Thursday, 30 April 2015

खाना न 11 - जाती हाल - ऐ - इन्साफ .....

जय माता दी । 
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से……… 
गुरू अस्थान
’’पाप अकेला असर अकेला, तीन पांच नौ ग्यारह;
शनि बली का साथ मिले तो, असर बढ़े गुणा ग्यारह।’’
कुण्डली के खाना नम्बर 11 को लाल किताब में गुरू अस्थान (जाये इन्साफ) इंसाफ की जगह या इन्सानी किस्मत की बुनियाद कहा गया है। इन्सान का जाती हाल (आमदन-कमाई-जन्म वक्त) या टेवे वाले का कुल दुनिया से ताल्लुक और सब की इकट्ठी (मुश्तर्का) किस्मत का मैदान हर शख्स अपने साथ लिए हुये है।
  • इस घर में केतु होने पर चन्द्र बरबाद और चन्द्र होने पर केतु बरबाद। 
  • इसी तरह इस घर में बृहस्पत होने पर राहु बरबाद और राहु होने पर बृहस्पत बर्बाद होगा।
  • खाना नम्बर 11 के ग्रह सिवाये पापी ग्रहों के बे-एतबारी हालत के होंगे। 
  • खाना नम्बर 11 का असर उस वक्त ही मुकम्मल जागता हुआ माना जायेगा जबकि खाना नम्बर 3-1 दोनों ही घरों में कोई न कोई ग्रह ज़रूर हो। 
  • अगर खाना नम्बर 3 खाली हो तो अमूमन नेक फल तख्त के आने के दिन से शुरू करेंगे (कहने का भाव यह है कि खाना नं 11 में स्थित ग्रह जब वर्षफल में लगन में  आये तब) और खाना नम्बर 8 में आने के वक्त मन्दा असर देंगे (कहने का भाव यह है कि खाना नं 11 में स्थित ग्रह जब वर्षफल में खाना नं 8 में आये तब)। 
  • जब खाना नम्बर 8 और 11 आपस (बाहम) दुश्मन हो तो नम्बर 11 के ग्रह की सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ टेवे वाले के किसी काम न आयेगी बल्कि ऐसे सदमे या मन्दी सेहत की निशानी होगी कि जिससे पीठ टूटी हुई या घर के मकान की छत गिरी हुई की तरह मातम का ज़माना होगा। उपाए : ऐसी हालत में खाना नम्बर 11 के ग्रह की सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ भी साथ ही उसके दोस्त ग्रह या ऐसे ग्रह की सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ भी साथ ही ले आवे जो ग्रह के मन्दे असर को नेक कर लेवे। मसलन् सनीचर नम्बर 11 हो तो सनीचर की चीज़ों (अश्या) के साथ ही केतु की चीज़ों (अश्या) ले आना फायदेमंद (मुबारक) होगा। यानि अगर मकान बनाओ तो कुत्ता भी साथ रख लो। मशीनें खरीदो तो बच्चे के खिलौने वगैरह भी साथ ही खरीद लाओ। इस तरह सनीचर बुरे असर के बजाये और भला असर देगा। मन्दी हालत में ग्रह सम्बंधित (मुताल्लिका) की कुल मुकर्ररा उम्र की मियाद के बाद नम्बर 11 में बैठे हुये या उसके दोस्त ग्रह की सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ का उपायो मददगार होगा। बशर्ते पापी ग्रहों से कोई उस वक्त वर्षफल के हिसाब से खाना नम्बर 1 में न हो। 
  • अगर कोई पापी नम्बर 1 में ही हो तो खाना नम्बर 9 में आये हुये ग्रह की सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ के उपायों से नेक असर होगा। अगर खाना नम्बर 9 खाली ही होवे तो बृहस्पत का उपायो मददगार होगा। 
खाना नम्बर 11 के ग्रहों की बे-एतबारी की हालत या असर इस तरह होगा।
  • बृहस्पत नेक हालत में, जब तक टेवे वाला खानदान में इकट्ठे (मुश्तर्का) रहे और पिता जि़न्दा हो तो सांप भी सजदा करे। मन्दी हालत में जब पिता से जुदा और चाल चलन का ढीला या मन्दे ग्रहों का कारोबार हो तो मच्छर का मुकाबला न कर सके और कफ़न तक पराया हो ।
  • सूरज नेक हालत में, जिस कदर धर्मात्मा और सफा खुराक हो तो उसी कदर उत्तम जि़न्दगी और साहिबे परिवार हो। मन्दी हालत में जब सनीचर की खुराक(जैसे कि नॉन वेज)  खाता हो तो विधाता खुद अपनी कलम से लावल्दी का हुकम लिख देगा।
  • चन्द्र नेक हालत में, अगर टेवे में बृहस्पत और केतु उम्दा तो माया और औलाद की माता के बैठे तक भी कोई कमी न होगी। मन्दी हालत में माता के जि़न्दा होते हुये नर औलाद शायद ही माता को देखनी नसीब होगी।
  • शुक्र नेक हालत में दौलत का भण्डारी जब तक औरत का भाई मौजूद हो या मंगल उम्दा हो। मन्दी हालत में बुद्धू, बुज़दिल और हिजड़ा और धन दौलत से दुखिया ही होगा।
  • मंगल नेक हालत में बृहस्पत के पीछे पीछे कदम पर कदम रखने वाला बहादुर चीते की तरह ज़माने की अन्धेरी रातों को भी किसी रास्ते से जा  करके (उबूर) अपना शिकार या दिली ख्वाहिश पा लेगा। मंगल मन्दी हालत में दुम को आग लगी हुई हालत में लंका से भागते हुये हनुमान जी की तरह समन्दर के पानी की तलाश में होगा।
  • बुध नेक हालत में, चन्द्र बृहस्पत और सनीचर से मारे हुये यानि माता पिता के यहाँ जन्म लेने के दिन और दुनिया के गैबी अन्धेरे से निकल कर आंखों के देखने के वक्त से ही दुखिया होने वाले को अपने वक्त में हर तरह और हर हालत में डूबे होने पर पर भी जि़न्दा करके तार देगा। मन्दी हालत में ऐसी खोटी अक्ल का मालिक जो पौधे को जड़ से उखाड़ देवे और खुद भी गिरने वाले दरख़त के नीचे आकर दब मरे।
  • सनीचर नेक हालत में विधाता की तरफ से  निःसंतान (लावल्दी) लिखे हुक्म को भी दूर करके बच्चे की पैदायश का हुक्म देगा और तमाम दुनिया के ज़हरों और हर तरह के विरोद्धी (मुखालेफीन) के विरूद्ध (बरखिलाफ) अकेला ही हर तरह से पूरी रक्षा (हिफ़ाजत) करेगा और धर्म ईमान में सच्चे होने का पूरा सबूत देगा। मन्दी हालत में भरी बेड़ी को मंझदार पहुंचकर बेड़ी का चप्पू सिरहाने रखकर अचानक सो जायेगा और अपनी आल औलाद को ऐसी अधूरी हालत में छोड़कर मरेगा कि उनकी आहों को सुनने वाला शायद ही कोई गृहस्थी मददगार होगा या हो सकेगा।
  • राहु नेक हालत में इतने मुतकब्बिर और अपनी कमाई पर काबिज़ कि अपने मां बाप से भी कौड़ी पाई तक न लेंगे ताकि उसपर कोई एहसान न हो जावे । खुद कमायेंगे और सोना बनायेंगे मगर अपने जन्म से पहले के मिले हुये सोने को खाक कर दिखायेंगे। न बृहस्पत का लिहाज़ न राहु के जेलखाने का फि़कर मगर खुद ख्वाबी दुनिया में कोहेतूर (वह पहाड़ जिसपर हजरत मूसा को अल्लाह के दर्शन हुए थे)  पर बैठे खुदा की जियारत (दर्शन) कर रहे होंगे। मन्दी हालत में जन्म लेते ही अपनी मियाद से पहले अगर सबसे सांस और जिस्म के खून (खासकर बाप या बाबे के) को संखिया और अफियून से ज़हरीला बरबाद और बन्द न कर दिया तो ऐसे टेवे वाले के जन्म लेने का किसी को पता ही क्या लगेगा। यानि अगर अफीम से मरे या संखिया से चल बसे या हीरा चाट गये कोयला से राख हुये जो कुछ कहो सच मगर वह तमाशा देखने के लिए हर वक्त हाजि़र नाजि़र (मौज़ूद)  होगा।
  • केतु नेक का फल संतान, कारोबार, या केतु के सम्बन्धियों का फल 11 गुना शुभ होगा यदि खाना नं 5 में बृहस्पत या चन्द्र न हो अन्यथा स्वयं अपना केतु अर्थात अपनी संतान का, शनि तथा चन्द्रमा का फल हद से अधिक मंदा होगा।  
खाना नम्बर 11 को समझने के लिए तमाम इल्म की वाकफ़ी ज़रूरी होगी। सब ग्रहों ने कोशिश की मगर इसे नीच कोई न कर सका। आखीर पर सनीचर खुद बदनामी उतारने के लिए सबके लिए कुंभ, पानी का भरा हुआ घड़ा शगुन के तौर पर ले आया कि अगर चन्द्र (पानी) से ही मौत का घर ऊँचा हो सकता है तो मेरे भी काम आयेगा। मगर खाना नम्बर 11 सबकी अपनी अपनी आमदन है। इसे कौन नीचा करे? सबकी किस्मत का मुकाम है। इसलिए कहा जाता है ’’मेरी किस्मत को कौन धो देगा ?’’ सबको अपना अपना हिस्सा मिल ही जाता है और फिर जब यह खाना एक से ग्यारह हो गया है। किस्सा मुखतसर (संक्षेप में) इसी पानी के घड़े के कतरा कतरा पर सबने लड़ना और मरना है। जिसे किस्मत देगी वह ले लेगा। सनीचर चाहे (ख्वाह) अपने घर में इस घड़े को रखे और सबसे होशियार आंख से ही निगरानी क्यों न करे मगर बरताने वाला तो बृहस्पत ही सबका गुरू है। राहु केतु के पैदा किये हुये कारनामों को साथ लेता हुआ खाना नम्बर 11 में जाकर सनीचर दोनो जहान के गुरू के दरबार में खुदा को हाजि़र नाजि़र कहकर फैसला करेगा जिसमें बृहस्पत की रज़ामन्दी ज़रूरी होगी।

कुछ लाल किताबकार के अनुसार लाल किताब में ग्यारहवें भाव को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। इसे इंसानी किस्मत की बुनियाद कहा गया है। किस्मत बनती है दौलत से और दौलत आती है आय से। अतः प्रकारान्तर से यह आय का भाव हुआ। ज्योतिष शास्त्र में भी एकादश को आय भाव की संज्ञा दी गयी है। लाल किताब के अनुसार एकादश भाव का स्वामी शनि है। इस भाव का कारक गुरु है। इसीलिए इसे गुरु का स्थान भी कहा गया है। एकादश भाव जातक के वैभव, ऐश्वर्य, आमदनी और बचत - बरकत का निर्णय करता है। इसी कारण इसे न्याय का स्थान कहा गया है। 
  • एकादश पर पंचवे और तीसरे भाव की दृष्टि होती है। तीसरे भाव के खाली रहते हुए एकादश में राहु केतु बैठे हों तो वे शुभ फल देते है। 
  • ग्यारहवें भाव में बैठे हुए ग्रह यदि अष्टमस्थ ग्रहों को देखते हों तो फल अशुभ होता है। 
  • तीसरे भाव में बृहस्पति के मित्र (सूर्य, चन्द्र, मंगल) ग्रह बैठे हों तो ग्यारहवें का फल हमेशा उत्तम होता है। 
  • ग्यारह का फल पूरी तरह से जगता हुआ तभी होता है जबकि तीसरे और पहले दोनों में कोई न कोई ग्रह बैठा हों। 
  • तीसरा भाव में केतु और शुक्र हों तो तब भी ग्यारहवें का उत्तम फल होता है। 
  • केतु ग्यारहवें में हो तो चन्द्रमा के फल को नष्ट कर देता है। चन्द्रमा ग्यारहवें में हो तो केतु के फल को नष्ट कर देता है। 
  • राहु हो तो बृहस्पत के फल को नष्ट कर देता है और बृहस्पत हो तो राहु के फल को नष्ट कर देता है।केतु शुभ फल देने की स्थति में हो और पाँचवे घर में चन्द्र और बृस्पति न हों तो फल की शुभता ग्यारह गुनी बढ़ जाती है। 
  • अष्टम और एकादश में बैठे हुए ग्रह परस्पर शत्रु हों तो केवल एकादश की चीज़े घर लाना मौत को निमंत्रण देना है। ऐसी हालत में एकादशस्थ ग्रह के मित्र की वस्तुए भी साथ में ले आनी चाहिए अथवा ऎसे ग्रह की वस्तुए साथ में लानी चाहिए जो एकादशस्थ ग्रह की अशुभता को शुभता में बदल दें। उदाहरणार्थ माकन बनाये तो कुत्ता भी पाले। मशीन खरीदकर लाये तो बच्चे के खिलोने भी लाये। ऐसा करने से एकादशस्थ ग्रह अशुभता छोड़कर शुभ फल देगा।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो एक अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। उपाय बहुत सारे है । जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप मुझसे फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारा संस्थान आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली मुझे दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहता हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो और लाल किताब ज्योतिष सीखने के इच्छुक हों संपर्क करें। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

खाना नंबर 3 - मृतु के समय कूच का मार्ग (रोग इत्यादी) .......

