Sunday 8 March 2015

व्यवसय से सम्बंधित जानकारी (भाग 1)


जय माता दी ! 
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रो आज मै आपको व्यवसय से सम्बंधित जानकारी देने जा रहा हूँ। मैने अपने पिछले लेखों में बुध देव के महत्व के बारे में जानकारी दी थी और आप सब को जानकर आश्चर्य होगा और यह वास्तविकता भी है कि व्यवसाय करने में बुध देव का बहुत बड़ा किरदार होता है। क्योकि यह हमारी वाणी एवम तर्क शक्ति का कारक भी होता है। अब इस पोस्ट में व्यवसाय से सम्बंधित आगे की जानकारी देने जा रहा हूँ। व्यवसाय के बारे में बताने से पहले मै कुछ बात आप सब से शेयर करना चाहता हूँ। वह यह कि "व्यवसायिक सलाहकारों की आवश्यकता ज्ञान विज्ञान के विशिस्टीकरण के साथ साथ बढ़ती जा रही है। व्यवसाय सदैव रूचि के अनुसार नही होता। जो शिक्षक बनना चाहते थे, उन्हें आई० ए० एस० आदि में पाया गया, जो आई० ए० एस० के पद के लिए लालायित थे वे शिक्षक या व्यवसायी पायेगये। कई बार तो यह भी देखा गया की शिक्षा प्राप्त की जाती है इंजीनियरिंग की और काम करना पड़ता है बैंक में और यहाँ तक कि शिक्षा प्राप्त की जाती है डॉक्टर की लेकिन काम करना पड़ता है पॉलिटिशियन का । ऐसे बहुत से उदाहरण आप सबको अपने आसपास के माहोल में देखने को मिलेंगे।मनोवैज्ञानिक व्यवसायिक सलाहकार केवल रूचि तथा वर्तमान दृष्य पर विचार कर सलाह अवस्य दे सकता है। उसकी अपनी सीमित दृष्टि है। यदि इस सिमित दृस्टि को ज्योतिष दृष्टि के साथ जोड़कर बड़ा दिया जाये तो जातक की रूचि, मानसिक, शारीरिक, आर्थिक सामर्थ्य का आकलन कर भौगोलिक, सामाजिक तथा भविष्य में उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों की अपेक्षाओं के अनुरूप सही सलाह दी जा सकती है। जब एक ही क्षेत्र, उदाहरण के लिए कपडे उधोग में ही विभिन्न रूपों में विभिन्न योग्यताओ वाले व्यक्ति लगे हों, तब यह कहना मुश्किल होता है कि कौन जातक साधारण कपडा व्यवसायी होगा, कौन कपडे का थोक व्यापारी होगा, कौन कपडे मिल का मालिक होगा, कौन टेक्सटाइल् इंजीनियर होगा तो कौन डिज़ाइनर। ज्योतिषीय नियम आदि सूच्छ्मता से और धैर्य पूर्वक कुंडली पर लगाये जाये तो यह बताना संभव हो सकता है। इस सम्भावना को साकार करने का हम पूरा प्रयत्न करते है। जब कुछ डॉक्टर, नर्स आदि जातक के जन्म के बारे मे लिखने में, कुछ यजमानो के बताने में और कुछ पंडितो के चलताऊ काम करने के कारण भूल होने की सम्भावना हो, तब सभी कुंडलियो के सही सही होने की अपेक्षा करना आकाश कुसुम की मांग करना होगा। अतः इसके लिए ज्योतिषियों को दोषी नही माना जा सकता।" 
मित्रो अब बात करते है व्यवसाय की। लाल किताब में कहा गया है की पूरी जन्म कुंडली में सबसे पहले किस्मत के गृह ही की खोज करनी चाहिए। जन्म कुंडली में जिस ग्रह की भविष्यवाणी सबसे अच्छी हो, जिस ग्रह के ऊपर किसी दूसरे बुरे ग्रह की दृष्टि न पड़ रही हो, वह स्वयं अपने घर में या अपने मित्र के घर में बैठा हुआ हो और दुश्मन ग्रहो से किसी प्रकार का सम्बन्ध न हो। जिसकी राशि भी बहुत अच्छी हो सिर्फ और सिर्फ उस गृह से संभंधित जो भी काम काज बनता है यदि वह व्यवसाय कर लिया जाये तो जातक को पूरी जिंदगी के अंदर बहुत अधिक बड़े बड़े दुःख नही देखने पड़ते। अशुभ ग्रह अपने अपने समय पर पिनक बाजी मारते है लेकिन अंततः जातक जीवन में सफल ही रहता है। 90% जिंदगी सिर्फ इसी पर टिकी होती है की कौनसा कार्य करना चाहिए, यानि कि कौनसा कार्य करने से सुख की प्राप्ति होगी, नौकरी करनी चाहिए या व्यवसाय करना चाहिए और नौकरी किस तरह की हो और व्यवसाय किस तरह का हो जो जातक इस भेद को जान जाता है कि उसे क्या करना चाहिए, वह जातक अपने भविष्य में बहुत उंचाईया छूता है। अगर व्यक्ति का काम अच्छा हो तो भविष्य में आनेवाली सभी प्रकार की समस्याओं से जूझा जा सकता है। यदि काम अच्छा न हो तो मनुष्य भिखारी के समान हो जाता है। 
मित्रो इस तरह लाल किताब के बहुत सारे नियम है जिनका सूच्छ्मता और धैर्यपूर्वक अध्ययन करने से बहुत अच्छे फलादेश निकलते है। जैसे कि शनि दसवें भाव मे तुला राशि का होकर बैठा हो तो ऎसे जातक की बुद्धि तेज होती है और उसमे स्थितियों तथा समस्याओ को ठीक रूप मे समझने के लिए दूर दृष्टि भी बहुत अच्छी होती है। (मित्रो शनि देव के बारे में विस्तार से उल्लेख मै अगले लेखो में करूंगा। अभी यहाँ केवल व्यवसाय से सम्बंधित उल्लेख का वर्णन करना चाहता हूँ) दसवें भाव को कर्म-स्थान भी कहा जाता है। यहाँ बहुत ही अच्छी हालत में शनि की स्थिति के फल स्वरुप जातक अपने जीवन में अच्छा धन प्राप्त करता है और समाज मे भी ऐसा जातक इज्जत तथा मान पाता है। ऎसे जातक को उधोग, कारखाने, यन्त्र, छापाखाना, कानून, संविधान, पुरातत्व, विज्ञानं, इंजीनियरिंग, शोध, अनुशंधान, ट्रांसपोर्ट, फैक्टरी, सुरंग, खनन, रेलवे, मदिरा-उधोग, ठेकेदारी, सुरक्षा, राजनीति, लोहा/कोयला/सीमेंट/लेबर आदि से सम्बंधित व्यवसायों/छेत्रो मे बहुत कामयाबी मिलती है। यदि शनि के साथ शुक्र दसवें घर मे तुला राशि का होकर बैठा हो तो, दोनों ग्रहो की युति के फलस्वरूप व्यक्ति की धन दौलत के लिए बहुत अच्छा असर पड़ता है। मित्रो व्यवसाय ढूंढने के और भी बहुत सारे नियम है जिनको यहाँ लिख पाना संभव नही है और कुंडली में उन नियमो को ढूंढ कर, उनके अनुरूप व्यवसाय करने से हम अपने जीवन को सुखमय बना सकते है। दशवें घर में चन्द्रमा हो और मंगल कुंडली में कहीं भी अशुभ हो के बैठा हो , या मंगल के साथ केतु हो या बुध हो तो ऐसा इंसान चोर धोखेबाज तैरते को डूबने वाला होता हैं। केतु के दसवें होने पर यदि जातक के भाई उसको तकलीफ दें या उसकी दौलत को बर्बाद करें और वो उन्हें माफ़ी देता जाये तो ये जातक पर बहुत शुभ असर करेगा और उसकी आर्थिक हालत और भी अच्छी हो जाएगी। 
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

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