Saturday 21 March 2015

शुक्र ग्रह से सम्बंधित जानकारी (भाग 4)

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
शुक्र देव के बारे में चर्चा को आगे बढ़ाते हुए.………। 
शुक्र स्त्री कारक ग्रह है। इसलिए इस घर (खाना नं 6) में शुक्र होने पर जो वैर - विरोध पैदा होता है वो अधिकतर स्त्रिओं की ओर से और स्त्रिओं के कारण होता है। उसके शत्रु भी स्त्री स्वभाव के होंगे। ये शत्रु उस व्यक्ति के साथ बहुत ईर्ष्या रखते है और उसके बारे में दूसरे लोगों के पास झूठी - सच्ची बातों से उसे बदनाम करने की कोशिश करते है और किसी हद तक अपनी कोशिशों में सफल भी होते है। 
चमत्कार चिंतामणि में कहा गया हैं कि इस घर का शुक्र मीठा मीठा बोलने वाले दुश्मन पैदा करता है। जो की ठीक ही प्रतीत होता है। इसका कारण यह है की छठा घर बुध का पक्का घर है और बुध एक स्त्री गृह होने के साथ चुस्ती और होशियारी का गृह भी हैं जिसकी जुबान में मिठास है। अतः शुक्र जैसे गृह का छठे घर में होना स्वाभाविक ही है कि वो ऐसे शत्रु पैदा करेगा, जिनकी बोली में शहद और बगल में छुपा हुआ खंजर हो। 
लाल किताब में कहा गया है की जैसे ही किसी का छठे घर का शुक्र अपना बुरा फल देना शुरू करता हैं वैसे ही उसके दायें या बाएं हाथ का अंगूठा बिना किसी चोट के ही दर्द करने लगता है। ऐसी हालत में साधारण सा ये उपाय हैं कि फटे पुराने गंदे कपडे न पहने, साफ़ सुथरे कपडे पहने अगर हो सके तो दिन में दो बार कपडे बदले और इत्र परफ्यूम आदि का प्रयोग करे। 
यदि यहाँ का शुक्र पत्नी की सेहत के बारे में , औलाद के बारे में या व्यक्ति के अपने सम्मान के बारे में अशुभ फल दे रहा हो तो यह सबसे बड़ा उपाय होगा की उस व्यक्ति की पत्नी कभी भी नंगे पाँव जमीन पर न चले। कारण यह है की इस घर का शुक्र पाताल का शुक्र है। छठे घर को पाताल कहा गया है, इसलिए जमीन की तह के नीचे पड़ा हुआ है। लेकिन जब उसकी कारक स्त्री के नंगे पाँव जमीन को छु लेंगे तो पाताल में पड़ा हुआ प्रभाव ऊपर जमीन पर आ जाएगा। हो सके तो कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी को नंगे पाँव कभी न चलने दे।
शुक्र को एक ऐसी देवी के रूप में माना गया हैं जिसके हाथों में पुस्तक, ढाल , फूल और माला हैं। यहाँ पुस्तक ज्ञान का प्रतीक हैं, जो उसको भृगु ऋषि की संतान होने के कारण मिला ज्ञान हैं। ढाल रक्षा का प्रतीक है, जो शुक्र को राक्षसों का गुरु होने के कारण मिली ताकत का चिन्ह हैं। फूल शुक्र की नाजुक मिजाजी का कारण हैं और माला उसके आध्यात्मिक पहलू का प्रतीक हैं। 
इसके विपरीत अग्नि पुराण में शुक्र का एक ऐसी स्त्री के रूप में वर्णन हैं, जिसके हाथों में तीखे सींग, तीर - कमान, और सोने की कुल्हारी हैं। शुक्र का यह रूप, अष्टम शुक्र के लिए हैं। कालपुरुष की दूसरी राशि के स्वामी के मौत के घर में चला जाना हैं। अतः ऐसे इंसान के यहां क़र्ज़ की संभावना बनी रहती है। ऐसा इंसान का अपने पार्टनर से कभी भी अच्छा सम्बन्ध नहीं होता। इसको ऐसे कहा जा सकता हैं कि असतं शुक्र वाले का जायज सम्बन्ध तो सूली पे चढ़ जाता हैं उसे संतुष्टि नहीं मिलती लेकिन नाजायज सम्बन्ध ही उसको संतुष्टि देते हैं। ऐसे लोगों को काले रंग की गाय को 8 रविवार आटे का पेड़ा देना चाहिए। अगर हो सके तो आगे भी करते रहे। क्योंकि शुक्र गाय हैं , पर आठवें घर में अर्थात अँधेरे के घर में , यह गाय काले रंग की हो जाती हैं। आटे का पेड़ा सूर्य की वस्तु हैं और रविवार सूर्य का वार है। सो इस शुक्र के अँधेरे को, उसके दुश्मन ग्रह सूर्य से रोशन करना हैं।

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ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
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