Tuesday 5 May 2015

उत्तम सूरज वाला कुल दुनिया को रौशन करता .......




जय माता दी ! 
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ……… 
मित्रों आज मैं सूर्य देव के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ। इस पोस्ट में मैं सूर्य देव के कुंडली में अलग अलग घरों में अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताऊँगा। अगर आप की कुंडली में भी ऐसे योग हों या सूर्य से सम्बंधित नीचे लिखे हुए हालात हों तो अच्छे ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुष प्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल करें।
कुछ शास्त्रों में सूर्य के बारे में लिखा है कि ऊष्मा, ऊर्जा व् प्रकाश देकर सूर्य प्राणियों का पोषण व् रक्षण करते हैं। उनके आदि देव विष्णु जी है। सूर्य सदा एक ही दिशा में चलते दिखाई देते हैं, किन्तु उसका गंतव्य अज्ञात ही है। हमे केवल इतना पता है कि न तो वह अपना मार्ग बदलता है और न ही पीछे कदम हटाता है। सूर्य ऐसा राजा है जो सबकी सुनता है, सब कुछ देखता है, किन्तु कोई नही जनता अगले क्षण वह क्या करेगा। गुरु उसका नियन्ता (कंट्रोलर) है। सूर्य को दूसरा शासक (गुरु के बाद) कहा जाता है।
वह विश्वात्मा का प्रतिनिधि है। वह उदार और कृपालु शासक है। वह तपस्या करता है। वह धार्मिक है, किन्तु किसी धर्म विशेष का अनुयाई नही है। उसे सत्य या असत्य का ज्ञान है और इसी ज्ञान के आधार पर वो न्याय करता है। सातवें भाव में वह नीचा समझा जाता है, किन्तु सूर्य कभी नीच नही होता। सूर्य सातवें घर के बारे में यह भी माना जाता है कि जिसके जन्म पर समझे थे कि खानदान का सूरज निकला, वो चढ़ते चढ़ते यानि वो व्यक्ति जवान होते होते दुमदार सितारा बनता गया। उसने सब सोच - समझ कर नेकनीयत से किया मगर नतीजा उल्टा ही रहा। वक़्त पर राजा का हुक्म अपने हक़ में न होगा। बेशक राजगद्दी में जनम ले मगर उसे गद्दी पर बैठना कम ही नसीब होगा। ‘हाकिमी गर्मी की, दुकानदारी नर्मी की’ का उसूल उसको मुसीबतों से बचा सकता है। अगर कोई जलाए तो हम भी उसको जला कर मरना सिखला देंगे - यहाँ पर सूर्य ऐसे कौल का मालिक होगा यानि कोई जलाए तो खुद जलकर नहीं मरेंगे, बल्क़ि दूसरे को जला कर खाक कर देंगे। कुंडली मे भाव स्तिथि के आधार पर शुभ अशुभ माना जाता है। खाना नं 1 में सूर्य जातक को चरम सीमा (चरमोत्कर्ष) पर पहुंचा देता है। किन्तु इससे जातक को सुखप्राप्ति नही होती। अहं उसके मार्ग की ब्याधा है, अत्य अधिक सीधापन (साफगोई) मुसीबत है। यदि वह अपने अहं को नियंत्रित रख सके तो भाग्यशाली सिद्ध होता है।
यदि केतु 1 या 6 में हो तो सूर्य अत्यंत शुभ फल देता है सूर्य का फल अब उसकी अपनी भाव स्थिति पर निर्भर नही होता। यदि सूर्य की बुध पर दृष्टि हो तो वह स्त्रियों (बहन, बुआ, बेटी) के लिए हर दृष्टि से अच्छा होता है। बुध की सूर्य पर दृष्टि हो तो बुध सम्बन्धी फल अच्छे होते है। यदि सूर्य पर शनि की दृष्टि होतो सूर्य से सम्बंधित फलो में कमी आती है। किन्तु शुक्र से सम्बंधित शुभ फल में असाधारण वृद्धि होती है। शनि के द्वारा सूर्य पीड़ित होता है। किन्तु इससे जातक की आय और खुशहाली पर प्रभाव नही पड़ता। कुछ शारीरिक कष्ट हो सकते है। यदि शनि पर सूर्य की दृष्टि हो या शनि से पहले के भावो में सूर्य हो तो जातक के घर में स्त्रियों को दुर्भाग्य के आघात सहने पड़ते हैं। इस योग के बारे में मैंने पहले वाले लेखों में विस्तार से वर्णन किया है साथ ही इस योग से होने वाले शुभ अशुभ प्रभाव और उनके उपाए भी लिखे हैं। यदि सूर्य को चन्द्र, मंगल या गुरु की सहायता प्राप्त हो तो अल्प नमक भोज या नमक न खाने वाला जातक अपने वर्तमान रुतबे से ऊपर उठ जाता है ।
यदि खाना नं 5 खाली हो तो सूर्य के उपाए करना चाहिए। ग्रहों के पैंतीस साला दौरे में सूर्य को दो वर्ष मिले है। कुंडली के छटे और सातवें भाव में सूर्य 'राशि का ग्रह ' बन जाता है। उस समय अशुभ फल देने लगे तो उपाए (उपचार) से लाभ हो सकता है। सोना और ताम्बा सूर्य की धातुए है और लाल (माणिक्य) उसका रत्त्न है। देह अंगो की दृष्टि से सम्पूर्ण देह पर सूर्य का सामान्य अधिकार माना गया है; किन्तु दाहिनी आँख और हड्डियों पर विशेष रूप से सूर्य का अधिकार होता हे। गुड, गेहू, तांबा, बन्दर, भूरी चीटियाँ, नेवला, भूरी भैंस, सरकारी सेवा, सरकार में कार्य, पिता, नमक, केसरी रंग की वस्तुयें, शिलाजीत, सरकार, ऊर्जा उत्तपन करने वाली चीज़ें, बिना छेद वाला तांबे का पैसा, माणिक्य, क्षत्रिय, राजा, तपस्वी, राजपूत, काली गाय, पुरानी रस्म, गेरू, बाजरा, और इकलौता पुत्र सूर्य की कारक वस्तुयें माना जाता है। 