जय माता दी !


गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………


मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
तृतीय भाव
लाल किताब की उक्ति है -तीन मंदा काने अर्थात तीन काने होते है। तीन की संख्या अशुभ मानीजाती है। तीन आदमी एक साथ किसी काम के लिए नही जाते। कोई वस्तु लेनी देनी हो तो तीन की संख्या में नही देते। तीसरा रन लेने की कोशिश में अच्छे अच्छे बल्लेबाज आउट हो जाते है। यों तो शास्त्रीय ज्योतिष में भी तीसरे भाव को बहुत शुभ भावों की श्रेणी में नही रखा गया है; किन्तु लाल किताबकार ने तो इसे बहुत ही अशुभ कहा है।
इस घर का रंग है खूनी, असर होता भी है खूनी।
तृतीय भाव का स्वामी बुध और कारक मंगल होता है। शास्त्रीय ज्योतिष में इसकी संज्ञा 'सहज ' है। इस भाव से भाई बहनों का विचार किया जाता है। लाल किताबकार ने सिद्धांत रूप में तीसरे भावको भाई -बन्धुओ का कारक माना गया है। किन्तु फल कथन के दौरान इसके मारक पक्ष को ही उभारा है। इस भाव को विशेष रूप से मृत्यु और रोग का कारक माना गया है -
इस दुनिया से कूच का वक्त,राहे रवानगी और बीमारियाँ।
तृतीय भाव में राहू तथा बुध उच्च और शुक्र नीच का होता है।
तृतीय भाव में ग्रहों की स्थिति और इस पर ग्रहों की दृष्टि के अध्ययन से यह पता चलता है की जातक की मृत्यु कब और कैसे और कहा होगी तथा वह किन रोगों से पीड़ित होगा। 
शास्त्रीय ज्योतिष के अनुसार दु:स्थानों में खोटे ग्रह शुभ होते है; किन्तु लाल किताब के अनुसार तृतीय में राहु - केतु की स्थिति खतरनाक। राहू केतु स्वय मारक नही होते; किन्तु वे मृत्यु - तुल्य कष्ठकर स्थति उत्पन्न कर देते है। राहु केतु के तृतीय में होने के साथ साथ षष्ठम या अष्टम में भी खोटे ग्रह हुए तो मृत्यु की सम्भावना बढ़ जाती है यदि तृतीयस्थ राहु -केतु के साथ साथ शठास्थ दोनों में ही खोटे ग्रह हुए तो "राहे रवानगी " निश्चित है।
संकट के समय तृतीया भाव को द्वादश भाव से सम बल मिलता है, चाहे द्वादस्थ ग्रहों से शत्रुता ही क्यों ना हो। उदाहरण के लिए मान लीजिये की केतु तृतीय में है और मंगल द्वादश में। मंगल, केतु का शत्रु होते हुए भी, आपातकाल में भी केतु की सहायता करेगा, उसे सम बल देगा। फल स्वरुप जातक पर केतु का दुष्प्रभाव नही होगा। इसी प्रकार यदि गुरु तृतीय में हो और बुध द्वादश में तो बुध, गुरु का शत्रु होते हुए भी, गुरु को सम बल देता है। फलतः तृतीया भाव की कोई छति नही होती। जातक को सुख समृद्धि ही प्राप्त होगी। यदि इन स्थानों (12 -3 ) में दो या दो से अधिक ग्रह हो तो उनके फलाफल का विश्लेषण करके हानि का अनुमान लगाना होगा।
द्वादश में राहु और शुक्र इक्कठे बैठे हो तो जातक की आयु के 24 वें या 25 वें वर्ष में उसके जीवन साथी को मृत्यु देते है। द्वादश में राहु शुक्र के साथ साथ तृतीय में शनि बैठा हो तो वह शुक्र की सहायता करेगा। फलतः राहु अपनी शरारत करेगा। फलतः राहु अपनी शरारत में सफल नही हो सकेगा।
राहे रवानगी
’’इस घर का जो रंग है खूनी, असर होता भी खूनी है ।
होता जभी ग्रह इस घर ज़ुल्मी, देता असर वह कष्टी है।’’
कुण्डली के खाना नम्बर 3 को लाल किताब में इस दुनिया से कूच के वक्त राहे रवानगी कहा गया है। असल (हकीकी) रिश्तेदार, बहन भाई, भाई बन्द, साले बेह्नोइये, नज़र का असर (पत्थर फाड़े या तारे) जिगर खून, आम खुशी गमी की औसत हालत, सुभाओ गर्म-तरोबादी होगा। दरिन्दे शेर जंगली जानवर, भाई का घर, ताये, चाचे का मकान, मकान के साजो सामान वास्ते आराइश अंदरूनी, दरख्त की शाख व तना मुराद होगी | जिस्मानी ताकत, मुताल्लिका बृहस्पत, ठगी, चोरी, अयारी, यारी मुहब्बत, नुक्सान, जंग व जदल, नेकी, इन्साफ (मुंसिफ़ी), बज़ुर्गाना ताल्लुक, बच्चा पैदा करने की ताकत, परिवार, कबीला का बढ़ना व बढ़ाना, उठती जवानी का हाल, आकाश, दुनिया से माया के चले जाने का रास्ता, दूसरों की मदद से पैदा करदा दोस्त यार मददगार आदमी, दक्षिण दिशा (जनूब), बुध, शनि और मंगल जैसे हों वैसा ही फल होगा। इस घर में चन्द्र, शुक्र, शनि राशि फल के होंगे। यह मैदान (सेहन) है खाना नम्बर 11 का और इसका न्याकर्ता (मुन्सिफ) होगा बुध सब्ज़, मंगल। मर्द व औरत की जोड़ी या आपसी (बाहमी) ताल्लुक व उम्र का साथ ज़ाहिर होगा (खाना नंबर 3 से)।
त्रिलोकी का भेद खाना नम्बर 3 से खाना नम्बर 9 में नौ ही ग्रहों से ज़ाहिर हुआ। जहां कि गैबी और ज़ाहिरा दोनो जहांन का मालिक बृहस्पत था। जिसने दुनिया को यह ख़बर देने के लिए गृहस्थियों का घर शुक्र का खाना नम्बर 2 को पक्का घर बनाया। जिसमें आने के बाद चले जाने का पैगाम या मौत का हुक्म भी खाना नम्बर 8 से आने लगा। इस गुरू (बृहस्पत) ने यह भेद कुत्ते के ज़रिए खाना नम्बर 6 में भेजा। कुत्ता बोला तो उसकी आवाज़ फिर वापिस आसमानी खाना नम्बर 12 में जा पहुंची। इस भेद की जो चीज़ खाना नम्बर 3 से 9 में और खाना नम्बर 8 से खाना 2 में ले गई वह दृष्टि देखना या मंगल सनीचर की नज़र का होना कहलाया। इस नज़र को बृहस्पत ने पहचाना और अपने साथी दुनियावी दरवेश कुुत्ते की आवाज़ बुध से ज़ाहिर कर दिया। बृहस्पत ने गैबी बात पहचानी। केतु ने बुध के रास्ते धन दौलत के सुख के खाने में ख़बर दे दी। दोनो दरवेशों (बृहस्पत और केतु) की इस ताकत को बुध ने ज़ाहिर किया। इसलिए बुध का आकाश या आवाज़ नक्कारा खल्क को आवाज़े खुदा समझा गया या बुध सब का भेद खोल देगा। अगर बुध अच्छा तो चन्द्र का बुरा फल न होगा। जब चन्द्र अच्छा तो शुक्र का बुरा फल न होगा। इसीलिए बुध अपना फल शुक्र में पहुंचा देता है। यानि बुध के बगैर शुक्र पागल होगा और शुक्र के बगैर बुध दीवाना पागल कुत्ता होगा जो अपने मालिक को छोड़कर (दीवाना कुत्ता मालिक को छोड़ जाता है) और अगर वह अपने ही घर जहां वह पागल हुआ बंधा होवे यानि खाना नम्बर 12 में तो मालिक को भी काट देगा। गोया बुध ही सब ग्रहों का भेदी है और बृहस्पत सबको जानने वाला है। यह दोनो ही ग्रह राहु केतु के सर और पांव को पहचान सकते हैं क्योंकि दोनों मुश्तर्का ग्रहचाली बच्चा माने हैं। खुलासातन खाना नम्बर 3 के ग्रह खाना नम्बर 8 की रद्दी हालत से बचाने वाले होंगे। ख्वाह वह नम्बर 3 के ग्रह खुद खाना नम्बर 11 की मन्दी हालत में ही क्यों न हों। या यूं कहो कि खाना नम्बर 3 कुण्डली वाले पर मन्दा न होगा अगर खुद उस ग्रह की मुताल्लिका चीज़ों का ताल्लुक मन्दा हो तो बेशक ।
जब नम्बर 3 में पापी ग्रह बैठें हो और नम्बर 8 व 6 भी मन्दे हो रहे हों तो अगर मौत नही तो बहाना मौत ज़रूर खड़ा कर देंगे। खाना नम्बर 12 का ग्रह ख्वाह नम्बर 3 वाले का दुश्मन ही हो, नम्बर 3 को मदद देगा। मसलन् मंगल नम्बर 12, केतु नम्बर 3 हो तो मच्छ रेखा वास्ते धन दौलत हालांकि मंगल और केतु बाहम दुश्मन हैं । इसी तरह बुध नम्बर 12 और शनि या बृहस्पत नम्बर 3 हों तो अमृतकुण्ड, हर तरह से बरकत का ज़माना होगा। अगर नम्बर 12 में शुक्र राहु मुश्तर्का हों तो ज़ाहिरा तौर पर 21 या 25 साला उम्र में बेवापन ज़ाहिर होगा। लेकिन अगर उसी वक्त खाना नम्बर 3 में शनि बैठा हो तो राहु का शुक्र पर बुरा असर न होगा। क्योंकि शनि शुक्र का मदद दे देगा। जब नम्बर 3 में मुश्तर्का ग्रह हों तो 12 व 3 के ग्रहों की बाहमी दोस्ती दुश्मनी बहाल होगी।
अब व्याख्या करते हैं : खाना न 12 का ग्रह तीसरे धर में बैठे ग्रह कि सहायता करेगा, चाहे उसका शत्रु ही क्यों न हो, जैसे मंगल 12, केतु तीसरे (धन के लिये मच्छ रेखा), जबकि मंगल-केतु शत्रु हैं।इसी प्रकार बुध 12 शनि या बृहस्पत तीसरे हों तो अमृत कुण्ड, हर प्रकार से बरकत का समय है। 12 में शुक्र-राहु 21-25 वर्ष में विधवा करते हैं, परन्तु तीन में शनि हो तो शुक्र पर राहु का प्रभाव नही पड़ेगा। शनि शुक्र की सहायता करे, तीसरे में कई ग्रह हों तो 3-12 के ग्रहों कि परस्पर मित्रता-शत्रुता बहाल रहेगी |
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो एक अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। उपाय बहुत सारे है । जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप मुझसे फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारा संस्थान आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली मुझे दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहता हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो और लाल किताब ज्योतिष सीखने के इच्छुक हों संपर्क करें। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
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माता रानी सब को खुशीआं दे।

खाना न 2 - धर्म अस्थान उम्र बुडापा ........












जय माता दी !

गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………


मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
द्वितीय भाव
द्वितीय भाव धर्म स्थान है। लाल किताब ने इसे जगत गुरु बृहस्पति की गद्दी कहा है। इस भाव का स्वामी शुक्र और कारक गुरु है। जातक की वृद्धावस्था के सम्बन्ध में इसी भाव से विचार किया जाता है। - सफ़ेद झंडा को हम साय झूले, उम्र बुढ़ापा घर दो का।
द्वितीय भाव में चन्द्रमा उच्च का होता है। यदि वह द्वितीय भाव में अवस्थित भी हो तो स्वग्रही और उच्च का होने के कारण किस्मत का ग्रह बन जाता है।
"घर चलकर जो आवे दूजे, ग्रह -किस्मत बन जाता है"
जातक के कर्म - फल को दर्शाने वाला भाव यही है। दितीय भाव की बुनियाद 9 वां घर है। नौवें घर को कर्मों का सागर कहा गया है। दितीय भाव पर्वत है।
"बुनियाद समुद्र ग्रह 9 होते, पहाड़ ऊँचा घर 2 का है"
कर्म रूपी जल से भरी हुई हवाएँ 9 वें भाव रूपी सागर से चलकर दितीय भाव रूपी पर्वत से टकरा कर कर्म रूपी जल की वर्षा कर देती है। यहाँ इन कर्मों के फल का फैसला होता है।
लाल किताब की फल कथन पद्धति के अनुसार आठवें भाव में बैठा हुआ ग्रह अपने से पीछे की ओर भाव न 2 को देखता है। यह विपरीत दृष्टि हुई। अतः दितीय में कोई ग्रह न हो तो फल शुभ होता है। यदि 2 और 8 दोनों हीखाली हों तो फल श्रेष्ठतम होता है।
आठवें घर में बैठा हुआ ग्रह दूसरे घर को देखता है। दूसरे घर में बैठा हुआ छठे को देखता है। इस प्रकार आठवें की अलामत दूसरे के द्वारा छठे में पहुँच जाती है। यह तब होता है जब तीनों ही घरों में ग्रह विधमान हों। यदि दूसरा और आठवां भाव खाली हुए तो छठे भाव के पीड़ित होने का प्रश्न ही नही उठता।
यदि दितीय भाव का स्वामी शुक्र और कारक गुरु दोनों ही बलहीन हों तो इस भाव पर दुर्भाग्य की मार पड़ती है। तब चतुर्थ उसकी मदद करता है। अतः दितीय पीड़ित हुआ तो चतुर्थ का बल देखना चाहिए। चतुर्थ का स्वामी चन्द्रमा है और कारक भी वही है। वह माता का प्रतिनिधि है। अतः चन्द्रमा बलवान हो तो माता के आशीर्वाद से दितीय भाव का उद्धार हो जाता है।
दसवाँ घर खाली हो तो दितीय भाव सोया हुआ माना गया है - "खाली पड़ा घर दस जब टेवे ,सोया हुआ कहलाता दो"
विहग दृष्टि से देखने पर ये सिद्धांत अटपटे लगते है, किन्तु फल की सटीकता को देखें तो अनूठे सिद्ध होते है।
मित्रों जैसा कि आप जानते हैं कि लाल किताब ज्योतिष के सामुद्रिक ज्ञान पर आधारित है। सामुद्रिक में भृकुटि को खाना नं 2 या धर्मस्थान कहा गया है और हस्त विज्ञान में अंगूठे को। मित्रों आने वाले लेखों में आप देखेंगे कि बृहस्पत के स्थान (2,5,9,11,12) में स्थित ग्रह किस प्रकार जातक के भाग्य को प्रभावित करते हैं और उनके उपाए केवल तिलक करने से कैसे संभव है। 

’’घर चलकर जो आवे दूजे, ग्रह किस्मत का बन जाता हो,
खाली पड़ा घर 10 जब टेवे, सोया हुआ कहलाता हो"
कुण्डली के खाना नम्बर 2 को लाल किताब में धर्म अस्थान उम्र बुढापा कहा गया है। माथे पर (पैशानी) पर तिलक लगाने की जगह खाना नम्बर 2 की असली जगह है। यह बृहस्पत का असल पड़ाव (मुकाम) है। चन्द्र उच्च करता है जो बृहस्पत का दोस्त है। इस घर को नीच करने वाला कोई ग्रह नही। इस घर का मालिक शुक्र है जिसे लक्ष्मी अवतार माना गया है। इस घर को सब ग्रहों ने इज्ज़त से देखा है। खुद जाती किस्मत, ससुराल का मकान व खानदान, रिश्तेदारों से पाई हुईं चीज़ें मार्फत स्त्री धन या दहेज, नफ़सानी ताकत, भूख, मोह माया, दौलत इज्ज़त शरीफाना, बुढापे में जुबानी व हवाई इश्क, बचत निजी (जाती) कमाई, जन्म मरण का दरवाजा, स्त्री ताल्लुक, माता, बुआ, मासी, फूफी, बेवा (एसी स्त्री जिस का पति मर गया हो) या माशूका औरत वगैरह, रिश्तेदारों से दौलत, बृहस्पत या शुक्र जैसे हों वैसा ही फल होगा। सभी (तमाम) ग्रह बृहस्पत के निम्न कोटि के  (ज़ेर) साया होंगे। यह मैदान (सहन) है खाना नम्बर 8 का और इस घर का न्यायकर्ता (मुन्सिफ) होगा मंगल बद। बृहस्पत या शुक्र जैसे हों वैसा ही फल होगा। तमाम ग्रह बृहस्पत के छत्रछाया में (ज़ेरसाया)  होंगे। 
खाना नम्बर 2 को हवाई ख्याल की तमाम ताकतों, राहु - केतु मुश्तर्का की बैठक या बनावटी (मस्नूई) शुक्र की जगह मानते हैं। खाना नम्बर 8 का असर जाता है खाना नम्बर 2 में और खाना नम्बर 2 देखता है खाना नम्बर 6 को । इसलिए नम्बर 2 का फैसला नम्बर 6, 8 को साथ मिलाकर होगा। खाना नम्बर 2 राहु केतु की बैठक मुश्तर्का होगी जिसमें सनीचर की मौत का ताल्लुक न होगा। जिस तरह खाना नम्बर 4 ने अपनी नेकी न छोड़ी, उसी तरह खाना नम्बर 2 ने कुल दनिया से सम्बन्ध (ताल्लुक) न छोड़ा। खाना नम्बर 4 के खज़ाने का भेदी खाना नम्बर 2 होगा। इन दो खानों का इकट्ठा (मुश्तर्का) असर किस्मत का करिश्मा हुआ जो दोनों का निचोड़ (लबे लुबाब) भी कहा जा सकता है। खाना नम्बर 4 बढ़ाता है चन्द्र को तो नम्बर 2 बढ़ाता है बृहस्पत को। खाना नम्बर 8 खाली हो तो नम्बर 2 उम्दा होगा। जब खाना नम्बर 2 खाली हो तो रूहानी असर उम्दा। अगर खाना नम्बर 9 बरसाती मौनसून हवा के उठने का समन्दर है तो खाना नम्बर 2 इस बारिश से लद्दी हुई हवा से टकरा कर बरसा लेने वाला पर्वत माला (कोहसार) होगा।
इस घर में मंगल बद के अंश सूर्य और शनि (जज़बी ग्रह) और पापी ग्रह टेवे वाले पर मन्दा असर न देंगे बल्कि राहु भी यहां बृहस्पत के मातहत होगा। सब ग्रह खाना नम्बर 9 का फल, टेवे वाली की उम्र के आखिरी हिस्सा में देंगे। मसलन् खाना नम्बर 9 में सनीचर का फल 60 साल है जो टेवे वाले की उम्र के शुरू होने की तरफ से 60 साल बुढापे की तरफ है। लेकिन सनीचर जब खाना नम्बर 2 में हो तो इसका वही असर मौत के दिन से पीछे जन्मदिन की तरफ 60 साल होगा। इस घर के ग्रह बुढापे में हमेशा नेक फल देंगे चाहें (ख्वाह) वह किसी दूसरे असूलों की गिनती या चाल वगैरह से कितने ही मन्दे क्यों न हों।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो एक अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। उपाय बहुत सारे है । जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप मुझसे फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारा संस्थान आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली मुझे दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहता हो वह ईमेल द्वारा मात्र 1100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो और लाल किताब ज्योतिष सीखने के इच्छुक हों संपर्क करें। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पर आचार्य हेमंत अग्रवाल या हेमंत अग्रवाल 
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

Wednesday, 29 April 2015

शाह सलामत का तख़्ते बादशाही ...
























जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 

तख़्त हज़ारी
’’घर पहला है तख़्त हज़ारी, ग्रह फल राजा कुण्डली का;
जोतिष में इसे लग्न भी कहते, झगड़ा जहां रूह माया का।’’
लाल किताब में कुण्डली के घर खाना नम्बर 1 को शाह सलामत का तख़्ते बादशाही कहा गया है। खुद अपना जाती जिस्म, तमाम अज़ू , वजूद, जाती कमाई, रोज़ी रोटी, सुभाओ गर्मी खुश्की व आतिषी होगा । खुद साख्ता मकान, अपना तख़्त, चारदीवारी, मय तहके गोशे, सामान सवारी, रूह रूहानी व दिमागी ताकत, मर्दो का ताल्लुक, गुस्सा परोपकार, राज दरबार, पुरानी रसोमात व मकानात का ताल्लुक, वक्त जवानी, ज़माना हाल, मौजूदा जन्म, साथ लाया हुआ खजाना वास्ते खुद अपना जन्म, दुनिया में नाम किस हैसियत का होगा। यह सहन (मकान के बीच या सामने का मैदान) है खाना नम्बर 7 का और इस घर का न्याकर्ता (मुन्सिफ) होगा शुक्र।
खाना नम्बर 1 में सूरज उच्च, शनि नीच और मंगल घर का ग्रह का होगा। मगर खाना नम्बर 7 में शनि उच्च, सूरज नीच और शुक्र घर का ग्रह होगा। अगर खाना नम्बर 7 खाली हो तो खाना नम्बर 1 के उच्च ग्रहों का असर शक्की ही होगा। तख़्त पर बैठा हुआ ग्रह राजा और खाना नम्बर 7 में बैठा हुआ ग्रह उसका वज़ीर होगा। अगर तख्त पर एक ग्रह और खाना नम्बर 7 में ज्यादा ग्रह बैठे हों तो राजा वज़ीरी होती है। मगर जब उल्ट हो जावे तो सातवें की जड़ कट जाती है। मसलन् खाना नम्बर 1 में चार ग्रह बृहस्पत चन्द्र बुध राहु और खाना नम्बर 7 में अकेला केतु हो तो 34 साला उम्र तक नर औलाद नदारद या पैदा होकर मरती जावे और 48 साला उम्र तक एक ही लड़का कायम हो। अगर 48 साला उम्र से दूसरा लड़का कायम हो जावे तो लड़की बेवा, बेईज्जत या दीगर मन्दे नतीजों से बरबाद होगी। कुण्डली वाला अगर चार और जानों को रोटी का हिस्सा देवे तो नर औलाद कायम होगी और औलाद पैदा होने के दिन से चारो ग्रह मुश्तर्का राजयोग होंगे वर्ना उम्दा असर की बजाये खाक या हर तरह लानत नसीब होगी। जब खाना नम्बर 1 में ज्यादा ग्रह हों तो खाना नम्बर 1 का मुन्सिफ शुक्र होगा।
जिस वक्त टेवे मेे असल मंगल के अलावा मसनूई मंगल नेक या बद दोनों ही मौजूद हों तो नम्बर 1 देखेगा खाना नम्बर 11 को । अगर नम्बर 11 खाली हो तो नम्बर 1 ग्रह अपना असर करने के ताल्लुक में बुध की चाल पर चलेगा। जब नम्बर 8 खाली हो तो 1 वाले ग्रह की आंखों को रोकने के लिए कोई रूकावट न होगी और वह खुद ही अपनी आंखों से देखभाल करता होगा। तख़्त पर बैठे हुये ग्रहचाली हुक्मरान राजा के अहद में उसके लिए खाना नम्बर 1 लैंन्स ,नम्बर 8 फोक्सिंग ग्लास और नम्बर 11 रैगुलेटर होगा।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

खाना नं 10 - मैदाने किस्मत ...... व्यवसय से सम्बंधित जानकारी (भाग 4) .....

