना हाथी (खिलौना) घर में रखें।
  • अपनी पत्नी से दूसरी बार विवाह करें।
  • दूसरी शादी पहली पत्नी के अतिरिक्त अन्ये किसी से) न करें।
षष्ठ भाव - 
  • काला कुत्ता घर में पालें।
  • घर में और दफ्तर में काले शीशे लगाएं।
  • शीशे की छोटी छोटी गोलियां जेब में रखें।
सप्तम भाव - 
  • घर में कुत्ता पालें।
  • घर में चांदी की ईंट रखें।
  • बहते पानी में नारियल डालें।
अष्टम भाव - 
  • 42 वर्ष की आयु तक प्रतिवर्ष सीसे के 8 सिक्के बहते पानी में डालें।
  • जेब में चांदी रखें जिसकी मोटाई एक जैसी हो।
नवम भाव - 
  • संयुक्त परिवार में रहें।
  • सोना पहनें। 
  • मंदिर में मत्था टेके।
दसम भाव - 
  • सिर पर टोपी या पगड़ी हर वक्त रखें।
  • मंगल के लिए निर्दिष्ट उपचार करें।
एकादश भाव - 
  • चांदी सिर पर धारण करें।
  • चांदी के बर्तन में दूध पियें।
  • घर में अस्त्र शस्त्र न रखें।
  • चार किलो सीसा और एक सूखा नारियल बहते पानी में डालें।
द्वादश भाव - 
  • सौंफ और चीनी तकिये के नीचे रखें।
  • ठोस चांदी का बना हुआ हाथी घर में रखें।
  • घर के भीतर अंतिम सिरे में अँधेरा कमरा बनाएं।
सामान्य उपचार सब भावों के लिए -
  • सरस्वती देवी की पूजा करें।
  • बिजली से चलने वाले उपकरण, स्टील के बर्तन और नीले रंग के कपडे किसी से न लें।
  • कन्या दान करें।
  • गोमेद पहनें।
  • तम्बाकू का सेवन कभी न करें।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

1 comment:

  1. Shani ka rang asal mein gehra neela Hain. Unke saree ratan here neele sir cheese bhi gehri neeli hein. Rahu ek Chaya graha hein sir Shanike PA home ke Karan Shani ke prabhav see ye dhuye jaise kohre neele hein. Rahuke ek bhi ratan Shani ki tarah neela nahin Hein.

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