कुछ शास्त्रों में सूर्य के बारे में लिखा है कि आकाश में रौशनी, ज़मीन के अन्दर गर्मी, राजा फकीर में सच्चाई, ज़माने में परर्विश और उन्नति की ताकत को सूरज के नाम से पुकारा गया है। जिसकी मौजूदगी का नाम दिन और गैरहाज़िरी का वक्त अंधेरी रात का दौर दौरा होगा। इन्सानी वजूद में रूह की हरकत और अपने जिस्म से दूसरे की मदद की हिम्मत इसका करिश्मा है। चलते चले जाना मगर अपना आखीर न बताना बल्कि पीछे हटे या रास्ता बदले बगैर फिर उसी जगह ही आकर हर रोज़ सुबह शाम करते जाना, इसका एक अजूबा है।


उत्तम सूरज वाला कुल दुनिया को रौशन करता और हर एक दौलत बख्शता है। लम्बी उम्र का मालिक होगा। तबीयत में अन्दर बाहर दोनों ही तरफ से सच्चा होगा। मन्दे वक्त पर बुरा असर रात के ख्वाब की तरह निहायत छुपे ढंग पर ज़ाहिर करेगा। किसी का सवाली न होगा बल्कि अगर हो सके तो किसी का सवाल पूरा कर देगा। खैरात न देवे तो बेशक मगर उल्टा फकीर की झोली से माल हरगिज़ न निकालेगा। खुद चोट खायेगा और बढ़ेगा मगर किसी को चोट न मारेगा। गो मौत को किसी ने भला नही गिना मगर सूरज उत्तम के वक्त मौत भी भली होगी।

राज दरबार से खुद अपने हाथों धन-दौलत कमाने का और बालिग होने का 22 साला उम्र का अरसा (अहद) जवानी का जोश हर तरफ नई रौशनी देगा। सूरज की रौशनी और धूप में गर्मी का दर्जा या कमी (हरारत) राहु केतु की हालत से पता चलेगा। उत्तम सूरज के वक्त चन्द्र, शुक्र और बुध का फल अमूमन भला ही होगा। केतु खाना नं0 1 या मंगल नं0 6 में हो तो सूरज का असर नेक बल्कि ऊँच हालत का होगा चाहे (ख्वाह) सूरज किसी भी घर में और कैसा भी बैठा हो। जन्म कुण्डली के खाना नं 1, 5, 11 में सूरज होने के वक्त टेवा बालिग ग्रहों का होगा जो बच्चे के माता के पेट में आने के वक्त ही से अपना असर शुरू कर देगा।

