Tuesday 10 March 2015

शुक्र ग्रह से सम्बंधित जानकारी (भाग 1)

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रो में आज आपको शुक्र ग्रह से सम्बंधित कुछ जानकारी देना चाहता हूँ। 
शुक्र देव आकाश मण्डल में सूर्य चन्द्र के बाद सबसे ज्यादा चमकने बाले ग्रह हैं। ऐ हमेशा सूर्य देव के आस पास ही भ्रमण करते हैं। एस्ट्रोलॉजी में शुक्र देव को राक्षसों का गुरु माना जाता है। लेकिन सांसारिक तौर पर शुक्र का सम्बन्ध हमारे जीवन साथी, प्रेमी, प्रेमिका, खूबसूरती, घूमने फिरने, शौक, मौज, सारीरिक जोश, सुंदर वस्तुओं, ग्रहथ सुख, सम्भोग के सुख से है। 
शुक्र देव जब घर 2 3 7 10 12 में हों तो अपने अच्छे फल देते हैं पर उस समय यह भी देखना जरूरी है कि शुक्र के साथ दुश्मन ग्रह सूर्य, राहु, चंद्र ना हो और ना ही दृष्टी आदि से शुक्र को ख़राब कर रहे हों। तो ऐसे व्यकित को शुक्र के अच्छे फल मिलते हैं।
जब शुक्र अच्छे हों व्यकित को प्रेमी प्रेमिका जीवन साथी के पूरे सुख मिलते हैं। उसका साथी वफादार होता है और उनके बीच पूरी जिंदगी एक दुसरे के लिए समर्पण भाव बना रहता है।
शुक्र देव को ज्योतिष्य अनुसार माता लक्ष्मी भी माना जाता है क्यूंकि शुक्र देव जब अच्छे हों तो रूपया पैसा आभूषण भरपूर देते हैं। जब रुपया पैसा भरपूर मात्रा में हो तो बुद्धि भी अच्छी हो जाती है। जिस कारण व्यकित जो भी कार्य करता है उसमे सफल होता है।
शुक्र अच्छे वाले जातक को सुंदर जीवन साथी मिलता है। दोनों साथ साथ घूमते फिरते हैं। घर में साज सज्जा की सभी वस्तुएं होती हैं। घर में किसी प्रकार की कमी नहीं होती। ऐसे व्यकित का घर भी सुंदर होता है। घर में शौक मौज का पूरा सामान होता है। सम्भोग के सुख अच्छे होते हैं। शरीर में भरपूर जोश होता है। ऐसे व्यकित के घर का माहौल हमेशा प्रेममय रहता है।
लेकिन जब किसी की कुंडली में शुक्र देव नीच मन्दे या दुश्मन ग्रहों के साथ बैठ जाएँ या दृष्टि आदि से पीड़ित हों तो शुक्र के बुरे फल मिलते हैं।
बुरे शुक्र बाला जातक दुसरे जोड़े जो प्यार से रहते हैं, घुमते फिरते हैं, उनसे जलता भुनता है और उनके प्यार मोह्हबत में बुराई ढूँढता रहता है।
ऐसे व्यकित के शरीर में जोश की कमी हो जाती है।
उसे हर समय आलस घेरे रहता है। जिस कारण ऐसा जातक सुबह जल्दी बिस्तर नहीं छोड़ता जिस कारण से शुक्र के फल और भी बुरे हो जाते हैं।
ऐसे व्यकित के घर में धुल मिटटी गन्दगी रहती है। घर का सामान सलीके तरीके से सही जगह नहीं होता यंहां वंहा बिखरा रहता है। साज सज्जा का सामान खरीदने के पैसे नहीं होते। रुपया पैसा की कमी बनी रहती है।
शुक्र का सम्बन्ध राहू के साथ हो जाये तो आपस में शक वहम मार पीट तक होती है। ऐसे जातक को गुप्त रोग हो जाते हैं। नपुनशक्ता तक हो जाती है। ऐसा व्यकित अपने साथी को तंग ही करता है।
शुक्र का सम्बन्ध सूर्य के साथ होने से सम्भोग की इच्छा बहुत कम हो जाती है। वो भी जीवन साथी को खुश नहीं रख पाता। खुद के व् साथी के शरीर में अंदरूनी कमजोरी हो जाती है जो आशानी से पकड़ में नहीं आती।
जब शुक्र का सम्बन्ध चंद्र देव के साथ हो जाये तो ऐसे जातक का सम्बन्ध अपनी सास के साथ अच्छा नहीं होता। अगर ऐसा योग लड़की की कुंडली में हो तो उसे सास की तरफ से कभी चैन नहीं मिलता। सास के साथ सम्बन्ध ख़राब ही रहते हैं। ऐसे व्यकित की माँ को आँखों या चमड़ी से सम्बंधित बीमारी घेर लेती है और खुद भी आँखों या मड़ी की बीमारी से परेशान होता है।
शुक्र देव के कुंडली के अलग अलग घरों में प्रभाव : 
शुक्र की दो रंगी मिट्टी 