जय माता दी । 
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से………
जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ।
दशम भाव :
लाल किताबकार ने दशम भाव को 'किस्मत की बुनियाद का मैदान' कहा है। किस्मत की बुनियाद कर्म है। कर्म की नीव पर ही भाग का भवन खड़ा होता है। अतः किस्मत की बुनियाद का मैदान हुआ कर्म का छेत्र। ज्योतिष शास्त्र में भी दशम को कर्म का भाव माना गया है। लाल किताब के अनुसार इस भाव का कारक शनि है। स्वामी भी वही है। लाल किताब में 
दशम भाव और मकर राशि को एक रूप किया गया है। इस भाव में स्थित मंगल उच्च का होता है, गुरु नीच का। दशम भाव पर चतुर्थस्थ ग्रहों की दृष्टि होती है। दशमस्थ ग्रह किसी भाव को नही देखता। कोई भी ग्रह वर्षफल के मुताबिक नवम भाव से दशम में प्रवेश करता है उस समय सदा अनिष्ट ही करता है। दशम में प्रवेश करने के बाद शक का ग्रह बन जाता है। साथ ही उसकी शक्ति दुगुनी हो जाती है।
"ग्रहमंडल 9 से ही टेवे ,घर दसवें जब बैठा हो,
6 पाँचवे चाहे दोस्त उसके ,दुगुनी जहर का होता है"
उस समय निश्चित रूप से नही कहा जा सकता है कि ग्रह अच्छे फल देगा या अनिष्ट करेगा। इतना निश्चित है की वह जो भी फल देगा, दुगने वेग का देगा। शकी ग्रह कैसा फल देगा? इस बात का अनुमान ही लगाया जा सकता है। चन्द्रमा शुभ स्तिथि में हो तो अच्छा फल दुगना हो सकता है।दूसरा भाव भी चंगा हुआ तो शक का ग्रह दुगना शुभ फल दे सकता है। आठवां भाव पीड़ित हुआ तो शक का ग्रह दोगुना बुरा फल दे सकता है। 
दशम में दो शत्रु ग्रह हुआ तो दोनों लड़ते रहेंगे। उस स्तिथि में भी फल का अनुमान चन्द्रमा की स्तिथि से लगाया जा सकता है।
चतुर्थस्थ ग्रह दसवें भाव को देखता है। दसवाँ भाव खाली हुआ तो वे अशुभ फल देते है। दूसरा घर खाली हुआ तो दसवाँ ग्रह सो जाता है ।
"घर दूजे के खाली होते, दसवाँ फ़ौरन सोता है"
राहु, केतु, बुध इस भाव में हमेशा शक के ग्रह होते है। उनका फल शनि की स्तिथि पर निर्भर करता है। शनि चंगा हुआ तो इनका फल दुगुना चंगा और शनि मंदा हुआ तो इनका फल दुगुना मंदा होताहै ।
अंधे और शक के ग्रहों के अनिष्ट फल के निवारण के लिए माता -पिता से मिलकर चलना चाहिए। दस अंधे व्यक्तियों को मुफ्त में भोजन -सामग्री बाँटनी चाहिए।

कुछ लाल किताबकार के अनुसार :
मैदाने किस्मत
’’ग्रह 10वे का घर 10 शक्की, दुगनी ताकत का हेाता हो;
आंख बना है घर दो जिसकी, ख्वाब 12 से लेता हो’’
कुण्डली के खाना नम्बर 10 को लाल किताब में किस्मत की बुनियाद का मैदान कहा गया है। अगर खाना नम्बर 10 रद्दी ग्रहोें से रद्दी हो रहा हो तो टेवा अन्धे ग्रहों का होगा। चाहे (ख्वाह) तमाम ग्रह उच्च घरों के हों पर अन्धे की तरह अपना फल देंगे। यह सहन (मकान के बीच या सामने का मैदान या आँगन) है नम्बर 4 का और इसका मुन्सिफ (न्यायकर्ता/इंसाफ करने वाला/दिवानी न्यायलय का एक उच्च पदाधिकारी) होगा चन्द्र।
इस घर बमुजिब वर्षफल आया हुआ ग्रह धोखे का ग्रह होगा जो अच्छा बुरा दोनों ही तरफ हो सकता है। 
  1.  नम्बर 8 मन्दा हो तो दुगना मन्दा और नम्बर 2 नेक हो तो दुगना उम्दा होगा। 
  2.  अगर दोनों तरफ बराबर तो अच्छा असर पहले और बुरा असर बाद में होगा। 
  3.  अगर नम्बर 8 व 2 दोनों ही खाली हों तो नम्बर 3, 5, 11 के ग्रह मददगार होंगे। 
  4.  अगर वह भी खाली हों तो फैसला सनीचर की हालत पर होगा। 
  5.  जब नम्बर 10 में आपस में (बाहम) लड़ने वाले कोई भी ग्रह बैठे हों तो वह टेवा अन्धे ग्रहों का होगा। यानि वह ग्रह हूबहू ऐसे ही ढंग पर असर देंगे, जिस तरह दुनिया में अन्धा प्राणी चलता फिरता है। ऐसी हालत में फैसला चन्द्र की हालत पर होगा। यानि अगर चन्द्र उम्दा तो असर उम्दा वर्ना मन्दा फल लेंगे। अपने माता पिता से मिलते रहना मदद देगा। 10 अन्धे मर्दों को इकट्ठा ही मुफ्त खुराक तकसीम करना खाना नम्बर 10 के ग्रहों की ज़हर धो सकेगा। 
  6.  अगर खाना नम्बर 10 खाली ही हो तो खाना नम्बर 4 के ग्रहों का कोई नेक फल न हो सकेगा। चाहे (ख्वाह) उस घर में रिज़क के चश्मे को उभारने केे लिए ग्रह लाख दर्जा ही उम्दा क्यों न हो ।
  7.  राहु केतु बुध तीनों ही इस घर में हमेशा शक्की होंगे। जो सनीचर की हालत पर चला करते हैं। यानि अगर सनीचर उम्दा तो दो गुणा उम्दा और अगर सनीचर मन्दा तो दो गुणा मन्दा असर देंगे।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा इन बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें। उपाय बहुत सारे है । जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है। 
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 

ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 

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सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें। 

माता रानी सब को खुशीआं दे।

बनावटी (मस्नूई) ग्रह .......

जय माता दी ! 
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
बनावटी (मस्नूई) ग्रह : 
लाल किताब में बनावटी (मस्नूई) ग्रह से मतलब है दो ग्रहों से बना हुआ बनावटी ग्रह। उदाहरण के तौर पर कुण्डली में शुक्र बुध इकट्ठे (मुश्तर्का) हों तो वह बनावटी (मस्नूई) सूरज हुआ। इस तरह कण्डली में दो सूरज हुए। एक तो पक्का ग्रह सूरज और दूसरा मस्नूई सूरज। पक्के ग्रह का असर अपनी सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ों पर होगा। मगर बनावटी (मस्नूई) ग्रह अपनी बनावटी (मस्नूई) हालत के दोनों ग्रहों के सम्बंधित (मुताल्लिका) चीज़ों का असर भी दे जाता है। मसलन् सूरज पक्का ग्रह है और शुक्र बुध मुश्तर्का मस्नूई ग्रह सूरज है। अब सूरज अपना असर सेहत तरक्की खाना नम्बर 1-5 का असर देगा। लेकिन शुक्र बुध मुश्तर्का मस्नूई हालत में सूरज का असर शुक्र शादी और बुध लियाकत का भी हर दो ग्रह खाना नम्बर 7 का असर दे जायेगा। नष्ट ग्रह के वक्त उस ग्रह का मस्नूई हालत का ग्रह काम देता है। मसलन् सूरज राहु मुश्तर्का से सूरज नष्ट या मन्दा ही होगा। अगर उसी वक्त शुक्र बुध भी मुश्तर्का हों तो सूरज मन्दा न होगा। क्योंकि मस्नूई सूरज मदद दे देगा। 
लाल किताब के फ़रमान नम्बर 10 के मुताबिक दो ग्रह मुश्तर्का होने से मस्नूई ग्रह बन जाता है। बुध + राहु मुश्तर्का से मस्नूई बृहस्पत, शुक्र + बुध मुश्तर्का से सूरज, बृहस्पत + सूरज से चन्द्र, राहु + केतु से शुक्र, सूरज + बुध से मंगल (नेक), सूरज + सनीचर से मंगल (बद), बृहस्पत + राहु से बुध, बृहस्पत + शुक्र से सनीचर (केतु सुभाओ), मंगल + बुध से सनीचर (राहु सुभाओ), मंगल + सनीचर से राहु (ऊँच), सुरज + सनीचर से राहु (नीच), शुक्र + सनीचर से केतु (ऊँच) और चन्द्र + सनीचर से केतु (नीच) बनता है। 
मस्नूई ग्रहों का असर खास खास बातों पर होगा। मस्नूई ग्रह बृहस्पत औलाद की पैदायश का मालिक है। मस्नूई सूरज सेहत का मालिक, चन्द्र वालदैनी खून व नुत्फ़ा का ताल्लुक, शुक्र दुनियावी सुख बजरिया औलाद, मंगल औलाद को जि़न्दा रखने का मालिक, बुध इज्ज़त शोहरत, सनीचर सेहत बिमारी, राहु झगड़े फसाद और केतु ऐश का मालिक है। 
मस्नूई ग्रह की हालत में उसके दो ग्रहों का असर जुदा जुदा कर लेना या दो का मुश्तर्का कर लेना हो सकता है। किस्मत की हेराफेरी पक्का ग्रह शायद ही कभी बदले पर मस्नूई ग्रह का बदलना मुमकिन है। मगर 21 साला उम्र से कोई तबदीली नही होती। यह बालिग होने का ज़माना है। तात्पर्य यह कि (किस्सा कोताह) मसनूई ग्रह पक्के ग्रह को मदद ही देता है। मस्नूई ग्रह किसी किसी कुण्डली में होता है। इसका असर पक्के ग्रह के हिसाब से होता है। 
  1. बृहस्पति :- मसनुई (बनावटी) हालत बुध राहु मुश्तर्का (इकट्ठे)।
  2. सूरज :- मसनुई हालत शुक्र बुध मुश्तर्का।
  3. चन्द्र :- मसनुई हालत सूरज बृहस्पति मुश्तर्का। 
  4. शुक्र :- मसनुई हालत राहु केतु मुश्तर्का।
  5. मंगल :- मसनुई हालत सूरज बुध मुश्तर्का मंगल नेक, सूरज सनीचर (शनि) मुश्तर्का मंगल बद।
  6. बुध :- मसनुई हालत बृहस्पति राहु मुश्तर्का।
  7. सनीचर :- मसनुई हालत बृहस्पति शुक्र मुश्तर्का (केतु स्वभाव), मंगल बुध मुश्तर्का (राहु स्वभाव)।
  8. राहु :- मसनुई हालत मंगल सनीचर मुश्तर्का (उच्च राहु) , सूरज सनीचर मुश्तर्का (नीच राहु)।
  9. केतु :- मसनुई हालत शुक्र सनीचर मुश्तर्का (उच्च केतु), चन्द्र सनीचर मुश्तर्का (नीच केतु)।
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जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
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Tuesday, 28 April 2015

सफर का हुक्मनामा ......

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ।
 सफर का हुक्मनामा :
कुछ लाल किताबकार के अनुसार कोई ज़माना था जब हिन्दुस्तान को सोने की चिड़िया कहा जाता था। 11वीं सदी में दूसरे मुल्कों के लोग सोने की खातिर यहां आने लगे। पहले मुसलमान, मुगल, पठान फिर अंग्रेज़ आए जिन्होने मुल्क पर सालों तक हुकुमत (राज) भी किया। इसी दौरान कुछ लुटेरे जैसे महमूद गज़नवी, मुहम्मद गौरी, नादिर शाह, अहमदशाह अब्दाली वगैरह भी आए जिन्हों ने इस मुल्क को खूब लूटा और बेशुमार धन दौलत ले गए। मुल्क की आज़ादी के बाद बीसवीं सदी में हिन्दुस्तानी धन दौलत कमाने के लिए दूसरे मुल्कों में जाने लगे। आज अमरीका, कैनेडा, आस्ट्रेलिया जाने के लिए नौजवानों में बहुत जोश है। इसी बीच नौजवानों को दूसरे मूल्कों को भेजने के नाम पर ऐजण्टों ने ठग्गी भी शुरू कर दी है । इसलिए ग्रहों को देख लेना ज़रूरी होगा कि क्या किस्मत में दूसरे मुल्क का सफर है भी या नही?
दरियाई सफर का मालिक चन्द्र, हवाई सफर का मालिक बृहस्पति और खुश्की के सफर का निगरां (देखने वाला) शुक्र मगर सब ही सफरों का हुक्मनामा जारी करने वाला ग्रह केतु होगा। इसलिए हर एक किस्म के जुदा-जुदा सफर के लिए ग्रह मतल्लका (सम्बन्धित) का भी ख्याल रखना होगा।चन्द्र से सफर :
1 चन्द्र को सफेद रंग घोड़ा तसव्वुर (ख्याल) किया है जो दर असल दरियाई या समुन्द्री कहलाता है और समुन्द्र पर चांद का चांदनी की तरह दम के दम में फिर आता है । मगर खुश्की या शुक्र के घर से दुश्मनी करता है और ठोकरें मारता है। 
2 जब चन्द्र से शुक्र का ताल्लुक (सम्बन्ध) हो जावे तो खुश्की या शुक्र के ताल्लुक के सफर अमूमन हाेंगे या चन्द्र को खुश्की का चक्र लगा रहेगा। चन्द्र खुद हमेशा सफर में रहता है और शुक्र तो दुश्मनी नही करता मगर चन्द्र ही दुश्मनी करता है। इसलिए चन्द्र का सफर खुद अपने लिए कभी नुक्सान वाला न होगा मगर सफर ज़रूर दरपेश रहेगा यानि करना पड़ेगा और अमूमन खुश्की का होगा।
3 ज़रूरी सफर, जब चन्द्र का सूरज या बृहस्पति से ताल्लुक होवे तो ऐसा सफर समुन्द्र पार, राज दरबार के काम से होगा। अगर बुध से ताल्लुक हो जावे तो तिजारती (व्यापारक) या कारोबारी सफर होगा।
सौ दिन तक की मियाद का सफर कोई सफर नही गिना जाता। नीचे दी गई हालतों में किया गया सफर मन्दे नतीजे देगा :-


