Saturday 21 March 2015

चौथे घर के मंगल देव की व्याख्या (भाग 2) .........



जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रों आज मैं मंगल चौथे घर की आगे की व्याख्या करना चाहता हूँ। 
यदि चौथे घर में मंगल देव के साथ बुध भी हों तो देखने में आता है कि वयक्ति हमेशा दूसरों के घरों में रहता है। उसका अपना मकान बनाना लगभग असंभव हो जाता है। चौथे घर में मंगल नीच का होता है, जिससे कि चौथे घर की लगभग सभी कारक वस्तुओं पर इसका बुरा प्रभाव ही पड़ता है जैसे कि मन की शान्ति भी उसमे से है। अतः यह कहा जा सकता है कि चौथे घर में पड़े मंगल वाले व्यक्ति को जीवन भर कोई न कोई मानसिक पीड़ा रहती है। जो सम्पूर्ण शांतिमय जीवन में बाधा बनती है। कई बार परिस्थितिआ ठीक होते हुए भी मन की पीड़ा से छुटकारा पाना मुस्किल होता है।
चौथे घर में मंगल होने से नाना के परिवार के लोगों को जहर या शस्त्रों से कष्ट होता है। वास्तव में ऐसा मंगल नाना के घर के लोगों को बुरा प्रभाव दे सकता है जैसे अकाल मृत्यु गरीबी या ऐसी घटनाएँ जिससे परिवार की शान्ति में बाधा पड़े कई बार देखने में आता है कि उस परिवार की स्थिति पहले के मुकाबले में गिरावट की और चली जाती है। नाना के अलावा अपने पैतृक परिवार के लिए भी ऐसा अशुभ अच्छा नहीं होता। जन्म के बाद पैतृक जायदाद नष्ट होने लगती है या जातक के लिए वयर्थ सिद्ध होती है।
लाल किताब के अनुसार चौथे घर में मंगल होने से वह वयक्ति ऐसे घर में जन्म लेता है जहाँ एक दो पुस्त पहले कोई बुजुर्ग बाप दादा या कोई और एक इंसान पूरा बृहस्पति के प्रभाव में अर्थात धार्मिक विचारों का खालिस सोना या शाही शान में रहने वाला हो सकता है। उस परिवार में हर तरफ ख़ुशी की लहर लहराती होगी। परमात्मा की नजरें पूरी तरह मेहरबान रही होगी और उसके द्वारा किये गए बुरे कर्मों का भी कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि इन कर्मों के कारण आगे चलकर उसके खानदान में कोई बच्चा जन्म लेता हैं जिसके चौथे घर में नीच का मंगल होता है और यहां से घर के सुख साधनो में कमी आने लगती है या बर्बाद होने लगते है। देखने में आता हैं की चतुर्थ मंगल का नीच वाले शायद ही कभी गरीब के घर में जन्म लेते हो। क्योंकि उसका जन्म तो शायद अपने परिवार को गरीबी की और ले जाने के लिए होता है।
यहाँ मंगल के साथ गुरु हो तो अचानक मृत्यु नहीं होती किसी की बल्कि गुजारे के लिए जरूरी धन दौलत में कमी आती है। यहाँ मंगल के साथ शुक्र हो तो माता के खानदान के लोग डूबते ही नजर आते है और साली की सेहत के लिए व उसकी गृहस्थ जीवन के लिए ख़राब फल करेगा।
यदि यहाँ मंगल के साथ शनि हो तो सिर्फ देखने में आता है की मंगल का बुरा प्रभाव काफी कम हो जाता है और यदि ऐसा इंसान खेती की जमीन खरीद कर कुछ खेती बाड़ी करने लगे तो मंगल का प्रभाव शुभता की और बढ़ने लगता है। यहाँ केतु होने से ख़राब प्रभाव ही मिलेगा और बेटे की और से लगभग निराशा ही मिलती है। चौथे मंगल के साथ दसवें चन्द्र हो तो माता की आयु या स्वास्थ के लिए ख़राब फल देता है।
चौथे मंगल के साथ बुध हो तो देखने में आता है की जातक को माता पिता का साथ लम्बे समय तक प्राप्त होता है। ऐसा जातक यदि बड़े भाई के साथ रहे या उनसे बहुत अच्छे सम्बन्ध रखे तो बहुत ज्यादा उसके जीवन में बुरा प्रभाव नहीं पड़ता मानो कि जैसे यहाँ मंगल अपना बुरा प्रभाव करना भूल ही गया हो। सूर्य होने से गृहस्थ जीवन में कुछ न कुछ कमी बनी रहेगी। राहु होने से देखने में आता है की किसी न किसी मामा की आयु स्वास्थय या आर्थिक स्थिति पूरी तरह बर्बाद हो जाती है और माता के मन की शान्ति के लिए भी खराब है। 
चौथे अशुभ मंगल होने पर ख़राब फलों में कमी लाने के लिए जातक को मिटटी के बर्तन में शहद भर के बाहर कहीं वीरान जमीन में दबा देना चाहिए।
सूर्य यानि तांबा - गुड़ - गेहूं, चन्द्र यानि चांदी - दूध, बृहस्पति यानि साधु - बुजुर्ग - सोना आदि, इनका साथ रखना या इनका घर में रहना यानि इनकी कारक वस्तुओं को घर मैं स्थापित करना या पंछिओं को मीठा डालना या हाथी दांत अपने पास रखना, ये सभी उपाय चौथे घर के अशुभ मंगल देव के बुरे असर को दूर कर सकतें है। मंगल चौथे घर में हो, शुक्र चौथे या आठवें तो ऐसे वयक्ति के बर्बादी के जिम्मेदार उसका कोई ताया या चाचा होगा। ताया चाचा या ताई चाची के जोर से पड़ रहे बुरे असर को दूर करने के लिए किसी विधवा ताई - चाची या माता से आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

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