  • खाना नं 1 : काग रेखा या मच्छ रेखा, यक तरफा ख्याल का मालिक, तख्त का मालिक, रज़िया बेगम रानी मगर एक हब्शी गुलाम पर मर मिटी। 
  • खाना नं 2 : उम्दा ग्रहस्थ हर तरफ से सिवाये बच्चे बनाने के, अपनी ही खूबसूरती और तबीयत के आप मालिक, खुद परस्ती, स्कूल मिस्टरैस, हर एक की दिलदादा औरत मगर वह खुद किसी को पसंद न करे। 
  • खाना नं 3 : मर्द की हिम्मत-हैसियत, गाय की जगह बैल का काम देवे, ऐसी कशिश कि ऐसे टेवे वाले पर कोई न कोई औरत फरेफता (मोहित) हो ही जाया करती है। 
  • खाना नं 4 : एक जगह दो औरत या दो मर्द मगर मर्द औरत दोनों ही ऐसी दो गाय या दो बैल कि बच्चा दोनो ही से न बने । 
  • खाना नं 5 : बच्चों भरा परिवार या ऐसे बच्चों का पैदा करने वाला जो उसे बाप न कहे या न कह सके।
  • खाना नं 6 : न औरत न मर्द, लक्ष्मी भी ऐसी जिसकी कोई कीमत न देवे या खुसरा मर्द या बांझ औरत। 
शुक्र खाना नं 1 से 6 तक उठती जवानी में ऐश व इश्क की लहरों से मिट्टी की पूजना में अन्धा होगा। 