वर्षफल के हिसाब से जब चन्द्र या केतु अच्छे घरों में हो या केतु पहले घरों में हो और चन्द्र होवे केतु के बाद वाले (साथी दीवार) घर में तो सफर कभी अपनी मर्ज़ी के बरखिलाफ (उल्ट) न होगा और न ही कोई मन्दा नतीजा देगा। शर्त यह है कि चन्द्र खुद रद्दी न हो रहा हो। 

सफर का फैसला अमूमन केतु के बैठा होने वाले घर (वर्षफल के हिसाब से) के मुताबिक (अनुसार) होगा यानि जब केतु बैठा हो :-

  1. खाना नंबर 1 : अपने आप को सफर के लिए तैयार रखो और बिस्तरा तक बांध लो। हुक्मनामा बेशक हो चुके मगर आखिर पर सफर न होगा। अगर हो भी जाये तो दोबारा वापिस आना पड़ेगा। सौ दिन के अन्दर तक आरज़ी (अस्थाई) तौर पर बाहर रहने का सफर हो सकता है । खासकर जब खाना नं0 7 खाली हो ।
  2. खाना नंबर 2 : तरक्की पाकर आसूधा (अच्छा ) हाल में सफर होगा। होंगी तो दोनों बाते होंगी (तरक्की और सफर)। वर्ना एक न होगी, जब तक खाना नम्बर 8 का मन्दा असर शामिल न हो।यानि खाना नं0 8 में केतु का दुश्मन ग्रह न हो ।
  3. खाना नंबर 3 : भाई बन्धुओं से दूर परदेस की ज़िन्दगी होगी जब खाना नं0 3 सोया हुआ हो यानि केतु पर किसी ग्रह की दृष्टि या साथ वगैरह न हो ।
  4. खाना नंबर 4 : अव्वल तो सफर न होगा और अगर होगा तो माता बैठी होने वाले शहर या माता के चरणों तक होगा। फिर भी होगा तो न ही मुकाम (जगह) की तबदीली और न ही सफर कभी मन्दा होगा जब तक खाना नं0 10 मन्दा न हो यानि खाना नं0 10 को कोई ग्रह मन्दा न कर रहा हो ।
  5. खाना नंबर 5 : मुकाम या शहर की तबदीली तो कभी देखी नही गई मगर महकमें के अन्दर या शहर, घर या कमरे की तबदीली हो जाये तो बेशक । हर हाल नतीजा मन्दा न होगा जब तक बृहस्पति नेक हो ।
  6. खाना नंबर 6 : सफर का हुक्मनामा हो हुआकर तबदीली शहर का हुक्म एक दफा तो ज़रूर मन्सूख (रद्द) होगा। जब तक केतु जागता हो यानि सफर होने की उम्मीद नहीं ।
  7. खाना नंबर 7 : जद्दी घरबार का सफर (तबदीली ज़रूरी तरक्की की शर्त नही) ज़रूर होगा। अगर वह (टेवे वाला) खुद-ब-खुद (अपने आप) खुशी से न जावे तो बीमार वगैरह होकर या बतौर लाश वहां जावे । किस्सा कोताह (आखिरकार) तबदीली शहर या सफर ज़रूर होगा और नतीजा नेक होगा जब तक खाना नं0 1 मन्दा न हो और केतु जागता हो।
  8. खाना नंबर 8 : कोई खास खुशी का सफर न होगा। बल्कि अपनी मर्ज़ी के बरखिलाफ या मन्दा ही सफर होगा, जब तक खाना न.11में केतु के दुश्मन (चन्द्र या मंगल) न हो । केतु की इस मन्दी हवा का असर केतु के मतल्लका अशिया ( यानि कान, रीढ़ की हड्डी, टांगों की बिमारियां, जोड़ो का दर्द, गठिया वगैरह) या खुद केतु (जानवर या तीन दुनियावी कुत्तो) पर भी हो सकता है । चन्द्र का उपाय यानि धर्म मन्दिर में और कुत्तो को (एक ही रोज़ दोनों को) लगातार 15 रोज़ (दिन) तक हर रोज़ दूध देना या खाना नं0 2 को नेक कर लेना या नं0 2 का किसी ओर ग्रह से नेक होना मददगार होगा।
  9. खाना नंबर 9 : मुबारक (शुभ) हालत खुशी खुशी अपने जद्दी इलाकों (घर बार) की तरफ का और अपनी दिली मर्ज़ी पर सफर होगा। नतीजा हमेशा नेक व उत्ताम होगा जब तक खाना नं0 3 का मन्दा असर शामिल न हो।
  10. खाना नंबर 10 : शक्की हालत, सनीचर उम्दा तो दुगुना उम्दा । लेकिन अगर सनीचर मन्दा तो दुगना मन्दा, नुकसान वाला और बे-मौका (बिना समय का) सफर होगा। अगर खाना नं0 8 मन्दा हो तो मन्दी हवा के मायूस (दुख भरे )झौंके ज़रूर साथ होंगे। खाना नं0 2 मददगार होगा। चन्द्र का उपाय बजरिया खाना नं0 5 (औलाद या खुद सूरज को चन्द्र की अशिया यानि दूध पानी का अर्घ ) सूरज की तरफ मुंह करके पानी गिरा देना वगैरह मुबारक फल देगा।
  11. खाना नंबर 11 : सफर का हुक्मनामा ऊपर से बड़े अफसरों से चलकर नीचे तक पहुंच ही न सकेगा। सफर का मालिक केतु दुनियावी दरवेश कुत्ताा रास्ते में ही लेटा होगा। यानि असली मुकाम से वह पहले ही तबदील होकर किसी दूसरी जगह सफर के रास्ते में ही बैठा होगा। यहां से आगे सफर का सवाल दरपेश (सामने) होगा। फर्ज़ी हिलजुल होगी। अगर सफर हो ही जावे तो ग्यारह गुना उम्दा होगा जब तक खाना नं0 3 से मन्दा असर शामिल न होवे।
  12. खाना नंबर 12 : अपने बाल बच्चों के पास रहने और ऐश व आराम करने का ज़माना होगा। तरक्की ज़रूर होगी मगर तबदीली की शर्त न होगी। अगर सफर हो तो नफ़ा (लाभ) ही होगा। केतु अपना उच्च फल देगा और नतीजा मुबारक होगा जब खाना नं0 6 उम्दा और नं0 2 नेक हो और नं0 12 को ज़हर न देवे । यानि खाना नं0 6 और 2 के ग्रह खाना नं0 12 पर मन्दा असर न कर रहें हों ।

मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो एक अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। उपाय बहुत सारे है । जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप मुझसे फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारा संस्थान आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली मुझे दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहता हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो और लाल किताब ज्योतिष सीखने के इच्छुक हों संपर्क करें। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

चन्द्र उम्र की किश्ती का समुंद्र .......

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
कुछ लाल किताबकार के अनुसार लाल कितन में चन्द्रमा को माँ कहा गया है। बच्चे की कुशलता के लिए सूर्य की ऊष्मा की जरूरत होती है: किन्तु बहुत अधिक या बहुत कम गर्मी हानिकारक होती है।
चन्द्रमा सूर्य के गिर्द घूमता है। वह न रुकता हे न ही उल्टा चलता है। सूर्य के गंतव्य का हमे निश्चित पता नही, किन्तु चन्द्रमा (माँ) का गंतव्य निष्चय ही बच्चे की कुशलक्षेम है। चन्द्रमा जीवन (आयु) का कारक है हृदय का प्रतिनिधित्व करता है; क्योंकि हृदय का धड़कना ही जीवन का प्रमाण है। भचक्र की चौथी राशि (लाल किताब में चौथे भाव) का स्वामी चन्द्रमा है। कुंडली के चौथे भाव का वह कारक है।
यदि चन्द्रमा से पूर्व के भावों में गुरु हो और बाद के घरों में केतु हो तो चन्द्रमा शुभ फल नही देता -बशर्ते की बुध अशुभ हो। यदि बुध पक्ष में हो तो सुप्त चन्द्रमा भी शुभ फल देता है। यदि चन्द्रमा पर शुक्र दृष्टि हो तो जातक को नारी जाति के विरोधी रुख का सामना करना पड़ता है। यदि शुक्र पर चन्द्र की दृष्टि हो तो जातक निश्च्य ही अति मानवीय शक्ति बन जाता है। चतुर्थ में जो भी ग्रह होता है वह शुभ फल देता है। यदि चतुर्थ खाली हो तो चतुर्थेश चन्द्रमा भाव के शुभ फल देता है। बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद लेने वाला जातक और भी अच्छे / शुभ फल प्राप्त करता है। यदि चन्द्रमा हो बुध से पहले के भावों में तो वह बुध के फल को प्रभावित करता है। सरसरी तौर पे कोई भी भौतिक लाभ दिखाई नही पड़ता, किन्तु आवश्यकता पड़ने पर दैवी सहायता ही मिल जाती है। यदि बुध और चन्द्रमा 4 और 7 में साथ साथ बैठे तो अच्छा फल नही देते।
यदि चन्द्रमा की दृष्टि शनि पर हो तो चन्द्रमा पर दुष्प्रभाव नही होता। यदि शनि की दृष्टि चन्द्रमा पर हो तो चन्द्रमा के फल का विपरीत प्रभाव पड़ता है। चन्द्रमा में शनि का विष आये बिना नही रहेगा।शनि द्वारा शासित जातक शुक्र से सम्ब्नधित वस्तुए के व्यापार में लाभ प्राप्त नही कर सकेगा। यदि राहु - केतु या शनि की दृष्टि चन्द्रमा पर हो तो द्रष्टा ग्रह से सम्बंधित जातक के सबंधी पर अशुभ फलो का प्रभाव होगा। जब सूर्य और मंगल साथ साथ एक ही भाव में हो तो चन्द्रमा प्राय: लाभ का ग्रह नही होता। जब चन्द्रमा की दृष्टि गुरु पर हो तो 2 में बुध, 5 में शुक्र, 9 में राहु तथा 12 में शनि हो तो चन्द्रमा शुभ फल नही देता। यदि 2, 4 या 8 खली होने के कारण सुप्त हो तो चन्द्रमा का उपाए करना चाहिए। ग्रहों के 35 साला दौरे में चन्द्रमा को एक साल मिला है। अधिदेव शिव है। चांदी, चावल, दूध, जलाशय और सफ़ेद मोती चांदी की वस्तुए है। हृदय और बायीं आँख उसके देहांग है। घोडा और खरगोश चाँद के जानवर है। माँ, मौसी और माँ दादी चन्द्रमा के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सम्बन्धी हैं।
कुछ लाल किताबकार के अनुसार चन्द्र उम्र की किश्ती का समुंद्र, जगत की धरती माता, दयालु शिव जी भोले नाथ। चन्द्र का सफेद रंग (दूध) समुंद्री व हवाई घोड़ा, अपनी ताकत की ज्यादती के सबब मैदान-ए-जंग(खाना नं. 3) मालिक की मौत (खाना नं. 8) और खुराक में कंकर (खाना नं. 7) आने पर दुनिया में तीन दफा जागा। इसलिए नौ ग्रह बारह राशि की नौ निधि व बारह सिध्दि का मालिक हुआ। इन्सान की पैदायश नौ महीने, घोड़े की पैदायश 12 महीने। 
''बढ़े दिल मुहब्बत जो पांव पकड़ती, 
उम्र नहर तेरी, चले ज़र उछलती।'' 
दिल का मालिक चन्द्र है जो सूरज से रोशनी लेता है और दुनिया में उसका नायाब उल सल्तनत है। सूरज ख्वाह कितना ही गर्म होकर हुक्म देवे मगर चन्द्र उसे ठण्डे दिल और शान्ति से बजा लाता है और हमेशा सुरज के पांव में रहना चाहता है। चन्द्र बेशक सूरज से दूर हो मगर सूरज के पांव में बहता रहता है। स्त्री (शुक्र) माई (चन्द्र) साले, बहनोई (मंगल नेक) और अपने भाई (मंगल बद) गुरू और पिता (बृहस्पत) सब के सब इस दिल के दरिया (चन्द्र ) की यात्रा को आते हैं जो सूरज की चमक से दबी हुई आंखों (सनीचर) और दिमाग (बुध) को शान्ति और ठण्डक (चन्द्र का असर) देता है। दूसरे लफज़ों में दरिया दिल के एक किनारे दुनिया के सब रिश्तादार और दूसरी तरफ इन्सान का अपना जिस्म व रूह (सूरज) और चश्म व सिर (सनीचर व बुध) बैठे हैं और दिल दरिया उन दोनों के दरमियान चलता हुआ दोनों तरफ में अपनी शान्ति से उम्र बढ़ा रहा है या जिस्म इन्सानी को बृहस्पत की हवा के सांस से हरकत में रखने वाली चीज़ यही दिल है। इसलिये उसके मालिक चन्द्र की चाल से उम्र के सालों की हदबंदियां मुकर्रर की हैं। 
चांदी की तरह चमकती हुई चांदनी भरी रात चन्द्र का राज है। जिसके शुरू में राहु आखिर पर केतु और दरमियान में खुद शनि निगरां हैं। गोया पापी टोला (राहु केतु सनीचर इकट्ठे) अपनी जन्म वाली और जगत माता ही के दरबार में हर एक के आराम और खुद माता के अपने दूध में ज़हर डालने की शरारतों के लिए तैयार हैं। बेशक दूध (चन्द्र) और ज़हर (पापी ग्रह) मिल रहे हैं मगर फिर भी दरिया दिल चन्द्र माता दुनिया के समुंद्र के पानी में सूरज का अक्स ज़रूर होगा। जिसकी शहादत के लिए ज़माने की हवा या इन्सानी सांस का मालिक जगत गुरू बृहस्पत हर जगह मौजूद है। 
अपने हाथों माता की सेवा करने का ज़माना 24 साला उम्र यानि चन्द्र। वक्त मुसीबत एक पर ही मन्दा होगा। खानदान ही नष्ट नही होने देगा। टेवे में जब पहले घरों में बृहस्पत और बाद के घरों में केतु हो तो चन्द्र मन्दा ही होगा। लेकिन जब तक बुध उम्दा होवे, चन्द्र का असर दूध की तरह उम्दा ही रहेगा और सोया हुआ चन्द्र भी उत्ताम फल देगा। खुद ऐसा चन्द्र तो जागता हुआ घोड़ा होगा। शुक्र देखे चन्द्र को, औरतों की मुखालिफत होगी। चन्द्र देखे शुक्र को फकीर साहिब कमाल, तमाम नशेबाज़ों का सरदार साहिब कमाल। सूरज का अक्स (जैसा भी टेवे में सूरज की हालत हो) ज़रूर ही चन्द्र के असर में साथ मिलता रहेगा और मंगल बद डरकर कोसो दूर भागता रहेगा। चन्द्र के घर अकेला बैठा हुआ ग्रह ख्वाह कोई भी हो, उत्ताम फल देगा। जब चन्द्र का घर नं. 4 खाली हो तो खुद चन्द्र सारी उम्र ही नेक फल देगा ख्वाह कैसी हालत का ही क्यों न हो या हो जावे। माता या किसी बड़े के पांव छूकर उसका आर्शीवाद लेना चन्द्र के उत्ताम फल पैदा करने की सबसे बढ़िया बुनियाद है।
उपाय :
लग्न - 

