Saturday 4 April 2015

कम उम्र में बच्चों का झुकाव सैक्स की तरफ


जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………

कम उम्र में बच्चों का झुकाव सैक्स की तरफ
मित्रों में आज जियोतिष का एक ऐसा पहलू आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ जो अन्य अस्ट्रोलॉजर्स ने हमेशा नजर अंदाज किया है। पर में इस पहलू को नजर अंदाज नहीं करना चाहता क्यूंकि अगर जड़ मजबूत ना होगी तो पेड़ स्थिर कैसे रहेगा।
सैक्स की तरफ बच्चों का झुकाव 12 से 15 साल की उम्र के बीच में होना शुरू हो जाता है कारण शरीर में हार्मोन्स परिवर्तन। लेकिन अगर बच्चे की कुंडली में साथ ही माता पिता की कुंडली में भी केतु देव बुरे हाल या नीच के हों तो बच्चे में 12 से 15 साल की उम्र में फालतू का भटकाव शुरू हो जायेगा। किउंकि 12 से 15 साल का अरसा केतु का पक्का अरसा होता है। ऐसे समय में बुध देव भी बुरे नीच के बैठे हों तो बच्चे के अंदर अपना और अपने घर परिवार के लिए भला सोचने की ताकत ख़राब हो जाती है। और उनके मन में भटकाव पैदा हो जाता है। जिस कारण उन्हें बुरी सोच के मित्र मिलते हैं। ऐसे बच्चों को अपने आस पास का माहौल ही बुरा और बुरे लोगों का साथ मिलता है। साथ ही जिन माता पिता की कुंडली में भी बुध देव नीच के मंदे या बुरे हालात में हों तो उनको अपनी बहन बेटियों की तरफ से ज्यादा परेशानी आती है। क्यूंकि नर औलाद का कारक ग्रह केतू और कन्या औलाद का कारक ग्रह बुध है। केतु अच्छे हालात में हों तो नर औलाद के सुख और अच्छी मान सम्मान साथ हो औलाद की भी तरक्की होती है। बच्चों में फालतू का भटकाव नहीं होता। अगर बुध देव अच्छे हालात में हों तो ऐसा व्यक्ति भरपूर चंट चालक होता है। उसको अपने जीवन में बहन बेटियों की तरफ से कोई परेशानी नहीं होती उनसे भरपूर प्रेम बना रहता है। लेकिन जिन बच्चों की कुंडली में बुध बुरे हाल नीच के हों तो बो अपनी समझ का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते और उनमे कम उम्र में ही भटकाव शुरू हो जाता है। उन्हें आसानी से उनके संगी साथी ही भटकाने का कम करते हैं। उनको अपने आस पास स्कूल में गन्दा माहौल मिलता है और ऐसे बच्चे ऐसे माहौल में घुल मिल जाते हैं। और सैक्स की तरफ आकर्षित होने लगते हैं। उनमे जिददी पन बढ़ता जाता है। स्कूल से भागते हैं। सिनेमा मॉल में अपने अपोजिट सैक्स के दोस्तों के साथ घुमते हैं। पढ़ाई लिखाई चौपट हो जाती है। घर परिवार का मान सम्मान ख़राब होता है। बच्चे में फालतू की भाग दौड़ शुरू हो जाती है। बच्चा झूठ बोलने लगता है। जिस कारण बच्चा अपना भविष्य खुद ही अपने हाथों ख़राब कर लेता है।
अमूमन जिन बच्चों को उपरोक्त परेशानियां होतीं हैं उनकी कुंडली में शुक्र देव भी बुरे हालात में होते हैं। शुक्र के साथ उनके दुश्मन ग्रह सूर्य राहू और शनि देव हों या राहू देव घर 7 में भी बच्चों को कम उम्र में सैक्स की तरफ धकेलते हैं। अकेला राहू 7 ही बच्चे को बुरी और नेगेटिव सोच देने के लिए काफी है। राहू घर 7 में बहुत गन्दी सोच देता है। राहू 7 बाला व्यक्ति रिश्ते और उम्र का लिहाज भी नही करता। जिस कारण बच्चे में सैक्स की तरफ झुकाव जल्दी ही और कम उम्र में हो जाता है।
1-उपरोक्त हालात में केतु देव के उपाय करके बच्चे को फालतू के भटकाव से रोका जा सकता है।
2-बुध देव के उपाय से बच्चे को अपना भला बुरा समझने में आसानी होगी।
3-शुक्र देव जिस ग्रह से ख़राब हो रहे हों उसको उपाय करके ठीक करें।
बच्चे को मॉरल स्पोर्ट दें।
चांदी के बर्तन में गंगा जल भरके 4 चांदी के चौकोर टुकड़े डाल के घर में रखें जिससे चंद्र देव ठीक होंगे और बच्चे की मन में ठंडक और शांति आएगी।
केसर का टीका बच्चे को रोज लगबायें।

मित्रो उपाय और भी बहुत सारे है । जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है । और उनको अपने जीवन में उतारकर हम अपने जीवन को सुखमय बना सकते है । अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप मुझसे फ़ोन कॉल के माध्यम सेअपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारा संस्थान आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। मित्रों यह एक सिमित पोस्ट है, यहाँ विस्तार से व्याख्या करना सम्बव नहीं है

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फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309
फेस बुक पर आचार्य हेमंत अग्रवाल या हेमंत अग्रवाल
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सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें।
माता रानी सब को खुशीआं दे।

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