  • खाना नं 7 : सिर्फ साथी का असर, जो और जैसे तुम वह और वैसे ही हम । 
  • खाना नं 8 : जलती मिट्टी और हर सुख में नाशुकरा, उत्तम तो भवसागर से पार कर दे। 
  • खाना नं 9 : खुद शुक्र की अपनी बिमारी के ज़रिए धन हानि मगर घर में ऐश व आराम के सामान या धन की कमी न होगी। 
  • खाना नं 10 : खुद सनीचर मगर औरत तो ऐसी जो मर्द को निकाल कर ले जावे, अगर मर्द तो ऐसा कि वह किसी न किसी दूसरी औरत जात को अपनी मन्जूरे नज़र रखा ही करता है। 
  • खाना नं 11 : लट्टू की तरह घूम जाने वाली हालत मगर बचपन की मोह माया की भोली भाली तबीयत की मूरत और रिज़क के चश्मा का निकास। 
  • खाना नं 12 : भवसागर से पार करने वाली गाय, औरत,लक्ष्मी जिसकी खुद अपनी सेहत के ताल्लुक में या सारी ही उम्र रोते निकल गई । 
शुक्र खाना नं 7 से 12 तक बुढ़ापे में नसीहतें करे। 
खाना नं 1 और 2 में शुक्र 
कुण्डली का खाना नं 1 शाह सलामत का तख्ते बादशाही जिसका मालिक मंगल है। इस खाने में बैठा हुआ ग्रह हुकमरान कहलाता है। अगर खाना नं 7 खाली हो तो खाना नं 1 का ग्रह शक्की ही होगा। कुण्डली का खाना नं 2 धर्म अस्थान जिसका मालिक शुक्र है। अगर खाना नं 10 खाली हो तो खाना नं 2 का ग्रह सोया हुआ होगा। 
लाल किताब के मुताबिक मर्द की कुण्डली में शुक्र उसकी औरत और औरत की कुण्डली में शुक्र उसका मर्द होगा। गृहस्त आश्रम, बाल बच्चों की बरकत और बड़े परिवार का 25 साला ज़माना शुक्र का अहद है। बुध की मदद के बगैर शुक्र पागल होगा। इसलिए कुण्डली में शुक्र बुध मुश्तरका मुबारक होंगे। शुक्र खाना नं1 तख्त की मालिक रज़िया बेगम रानी मगर एक हबशी गुलाम पर मर मिटी। जिस पर मेहरबान उस पर जान भी कुर्बान और जिसके खिलाफ उसकी मिट्टी भी खराब। शुक्र का पतंग, उठती जवानी के वक्त खूबसूरती की रंगबिरंगी दिल फरेब हुस्न की दिलचस्प और दिलरूबा सिफतों की मीठी मीठी ज़ुबान से तारीफ करते कराते, कामदेव की आग में जलते हुए, मीलों सोये हुए निकल गए। जिसकी वज़ह से दिल और दिमाग पर काबू न रहा और आखिर में ईमान भी बिकने लगा। धर्महीन हो जाये तो बेशक, इश्क में मज़हब का फर्क समझे या न समझे मगर राज दरबार कभी मन्दा न होगा। 
शुक्र खाना नं0 2 अपनी ही खूबसूरती और तबीयत के आप मालिक। खुद परस्ती, स्कूल मिस्ट्रैस, हर एक की दिलदादा औरत मगर खुद किसी को पसन्द न करे। लक्ष्मी अवतार जिसका रिज़क कभी खराब न होगा बल्कि दिन रात बढ़ता ही होगा। जाती कमाई शुरू करने के दिन से कम अज़ कम 60 साल आमदनी होगी। बैरूनी हालत सूफियाना मगर अन्दरूनी चाल आशिकाना। काम देवी ताकत तो होगी मगर औलाद पैदा करने की ताकत कम ही होगी। चाल चलन का सम्भालना हर नेक नतीजे की बुनियाद होगा। बहरहाल उम्र लम्बी और दुश्मन मगलूब होंगे। 
कुछ शास्त्रों में लिखा है की छठे भाव में शुक्र को ख़राब ही माना गया है। सारावली में कहा गया हैं की छठे घर में शुक्र होने से स्त्री पक्ष से अनिष्ट फल ही मिलता है। यहाँ पर अनिष्ट शब्द की कोई व्यापक व्याख्या नहीं करी गई है। जबकि एक प्राचीन ज्योतिषी हरिवंश जी का विचार है कि यहाँ शुक्र होने से व्यक्ति को अच्छी पत्नी और स्त्री को अच्छा पति नहीं मिलता। सामान्यतः ये देखने में मिल जाता है। लेकिन जब वृष लग्न की बात करी जाती है तो छठे घर में तुला राशि आती है जो शुक्र की अपनी ही राशि है अतः वृष लग्न वालों को स्त्री के सम्बन्ध में किसी न किसी प्रकार की असन्तुष्टः या चिंता तो रहती है किन्तु अपनी राशि में शुक्र होने के कारण बहुत ज्यादा अनिष्टकारक फल नहीं प्राप्त होते है।छठे घर में शुक्र हो तो ऐसे पुरुष को या ऐसी स्त्री को यह जरूरी होगा की ऐसे वयक्ति से शादी करवाएं जिसके भाई बहन न हो अर्थात जो अकेला हो। इसका कारण यह है की स्त्री के लिए पति के भाईओं का कारक मंगल है और इसी प्रकार पुरुषों के लिए सालों का गृह मंगल है। यहाँ अशुभ शुक्र होने से उसके साथ मंगल का प्रभाव भी हो , यानि की भाई हो शुक्र का शुभ असर काफी हद तक कम हो जाता है, यानि कि शुक्र, मंगल के अधीन हो जाता है जिससे नैसर्गिक शुक्र के शुभ फलों में काफी कमी आ जाती है और वृष लग्न वालों के लिए भी शुक्र का फल शुभ नहीं रह जाता। 
वृहत संहिता में कहा गया है की छठे भाव सूर्य 10 दोष उत्पन्न करता है लेकिन शुक्र हजार दोष उत्पन्न करता है। इन दोषों के बहुत से रूप हो सकते है। जैसे की ऐसे व्यक्ति को जीवन में कोई बहुत अच्छा सम्मान न प्राप्त होना। जीवन में कई बार निंदा होना। ऐसा जातक देखने में आता है कि युवा अवस्था में अपनी संगती ठीक नहीं रखता। कई बार ऐसे मित्र बन जाते हैं जिनके कारण उसका बहुत कीमती समय नष्ट हो जाता है। पढ़ाई लिखाई और काम काज पर वयापक असर पड़ता है। फलदीपिका में कहा गया है की ऐसा व्यक्ति युवतिओं द्वारा दूषित होता है। जबकि गोपाल रत्नाकर का कहना है की ऐसा व्यक्ति पर स्त्री गमन करता है। वास्तव में बदनामी का कई बार ये सब कारण होते है कि लोगों को उसके चरित्र के बारे में संदेह होता है। 
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें।  
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य को  दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है।  
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

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