  1. जब बच्चो सहित कोई नदी पार करे तो बहते पानी में ताम्बे का सिक्का डाले।
  2. माँ का आशीर्वाद प्राप्त करें । उसके दिए हुए चावल और चांदी अपने पास रखें।
  3. पलंग पे पायो में ताम्बे की मेख लगाये।
  4. आयु के 24 वे वर्ष नौकरानी या गाय रखें।
  5. 28 वर्ष की आयु से पहले शादी न करें।
  6. 24 वर्ष की आयु से पहले ग्रह निर्माण न करें।
  7. चांदी के पात्र में दूध या पानी पीये।
द्वितीय भाव - 

  1. घर की नीव में चांदी ईंट रखे।
  2. माँ का आशीर्वाद लें और उसके दिए हुए चावल तथा चांदी सदाअपने पास रखे।
तृतीया भाव - 

  1. चावल, चांदी और दूध बेटी के जन्म दिन पर दान दे।
  2. दुर्गा पूजा।
  3. कन्या दान।
चतुर्थ भाव - 

  1. दूध या दूध से निर्मित वस्तुए का व्यापार न करें।
  2. माता की साझदारी या उसकी सलाह से कपड़े न लें।
पंचम भाव -

  1. धार्मिक अनुष्ठान करे।
  2. पर्वतीय स्थानों की यात्रा करें। 
षष्ठ भाव - 

  1. अपने रहस्य किसी को न बताये। 
  2. खरगोश पाले।
  3. पानी भरने के सार्वजनिक स्थान की व्यस्था करें।
सप्तम भाव - 

  1. सदाचार का पालन करते रहे।
  2. 24 वे या 25 वे वर्ष से पहले विवाह न करें।
अष्टम भाव - 

  1. स्वर्गवासी पूर्वजों के पर दान दें।
  2. अस्पताल में या श्मशान घाट में हैंड पंप लगवाये।
  3. रवि गुरु कुंज की वस्तुए मंदिरो या धार्मिक स्थानो पररखे।
नवम भाव - 

  1. पुजालयो में जाते रहे।
  2. अच्छा आचरण करते रहे।
दशम भाव - 

  1. यदि आप डॉक्टर हे तो रोगियों को मुफ्त दवाएं दें।
  2. सदाचार के नियमों का पालन करते रहें।
  3. रात्रि के समय दूध न पीये।
एकादश भाव - 

  1. जातक की माँ जातक के पुत्र को 43 दिन का होनेतक न देखे।
  2. भैरो के मंदिर में दूध चढ़ाये।
  3. नो साल से कम की आयु के ग्यारह बच्चों कोग्यारह (पेड़े खिलाये )कुल मिलाकर।
द्वादश भाव - 

  1. चार चांदी की डली वर्षा जल में डालकर अपने घर की छत केनीचे रखे।
सामन्य उपचार सभी भावों के लिए :
  1. सोमवार को उपवास रखें।
  2. शिव की पूजा करे या अमरनाथ की यात्रा केलिए जाये।
  3. दूध ,चावल और चांदी का दान दें।
  4. सफ़ेद दूधिया मोती पहने या चांदी धारणकरें।
  5. माँ दादी और सास से आशीर्वाद प्राप्त करें।
  6. पलंग पे पायो में चांदी ई मेख बनाये।
  7. श्मशान घाट पर चांदी या चावल डाले।
  8. गंगा में या कही नही बहते पानी में स्नानकरे।
  9. पानी की टंकी 5 -6 महीने में एक बारसाफ़ करें।
  10. छत के नीचे कुआँ या हैंडपंप नही होनाचाहिए।
  11. यदि चन्द्रमा अपनी नीच राशि में होतोचन्द्रमा से सम्बंधित वस्तुए दान दें । यदि उच्च का होतो न दें।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें। उपाय बहुत सारे है । जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप मुझसे फ़ोन कॉल के माध्यम सेअपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। मित्रों यह एक सिमित पोस्ट है, यहाँ विस्तार से व्याख्या करना सम्बव नहीं है। मित्रों मै एक प्रोफैशनल एस्ट्रोलोजर हूँ। मैं अपना पूरा समय एस्ट्रोलॉजी को ही देता हूँ। जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली मुझे दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहता हो वह ईमेल द्वारा मात्र 1100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो और लाल किताब ज्योतिष सीखने के इच्छुक हों संपर्क करें। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पर आचार्य हेमंत अग्रवाल या हेमंत अग्रवाल 
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सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें।

Sunday, 26 April 2015

कुंडली में मौजूद पांच ग्रहों का प्रभाव और उनके उपाए ....


जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आज मैं कुंडली में मौजूद पांच ग्रहों के योग के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ। लाल किताब में इस योग के बारे में बहुत ही अच्छे ढंग से व्याख्या की गई है। साथ ही आप को जानकर हैरानी होगी कि इस व्याख्या का असल जिंदगी में प्रमाणिक तौर पर बहुत से उदाहरण मिलते हैं। जिस किसी भी जातक की कुंडली में ऐसा योग हो वह एक बार किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से अपनी कुंडली का निरिक्षण ज़रूर करवा ले ताकि आने वाले समय में ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचा जा सके। 
आम तौर पर कुण्डली में दो या तीन से ज्यादा ग्रह इकट्ठे (मुश्तर्का) कम ही नज़र आते हैं । जब कभी पांच ग्रह कुण्डली में इकट्ठे (मुश्तर्का) किसी खाने में बैठ जायें तो उसको पंचायत कहा गया है । ऐसा आदमी अगर मामूली परिवार में पैदा हुआ तो भी गैर - मामूली हैसियत का मालिक बन गया। यकीनन कुण्डंली में पंचायत दिलचस्पी की वजह होगी । लाल किताब के अनुसार (मुताबिक) पंचायत का फलादेश इस तरह है । 
सबसे उत्तम पंचायत वह है जिसमें बुध शामिल न हो मगर राहु या केतु में से एक ज़रूर शामिल हो । 
1. नर ग्रह, स्त्री ग्रह साथ में पापी ग्रह (सिवाये बुध) इकट्ठे (मुश्तर्का) की पंचायत हो तो जातक किस्मत का धनी, हुक्मरान (राज करने वाला), साहबे औलाद दर औलाद (बेटे का आगे बेटा) दौलत व ग्रहस्थ का सुख सागर उम्दा (बढ़िया) व लम्बा और उम्र लम्बी होगी। खुद (ख्वाह) चाहे अक्ल का अन्धा व मिट्टी का माधो ही क्यों न हो । 
2. बुहस्पति सूरज शुक्र बुध सनीचर (शनि) (मुश्तका) इकट्ठे पंचायत हो तो:- 
(क) खाना नंबर 1 से 6 में उत्तम फल, नेक असर होगा। 
(ख) खाना नंबर 7 से 12 में ऊपर का नंबर (क) का असर मगर खुद साख्ता (अपने बल पर ) अमीर होगा और डरते डरते दरिया पार कर जाने वाले तैराक की तरह दुनिया मे आसूदा (बढ़िया) हाल होगा। 
3. पंचायत (कोई भी पांच ग्रह) का असर हर हालत में उत्तम और नेक ही होगा। अगर ऐसा प्राणी पांचो ही (कुल जमाने के) बुरी आदतों (ऐब) का मालिक हो जावे तो भी औरों से उत्तम व उम्दा होगा। 
अगर पंचायत के ग्रहों में कोई भी पापी (राहु, केतु, सनीचर) शामिल न हो और वह प्र्राणी खुद भी पाप न करने वाला हो तो, ऐसी पंचायत का कोई फायदा न होगा। मतलब यह कि या तो पांच ग्रहों में पापी ज़रूर हो या वह प्राणी खुद शरारती और पापी हो तो पंचायत के ग्रह उत्तम फल देंगे। वर्ना उसकी आंखो के सामने उसका घर कई दफा (बार) लुटता होंगा। धर्मी रहते हुये पापी ग्रहों की अश्या (चीज़ें) लोगों को मुफ्त (तक्सीम करना) बांटना मुबारक (शुभ) फल पैदा करेगा। 
मसलन् (जैसे) राहु के मतल्लका (संम्बंधित) अश्या (चीज़ें) जौं (अनाज) की बनी हुई चीज़ें, नारियल की खैरात (दान) । केतु के मतल्लका (संम्बंधित) अश्या (चीज़ें) खटाई की चीज़ें और शनि यानि साबुत बादाम, शराब, सिगरेट, हुक्का नोशी या नशे की चीज़ें । 
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

बृहस्पत दो जहान का मालिक .....

