Friday 8 May 2015

खाना नंबर 6 - पाताल की दुनिया - रहम का खजाना ..........

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
षष्ठ भाव
कुछ लाल किताबकार छटे भाव को पाताल की दुनिया कहते है। रहम का खजाना और ख़ुफ़िया मदद कहा गया है। लालकिताब के अनुसार इस भाव से माँ बाप और ससुराल के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।
लाल किताब में छटे भाव का स्वामी बुध और कारक केतु माना गया है। लाल किताब के अनुसार छटे भाव के शुभाशुभ फल का निर्णय करते समय दूसरे और आठवें भाव की स्थति पर अनिवार्यरूप से विचार करना होता है।
क्योकि ये तीनो भाव दृष्टि - सम्बन्ध द्वारा घनिष्ट रूप से जुड़े हुए है। आठवें भाव में बैठे हुए ग्रह दूसरे भाव को देखते है। दूसरे भाव में बैठे हुए ग्रह छटे भाव को देखते है। इस प्रकार आठवें की अलामत दूसरे में और दूसरे की छटे में पहुँच जाती है। शनि देव छटे घर में बैठकर दूसरे घर को विपरीत दृष्टि से देखते है। छटे भाव के ग्रह बारहवें भाव को देखते है। अतः छटे की अलामत बारहवें में चली जाती है। षष्ठस्थ ग्रह उस भाव के फल को प्रभावित करता है जिसमें बुध, केतु या शुक्र बैठा हो।
छटे घर में बुध या राहु  बैठे हो तो इस भाव पर दुष्ट ग्रहों का प्रभाव नही पड़ता, क्योकि छटा भाव इन दोनों ग्रहों के लिए उच्च का स्थान है। छटे भाव में सूर्य, चन्द्र और बृहस्पति अपना फल देते है (भाव का नही )। अतः वे "ग्रह फल "के कहलाते है। ग्रह फल अटल होता है। यदि वह अनिष्ट हुआ तो उसका कोई निवारण नही है। दूसरे भाव में बैठे हुए ग्रह छटे भाव को देखते है। छटा भाव खाली होने पर बारहवें भाव के ग्रहों को देखने वाला कोई नही। अतः वे भी सो जाते है ।
इन दोनों भावों (2 ,12 )में भले ग्रह हुए तो उनके सो जाने पर छटा भाव उनके शुभ फल से वंचित रहता है। इस स्थति में 2, 12 के भावों को जगाना श्रेयस्कर होता है। इसके लिए जातक मामा-परिवार की लड़कियों की सेवा करे, उनकी सहायता करे और स्वय अपनी पुत्रियों तथा दोहितियों की अच्छी देखभाल करे तो कारगर असर होता है। इससे 2, 12 के ग्रह जागृत हो जाते है और छटा भाव भरपूर शुभ फल देता है ।
लाल किताब तरमीम शुदा 1942 के अनुसार:  
रफ़्तार - गफ्तार, माता-पिता या औलाद के ज़रिये बन जाने वाले रिश्तेदार जिसका रिश्तेदारी ताल्लुक खुद कुंडली वाले के ताल्लुक के बगैर होवे छठे भाव से देखे जाते हैं। 
इंसान खुद किस ग्रह का है। चेहरा व पेशानी की हालत, बुध की चीज़ें, हमदर्दी फोकी, मॉमू, लड़की, दुश्मन, फूल की खुशबू या बदबू, फोका पानी, हमसाये, हाथ के नाखून का हाल, मकान के इर्द-गिर्द की चीज़ें, पट्ठे - नाड़े, आम रिश्तेदार, सुभाओ, सर्द-व-खाकी, लड़के का सुख, खुसरा-सुथरा, केतु की चीज़ें, हमदर्दी सच्ची, खालिस खटाई, कद-व-कामत व हथेली व उँगलियों की, तनासुब का हाल, चेहरा या बुध केतु मुश्तरका का हाल, नाक व माथा, चाहे (मय) बृहस्पत बुध या बृहस्पत केतु