Tuesday 10 March 2015

शनि देव अशुभ होने के परिणाम (भाग 2) .....


जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक से अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
आज मैं आप लोगों से शनि देव की चर्चा करना चाहता हूँ। शनि देव कब अच्छे और कब बुरे हो जाते हैं।
जब शनि देव के साथ सूर्य का सम्बन्ध बन जाये तो शनि का फल अच्छा नहीं रहता। साथ ही मंगल और राहु भी ख़राब फल देने लग जाते हैं। मंगल ख़राब होने पर जातक के सुभाव मैं क्रोध बड़ जाता है, राहु ख़राब होने पर नए विचारों मैं कमी आ जाती है, अंतः जातक का रोज़गार और आमदनी खत्म हो जाती है। 
साथ ही शनि देव का सम्बन्ध मकान से भी है। जब शनि देव लाल किताब के नियमों के आधार पर अशुभ स्थिति में बैठे हों तो व्यकित को मकान 48 साल की उम्र से पहले नहीं बनाना चाहिए। 11 वें घर में शनि हो तो 55 साल की उम्र से पहले ना बनाये और अगर जातक इन नियमों का पालन नहीं करता तो उसे अपनी कमाई से बनाया हुआ या ख़रीदा हुआ मकान बहुत बड़ी मुसीबतों का कारण बन जाता है।
9 वें घर में शनि हों तो 2 से ज्यादा मकान न बनाएं। साथ ही यह भी ध्यान रखें की पत्नी गर्भवती न हो।
शनि देव जिसकी कुंडली में अच्छे ना हों उसको साढेसाती में बहुत परेशानी होती है। उस समय शनि देव राजा को भी रेहड़ी चलाने के लिए मजबूर कर देते हैं। ऐसा व्यकित जब तक झुकना ना सीख़ जाये तब तक शनि देव उसको परेशान करते हैं फिर बाद में उसे दुबारा ऊंचाइयों पर ले जाते हैं और उसका जो भी साढेसाती समय में बर्बाद होता है, उससे भी ज्यादा उसे बापिस देते हैं। लेकिन ध्यान रहे की जातक उस समय में बुरे कामों की तरफ न जाये। 
हकीकत में शनि एसे मास्टर हैं, जो अपने विध्यार्थी को मार मार् के पीट पीट के लोहे से सोना बनाते हैं।
जब शनि देव अच्छे हों तो व्यकित को बैठ के खाने पीने के सुख, नौकर चाकर के सुख अच्छे रहते हैं।ऐसे व्यकित को नौकर अच्छे और वफादार मिलते हैं। चाचा के सुख मिलते हैं चाचा से लाभ भी मिलता है और चाचा भी पूर्ण ऐश्वर्या के साथ जीवन गुजारते अच्छा और सुंदर मकान के सुख, मशीनरी से सम्बंधित काम काज फॅक्टरी अदि के काम करबाते हैं। कम मेहनत में पूरा लाभ मिलता है। ऐसे व्यकित के लिए दुसरे लोग , नौकर चाकर आदि कमाते हैं। 
लेकिन जब शनि देव मन्दे नीच के हों और बुराई पर आ जाएँ तो मेहनत का फल नहीं मिलता बड़ी ही मुश्किल से गुजारे लायक पैसा मिलता है। 
मकान तक बिकबा देते हैं। नौकर चाकर धोखा देते हैं। नौकर ही लूट के खा जाते हैं।
घर के बुजरगों और माँ के जोड़ों में दर्द की परेशानी देते हैं। ऐसा व्यकित खुद डब्बल माइंड और कन्फ्यूजन में रहता है। मकान और अन्य प्रॉपर्टी बिकती हैं। घर में क्लेश का माहौल बना रहता है। वाहन सुख नस्ट हो जाता है। अकस्मात अनजानी घटनाएं होती हैं। घर की समृद्धि नस्ट हो जाती है। परिवार और रिस्तेदारो की सहायता नहीं मिलती बल्कि दुश्मन बन जाते हैं। ऐसा जातक खुद को ज्यादा समझदार समझता है और नुक्सान उठाता है।
यहां मैं एक बात और बताना चाहता हूँ कि शनि देव व्यकित का घमण्ड तोड़ने का काम करते हैं, मौत नहीं देते।
नवें घर में यदि बुध के साथ शनि हैं तो, बुध की आयु यानी ३४ साल तक का जीवन बहुत ही अड़चनों या मुसीबतों में बीतता हैं।
उपाए :
लग्न - 

  • बंदरों की सेवा करें। 
  • चीनी मिला दूध बड़ की जड़ों में डालें, उसके गीली मिटटी से तिलक करे।
  • झूठ न बोलें। दूसरों की वस्तुओं पर बुरी दृष्टि न डालें।
दितीय भाव - 
  • ललाट पर दूध या दही का तिलक लगाएं।
  • सलेटी रंग की भैंस पालें।
  • सांप को दूध पिलायें।
तृतीय भाव - 
  • मांस मदिरा का सेवन न करें।
  • घर के सिरे पर अँधेरा कमरा न रखें।
  • घर का मुख्य द्वार पूर्व में रखें।
  • केतु के लिए निर्दिष्ट उपचार।
चतुर्थ भाव - 
  • सांपो की रक्षा करे, उन्हें दूध पिलायें।
  • कुएं में दूध डालें।
  • भैंस और कौओं को भोजन दें, मजदूरों की सहायता करें।
  • बहते पानी में शराब डालें।
  • हरा रंग प्रयोग न करें। काले कपडे न पहनें।
पंचम भाव - 
  • अपने पास में सोना या केसर रखें।
  • बुध के लिए निर्दिष्ट उपचार।
  • मंदिर में कुछ अखरोट ले जाएं। उनमें से आधे वापिस लाकर कपड़े में रखकर घर में रखें।
  • 48 वर्ष की आयु से पहले अपने लिए घर न बनाएँ।
षष्ठ भाव - 
  • चमड़े और लोहे की बनी हुई कोई वस्तु न खरीदें। पुरानी चीजों को ख़रीदा जा सकता है।
सप्तम भाव - 
  • शहद से भरा हुआ मिटटी का निर्जन बर्तन स्थान पर रखें।
  • बांस की बांसुरी में चीनी भरकर निर्जन स्थान पर गाड़ दें।
अष्टम भाव - 
  • अपने पास में चांदी का टुकड़ा रखें।
  • सांपो की रक्षा करें और उन्हें दूध पिलायें।
नवम भाव - 
  • घर के सिरे का कमरा अँधेरा हो।
  • घर की छत पर ईंधन आदि रखें।
  • गुरु के लिए निर्दिष्ट उपचार।
दशम भाव - 
  • गुरु के लिए निर्दिष्ट उपचार।
  • 48 वर्ष की आयु से पहले अपने लिए घर न बनवाएं।
  • मांस मदिरा का त्याग करें।
एकादश भाव - 
  • मांस मदिरा का सेवन न करें।
  • घर का मुख्य द्वार दक्षिण में न हो।
  • घर में चांदी की ईंट रखें।
द्वादश भाव - 
  • मांस मदिरा का सेवन न करें।
  • घर की अंतिम दीवार में खिड़की या दरवाजा न रखें।
  • झूट न बोलें।
सामन्य उपचार सब भावों के लिए -
  • शनिवार का व्रत रखें।
  • भैरो की पूजा करे और शराब चढ़ाये।
  • सांपो को दूध पिलायें।
  • तेल और शराब मुफ्त में बांटे।
  • रोटी पर सरसों का तेल लगाकर कुत्तों को या गायों को खिलाएं।
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
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ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

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