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ।

मित्रों आज मैं बृहस्पति देव के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ। इस पोस्ट में मैं बृहस्पति देव के कुंडली में अलग अलग घरों में अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताऊँगा। अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों या बृहस्पति से सम्बंधित निचे लिखे हुए हालत हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें। 
गुरु (बृहस्पत) 
कुछ लाल किताबकार के अनुसार  लाल किताब में गुरु को सूर्य से भी अधिक मह्त्व दिया गया है। सूर्य सौर मंडल का शासक देवता है तो गुरु देवताओं का गुरु है। भारतीय परम्परा में शासक भी गुरु के शासन में रहते आये है। ज्योतिष में नौ ग्रहो को काल पुरुष के विभिन्न अंगो का प्रतिनिधित्व दिया गया है। इस अंग-विभाजन में लाल किताब ने गुरु को काल पुरुष की गर्दन पकड़ा दी। काल की गर्दन जिसके हाथ में हो उसका मह्त्व किसे स्वीकार नही होगा !
लाल किताब ने गुरु को आकाशवत् माना है जिसमें हवा मुक्त विहार करती है। इह लोक और परलोक दोनों समाहित है। वह भौतिक और आध्यत्मिक जगत का नियमन करता है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु धनु और मीन राशि का स्वामी है। लाल किताब में वह 9 और 12 भावों का स्वामी है। कुंडली के 2, 5, 9, 11 भावों का कारक है। भचक्र की बारहवीं राशि और कुंडली का बाहरवां भाव गुरु और राहु की सांझी गद्दी माना गया है।  बाहरवें भाव में गुरु -राहु टकराते है तो गुरु भारी पड़ता है, राहु नत होकर इह -लोक का मनुष्य बन जाता है।
अन्य ग्रहो की भांति गुरु के भी मित्र और शत्रु है। सूर्य, चन्द्र, मंगल उसके मित्र है। बुध और शुक्र शत्रु  है। विशेष स्थितीयों में शत्रु ग्रह भी गुरु को मान देते है। गुरु का शत्रु होते हुए भी बुध 2, 5, 9, 11 भावों में गुरु के फल देता है। बुध इन भावों में रवि, शुक्र और शनि का विरोध नही करता। इस ग्रह का फल बहुत कुछ उसकी भाव-स्तिथि पर निर्भर है। गुरु बलहीन होने पर बुध के समान आचरण करने लगता है। तब यदि बुध, शुक्र, शनि और राहु-केतु से उसका किसी भी प्रकार का सम्बन्ध हुआ तो वह शुभ फल नही देता। 
ग्रहों के पेंतीस साला दौरे में लाल किताब ने गुरु को छः वर्ष दिए है। कुंडली के 6, 7 भावों में वह राशि -फल का ग्रह होता है। सम्यक उपचारों से गुरु के फल की अशुभता दूर हो जाती है।
गुरु का अधिदेव ब्रह्मा जी है। पीतल धातु और गोमेद रत्न है। धर्म - स्थानों में गुरु का निवास माना गया है। व्यवसाय से वह सुनार है। वह बाप, दादा और कुल पुरोहित का प्रतिनिधित्व करता है। वह पीपल का मालिक माना गया है। केसर, कुंकुम, हल्दी और चने की दाल गुरु की वस्तुए मानी गयी है। सम्यक शांति और पूजा - पाठादि उपचारों द्वारा गुरु के 9, 12 भावों को जाग्रत किया जा सकता है।
दो रंगी दुनिया के रंग दोनों देखो 
मगर आँख दुःख जाये, अपनी न देखो 
कुछ लाल किताबकार के अनुसार लाल किताब में गुरु को सूर्य से भी अधिक मह्त्व दिया गया है। अगर बृहस्पति के पीला (ज़रद) रंग, ज़माने के शेर ने इन्सानी गुरू के चरणों में सोने (नींद) से दुनिया को सोना (धात) बख्शा तो केसर ने दुनिया को खुशी की मौत सिखाई। बृहस्पति..... श्री ब्रह्म जी महाराज, दोनो जहां और त्रिलोकी के मालिक।
इन्सान की मुट्ठी के अन्दर के खाली खलाव में बंद या आकाश में फैले रहने, हर दो जहां में जा आ सकने और तमाम ब्रह्माण्ड व इन्सान के अन्दर बाहर चक्र लगाने वाली हवा को ग्रह मण्डल में बृहस्पति के नाम से याद किया गया है। जो बन्द हालत में कुदरत से साथ लाई हुई किस्मत का भेद और खुल जाने पर अपने जन्म से पहले भेजे हुये खज़ाने का राज और बंद और खुली हर दो हालत की दरमियानी हद इन्सान शरीफ के शुरू (जन्म लेने) व आखीर समय (वफ़ात पाने) का बहाना होगी। यह ग्रह तमाम ग्रहों का गुरू और दिखने वाली (ज़ाहिरा) व गुप्त (गैबी), दोनों जहां का मालिक माना गया है। इसलिये एक ही घर मे बैठे हुये बृहस्पति का असर बेशक समान (मानिन्द) राजा या फकीर, सोना या पीतल, सोने की बनी हुई लंका तक दान कर देने वाला प्राणी या सारे ज़माने का चोर साधु जिसका धर्म ईमान न हो, हर दो हालत में से ख्वाह किसी भी ढंग का हो मगर उसका बुरा असर शुरू होने की निशानी हमेशा सनीचर के मन्दे असर के ज़रिए होगी और नेक असर खुद बृहस्पति के ग्रह के सम्बंधित (मतल्ल्का) चीज़ें (अश्या), कारोबार या रिश्तेदार सम्बंधित (मतल्ल्का) बृहस्पति के द्वारा (ज़रिए) स्पष्ट (ज़ाहिर) होगा। 
नर ग्रहों (सूरज या मंगल) के साथ या दृष्टि वगैरह से मिलने पर मामूली तांबा भी सोने का काम देगा। स्त्री ग्रह (शुक्र या चन्द्र) के साथ या दृष्टि के ताल्लुक से मिट्टी से भरा हुआ पानी भी उत्तम दूध का काम देगा। बृहस्पति के बगैर तमाम ग्रहों में मिलने जुलने की या दृष्टि की ताकत पैदा न होगी। पापी ग्रह (राहु, केतु, शनीचर) मन्दे होने पर बृहस्पति सोने की जगह पीतल, मिट्टी, हवा की जगह ज़हरीली गैस का मन्दा असर देगा। बृहस्पति और राहु दोनों खाना नं 12 (आसमान) में इकट्ठे ही माने गये हैं। 
बृहस्पति दोनों जहां (गुप्त (गैबी) व स्पष्ट (ज़ाहिरा) का मालिक है जिसमें आने और जाने के लिए नीले रंग में राहु का आसमानी दरवाज़ा है। इसलिए जैसा यह दरवाज़ा होगा वैसा ही हवा के आने जाने का हाल होगा। अगर राहु टेडा चलने वाला हाथी , सांस को रोकने वाला कड़वा धुआं या ज़मीन को पताल से भूंचाल बनकर हिलाता रहे तो बृहस्पति भला नही हो सकता। लेकिन अगर राहु उत्तम और मददगार दरवाज़ा हो तो बृहस्पति कभी बुरा न होगा। 

हर तरफ से अकेला बृहस्पति चाहे (ख्वाह) वह दृष्टि वगैरह से कितना भी मन्दा होवे पर टेवे वाले पर कभी मन्दा असर न देगा। बरबाद हो चुका बृहस्पति आम असर के लिए खाली बुध गिना जायेगा। जिसका फैसला बुध के जाति सुभाव के असूल पर होगा। दुश्मन ग्रहों (बुध, शुक्र, राहु या सनीचर क्षमतानुसार (बहैसियत) पापी ग्रह यानि जब सनीचर को राहु या केतु किसी तरह भी सामने (बरूये) दृष्टि या साथ वगैरह से आ मिलते हों ) के वक्त मन्दा हो जाने की हालत में बृहस्पति ज़्यादातर (अमूमन) बुध का असर देगा और बृहस्पति का मन्दा असर उपाए के लिए सक्ष्म (काबिले उपाय) होगा । जिसके लिये साथी दुश्मन ग्रह का उपाय मदद देगा। 

ग्रह मण्डल में सब ग्रहों में छेड़छाड़ करने कराने वाले दुनियावी पाप (सिर्फ दो ग्रह राहु केतु का दूसरा नाम) को चलाने वाला बृहस्पति है। गोया राहु केतु के पाप करने की शरारत से पहले बृहस्पति खुद अपनी चीज़ें (अश्या) या कारोबार या रिश्तेदार सम्बंधित (मतल्लका) बृहस्पति के ज़रिए खबर दे देगा। जिसके लिए ख्याल रहे कि 

''असर जलता दो जहां का, ग्रहण शत्रु साथी जो ।

चोर बना 6 ता 11, मंगल टेवे ज़हरी जो ॥''
गुरु के सामान्य उपचार
विभिन्न भावो में गुरु के अशुभ फल देते देने पर निम्नांकित उपचार, प्रभावी होते देखे गए है :
लग्न - 
  1. ऋण पितृ के लिए निर्दिष्ट उपचार।
  2. किसी से दान या मदद स्वीकार ना करें। अपने ही भाग्य पर भरोसा रखे।
द्वितीय भाव - 
  1. घर के सामने सड़क के गड्डे भरना।
  2. केसर और हल्दी का तिलक लगाना।
तृतीया भाव - 
  1. दुर्गा पूजा करना।
  2. बड़ों की सेवा करना 
चतुर्थ भाव - 
  1. अपनी बनियान पर लाल निशान लगाये रखें।
  2. बड़ों की सेवा करना।
  3. किसी के सामने स्नान न करना ,अंग प्रदर्शन न करना।
  4. पूजा स्थानो पर जाकर पूजा करना।
  5. कुल -पुरोहित का आशीर्वाद प्राप्त करना।
  6. पीपल का वृछ लगाना और उसे सींचना।
पंचम भाव - 
  1. दान स्वीकार न करना। मंदिर का प्रसाद भी न लेना।
  2. किसी से मुफ्त में कोई वस्तु न लेना।
  3. सिर पर चोटी रखना।
  4. साधुओं की सेवा करना पूजा स्थानों ली सफाई करना। 
षष्ठ भाव - 
  1. गुरु से संभंधित वस्तुए मंदिर में अर्पण करना।
  2. बच्चों के साथ में या उनकी सलाह से व्यापर करना।
  3. मुर्गो को दाना देना या पालन करना।
  4. मंदिर के पुजारी को वस्त्र देना।
सप्तम भाव - 
  1. घर में तुलसी माला या देव -प्रतिमा न रखना। दीवारों पर चित्रलगा सकते है।
  2. सोना या सोने के गहने पीले वस्त्र में बांधकर पास में रखना।
  3. पीताम्बर धारी साधुओ से दूर रहना।
अष्टम भाव - 
  1. आभूषण पहनना।
  2. पुजालयों को घी, दही, आलू और कपूर देना।
  3. भिकारी निराश न लौटे।
नवम भाव - 
  1. पवित्र गंगा में स्नान करना। गंगा जल पीना।
  2. तीर्थ स्थानों में जाना और तीर्थ यात्रा के लिए दूसरो की मदद करना।
  3. सच बोलो धार्मिक बनो।
दशम भाव - 
  1. काम सुरु करने से पहले नाक साफ़ करे।
  2. 43 दिन प्रतिदिन बहते पानी में ताम्बे का सिक्का डालें।
एकादशं भाव - 
  1. पीला रुमाल रखें।
  2. पिता द्वारा प्रयोग किये हुए पलंग और कपड़ों का प्रयोग करें।
  3. पीपल के पेड़ को पानी दे। 
द्वादश भाव - 
  1. झूटी गवाही दें।
  2. किसी ठगे नही।
  3. गुरु ,साधु और पीपल की सेवा करें।
सामान्य उपचार : सब भावों के लिए
  1. गुरुवार का व्रत करें।
  2. हरी की पूजा या पीपल को पानी दें।
  3. गोमेद पहनना या हल्दी का टुकड़ा पीले धागे से दाहिनी बाजूपर बांधना।
  4. चांदी के बर्तन पर हल्दी का तिलक लगाकर रखना।
  5. ब्राह्मण ,साधू और कुल गुरु की सेवा करना। 
  6. गरुड़ पुराण का पाठ करना।
  7. पीले फूलों के पौधे लगाना।
  8. गुरु नीच का या छुब्ध हो तो उससे सम्बंधित वस्तुए दान देना।

मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो एक अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुश प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। उपाय बहुत सारे है । जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और उनको अपने जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप मुझसे फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारा संस्थान आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली मुझे दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहता हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो और लाल किताब ज्योतिष सीखने के इच्छुक हों संपर्क करें। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

Thursday, 23 April 2015

खाना नंबर 5 - औलाद होने या न होने के मुतल्लिक ग्रह योग ......

जय माता दी !

गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………

मित्रों आज मैं औलाद देर से होने या न होने या होकर मर जाने या औलाद हो जाने के बाद पारिवारिक जीवन अच्छे से न चल पाने या औलाद समय पर हो जाने और परिवारिक जीवन अच्छे से चलने में ग्रहों के कारणों पर चर्चा करने जा रहा हूँ। यहाँ मैंने औलाद होने से सम्बंधित कुछ बहुत बुरे योग मसलन औलाद होने के बाद परिवार में झगड़ा या बटवारा हो जाना या परिवार के किसी सदस्य का मर जाना वगरैह का ज़िकर किया है। क्यों कि यह विषय बड़ा होने के कारण यहाँ एक ही पोस्ट में विस्तार से व्याख्या कर पाना मुश्किल है। इसलिए इसे मैंने अलग से ब्लॉग में लिखा है। आशा करता हूँ कि इसे पढ़ने में आप सब को कठिनाई नहीं होगी। असुविधा के लिए क्षमा चाहता हूँ। मुझे उम्मीद है की आप सब को इससे लाभ जरूर होगा। (मित्रों यहाँ कुछ बातें ऐसी लिखी हैं जिन्हे ज्योतिषाचार्य आसानी से समाज जायेगे, लेकिन कुछ मित्रों को उनको समझने के लिए किसी अच्छे ज्योतिषचार्ये से संपर्क करना होगा)