मुश्तरका, परिन्दे, गोबर, नानका धर (नाना नानी का), आम बरताओ व साहूकारा, साग सब्ज़ी, फूल पत्तर, जिस्मानी ताकत मुतल्लिका सूरज, मरने के बाद बाकी रहे हुअों का हाल, ज़ायका, गैबी कारोबार में अंदरूनी अक़ल, खुश्की (खल्वत) सहवन, भाख्या भाओ अपार नकारा खल्क, जाती बीमारी का अरसा खासियत (रूहानी, जिस्मानी व दिमागी) सफर खुश्की पाताल, ख़्वाब हस्ती, रिश्तेदारों से पाई हुई चीज़ें, शुमल, बुध केतु, शुक्र जैसे हों वैसा ही फल होगा। मंगल, शनि राशि फल का होगा, नेकी, फलना-फूलना, केतु की चीज़ें, यह सेहन है खाना न 12 का, सेहन या 6 न का मन्सिफ राहु होगा, सब्ज़ चितकबरा बुध केतु, बुध का उत्तम फल, केतु का खुद केतु की चीज़ों पर मंदा मगर दूसरों पर अच्छा। 
अगर बुध भी साथ हो, तो केतु खुद केतु की चीज़ों व दूसरों पर मंदा होगा। मगर बुध का बुध की चीज़ों पर नेक होगा, खाना नंबर 2 व नंबर 6 फैसला खाना नंबर 8 को साथ लेकर होगा। 
(आकार बुध का चेहरा की पसन्दीदगी, खूबसूरती केतु) खाना न 6 से देखी जाती है। मित्रों आने वाले आर्टिकल्स में लाल किताब के आधार पर चेहरे से किस प्रकार ग्रहों के बारे में जानकारी मिलती है, की वियाख्या करूंगा। 
मित्रों जैसा कि मैंने पहले लेखों में लिखा है कि खाना न 6 खाली हो तो खाना न 2-12 के ग्रह सोये हुए होंगे। आठवां देखता है दूसरे घर को, दूसरा घर देखता है छठे घर को और छठा घर देखता है बारहवें घर को। इस दृष्टि सम्बन्ध से यदि 2-12 घरों को बिजली की मशीन मान लिया जाये तो खाना न 6 का ग्रह उनको चलाने का बटन होगा। 
इसलिए यदि खाना न 2 और 12 में उत्तम ग्रह हो तो खाना न 6 को जगा लेना सहायक होगा अर्थात यदि छठे घर में कोई ग्रह न हो तो जातक अपने मामा, परिवार या लड़कियों के बच्चों की सेवा करता रहे तो उत्तम फल होगा क्योंकि दूसरे घर में बैठे शुभ ग्रह का प्रभाव छठे घर में सदैव एवं अवश्य मिलेगा। 
जो ग्रह छठे घर में बैठेगा वह अपनी सम्बंधित वस्तुओं के बारे में अपनी ग्रहचाली आयु तक मंदा प्रभाव देगा। बृहस्पत, सूर्य और चन्द्र को छोड़ कर छठे घर में सभी ग्रह इस घर में ग्रहफल और ग्रहफल का कोई उपाए नहीं है। बुध और केतु विशेष रूप से 6-8 में बैठे हुए अपनी ग्रह आयु तक मंदे होंगे। 
जहाँ बुध, केतु या शुक्र टेवे में बैठे हों, छठे घर के ग्रह का प्रभाव उन घरों पर भी पड़ सकता है। 
न 6 में स्थित शनि उल्टा खाना न 2 को देखा करता है। यदि दूसरे घर में सूर्य या चंदमा हो तो चौथे घर का मंगल, बद मंगल नहीं होगा। 
बुध-राहु खाना न 6 में उच्च के माने गए हैं, कभी मंदे न होंगे और न ही वह खाना नंबर या केंद्र स्थानो पर बुरा प्रभाव डालेंगे। छठे घर का फैसला खाना नंबर 2-8 की दृष्टि से किया जायेगा। 
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
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माता रानी सब को खुशीआं दे।

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