मन्दे असर का उपाय
अगर सूरज का खुद अपना ही असर दूसरे ग्रहों पर बुरा हो रहा हो तो सूरज के दोस्त ग्रह चन्द्र, मंगल, बृहस्पति को नेक कर लेना मददगार होगा। खाना नं 6,7 में बैठा होने के वक्त आम मन्दी हालत में बुध का किसी उपाय से नेक कर लेना मददगार होगा। जब कोई ग्रह सूरज से नष्ट या बर्बाद हो रहा हो तो खुद सूरज का उपाय करें। जब सूरज का खुद अपना असर नष्ट या बर्बाद हो रहा हो तो दुश्मन ग्रह को, जो उसके असर को बर्बाद कर रहा हो, नेक करें। 
उपाय :
लग्न - 
  1. सदाचारी बने रहो।
  2. घर के अंतिम सिरे पर बायीं ओर अँधेरा कमरा बनाएं।
द्वितीय भाव - 
  1. पैतृक घर में एक हैंड पम्प लगाओ।
  2. मुफ्त में किसी कुछ न लो। चावल, चांदी दूध आदि चन्द्रमा से संबंधित वस्तुए दान में न लें। 
  3. सदाचारी बने रहें।
  4. नारियल, तेल और अखरोट मंदिर में अर्पित करें। 
तृतीया भाव - 
  1. सदाचारी बने रहें।
  2. माँ /दादी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
चतुर्थ भाव - 
  1. अंधों को भोजन कराएं।
  2. मांस -मदिरा का सेवन न करें।
  3. तांबे का सिक्का खाकी धागे में पिरोकर गले में बांधे।
पंचम भाव - 
  1. झूट न बोलें । किसी का बुरा न चाहें।
  2. अपने वचन का पालन करें।
  3. पुराने रीति -रिवाजों का अनुसरण करें।
  4. लाल मुँह के बंदरो को गुड खिलाये। 
  5. तीन सांसारिक कुत्तों (साला, दामाद, भांजा) की सेवा करें।
षष्ठ भाव - 
  1. बंदरो को गेहू और गुड का भोजन कराये।
  2. दीमक को सात अनाज दें। उन्हें खुली जगह पर पेड़ के नीचे रखे।
  3. नदी -जल या चांदी सदा अपने पास रखें।
  4. माँ /दादी के पाँव धोये।
  5. चांदी का चौकोर सिक्का जमीन में दबाएं।
सप्तम भाव - 
  1. रात में भोजन बनाने के बाद चूल्हा दूध भुजाएं । वह चूला दूसरे दिनसुबह से पहले उपयोग न करें। 
  2. ताम्बे के चौकोर सिक्के जमीन में दबा दें।
  3. काली या बिना सिंग की गाय को भोजन दें।
  4. काम आरम्भ करने से पहले मिठाई खाके पानी पीले।
  5. भोजन बनाने के बाद चुल्ल्हे की जलती हुई आग में रोटी केटुकड़े दाल दें।
अष्टम भाव - 
  1. घर का मुख्य द्वार दक्षिनाभिमुख न हो।
  2. सफ़ेद गाय रखें।
  3. सदाचारी बने रहें।
  4. ससुराल में न रहें।
  5. बड़े भाई और गौमाता की सेवा करें।
नवम भाव - 
  1. पीतल के बर्तन बरतें।
  2. चावल ,दूध और चांदी का दान ग्रहण न करें।
  3. अत्यंत क्रुद्ध न हों, बहुत सहनशील भी न हों।   सामान्य बनें।
दशम भाव - 
  1. सफ़ेद टोपी या पगड़ी पहनें।
  2. पैतृक घर में हैण्ड पंप लगाएं।
  3. मटमैले रंग की भेंस की करे।
एकादश भाव - 
  1. मांस मदिरा का सेवन न करें। मछली न पकड़े, न खाए। 
  2. कभी झूट न बोलें।
  3. कसाई से बकरी / बकरा खरीद कर स्वतंत्र छोड़ दें।
द्वादश भाव - 
  1. मैकेनिक का व्यव्शाय न अपनाये।
  2. घर में आँगन रखें।
सामान्य उपाय : (सब भावों के लिए)
  1. रविवार को व्रत रखें।
  2. हरिवंश पुराण पढ़े या सुनें। 
  3. गेहू, गुड और तांबा दान करें।
  4. सदाचारी बने रहे।
  5. लाल (माणिक्य ) या तांबा पहनें।
  6. बहते पानी में ताम्बे के सिक्के पानी में डालें।
  7. घर का मुख्य द्धार पूर्वाभिमुख रखें।
  8. काला -बाजार और काला बजारियो से दूर रहें।
  9. यदि सूर्य उच्च का हो तो सूर्य से सम्बंधितवस्तुए दान में दें।
  10. सरकारी अफसरों की सेवा करें।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

1 comment:

  1. dj
    Wow! What a say. You have written very well Words and the tone to speak to them are the mirror of a human being, what is the appearance of the face, it often 'changes' with age and circumstances. Thanks for this post

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