पंचम भाव :
ज्योतिष शास्त्र में पंचम भाव पणकर (शर्त कर) होता है। यह मिलाजुला शुभाशुभ भाव माना जाता है। इस भाव से जातक के जीवन की सफलता असफलता का विचार किया जाता है। इसी भाव से जातक का भविष्य जाना जाता है। इसी से उसकी संतान के सम्बन्ध में विचार किया जाता है। संतान के स्वस्थ्य, रोग अच्छे बुरे आचरण का विचार पंचम भाव से ही किया जाता है।
लाल किताब के अनुसार पंचम भाव का स्वामी सूर्य और कारक गुरु होता है। भाव और गोचर की दृष्टि से गुरु जब तक शुभ हो तब तक संतान का कोई अनिष्ट नही होता – "गुरु टेवे में जब तक उम्दा, औलाद दुखी ना होती हो"
शनि शुक्र या दोनों में से कोई एक पीड़ित हो तो पंचम भाव का फल उम्दा होता है; किन्तु चन्द्रमा चंगा हो तो स्थिति बदल जाती है अर्थात मंदी हालत बहुत जल्दी बदलकर अच्छी हो जाती है।
पंचमस्थ ग्रह नवम को देखता है। यदि नवम पीड़ित हो तो पचम का फल मंदा होता है। तृतीय और चतुर्थ के पीड़ित होने का फल भी अशुभ ही होता है।
घर तीन या चार हो नौ मंदा, बुरा असर पांच होता है
यदि केतु शुभ स्थति में हो तो पंचम का फल उत्तम होता है। किन्तु राहु मंदा हो तो सब कुछ उल्टा पुल्टा कर देता है।
केतु भला हो सब कुछ उम्दा, राहु मंदे सब उल्टा हो।
छटे और दसवे में जो बैठा हो, वे परस्पर कट्टर शत्रु बन जाते है। चाहे नैसर्गिक मित्र ही क्यों न हो । वे पंचमस्थ ग्रह के भी शत्रु बन जाते है। दोनों का जहर पंचम भाव में पहुँच कर संतान का अनिष्ट करता है या संतान का आचरण बिगाड़ देता है - 6, 10वे चाहे दोस्त उसका, शत्रु जहरी हो जाता है।
षष्ठ - दशम - जन्य अनिष्ट के निवारण के लिए पंचमस्थ ग्रह के शत्रु ग्रह से सम्बंधित चीज़े घर में जमीन के नीचे दबा देनी चाहिए। यदि छटे और दसवें के साथ साथ अष्टम भाव भी पीड़ित हो तो ये वस्तुए पैतृक घर में रख देनी चाहिए।
यदि पंचम भाव में राहु और शनि हो या एकादश में शुक्र हो या अष्टम में केतु हो या दशम में गुरु हो तो पहले जीवन साथी बीमार होगा, बाद में पुत्र भी रोग से पीड़ित हो जायेगा। इस अनिष्ट की शांति के लिए 48 दिन तक पुत्र के वजन के बराबर आटे की रोटिया बनाकर कुत्तों को खिलाये। 
मित्रों आप को लाल किताब में छिपे एक राज़ के बारे में ज़िकर कर रहा हूँ जिसे पड़कर आप हैरत में पड़ जायेंगे कि लाल किताब कैसे कैसे राज़ बताती है। लाल किताब में एक जगह खाना नं 10 के बृहस्पति के बारे में कहा है, "उधार लिया बाप, जो सिर्फ जन्म देने का वसीला बने" -इसी बात को हमारे प्राचीन इतिहास में 'वीर्यदान' कहा गया है। परन्तु "रजदान" के बारे में यानि उधार ली गई माँ के  बारे में किसी ग्रन्थ में कोई ज़िक्र नहीं आता। अब जब पश्चिमी देशों में बच्चे को धारण करने वाली औरत किराये पर ली जाने लगी है, परन्तु इस के बारे में खोज जारी है। 
"गुरू टेवे में जब तक उम्दा, औलाद दुखी न होती हो।
पांच पापी गुरू मन्दा टेवे, बिजली चमक आ देती हो।। ’’
कुण्डली के खाना नम्बर 5 को लाल किताब में औलाद मुस्तकबिल (भविष्य) का ज़माना कहा गया है। औलाद का ताल्लुक, औलाद नरीना (नर), शोहरत, औलाद का धन दौलत व किस्मत, औलाद को सुख, बचत अज़ औलाद (औलाद से बचत) व अपने खून का ताल्लुक, अक्ल व इल्म, तंगदस्ती वगैरह, सुभाओ गर्म खुश्क, आतिशी, औलाद के बनाये हुये मकान, मशरिक, नफसानी (कामवासना संबंधित)  ताकत मुताल्लिका सूरज, आग, रूह, रौशनी, हवा, साया इन्सान, हवास नुमां, पांचो इन्द्रियां, हाज़मा, नेकी की मशहूरी, मामू का सुख, अगर बृहस्पत या सूरज के दोस्त ग्रह खाना नं 5 में बैठे हों। किस्मत की चमक, ईमानदारी, औलाद के जन्मदिन से अपने बुढ़ापे तक का ज़माना, मुस्तकबिल होने वाला जन्म, दूसरों की मदद से पैदा करदा चीज़े मुताल्लिका औलाद खाना नं 5 से देखी जाती है। 
  • जंगल पहाड़ का ताल्लुक, आग का खौफ़ जब दुश्मन ग्रह खाना नं 5 हों। 
  • इस घर का मालिक सूरज है। 
  • बृहस्पत, सूरज, राहु, केतु जैसे हों वैसा ही फल होगा। 
  • यह सेहन (मैदान) है खाना नम्बर 9 का और इस सहन का न्यायकर्ता (मुंसिफ) होगा सूरज, सूरज का सुर्ख पक्का पीला बृहस्पत, सूरज मुश्तरका।
  • अगर खाना नम्बर 3 - 4 या 9 मन्दा हो तो खाना नम्बर 5 बुरा असर देगा। 
  • खाना नम्बर 6 - 10 की ज़हर से बचने के लिए खाना नम्बर 5 के दुश्मन ग्रह की चीज़ पाताल में दबाने से मदद होगी। 
  • शनि या शुक्र या दोनो जब कभी मन्दे हों तो दोनो की हालत के मुताबिक मन्दा असर होगा। लेकिन अगर उस वक्त चन्द्र भला हो तो असर उत्तम हो जायेगा। 
  • बृहस्पत की वजह पैदा शुदा बिमारी हो तो नई औलाद के पैदा हो चुकने के बाद खतम होगी। 
  • केतु भला तो सब कुछ उम्दा होगा। 
  • राहु मन्दा होने से सब उल्ट होगा। 
  • जब तक कुण्डली में बृहस्पत उम्दा हो तो औलाद दुखी न होगी।

शादी ब्याह के बाद औलाद का होना भी ज़रूरी समझा जाता है। परिवार, समाज और दुनिया ऐसे ही चलती है। अगर औलाद न हो तो कई सवाल खड़े हो जाते हैं।

मित्रों मैं लाल किताब में लिखे कुछ ऐसे योग के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ जिसे आज तक बहुत ही कम ज्योतिषाचार्य जान पाएं हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य पांचवे घर में शुभ स्तिथि में बैठा हो तो उस व्यक्ति की औलाद (लड़का या लड़की) वह शेर जैसी ही होती है और बुढ़ापे के अन्दर पिता और पुत्र दोनों सुखी होते हैं।
यदि सूर्य खाना नं 5 और शनि खाना नं 3 में हों तो जातक की औलाद को दुःख और तकलीफ ज़रूर मिलेगी। हो सकता है कि जातक की औलाद बीमार या फिर बुरी संगत में पड़ जाये। मित्रों लाल किताब में छिपे ऐसे बहुत से योग हैं। जिन का यहाँ वर्णन कर पाना मुश्किल है।

आदमी की कुण्डली में शुक्र उसकी औरत और औरत की कुण्डली में शक्र उसका आदमी है। बच्चा पैदा करने की ताकत मंगल, पैदावार की ज़मीन शुक्र, औलाद का फल केतु (बेटा) और फूल बुध (बेटी) है। बृहस्पत की कृपा से चन्द्र खानदानी बेल को फल फूल लगता है। लिहाज़ा बृहस्पत, चन्द्र और शुक्र के उपाय करने से औलाद का योग बन सकता है। 
साहबे औलाद

आज के दौर में वही वालदैन (माता पिता) पूरी तरह कामयाब हैं जिनकी औलाद भी कामयाब हो जावे। यही वजह है कि औलाद को कायम करने के लिए दौड़ लगी हुई है। मगर ग्रह क्या कहते हैं, यह भी देख लें तो बेहतर होगा।

ग्रहों से औलाद का ताल्लुक:-
कुछ ग्रहों के योग से बनने वाले बनावटी ग्रह से संतान का विचार :
  • बृहस्पति (बुध + राहू) :- जिस्म में रूह के आने जाने का ताल्लुक (सम्बन्ध) या पैदायश औलाद मगर औलाद की ज़िन्दगी कायम रखने या मौत हो जाने का कोई बन्धन नहीं। 
  • सूरज (शुक्र + बुध) :- माता के पेट के अन्धेरे में रोशनी दे देना या पैदा होने के बाद दुनिया में उनकी या उनसे वालदैन की किस्मत को रौशन करना। खुलासा बज़रिया नर औलाद, अन्धेरे घरों में चिराग रौशन करने की ताकत, सेहत का मालिक। 
  • चन्द्र (सूर्य + बृहस्पत) :- उम्र, धन-दौलत और वालदैनी नेक ताल्लुक, वालदैनी खून नुतफ़ा का ताल्लुक (नर मादा हर दो औलाद का)। 
  • शुक्र (राहू + केतु) :- जिस्म या बुत की मिट्टी, गृहस्थी सुख, औलाद की पैदायश में मदद या खराबी, दुनियावी सुख।
  • मंगल (सूर्य + बुध = मंगल नेक; सूर्य + शनि = मंगल बद) :- जिस्म में खून कायम रहने तक ज़िन्दगी का नाम और दुनिया में औलाद और उनके आगे औलाद दर औलाद कायम रखकर बेलों (पौधे) की तरह बढ़ाना और उनका नाम या उनके नाम से सब का नाम बढ़ाना या दुनिया में नाम बाकी या पैदा कर देना, कुंडली वाले में कुवते बाह से अलैहदा (अलग) बच्चा पैदा करने की ताकत, जिस्म में ज़ोर, रूह बुत को इकट्ठा पकड़े रखने की हिम्मत, बेल सब्ज़ी की तरह औलाद ज़िन्दा रखने का मालिक। अगर मंगल बद होता है तो यम कहलाता है |
  • बुध (बृहस्पत + राहू) :- औलाद का रिश्तेदारों से ताल्लुक लड़कियां, लड़कियों की नस्लों का बढ़ाना, खुद कुण्डली वाले में कुवते बाह खाली विषय की ताकत, कुण्डली वाले और औलाद के लिए दूसरों से मिलने मिलाने का मैदान खुला करना या खाली आकाश की तरह उन सब के लिए हर तरफ जगह खाली करके मैदान बढ़ा देना, इज्ज़त शोहरत। 
  • सनीचर (बृहस्पत + शुक्र = शनि केतु स्वभाव; मंगल + बुध = शनि राहू स्वभाव) :- औलाद की पैदायश के शुरू होने का वक्त, जायदादी ताल्लुक, मौत के बहाने, ज़हमत बिमारी।
  • राहु (मंगल + शनि = उच्च राहू; सूर्य + शनि = नीच राहू) :- बृहस्पति के असर के खिलाफ़ होना या बृहस्पति को चुप कराना । रूह का आना जाना बन्द कराना या मौतें या बहुत देर तक पैदायश औलाद को रोक देना या दीगर गैबी और छुपी छुपाई खराबियां या पांव तले भूचाल पैदा करने मगर लड़कियाें की मदद करता है, झगड़े फ़साद। 
  • केतु (शुक्र + शनि = उच्च केतु; चन्द्र + शनि = नीच केतु) :- औलाद की खुशहाली, फलना फूलना मगर औलाद की तायदाद (गिनती) में कमी का हिन्दसा रखना, मौते करके औलाद घटाने से मुराद नही वैसे ही औलाद गिनती ही की होगी या बहुत देर बाद होगी। लेकिन जो होगी या जब होगी उम्दा और मुकम्मल होगी। बशर्ते कि इसके दुश्मन ग्रह की दृष्टि न हो केतु पर। ऐश का मालिक । केतु को लड़का भी माना जो अपने उच्च घरों में उम्दा फल देता है लेकिन अगर बृहस्पति या मंगल खाना नम्बर 6,12 में हो जावें तो केतु ख्वाह (चाहे) उच्च उम्दा या नेक घरों में ही क्यों न बैठा हो, मन्दा फल देगा। 
  • बृहस्पत मंगल बुध : खुद कुण्डली वाले में बुध में कुवते बाह (सम्भोग शक्ति) और मंगल के खून से बच्चा पैदा करने की ताकत और बृहस्पति की औलाद की पैदायश, तीनों को इकट्ठा रखने वाली ताकत नुतफ़ा या वीर्य या नुतफ़ा की बुनियाद को नर मादा में मिलाने वाली तुफानी हवा या खाली नाली होगी। यही तीन ग्रह केतु की तीन टांगे हैं, जिनकी वजह से शुक्र का बीज कहलाता है । अगर कुण्डली वाले का जो ग्रह रद्दी या उम्दा हालत में होगा वही रद्दी या उम्दा हालत होगी।
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आचार्य हेमंत अग्रवाल

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सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें।