Saturday 21 March 2015

चौथे घर के मंगल देव की व्याख्या (भाग 1)

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रों आज मैं मंगल चौथे घर की व्याख्या करना चाहता हूँ। 
लाल किताब के 1942 के संस्करण में चौथे घर के मंगल को तलवार या ढाक का पेड़ कहा गया है। चौथे भाव का मंगल बहुत शुभ फल नहीं देता। मेष लग्न वालों के लिए चौथे घर में कर्क राशि पड़ती हैं जो की जल तत्त्व की राशि है इस राशि में आग के गोले जैसा मंगल आकर मंदा हो जाता है। जिन लोगों के चौथे घर में मंगल होता है एक अज्ञात भय उनके मन में समाया रहता है और ये डर किस बात का होता है ये वो दूसरों को समझा नहीं पाते। कई बार ऐसा होता है कि उनके द्वारा व्यक्त भावना से दूसरों को ग़लतफ़हमी हो जाने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसा इस कारण से होता हैं कि वह जो कुछ भी कहना चाहता है ठीक से कह नहीं पाता। इसका सबसे बड़ा कारण देखने में यह आता है कि बचपन की पारिवारिक परिस्थितियां बहुत अनुकूल नहीं होती। ऐसे घर के सदस्यों का आपस में उस तरह का प्यार नहीं होता जिससे की बच्चे की भावुकता परिपक्व हो सके और वो निडर हो के अपना विकास कर सके। कभी कभी पिता से विचार न मिलने से या पिता के सख्त स्वाभाव होने से बच्चे के मन में दर बैठ जाता है।
लाल किताब के 1952 के संस्करण में चौथे घर के मंगल को जलती आग या बदी का सरदार भी कहा गया है यानि कि जलाने पे आ जाए तो मर्द और माया समुद्र को भी जलाकर खुश्क कर देता है। भाई की पत्नी और उसकी दौलत पर 28 साल उम्र तक ख़राब प्रभाव पड़ता है। घर के आसपास कीकर या बेरी का वृक्ष हो, भुनने वाली या हलवाई की भट्टी हो या कुछ भी जिसमे आग जलाई जाती हो तो, मंगल और बुरा प्रभाव देता है। मकान का दरवाजा ढक्षिण में हो तो भी बुरा हैं। घर से निकलते ही घर की रसोईं या आग का सम्बन्ध दाईं तरफ हो तो मंगल अशुभ प्रभाव देगा।
यदि ऐसा जातक किसी ऐसे वयक्ति से जमीन ले के या माकन ले के रहे जिसके औलाद न हो तो भी ज्यादा बुरा प्रभाव मिलता है। पानी वाली जगह को भर के मकान या फैक्ट्री बनाए तो तबाह हो जाता है।
यदि साथ में तीसरे या अस्टम भाव में बुध और केतु हो तो मंगल बद हो जाता है जिसके कारण विधवा औरतें और उस वयक्ति के खानदान के अपने लोग ही उसे बर्बाद कर देते है। देखने में आता है की उसकी ताई चाची आदि ही उस पर जहर जैसा प्रभाव डालकर उसे बर्बाद कर देती हैं। मंगल चार के साथ यदि शुक्र भी चार या आठ में हो तो उसकी बर्बादी का कारण कोई ताया या चाचा होगा। उपाय के तौर पर इस बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए किसी विधवा ताई चाची या माता से आशीर्वाद लेते रहना चाहिए। 
कुछ शास्त्रों मैं लिखा है कि चौथे घर में मंगल के समय यदि कोई दो पापी गृह शनि राहु या शनि केतु या कोई दो दुश्मन ग्रह बुध केतु किसी भी भाव में एक साथ हो तो मंगल का ख़राब प्रभाव काफी हद तक काम हो जाता है। चौथे भाव में मंगल नीच का होने पे मंगल के बुरे फल, विशेष रूप से देखने में आते हैं, परिवार के बाकी लोगों को भी कम ज्यादा मिलते है। ऐसा मंगल होने से उस वयक्ति के लिए जमीन, मकान आदि से सम्बंधित चीजों के फल अच्छे नहीं मिलते। इन कामों से सम्बंधित काम करने पे भी लाभ की संभावना कम ही होती है। कर्क राशि जो की पूरी तरह से जल का प्रतीक हैं उसमे बैठा मंगल चली हुई कारतूस या बुझी हुई आग जैसा है इसी कारण इस घर में मंगल होने से व्यक्ति अपने ही मानसिक संताप में जलता रहता है।
मंगल चार के साथ शनि एक में हो तो वयक्ति में चोरी की भावना या दगाबाजी की आदत होगी। महिलाओं को ऐसे व्यक्तियों से जिनके चतुर्थ में मंगल और लग्न में शनि हो बहुत सावधान रहना चाहिए। काने आदमी से और निःसंतान से जितना दूर हो सके उतना दूर रहना चाहिए।यहाँ पर मंगल के लिए मृगशाला अपने पास रखना सबसे अच्छा उपाय बताया गया है। 
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